शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024

सीडीओ की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित

सीडीओ की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित 

बृजेश केसरवानी 
प्रयागराज।‌ उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मी बाई महिला एवं बाल सम्मान कोष अंतर्गत जनपद स्तर पर लंबित आवेदन पत्रों के निस्तारण के संबंध में मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक शुक्रवार को आयोजित की गई। जिसमें पुलिस उपायुक्त प्रोटोकॉल, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, नोडल चिकित्सा अधिकारी तथा जिला प्रोफेशन अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में जिला प्रोबेशन अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद स्तर पर नोडल चिकित्सा अधिकारी के स्तर पर 271 प्रकरण लंबित है तथा जिला संचालन समिति के स्तर पर 47 प्रकरण लंबित है, जिसमें 38 प्रकरण में धारा 304 बी के अंतर्गत पीड़िता के बच्चों को क्षतिपूर्ति राशि दी जानी है। किंतु, बच्चों के अभिलेख प्राप्त न होने के कारण उनके खाते जिलाधिकारी महोदय के गार्जियनशिप में नहीं खुल पा रहा है। 
इसके निस्तारण हेतु मुख्य विकास अधिकारी द्वारा नोडल चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया गया कि तत्काल इन आवेदन पत्रों के संबंध में रिपोर्ट अपलोड करते हुए जिला संचालन समिति को अग्रसारित करें तथा जिला प्रोबेशन अधिकारी को निर्देशित किया गया कि जिला संचालन समिति के स्तर पर लंबित आवेदन पत्रों में से धारा 304 बी के अंतर्गत लंबित 38 आवेदन पत्रों में पुलिस अधिकारी से संपर्क कर समन्वय स्थापित करते हुए बच्चों का अभिलेख मंगा कर उनका खाता खुलवाते हुए क्षतिपूर्ति राशि दिलाए जाने की कार्रवाई सुनिश्चित करें क्योंकि इन सभी प्रकरणों में पीड़ित महिलाओं को लाभ दिए जाने का प्रावधान है। अतः किसी भी प्रकार की अविलंब या लापरवाही क्षम्य नहीं होगी। 

डल्लेवाल को हॉस्पिटल में भर्ती कर, इलाज करें

डल्लेवाल को हॉस्पिटल में भर्ती कर, इलाज करें 

इकबाल अंसारी 
नई दिल्ली। हरियाणा एवं पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर पिछले 25 दिन से किसानों की डिमांड को लेकर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को तुरंत टेंपरेरी हॉस्पिटल में भर्ती कर इलाज देने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिया गया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में लगातार तीसरे दिन हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर पिछले 25 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर सुनवाई हुई। पंजाब सरकार के अटॉर्नी जनरल गुरमिंदर सिंह ने अदालत को किसान नेता के स्वास्थ्य से जुड़ी अपडेट की रिपोर्ट सौंपी। 
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को मोर्चे के पास ही टेंपरेरी अस्पताल बनाकर उसमें शिफ्ट किया जाएं। इस पर सरकारी वकील ने कहा कि किसान नेता के सारे टेस्ट हो गए हैं और उनका स्वास्थ्य फिलहाल अभी तक स्थिर है। सरकार से निर्देश लेकर और किसानों की अनुमति से अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, डल्लेवाल को टेंपरेरी हॉस्पिटल में शिफ्ट किया जाएगा। 

पूर्व मुख्यमंत्री चौटाला का 89 वर्ष की उम्र में निधन

पूर्व मुख्यमंत्री चौटाला का 89 वर्ष की उम्र में निधन 

राणा ओबरॉय 
चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला ने शुक्रवार को इस दुनिया को छोड़ दिया है। 89 साल की उम्र में पूर्व मुख्यमंत्री अंतिम सांस लेते हुए परिजनों को रोता बिलखता छोड़ गए हैं। 
शुक्रवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का निधन हो गया है। 89 साल की उम्र के पूर्व मुख्यमंत्री पिछले कुछ दिनों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बुरी तरह से जूझ रहे थे। 89 साल की उम्र में अंतिम सांस लेने वाले पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला भारत सरकार के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर रह चुके चौधरी देवीलाल के बेटे थे। पूर्व मुख्यमंत्री के निधन को लेकर अनेक राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपना गहरा शोक व्यक्त किया है। 
निधन की खबर मिलते ही राजनीतिक दलों के नेताओं का पूर्व मुख्यमंत्री के आवास पर पहुंचना शुरू हो गया है। 

सीएम की बिगड़ी तबीयत, कार्यक्रम रद्द किए

सीएम की बिगड़ी तबीयत, कार्यक्रम रद्द किए 

अविनाश श्रीवास्तव 
पटना। मुख्यमंत्री की अचानक तबीयत बिगड़ जाने की वजह से उनके सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। मुख्यमंत्री को सर्दी जुकाम होने के साथ हल्का बुखार होना बताया गया है। जिसके चलते सीएम को आराम की सलाह दी गई है। 
शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अचानक से तबीयत बिगड़ गई है। सर्दी, जुकाम के साथ हल्का बुखार होने की वजह से मुख्यमंत्री फिलहाल सीएम हाउस के भीतर रेस्ट कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की तबीयत बिगड़ने की वजह से आज के उनके सभी कार्यक्रम कैंसिल कर दिए गए हैं। डॉक्टरों की सलाह पर मुख्यमंत्री के आज होने वाले कार्यक्रमों को कैंसिल किया गया है। 
जानकारी मिल रही है कि बीमारी का शिकार हुए मुख्यमंत्री शुक्रवार को राजधानी पटना में हो रहे बिहार बिजनेस कनेक्ट में शामिल होने वाले थे। इस दौरान मुख्यमंत्री के सामने एम ओ यू भी साइन होने थे। लेकिन, फिलहाल मुख्यमंत्री बिहार बिजनेस कनेक्ट में शामिल नहीं होंगे। 

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-368, (वर्ष-11)

पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254

2. शनिवार, दिसंबर 21, 2024

3. शक-1945, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-षष्ठी, विक्रमी सवंत-2079‌‌। 

4. सूर्योदय प्रातः 05:39, सूर्यास्त: 06:58।

5. न्‍यूनतम तापमान- 23 डी.सै., अधिकतम- 15 डी.सै.। गर्जना के साथ बूंदाबांदी होने की संभावना।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।

7. स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय (डिजीटल सस्‍ंकरण)। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।

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गुरुवार, 19 दिसंबर 2024

'साक्षरता एवं जागरूकता' शिविर का आयोजन

'साक्षरता एवं जागरूकता' शिविर का आयोजन 

सुबोध केसरवानी 
कौशाम्बी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी के तत्वावधान में कस्तूरबा गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज भरवारी में बालिकाओं के अधिकार और शिक्षा का अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। 
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती पूर्णिमा प्रांजल, अपर जिला जज सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जनपद न्यायालय कौशाम्बी ने बालिकाओं के अधिकार और शिक्षा के अधिकार पर बात करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1989 में अपनाए गए बाल अधिकारों पर कन्वेंशन में बच्चों के बुनियादी मानवाधिकारों को निर्धारित किया गया है, जो आमतौर पर 18 वर्ष से कम उम्र के होते हैं। इन अधिकारों में गैर भेदभाव; जीवित रहने और क्षमता के विकास का अधिकार हानिकारक प्रभावों, दुर्व्यवहारों और शोषण से सुरक्षा; और परिवार, सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में पूर्ण भागीदारी शामिल है। कन्वेंशन में कुछ मानवाधिकार उल्लंघनों का भी उल्लेख किया गया है जो केवल बालिकाओं के लिए हैं, जिसमें लिंग के आधार पर भेदभाव, जन्मपूर्व लिंग चयन और कम उम्र में विवाह आदि शामिल हैं। 
गरीब और ग्रामीण परिवारों की लड़कियों को शिक्षा से वंचित किए जाने की संभावना विशेष रूप से अधिक होती है। लड़कियों को घर के अंदर और बाहर बाल श्रम के रूप में इस्तेमाल किए जाने की संभावना अधिक होती है। फिर भी लड़कियों की शिक्षा में निवेश करने के कई लाभ होते हैं। जैसे- स्वस्थ परिवार, कम प्रजनन दर, बेहतर आर्थिक प्रदर्शन और गरीबी में कमी आदि। लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए लड़कियों को एक सहायक, लिंग-संवेदनशील वातावरण में शिक्षित करना बेहद महत्वपूर्ण है। 
समाज में और लड़कियों के बीच लड़कियों की ज़रूरतों और उनकी क्षमता के बारे में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए ताकि वे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में पूरी तरह से भाग ले सकें। तमाम कानूनी प्रावधानों के चलते प्रगति तो हुई है। लेकिन, लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें अपना बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, जिससे वे और अधिक सशक्त हो सकें। स्त्री-पुरुष समानता जीवन के शुरुआत से ही आनी चाहिए। बालिकाओं को स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और अन्य बुनियादी सेवाओं तक पहुँच की बहुत आवश्यकता है।कम उम्र में शादी और फिर बच्चे पैदा करने से महिलाओं की जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है और उनके स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और रोजगार के अवसरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 
किशोर न्याय अधिनियम 1986 में 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों और 16 वर्ष से कम आयु के लड़कों की सुरक्षा, उपचार और पुनर्वास के लिए विशेष प्रावधान शामिल हैं प्रत्येक बच्चे अर्थात बालक और बालिका दोनों को पोषण युक्त भोजन, कपड़े, आश्रय, सम्मान के साथ जीवन जीने, अच्छा स्वास्थ्य, स्वच्छ हवा-पानी, साफ-सुथरे वातावरण का अधिकार है। बालकों (लड़के और लड़की दोनों) को शोषण व हिंसा के विरुद्ध अधिकार, अपमानित किए जाने के विरुद्ध, शारीरिक व लैंगिक शोषण के विरुद्ध, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संघ या संगठन बनाने के स्वतंत्रता, आत्म निर्णय की स्वतंत्रता जैसे अधिकार भी प्राप्त हैं। सीखने, शिक्षा प्राप्त करने, आराम करने, खेलने-कूदने के साथ ही मानसिक, शारीरिक व संवेगात्मक विकास का अधिकार भारतीय संविधान, बालकों से संबंधित विभिन्न विधियों और बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत प्रदान किया गया है। 
बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के का विवाह प्रतिबंधित किया गया है।प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण जीवन एवं बहुमुखी विकास का जन्मजात अधिकार है, इसके अन्तर्गत बच्चों की सुरक्षा, उनके स्वास्थ्य एवं उनकी शिक्षा का अधिकार सम्मिलित हैं, जिनका उद्देश्य बच्चों के व्यक्तित्व, योग्यता व मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं का सम्पूर्ण विकास है तथा सामाजिक सुरक्षा से पूर्ण लाभ प्राप्त करने का अधिकार भी इसमें सम्मिलित है।
किशोर न्याय देखभाल एवं संरक्षण अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम, एंटी ट्रैफिकिंग एक्ट, बाल कल्याण समिति, एंटी रैगिंग एक्ट तथा भारतीय न्याय संहिता (पूर्व में भारतीय दण्ड संहिता), कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (पूर्व में दण्ड प्रकिया संहिता) की धारा 125 के तहत उपलब्ध भरण पोषण के उपबंधों सहित अन्य अधिनियमों में बालकों व उनके अधिकारों से संबंधित तमाम प्रावधानों, उत्तर प्रदेश पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना व विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं, पात्र व्यक्तियों, तहसील स्तर पर स्थापित लीगल एड फ्रन्ट ऑफिस और वैकल्पिक विवाद समाधान पद्धति की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी प्रदान की।
बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम का निर्माण 18 वर्ष के कम उम्र के बच्चों के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, पोर्नोग्राफी और छेड़छाड़ के मामलों को रोकने के लिए किया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य है बच्चों को इस अपराध से बचाना व समय पर न्याय दिलवाना। इस एक्ट के अन्तर्ग दोषी पाए गए व्यक्ति के लिए 3 साल से लेकर उम्रकैद व मृत्युदंड का भी प्रावधान है। 
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य श्रीमती नीलम, तहसीलदार चायल पुष्पेन्द्र गौतम, शशि त्रिपाठी, उपनिरीक्षक विंध्यवासिनी, शिक्षक, कर्मचारी व पीएलवी कृष्णा कपूर सहित सैकड़ों की संख्या में छात्राएं मौजूद रहें। 

योगी को हटाने की मांग, याचिका दाखिल की

योगी को हटाने की मांग, याचिका दाखिल की 

बृजेश केसरवानी 
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका गुरुवार को दाखिल की गई है। पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की यूपी शाखा की ओर से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि योगी आदित्यनाथ द्वारा न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के समर्थन में की गई टिप्पणी धर्मनिरपेक्ष गणराज्य भारत के विरुद्ध है। 
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने गत 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद की लीगल सेल की ओर से हाईकोर्ट बार की लाइब्रेरी हॉल में हुए कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ टिप्पणी की थी। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर ध्यान दिया है और उच्च न्यायालय से रिपोर्ट मांगी है। 
याचिका में आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की टिप्पणी का खुलकर समर्थन किया है, जो मुख्यमंत्री के पद की शपथ का उल्लंघन है। उन्होंने भारत के संविधान के प्रति अपनी आस्था और निष्ठा को तोड़ दिया है। इसलिए, योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव बुधवार को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सामने पेश हुए। विश्व हिंदू परिषद के प्रोग्राम में कथित विवादित बयान देने का आरोप जस्टिस यादव पर लगा था। 
इस मामले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सामने अपने बयान का संदर्भ न समझे जाने की बात कहीं। 

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...