आयुर्वेद: अपने दिन की शुरुआत कैसे करें ?
सरस्वती उपाध्याय
अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी जीवनशैली आवश्यक हैं। आजकल के भाग-म-भाग वाले समय में हमारे पास सबसे बड़ी कमी समय की है। ऐसे में अपने लिए समय निकालना और सेहत का ख़याल रखना जरूरी है। कहते हैं कि बचाव ही उपचार है। बीमारियों से बचने और अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हमें दिन की शुरुआत सही करना चाहिए। आयुर्वेद में इस बात का विस्तार से उल्लेख है कि अपने दिन की शुरुआत कैसे करें ? जिससे स्वास्थ्य बेहतर रहे। इससे आपके शरीर के साथ मेंटल हेल्थ भी अच्छी रहती है।
आयुर्वेद हमारे देश की एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य को बनाए रखना और रोगों का उपचार करना है। यह शब्द संस्कृत के दो शब्दों “आयु” (जीवन) और “वेद” (ज्ञान) से बना है, जिसका अर्थ है “जीवन का ज्ञान”। आयुर्वेद केवल एक चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक संपूर्ण दृष्टिकोण है जो शरीर, मन और आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर जोर देता है।
आयुर्वेद के अनुसार, सुबह की दिनचर्या
आयुर्वेद में सुबह की दिनचर्या को लेकर कुछ नियम और अनुशासन बताए गए हैं जो हमारे स्वास्थ्य और जीवनशैली को संतुलित रखने में मदद करते हैं। ये नियम शरीर, मन और आत्मा को ताजगी और ऊर्जा से भरते हैं। आयुर्वेद के अनुसार सुबह की शुरुआत एक विशेष दिनचर्या के साथ की जानी चाहिए जो पूरे दिन के लिए स्वस्थ जीवनशैली का आधार बनाती है।
1. ब्रह्ममुहूर्त में उठना: आयुर्वेद के अनुसार सुबह ब्रह्ममुहूर्त में (सूर्योदय से लगभग 45 मिनट पहले) उठना शरीर के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह समय लगभग 4:30 से 5:30 के बीच होता है। इस समय में वातावरण में प्राणवायु (ऑक्सीजन) सबसे अधिक होती है, जो शरीर और मस्तिष्क के लिए लाभकारी होती है।
2. तुलसी या ताजे पानी से गरारे: सुबह उठने के बाद सबसे पहले मुख की शुद्धि की जाती है। गुनगुने पानी से कुल्ला करने और ताजे पानी से गरारे करने से मुंह की सफाई होती है और विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं।
3. आँखों और मुँह की सफाई :
आँखे साफ करने के लिए त्रिफला या गुलाब जल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे आँखों की रोशनी बनी रहती है और थकान दूर होती है।
4. तैल अभ्यंग (तेल मालिश):
पूरे शरीर पर तिल के तेल से मालिश करने की परंपरा है। यह शरीर के अंगों को मजबूत बनाती है। त्वचा में नमी बनाए रखती है और रक्त संचार को सुधारती है। मालिश के बाद स्नान करना चाहिए।
5. व्यायाम और योग: सुबह हल्के व्यायाम और योग शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी माने गए हैं। योगासन और प्राणायाम करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक तनाव दूर होता है। इससे शरीर का संतुलन और लचीलापन बढ़ता है।
6. ध्यान और प्रार्थना: योग के बाद ध्यान करने से मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है। प्रार्थना करने से मानसिक शांति और सकारात्मकता आती है। यह आत्मा को सुदृढ़ बनाने में मदद करता है।
7. संतुलित और सुपाच्य नाश्ता:
आयुर्वेद में सुबह का नाश्ता हल्का, ताजगी भरा और पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए। इसमें ताजे फल, सूखे मेवे, ओट्स, मूंग दाल का सूप आदि शामिल हो सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार सुबह खाने में ताजगी और प्राकृतिक पोषण का ध्यान रखना चाहिए, जो दिन भर ऊर्जा बनाए रखें। इसी के साथ कुछ अन्य सुझाव भी दिए गए हैं। इसमें सूर्य का स्वागत करना शामिल है। सूर्य की पहली किरण को नमस्कार करने की प्रक्रिया को आयुर्वेद में “सूर्य नमस्कार” के रूप में जाना जाता है, जो बहुत अच्छा योगासन है। इसी के साथ अपने शरीर की साफ़ सफ़ाई रखना अत्यंत आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुसार दिन की शुरुआत में एक गिलास गुनगुना पानी पीने से शरीर के टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और पाचन क्रिया सक्रिय होती है।