विभाग ने नए एंजल कर नियम अधिसूचित किए
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। आयकर विभाग ने गैर-सूचीबद्ध स्टार्टअप कंपनियों की तरफ से निवासी एवं अनिवासी निवेशकों को जारी किए जाने वाले शेयरों के मूल्यांकन से संबंधित नए एंजल कर नियम अधिसूचित किए हैं। एक स्टार्टअप कंपनी के शेयरों की बिक्री से उचित बाजार मूल्य से मिलने वाली पूंजी पर वसूला जाने वाले कर को एंजल कर कहा जाता है।
पहले एंजल कर सिर्फ स्थानीय निवेशकों पर ही लगता था लेकिन चालू वित्त वर्ष के बजट में इसका दायरा बढ़ाकर विदेश निवेशकों पर भी एंजल कर लगाने का प्रावधान किया गया था। बजट प्रस्ताव के मुताबिक, अधिशेष प्रीमियम को 'स्रोतों से आय' माना जाएगा और उस पर 30 प्रतिशत तक कर लगेगा।
हालांकि उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के पास पंजीकृत स्टार्टअप को नए मानकों से राहत दी गई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सोमवार को जारी एक अधिसूचना में निवेशकों को जारी होने वाले शेयरों के मूल्यांकन की पद्धति का ब्योरा दिया है।
आयकर अधिनियम के नियम 11यूए में बदलाव से यह प्रावधान किया गया है कि गैर-सूचीबद्ध स्टार्टअप की तरफ से जारी किए गए अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय तरजीही शेयरों एवं इक्विटी शेयरों का मूल्यांकन भी उचित बाजार मूल्य पर आधारित हो सकता है। संशोधित नियमों में प्रस्तावति पांच नए मूल्यांकन के तरीकों को भी कायम रखा गया है।
ये हैं...तुलनात्मक कंपनी विविध उपाए, संभाव्य भारित अपेक्षित प्रतिफल विधि, विकल्प मूल्य निर्धारण विधि, विश्लेषण विधि, और प्रतिस्थापन लागत की विधि। डेलॉयट इंडिया के साझेदार सुमित सिंघानिया ने कहा कि एक निवेशक के नजरिये से संशोधित नियम शेयरों के मूल्यांकन के तरीके का व्यापक दायरा मुहैया कराते हैं और इससे अनुपालन कम जटिल होने की उम्मीद है।
सिंघानिया ने कहा, "इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर शेयरों के मूल्यांकन में उचित मूल्य से 10 प्रतिशत विचलन की मंजूरी देकर एक सुरक्षित स्थिति भी दी गई है।" नांगिया एंड कंपनी एलएलपी के भागीदार अमित अग्रवाल ने कहा कि भारतीय आयकर अधिनियम के नियम 11यूए में संशोधन करदाताओं को कई मूल्यांकन विधियों के माध्यम से लचीलेपन की पेशकश करके सकारात्मक बदलाव लाने वाला है।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘ये बदलाव करदाताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दृष्टिकोण सहित चयन के लिए मूल्यांकन विधियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। इससे विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी और चीजों में स्पष्टता आएगी।
एकेएम ग्लोबल के कर भागीदार अमित माहेश्वरी ने कहा कि नए एंजल कर नियमों ने सीसीपीएस मूल्यांकन तंत्र के एक महत्वपूर्ण पहलू का बहुत अच्छी तरह से ध्यान रखा है, जो पहले नहीं था, क्योंकि उद्यम पूंजी (वीसी) कोषों द्वारा भारत में अधिकांश निवेश केवल सीसीपीएस मार्ग के माध्यम से किया जाता है।
सीबीडीटी ने इस साल मई में गैर-सूचीबद्ध और गैर-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप इकाइयों में वित्तपोषण के मूल्यांकन पर नियमों का मसौदा जारी किया था। सीबीडीटी ने यह मसौदा आयकर लगाने के मकसद से जारी किए थे।
इसे ‘एंजल कर’ कहा जाता है। इस पर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी गई थीं। संशोधित नियमों के जरिये विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और आयकर से संबंधित नियमों के बीच फासला कम करने का मकसद रखा गया है।