बुधवार, 12 जुलाई 2023

स्वास्थ्य के लिए शुद्ध 'जल' आवश्यक है: मिश्रा 

स्वास्थ्य के लिए शुद्ध 'जल' आवश्यक है: मिश्रा 


पानी की शुद्धता की क्वालिटी के बारे में जानकारी दे गए अफसर

कौशाम्बी। सिराथू तहसील क्षेत्र के करेंटी मजरा जमाल मउ ग्राम सभा मे जल शक्ति मिशन के बारे में ट्रेनर ब्रजेश मिश्रा ने जानकारी देते हुए कहा कि स्वास्थ्य के लिए शुद्ध जल आवश्यक है। पानी की क्वालिटी के बारे में जानकारी दी और साफ जल के बारे जानकारी देते हुए कहा कि साफ जल्द ही पीने में उपयोग करें।

कार्यक्रम के दौरान ग्राम प्रधान व ग्रामीणों की मौजूदगी रही ग्राम प्रधान रंजीत पटेल ने ग्रामीणों को पानी को बचाने के बारे में समझाया। मौके पर तमाम लोगों की मौजूदगी रही।

एक तरफ साफ पानी के बारे में अफसर उपदेश दे रहे थे दूसरी तरफ उसी ग्राम सभा में एक दबंग द्वारा हैण्ड पम्प के पास गोबर का ढेर लगा कर गन्दे पानी को रोक कर हैण्ड पम्प के अंदर गन्दे पानी के जाने से ग्रामीणों को गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। ग्राम प्रधान का कहना है कि हमने कई बार कहा लेकिन वह अपने दबंगई के बल पर लोगों को गाली गलौज भी देता है।

सवाल उठता है कि जहां पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं वहां भी भाषण बाजी का पालन ना हो सके, तो ऐसे बकवास का क्या फायदा ?

अजीत कुशवाहा

शास्त्री की कथा में मची भगदड़, बेहोश हुए लोग

शास्त्री की कथा में मची भगदड़, बेहोश हुए लोग

विजय भाटी 

गौतमबुद्ध नगर। दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की चल रही कथा में अचानक भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोग गिरकर बेहोश हो गए। साथ ही कई लोगों के करंट लगने की सूचना मिल रही है। 

जानकारी के मुताबिक आज धीरेंद्र शास्त्री की कथा में भक्तों की भारी भीड़ जमा हो गई। ज्यादा भीड़ जमा होने से अचानक बेकाबू हो गई, जिसमें कुछ लोगों को नंगे तारों से करंट लगने की सूचना मिल रही है, तो वहीं कुछ लोग  गिरकर बेहोश हो गए।

रिश्तों का तराजू   'संपादकीय'

रिश्तों का तराजू   'संपादकीय'


मैंने निभाया है हर रिश्ते को ईमानदारी से,

यकीन मानो कुछ नहीं मिलता इस वफादारी से।

अवतरण दिवस के बाद से ही रिश्तों की डोर में बंधा आदमी कदम-कदम पर अपने-पराये की अटूट श्रृंखला की कड़ी बनकर रह जाता है।

जीवन के अग्नि पथ पर हर लम्हा समर्पण भाव लिए स्वभाव के संरक्षण में अपनी निरन्तरता बनाएं रहता है। उम्र के गुजरते लम्हे धीरे-धीर जब परिपक्वता की परिधी में पहुंच जाते हैं, स्वयं की सम्वेदना निज हित को सर्वोपरि मानते हुए दिन रात सामाजिकता के आवरण को मजबूत कर इस स्वार्थी दुनिया के रस्मों रिवाज में अहर्निश सुख सम्पदा के उन्मोचन में सुख-चैन को त्याग कर, सुखद भविष्य की चाहत में खुद‌ आहत रह कर भी 

तरक्की की राह पर अपनों को अग्रसर करने के लिए हर दर्द को सह जाता है। बदलता परिवेश जिस विशेष वातावरण का निर्माण कर‌ रहा है, उसमें तो एक निश्चित अवधि के पार होते ही जो कल तक अपने थे सपने कि बात बन जा रहे हैं।परिवर्तन की पराकाष्ठा देखिए साहब! आधुनिकता के इस अघोषित युद्ध में लोगों की मानसिकता जिस तरह प्रबुद्ध होने का एहसास करा रही है, वह भारतीय परम्परा भारतीय संस्कृति में कभी शामिल नहीं रही है।

इस देश में तो सदियों से मातृ देवो भव: पितृ देवो भव: का सारगर्भित सम्मान सर्वोपरि रहा है।

मगर, इस भौतिक वादी युग में रिश्तों की अहमियत खत्म हो गई। डंकल प्रजाति के नए रिश्तों से समाज सम्बृध हो रहा है।पुरातन काल के सम्बन्ध जो पौराणिक अनुबन्ध पर कायम थे, अब विलुप्त हो चले हैं।आधुनिकता के प्रथम चरण में ही सामाजिक सम्बन्धों की परिभाषा बदल गई। अब वह परम्परा परिवर्तित हो गई, जिसमें शान से कहा जाता, जिस जाति धर्म में जन्म लिया, बलिदान उसी में हो जाए ! 

जननी जन्म भुमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी !  खुशहाल जीवन के महकते उपवन में जिस दिन उर्वशी का आगमन हुआ, उसी दिन खुशी पर ग्रहण लग गया। रिश्ते दरकने लगा, घर परिवार खटकने लगा। उसमें भी अगर नौकरी है तो सोने में सुहागा‌। वह पथिक जो जीवन भर कठिन राहों पर अपनों के लिए नंगे पांव भटकता रहा, उसके नसीब में खुशी करीब आकर दूर चली गई, जिसके आसरे सारे ख्वाब सजाए थे, जीवन उस पर तुषारापात हो गया।

सम्बन्धों की तुरपाई जब मोहब्बत के धागे से होती है, तब जाकर अपनापन वजूद मुस्कराता है ।लेकिन आजकल तो एक नई व्यवस्था ने ऐसी आस्था को प्रतिपादित किया है, जिसके चक्रव्यूह में जो एक बार फंस गया,  वह अपना समूल नाश कर मूल को भूल जाता है। जीवन की जगमगाती ज्योति को आंधियों के हवाले करने की नवसृजित परम्परा भारतीय संस्कृति को विनाश के तरफ ले जा रही है। विघटित होते संयुक्त परिवार  एकाकी जीवन की संकल्पना का आधार बन रहे हैं। पुरातन भारतीय जीवन पद्धति अब कल की बात हो गई। घर विरान हो रहे है, अनाथ आश्रम तथा बृद्धा आश्रम आबाद हो रहे हैं। शहर से लेकर गांव तक बदल गए। हर तरफ गजब की उदासी है, हर तरफ गम जदा मंजर है। वैमनस्यता की देवी पूजी जा रही घर-घर है। 

अब रिश्तों का तोल नहीं, 

मां-बाप अनमोल नहीं। 

आने वाला कल विकल भाव लिए एकल जीवन का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

सबके करीब जाना, 

मेरी मजबूरी तो नहीं।

हर ज़ख्म दिखाऊं, रोऊं... 

ये जरुरी तो नहीं।

देख लिया है जीकर,

मैंने सबके लिए।

बिना मेरे ज़िन्दगी,

किसी की अधूरी तो नहीं।

जगदीश सिंह

तिरंगे पर सोयाबीन की बड़ी सुखाई, 2 गिरफ्तार 

तिरंगे पर सोयाबीन की बड़ी सुखाई, 2 गिरफ्तार 


तिरंगे को बिछाकर सोयाबीन की बड़ी सुखाई, दो पर रिपोर्ट

इकबाल अंसारी 

गाजियाबाद/लोनी। लोनी बार्डर थाना क्षेत्र की संगम विहार कॉलोनी में दो लोगों पर तिरंगा के अपमान करने पर रिपोर्ट दर्ज हुई है। पड़ोसी ने दोनों पर रिपोर्ट दर्ज कराई है। 

दोनों पर पीड़ित को धमकी देने और गाली-गलौज करने का आरोप है। संगम विहार कॉलोनी में प्रेम बाबू परिवार के साथ रहते हैं। उन्होंने पुलिस को सूचना दी कि उनके पड़ोस में रहने वाले मोहन और रमेश अपने घर में राष्ट्रीय ध्वज को जमीन पर बिछा कर सोयाबीन की बड़ी सुखा रहे हैं। 

पानी के ड्रम पर भी राष्ट्रीय ध्वज को बांध रखा था। पार्थी ने इसका विरोध किया, तो दोनों ने उनके साथ गाली-गलौज की। जान से मारने की धमकी दी। एसीपी रजनीश कुमार उपाध्याय ने बताया कि कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

शिव की पूजा में 'केतकी' का फूल चढ़ाना पाप

शिव की पूजा में 'केतकी' का फूल चढ़ाना पाप

सरस्वती उपाध्याय 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी देव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें उनकी पसंदीदा वस्तुएं दी जाती हैं। सावन के महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तुओं को अर्पित करना प्रचलित है। लेकिन कुछ चीजें देवताओं को देने से वे जल्द ही नाराज़ हो जाते हैं। आइए पता करें...!

सावन का महीना बहुत पावन और पवित्र है। यह कहते हैं कि इस माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया एक छोटा सा काम भी बहुत जल्द काम करेगा। शिव भगवान बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं। ऐसे में श्रद्धालु महादेव को अपनी प्रिय वस्तुएं देते हैं। लेकिन शास्त्र कहते हैं कि कुछ चीजें भूलकर भी महादेव को नहीं देनी चाहिए।

ज्योतिष शास्त्र कहता है कि भगवान शिव को एक फूल भी नहीं देना चाहिए। यह एक केतकी का फूल है। शिव पुराण में एक कथा है, जो बताती है कि पूजा में केतकी के फूल का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता है ?

आइए, केतकी के फूल और भगवान शिव के बारे में जानें...!

केतकी के फूल की पौराणिक कथा...

शिव पुराण में भगवान शिव को केतकी का फूल अर्पित न करने की कथा के बारे में बताया गया है। एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच विवाद हो गया कि कौन सर्वश्रेष्ठ है और इस विवाद को खत्म करने के लिए दोनों को भगवान शिव के पास जाना पड़ा। उस समय महादेव ने एक ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कर उसका आदि और अंत खोजने को कहा। साथ ही, कहा कि जो खोज लेगा, वहीं श्रेष्ठ कहलाएगा।

इस तरह से आदि अंत खोजने की हुई शुरुआत

ज्योतिर्लिंग का आदि-अंत खोजने के लिए भगवान विष्णु ऊपर की ओर और ब्रह्मा जी नीचे की ओर बढ़ें। 

शिवलिंग का आदि-अंत खोजने के लिए ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने लाख कोशिश की। लेकिन उन्हें कुछ न मिला। जब ब्रह्मा जी अंत ढूंढते-ढूंढते थक गए, तब उन्हें रास्ते में केतकी का फूल मिला।ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल को बहलाकर शिव दी के आगे झूठ बोलने को कहा और दोनों ने महादेव के सामने जाकर झूठ बोलकर ये स्वीकार किया कि उन्हें शिवलिंग का अंत मिल गया।

भगवान शिव ने दिया केतकी को श्राप

महादेव जानते थे कि ब्रह्मदेव झूठ बोल रहे हैं और उनकी इस बात से वे क्रोधित हो गए और ब्रह्मा जी को पांचवा सिर काट दिया। वहीं, केतकी के फूल को शाप दिया कि शिल जी को पूजा में केतकी के फूल का इस्तेमाल वर्जित रहेगा।

तब से ही महादेव की पूजा में केतकी के फूल को चढ़ाना मना है। केतकी का फूल चढ़ाना पाप माना गया है। इसलिए सावन या महादेव की पूजा के समय भूलवश भी केतकी का फूल अर्पित न करें।

दिल्ली में बाढ़ का खतरा, आपात बैठक बुलाई 

दिल्ली में बाढ़ का खतरा, आपात बैठक बुलाई 

इकबाल अंसारी 

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शहर में यमुना नदी के पानी के उच्चतम स्तर 207.55 मीटर पर पहुंच जाने के बाद बुधवार को एक आपात बैठक बुलाई है। बढ़ते जलस्तर से शहर में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि बैठक दिल्ली सचिवालय में होगी, जिसमें सभी संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे।

राष्ट्रीय राजधानी में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण निचले इलाकों में रहने वाले हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

फोड़े-फुंसी व मुहांसे से छुटकारा, अपनाएं नुस्खे 

फोड़े-फुंसी व मुहांसे से छुटकारा, अपनाएं नुस्खे 

सरस्वती उपाध्याय 

बारिश के मौसम में जहां एक ओर गर्मी से राहत मिलती हैं, तो वहीं कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। इन दिनों हो रही तेज बारिश की वजह जगह-जगह से जलभराव हो रहा है, जिससे जनजीवन पर काफी असर पड़ने लगा है। इसके साथ ही बारिश की वजह से स्किन पर कई तरीके की दिक्कतें सामने आने लगती हैं, इनमें सबसे खास समस्या है, चेहरे पर फोड़े-फुंसी और मुंहासे का होना। 

बता दें, कि अगर त्वचा पर होने वाली इन मुंहासों का इलाज शुरूआत में ही नहीं किया गया तो ये बढ़ने लगते हैं और चेहरे पर दाग भी छोड़ जाते हैं। ऐसे में या तो आप इनसे छुटकारा पाने के लिए पार्लर जाकर हजारों रुपये खर्च कर सकते हैं, या फिर कुछ घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी चीजों के फेसपैक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके यूज से आप बेदाग चेहरा और निखरी त्वचा पा सकते हैं।  

बेसन का फेसपैक...

बेसन एक ऐसी चीज है, जो हर घर में आसानी से मिल जाता है। इसका फेसपैक तैयार करने के लिए आपको बस कटोरी में एक चम्मच बेसन डालें और उसमें थोड़ा पानी मिलाना है। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं। इससे आपका चेहरा चमकने लगेगा।

हल्दी...

बता दें हल्दी में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इसके इस्तेमाल के लिए आधा चम्मच हल्दी में एक चम्मच शहद मिलाएं। इसे चेहरे पर 5 मिनट लगाकर रखने के बाद चेहरा धो लें। इससे आपकी त्वचा बेदाग बनी रहेगी।

मुल्तानी मिट्टी है कारगर...

बता दें, कि ये लोगों के चेहरे से अतिरिक्त तेल सोखने का काम करती है। ऐसे में डेढ़ चम्मच मुल्तानी मिट्टी में पानी या गुलाब जल डालकर पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को अपनी त्वचा पर हफ्ते में दो बार लगाएं।

बादाम का यूज...

अगर आप चेहरे को चमकदार बनाने के लिए बादाम का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बादाम को संतरे के साथ मिलाएं और पीस लें। आधे घंटे इसे चेहरे पर लगाने के बाद चेहरे को धो लें। ये आपके चेहरे पर मुहांसों के दागों को खत्म करने में कारगर होता है।

नशे को नियंत्रित करने हेतु रणनीति तैयार की जाएं

नशे को नियंत्रित करने हेतु रणनीति तैयार की जाएं  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जिला अधिकारी उमेश मिश्रा एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक ...