बुधवार, 18 जनवरी 2023

पत्रकार की माता का इंतकाल, श्रद्धांजलि अर्पित की

पत्रकार की माता का इंतकाल, श्रद्धांजलि अर्पित की

भानु प्रताप उपाध्याय 

शामली। वरिष्ठ पत्रकार मेहरबान अली की पूज्य माता का इंतकाल होने पर शामली के पत्रकारों ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। 'कलम करेगी धमाका' के मुख्य संपादक मेहरबान अली की पूजनीय माता की लंबी बीमारी के चलते इंतकाल हो गया। जिससे परिजनों के साथ साथ पत्रकारों में शोक छा गया। वही, पत्रकारों की शोक बैठक मौ. दयानंद नगर में आयोजित की गई। जिसमें पत्रकारों ने वरिष्ठ पत्रकार मेहरबान अली की पूजनीय माता के इंतकाल होने पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धा सुमन श्रद्धांजलि अर्पित की और दिवंगत आत्मा को शांति के लिए 2 मिनट का मौन धारण कर परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना की।

इस अवसर पर सत्य प्रकाश अग्रवाल, महेश शर्मा, रावराफे, भूदेव शर्मा, अरविंद कौशिक, उपेंद्र चौधरी, बिट्टू कुमार, अनिल कौशिक, नीरज गौतम, मनोज पवार, प्रवीण निरवाल, जमीर आलम ,मेहंदी हसन ,भानु प्रताप उपाध्याय आदि पत्रकार उपस्थित थे।

प्रोसिडिंग बुक मंगाने से इनकार, नगर पालिका को पत्र 

प्रोसिडिंग बुक मंगाने से इनकार, नगर पालिका को पत्र 


बड़ौत नगर पालिका में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ पूर्व सभासदों का धरना प्रदर्शन

गोपीचंद 

बागपत। नगर पालिका परिषद बड़ौत में 3 माह पूर्व 14 नवंबर 2022 को नगर पालिका परिषद बड़ौत के सभागार में एक बोर्ड बैठक प्रस्तावित थी। जिसमें करीब 157 प्रस्ताव पास होने थे, जब सभासदों ने बैठक में प्रोसीडिंग बुक मंगाने के लिए पालिका अध्यक्ष महोदय को बोला, तो उन्होंने प्रोसिडिंग बुक मंगाने से मना कर दिया। जब बैठक में प्रोसीडिंग बुक ही नहीं होगी, तो बोर्ड बैठक कैंसिल मानी जाती है‌। उसकी शिकायत जब माननीय मंडल आयुक्त मेरठ और जिलाधिकारी महोदय बागपत को की गई, तो उन्होंने उसकी जांच के लिए नगर पालिका को पत्र भेज दिया। लेकिन उस दिन से यहां के अधिकारी पत्र को दबा कर बैठे हैं।

इसी प्रकरण में नगर पालिका परिषद बड़ोद द्वारा कूड़ा प्लांट में करोड़ों रुपए की हेराफेरी पुरानी जेसीबी मशीन में करीब 12 -13 लाख का मरम्मत के नाम पर हेरा-फेरी सफाई विभाग में पुराने वाहनों में और नए वाहनों में करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि व शहर के यूनीपोल होर्डिंग का ठेका 10 वर्ष के लिए दिए जाने के खिलाफ कई जांचे उच्च अधिकारियों द्वारा नगरपालिका बड़ौत में भेजी गई है। लेकिन यहां के अधिकारी सरकार को और माननीय मुख्यमंत्री के वादों को पलीता लगा रहे हैं। इसी उसमें 16 तारीख को भी नगरपालिकानगर पालिका परिषद बड़ोद में 3 माह पूर्व 14 नवंबर 2022 को नगर पालिका परिषद बड़ोद के सभागार में एक बोर्ड बैठक प्रस्तावित थी। जिसमें करीब 157 प्रस्ताव पास होने थे। जब सभासदों ने बैठक में करो सेटिंग बुक मंगाने के लिए अध्यक्ष महोदय को बोला तो उन्होंने प्रोसिडिंग बुक मंगाने से मना कर दिया।

जब बैठक में प्रोसीडिंग बुक नहीं होती तो, बोर्ड बैठक कैंसिल मानी जाती है। जब यह शिकायत माननीय मंडल आयुक्त मेरठ और जिलाधिकारी महोदय बागपत को की गई, तो उन्होंने उसकी जांच के लिए नगर पालिका को पत्र भेज दिया लेकिन उस दिन से यहां के अधिकारी पत्र को दबा कर बैठे हैं। इसी प्रकरण में नगर पालिका परिषद बड़ोद द्वारा कूड़ा प्लांट में करोड़ों रुपए की हेराफेरी पुरानी जेसीबी मशीन में करीब 12 से 13 लाख की मरम्मत के नाम पर हेरा-फेरी और सफाई विभाग में पुराने वाहनों और नए वाहनों में करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि वह शहर के यूनीपोल होर्डिंग का ठेका 10 वर्ष के लिए दिए जाने के खिलाफ कई बार उच्च अधिकारियों द्वारा नगरपालिका पोर्टल में भेजी गई है।

लेकिन यहां के अधिकारी सरकार को और माननीय मुख्यमंत्री के वादों को पलीता लगा रहे हैं। जिसके खिलाफ 16 तारीख को भी नगरपालिका के प्रांगण में पालिका के पूर्व सभासदों द्वारा धरना दिया गया। जिसमे 1 दिन का समय नगरपालिका अधिकारियों को दिया गया था। लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंगी। इसलिए 18 जनवरी 2023 को फिर से पूर्व सभासद नगर पालिका के प्रांगण में धरने पर बैठे हैं। धरने पर बैठने वालों में रेनु तोमर, ललित जैन, नागेंद्र तोमर, आदि मौजूद रहे।

4 विधायकों को सदन से बाहर निकालने का निर्देश 

4 विधायकों को सदन से बाहर निकालने का निर्देश 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष राम निवास गोयल ने यमुना नदी में प्रदूषण के मुद्दे को लेकर बुधवार को सदन में प्रदर्शन कर रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चार विधायकों को सदन से बाहर निकालने का निर्देश दिया। भाजपा के विधायकों ने यमुना में प्रदूषण के मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी, जिसे अध्यक्ष ने अस्वीकार करते हुए कहा कि वह किसी नियम के तहत किसी चर्चा की अनुमति नहीं देंगे।

विधायकों ने दो बोतलों में यमुना के पानी के नमूने अध्यक्ष को दिए। इस पर अध्यक्ष ने आगाह किया,पानी तेजाब से दूषित पाया गया तो भाजपा विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। गोयल ने भाजपा के विधायकों से कहा,  उपराज्यपाल ने सदन को पंगु बना दिया है और भाजपा के विधायकों को इसके लिए शर्मिंदा होना चाहिए। भाजपा के विधायकों को उपराज्यपाल के पास जाकर उनसे सदन का मखौल उड़ाना बंद करने को कहना चाहिए। गोयल ने मार्शल को भाजपा के विधायक अजय महावर, अनिल बाजपेयी, मोहन सिंह बिष्ट और ओपी शर्मा को सदन से बाहर निकालने का निर्देश दिया।

इसके बाद भाजपा के बाकी विधायकों ने विरोध में सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया। इससे पहले यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण के मुद्दे पर भाजपा के विधायकों ने बुधवार को दिल्ली विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा था कि यमुना के गंदे पानी की आपूर्ति की वजह से लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने कहा, इससे कैंसर की बीमारी हो रही है। गुर्दे व यकृत को नुकसान पहुंच रहा है और साथ ही यह अन्य बीमारियां की वजह भी बन रहा है।

(प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी सरकार ने यमुना की सफाई के लिए (आम आदमी पार्टी) आप सरकार को 2500 करोड़ रुपये दिए हैं। उन्होंने कहा,  हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पूछना चाहते हैं कि यह पैसा कहां गया क्योंकि उनकी सरकार की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आप के आठ साल के कार्यकाल में यमुना 200 प्रतिशत अधिक प्रदूषित हुई है।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए उपराज्यपाल के कार्यालय ने सोमवार को कहा था कि अरविंद केजरीवाल सरकार के पिछले आठ वर्ष के कार्यकाल में यमुना नदी में प्रदूषण दोगुना हुआ है। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अनुसार, वह पुरानी समस्याओं को हल करने के लिए पहले से ही काम कर रहा है और करीब सभी प्रमुख सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के उन्नयन का काम दिसंबर के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। 

जन स्वास्थ्य के प्रति प्रशासनिक उदारता गंभीर

जन स्वास्थ्य के प्रति प्रशासनिक उदारता गंभीर

अश्वनी उपाध्याय 

गाजियाबाद। जनपद में स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त कार्यरत अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, जिसके कारण बड़ी लापरवाही का संलिप्त होना स्वाभाविक है। इसी कारण जनता के स्वास्थ्य से चरम सीमा तक खिलवाड़ किया जा रहा है। इस प्रकरण में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख पदों पर कार्यरत चिकित्सा अधिकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जनपद स्थित तहसील लोनी में भारतीय चिकित्सा अधिनियम के विरुद्ध सैकड़ों चिकित्सा संस्थानों का संचालन किया जा रहा है। विधानसभा क्षेत्र में कुल 5 प्रतिशत चिकित्सा संबंधी संस्थान ही अधिनियम अनुरूप संचालित किए जा रहे है। शेष 95 प्रतिशत चिकित्सा संबंधी स्थानों का संचालन स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों एवं स्थानीय पुलिस की सांठ-गांठ से किया जा रहा है। अधिकतर चिकित्सा संबंधी संस्थानों पर पंजीकृत चिकित्सक उपलब्ध नहीं रहते हैं, जिनकी अनुपस्थिति में अयोग्य व्यक्तियों के द्वारा चिकित्सा परीक्षण किया जाता है।

सूत्रों की मानें, तो क्षेत्र में 20 से अधिक डायग्नोस्टिक सेंटर एवं कई लैबों पर पंजीकृत चिकित्सक के स्थान पर अयोग्य व्यक्ति के द्वारा चिकित्सा परीक्षण किया जाता है। संभवत: अयोग्य व्यक्ति त्रुटिपुक्त मिथ्या अथवा भ्रामक परिणाम ही प्रेषित करता है। स्वाभाविक रूप से गलत रिपोर्ट के कारण पीड़ित का उपचार प्रभावित होगा। हो सकता है, यह छोटी-सी गलती पीड़ित की जान भी ले सकती है‌। लेकिन, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। क्योंकि, अनाधिकृत रूप से चिकित्सा संबंधी संस्थान के संचालक के द्वारा संबंधित अधिकारी को कुछ पैसे देकर खरीद लिया जाता है। यदि कोई तीमारदार मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से शिकायत करता है, तो संचालक संबंधित अधिकारी और स्थानीय पुलिस सांठ-गांठ कर उसको झूठे मुकदमे में फंसाने का काम करते हैं। इस कारण विधि विरुद्ध संचालित चिकित्सा संस्थान बदस्तूर संचालित है‌।

अयोग्य चिकित्सा परीक्षण के परिणाम स्वरूप कई लोग अपने जीवन को भेट चढ़ा चुके हैं। संविधान के अधिनियम के साथ इसस घिनौना मजाक नहीं हो सकता है। परंतु, घूर्त अधिकारियों को इस बात का इल्म नहीं है, कि सच को दबाया जा सकता है, छिपाया जा सकता है। किंतु, नष्ट नहीं किया जा सकता है। पर्दे के पीछे का सच कब कैंसर बन जाएगा ? संभवत: इसका आभास भी नहीं होगा।

आखिरकार, जिला प्रशासन जनता के स्वास्थ्य से होने वाले इस खिलवाड़ के प्रति संवेदनशील क्यों नहीं है ? जिला अधिकारी को मामलें की गंभीरता पर संज्ञान लेने की सख्त आवश्यकता है।जनता के स्वास्थ्य के साथ खेले जाने वाले इस खतरनाक खेल पर लगाम कसने की जरूरत है।

विधायकों के खिलाफ अपमानजनक बयान, हंगामा 

विधायकों के खिलाफ अपमानजनक बयान, हंगामा 

इकबाल अंसारी 

बेंगलुरु। कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बी के हरिप्रसाद ने पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) में जाने वाले बागी विधायकों के खिलाफ अपमानजनक बयान देकर हंगामा खड़ा कर दिया है। दरअसल, हरिप्रसाद ने कांग्रेस के बागी विधायकों और पर्यटन मंत्री आनंद सिंह के खिलाफ बेहद ही शर्मसार बयान देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है।

इस बयान को लेकर राजनीतिक हलके में नया हंगामा भी पैदा हो गया है। आनंद सिंह उन 17 बागी कांग्रेस और जनतादल (सेक्युलर) विधायकों में शामिल थे जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस-जद (एस) सरकार को अल्पमत में लाकर सरकार बनाने के लिए भाजपा में शामिल हो गए। हरिप्रसाद ने श्री सिंह की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस के टिकट पर विजयनगर विधानसभा सीट जीतने के एक साल के भीतर उन्होंने मंत्री पद हासिल करने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया। श्री हरिप्रसाद ने मंगलवार शाम को कहा ,इससे पहले जब जनता ने किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत से सत्ता में नहीं लाया था, हमने कर्नाटक में गठबंधन सरकार बनाई थी।

लेकिन कुछ विधायक उन महिलाओं की तरह व्यवहार करते थे जो अपनी आजीविका के लिए जिस्मफरोशी करती हैं।आप इन विधायकों को भी इसी नाम से बुलाओ जिन्होंने खुद को बेच दिया? हरिप्रसाद ने श्री सिंह पर परोक्ष हमले में कहा,आपको स्थानीय विधायक को सबक सिखाना होगा जिन्होंने अपना स्वाभिमान समेत सब कुछ बेच दिया।

90 प्रतिशत क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया, एक गैंडा देखा 

90 प्रतिशत क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया, एक गैंडा देखा 

इकबाल अंसारी 

दिसपुर/लखीमपुर। असम के लखीमपुर जिले में पावा संरक्षित वन के लगभग 90 प्रतिशत क्षेत्र से अतिक्रमण हटाए जाने के कुछ दिनों बाद उसी जगह पर एक गैंडा देखा गया। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। इससे वन्यजीव रक्षकों को काफी खुशी हुई है। लखीमपुर के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) अशोक कुमार देव चौधरी के अनुसार, संरक्षित वन से अतिक्रमण हटाए जाने के बाद वहां कुछ गांवों में मंगलवार को एक वयस्क गैंडे को घूमते देखा गया। डीएफओ अशोक कुमार देव चौधरी ने पीटीआई-भाषा को बताया,  हालांकि, ग्रामीणों ने तीन गैंडों को देखने का दावा किया है, लेकिन हमने एक गैंडा देखा है।

लोग गैंडों को परेशान कर रहे है। गैंडों ने कल तीन लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया था।  मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने पावा संरक्षित वन के अंदर गैंडों के दिखाई देने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ दिन पहले ही जानवरों को अतिक्रमण से मुक्त भूमि में देखा गया था। डीएफओ ने कहा कि 1941 में पावा संरक्षित वन 46 वर्ग किलोमीटर भूभाग में फैला था जिसमें से केवल 0.32 वर्ग किमी खाली था और बाकी सभी पर कब्जा (अतिक्रमण) किया गया था।

उन्होंने बताया कि पिछले तीन दशक के दौरान करीब 170 परिवारों ने पावा संरक्षित वन की भूमि पर कब्जा किया था। उनके अनुसार करीब 450 हेक्टेयर वनीय भूभाग पर कब्जे के बाद लोगों ने मकान बना लिए थे और कुछ जगह पर खेती कर रहे थे।

राजनीति: राज्यपाल ने तमिलनाडु को 'तमिझगम' कहा 

राजनीति: राज्यपाल ने तमिलनाडु को 'तमिझगम' कहा 

इकबाल अंसारी 

चेन्नई। तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि ने बुधवार को कहा कि उन्होंने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ में राज्य को तमिझगम कहा और इसे तमिलनाडु का नाम बदलने के सुझाव के रूप में लेना गलत है। रवि ने कहा कि चार जनवरी, 2023 को राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में काशी तमिल संगमम के कार्यकर्ताओं को सम्मानित करने के लिए दोनों स्थानों के बीच ऐतिहासिक सांस्कृतिक जुड़ाव पर चर्चा करते हुए उन्होंने तमिझगम शब्द का उल्लेख किया था। रवि ने राजभवन द्वारा जारी एक प्रेस नोट में कहा, उन दिनों, कोई तमिलनाडु नहीं था।

इसलिए ऐतिहासिक, सांस्कृतिक संदर्भ में मैंने तमिझगम शब्द को अधिक उपयुक्त अभिव्यक्ति के रूप में संदर्भित किया। रवि ने कहा, यह धारणा या अनुमान कि यह तमिलनाडु का नाम बदलने का सुझाव था, गलत और संदर्भ से परे है। मेरे भाषण के आधार को समझे बिना, यह तर्क दिया गया कि राज्यपाल तमिलनाडु शब्द के खिलाफ हैं। यह चर्चा का विषय बन गया है। इसलिए, मैं इसे समाप्त करने के लिए यह स्पष्टीकरण दे रहा हूं। काशी के साथ तमिल लोगों के सदियों पुराने सांस्कृतिक जुड़ाव का जश्न मनाने के लिए एक महीने तक आयोजित यह उत्सव हाल में संपन्न हुआ।

सीडीओ की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित

सीडीओ की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित  बृजेश केसरवानी  प्रयागराज।‌ उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मी बाई महिला एवं बाल सम्मान कोष अंतर्गत जनपद ...