छोटी कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन फीका रहा
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। लगातार दो साल बेहतर रिटर्न या प्रतिफल देने वाली छोटी कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन इस साल फीका रहा। बाजार में अधिक उतार-चढ़ाव और बैंकों में ब्याज दर बढ़ने से निवेशक इन शेयरों से दूर रहे। हालांकि, ऐसा लगता है कि अगले साल स्थिति बेहतर रहेगी। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स इस दौरान कई बार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा। वहीं, छोटी कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन हल्का रहा तथा बीएसई स्मॉलकैप यानी छोटी कंपनियों के शेयरों का सूचकांक तीन प्रतिशत से अधिक नीचे आया। इसके उलट, बीएसई सेंसेक्स 27 दिसंबर तक 2,673.61 अंक मजबूत हुआ। बाजार विशेषज्ञों ने कहा कि इस साल छोटी और मझोली कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन फीका रहा लेकिन अगले साल इन खंडों में तेजी की उम्मीद है।
महंगाई दर बढ़ने, रूस-यूक्रेन युद्ध और ब्याज दर में तेजी जैसी चुनौतियों के बावजूद घरेलू शेयर बाजार न केवल मजबूत पकड़ बनाये रखने में कामयाब हुए बल्कि वैश्विक बाजारों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले प्रमुख बाजारों में भी शामिल हुए। ब्रोकरेज कंपनी स्वस्तिका इन्वेस्टमॉर्ट लि. के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, ‘‘बैंक उद्योग को छोड़ दें तो कंपनियों की कमाई बेहतर नहीं होना इसका प्रमुख कारण है। ब्याज दर का बढ़ना भी चिंताजनक रहा क्योंकि छोटी कंपनियों के मामले में पूंजी की लागत बड़ी कंपनियों के मुकाबले अधिक होती है। सामान्य तौर पर विदेशी निवेशक बड़ी कंपनियों को चुनते हैं और वे पिछले दो माह में शुद्ध रूप से लिवाल रहे हैं।
उन्होंने कहा, नियमित निवेश एसआईपी प्रवाह रिकॉर्ड ऊंचाई पर रहा और ज्यादातर निवेश बड़ी कंपनियों में गया। इससे बड़ी कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन बाजार के प्रदर्शन से भी बेहतर रहा। विश्लेषकों के अनुसार, मझोली और बड़ी कंपनियों के मुकाबले छोटी कंपनियों के शेयरों के सूचकांक में उतार-चढ़ाव हमेशा अधिक होता है। इस साल 27 दिसंबर तक बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 940.72 अंक यानी 3.19 प्रतिशत नीचे आया। स्मॉलकैप सूचकांक 18 जनवरी को 31,304.44 अंक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था और बाद में यह 20 जून को 52 सप्ताह के निचले स्तर 23,261.39 पर आ गया था।
दूसरी तरफ मिडकैप सूचकांक 27 दिसंबर तक 215.08 अंक यानी 0.86 प्रतिशत चढ़ा। यह 20 जून को 52 सप्ताह के निचले स्तर 20,814.22 अंक पर और 14 दिसंबर को एक साल के उच्चस्तर 26,440.81 अंक पर पहुंच गया था। दूसरी तरफ बीएसई सेंसेक्स इस दौरान 2,673.61 अंक यानी 4.58 प्रतिशत चढ़ा। प्रमुख सूचकांक एक दिसंबर को रिकॉर्ड 63,583.07 अंक और 17 जून को 52 सप्ताह के निचले स्तर 50,921.22 अंक तक आ गया था। निवेश परामर्शदाता मार्केट्स मोजो में मुख्य निवेश अधिकारी सुनील दमानिया ने कहा, मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों में लिहाज से 2022 अच्छा साल नहीं रहा।
इसका कारण 2020 और 2021 में इन शेयरों का प्रदर्शन अच्छा रहना था। उसके बाद इनमें जमकर मुनाफावसूली हुई। जिन निवेशकों ने 2020 और 2021 में कम भाव पर ऐसे शेयर खरीदे थे, उन्होंने 2022 में उसे बेचा। उन्होंने कहा, इसके परिणामस्वरूप मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन बड़ी कंपनियों के मुकाबले कमजोर रहा। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि छोटी कंपनियों के शेयर आमतौर पर स्थानीय निवेशक खरीदते हैं जबकि विदेशी निवेशक बड़ी कंपनियों के शेयरों को तरजीह देते हैं।
मीणा ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के बीच 2023 की शुरुआत में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, लेकिन उसके बाद मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों के प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद है। दमानिया ने भी कहा कि 2022 छोटी और मझोली कंपनियों के शेयरों के लिये अच्छा नहीं रहा लेकिन 2023 में स्थिति बदल सकती है।