मंगलवार, 3 अगस्त 2021

चीन ने 1 घटना का अनदेखा वीडियो जारी किया

बीजिंग। पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारतीय जवानों पर घात लगाकर हमला करने वाले चीनी ड्रैगन ने अब इस घटना का एक अब तक का अनदेखा वीडियो जारी किया है। करीब 48 सेकंड के इस वीडिया में नजर आ रहा है कि गलवान नदी के जमा देने वाले पानी में भारतीय जवान मोर्चा संभाले हुए हैं और चीनी सेना के पत्‍थरबाजी का करारा जवाब दे रहे हैं। इस वीडियो में दोनों देशों के सैनिकों के बीच आमने-सामने की जंग भी दिख रही है।

चीन के टीवी चैनल पर दिखाए गए वीडियो में गलवान हिंसा में मारे गए पीएलए जवान के परिवार से बातचीत की गई है। इसी दौरान चीन ने गलवान हिंसा के अब तक अनदेखे रहे वीडियो फुटेज को भी जारी किया है। वीडियो में नजर आ रहा है कि भारत और चीन की सेना के बीच जोरदार झड़प और पत्‍थरबाजी हुई थी। वीडियो के एक हिस्‍से में दिखाई दे रहा है कि कुछ चीनी सैनिक गलवान नदी की तेज धारा में खुद को संभाल नहीं पाए और बह गए।

अम्मी और अब्बा से माफी मांगती नजर आ रहीं सारा

कविता गर्ग            
मुंबई। सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली फिल्म अभिनेत्री सारा अली खान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में सारा अली खान अपनी अम्मी और अब्बा से माफी मांगती नजर आ रही हैं। दरअसल, सारा ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है।जिसमें उनके  नाक पर पहले एक पट्टी बांधे नजर आ रहीं हैं और बाद में उसको हटाते हुए दिखाती हैं। उनकी नाक से खून बह रहा है। दरअसल सारा अली खान के नाक पर चोट लगी है। इस इंजरी का क्या कारण है।इसको लेकर किसी तरह का खुलासा नहीं हुआ है। इस वीडियो को शेयर करते हुए सारा ने लिखा-''सॉरी अम्मी अब्बा लग गई, नाक कट गई।'
सारा अली खान के इस पोस्ट पर फैंस जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सारा अली खान फिल्म अभिनेत्री अमृता सिंह और अभिनेता सैफ अली खान की बेटी है। लेकिन इसके बावजूद सारा ने कभी भी अपने करियर को बनाने के लिए उनके नाम का सहारा नहीं लिया। फिल्म केदारनाथ से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली सारा ने अपने शानदार अभिनय से बहुत कम समय में दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। 
वर्कफ़्रंट की बात करें तो सारा अली खान जल्द ही आनंद एल रॉय की फिल्म 'अतरंगी रे' में अक्षय कुमार और धनुष के साथ लीड रोल में नजर आयेंगी।

बंगाल में दीवार गिरने व करंट लगने से 14 की मौंत

मिनाक्षी लोढी           

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में दीवार गिरने और करंट लगने से कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई। वहीं, दामोदर घाटी निगम बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद पानी सड़कों और घरों में भर जाने से राज्य के छह जिलों के कम से कम 2.5 लाख लोग विस्थापित हो गए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने विस्थापितों के लिए आश्रय स्थल बनाए हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में पिछले एक सप्ताह से राहत अभियान चल रहा है। पूर्व वर्द्धमान,पश्चिम वर्द्धमान,पश्चिम मेदिनीपुर,हुगली, हावड़ा और दक्षिण 24 परगना जिले के अनेक स्थानों में कमर तक पानी भरा हुआ है। जिससे लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

अधिकारी के मुताबिक एक लाख से अधिक तिरपाल, एक हजार मीट्रिक टन चावल, पानी के हजारों पाउच और साफ कपड़े आश्रय गृह भेजे गए हैं। उन्होंने कहा,” हम बाढ़ के कारण जान गंवाने वाले सभी 14 लोगों के बारे में जानकारियां जुटा रहे हैं। हमें जिला प्रशासन से अंतिम रिपोर्ट मिलने का इंतजार है।” सेना और वायु सेना ने सोमवार को हुगली जिले में बचाव अभियान चलाया,जहां नदियां तटों को तोड़ते हुए बह रही हैं, जिससे गांवों में बाढ़ आ गई है।


मोर्चा: तीसरें चरण का आंदोलन और धरना किया

सत्येंद्र पंवार              
मेरठ। मेडिकल प्रवेश के लिए 12 सितंबर 2021 को आयोजित होने वाली नीट परीक्षा में 52% ओबीसी को सरकार द्वारा आरक्षण मिलना चाहिए।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के बैनर तले जिला मुख्यालय पर कचहरी परिसर में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा का धरना-प्रदर्शन का तीसरें चरण का आंदोलन और धरना किया गया। बहुजन मुक्ति पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी एवं मेरठ मंडल अध्यक्ष आर डी गादरे ने बताया कि 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के समय से ही लगातार ओबीसी के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। पिछड़ा वर्ग समाज को आज तक 52% होते हुए कोई आरक्षण नहीं दिया गया। 
लेकिन क्रीमीलेयर लगाकर 1931 के बाद 27% प्रतिनिधित्व आरक्षण की घोषणा की गई। लेकिन आज तक वह भी नहीं मिला। इसी को लेकर सरकार ने अब पूर्णतया आरक्षण खत्म करने की घोषणा की। इसी को लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा का बहुजन मुक्ति पार्टी जाहिर समर्थन करती है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के साथ मैदान। 12 सितंबर 2021 को आयोजित की जाने वाली नीट परीक्षा में ओबीसी को 27% आरक्षण प्रतिनिधित्व जरूर मिलना चाहिए अन्यथा बहुजन मुक्ति पार्टी जन आंदोलन सड़कों पर उतरकर करने के लिए बाध्य होगी। 
राष्ट्रीय किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष चौधरी इस्तियाक ने कहा कि आज सरकार किसानों को भी अनदेखा कर रही है और किसान समाज के इतने बड़े आंदोलन के चलते हुए आज तक कानों पर जूं नहीं चल रही है। यह सरकार निकम्मी है, इसको जरूर बदलनी है। पिछड़ा वर्ग समाज को 52% हिस्सेदारी मिलनी जरूरी है। तभी हमारा समाज का सुधार हो सकेगा। 
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील कुमार सैनी ने कहा कि यदि अब तक सरकार पिछड़ा वर्ग समाज की परेशानियों को नहीं समझ सकती है तो हम लोग मजबूर होकर सड़कों पर जन आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। राज्यों का पाठ्यक्रम और नीट के पाठ्यक्रम में जमीन आसमान का अंतर है आज तक जाति आधारित गिनती नहीं की गई है। बिना कोचिंग के नीट पास करना कठिन है। अच्छी कोचिंग संस्थान शहरों में है। जहां लाखों रुपए फीस वसूली जाती है। ग्रामीण इलाकों के छात्र कोचिंग क्लास नहीं कर पाते। नीट में अंग्रेजी माध्यम का पेपर सरल और आसान जबकि राज्य की भाषा में पेपर काफी कठिन होते हैं पिछड़ा वर्ग मोर्चा को 27% आरक्षण जरूर मिलना चाहिए। एडवोकेट अतर सिंह गुप्ता ने कहा कि यह सरकार पिछड़ा वर्ग मोर्चा अल्पसंख्यक अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति सभी मूल निवासियों के साथ बड़ा भेदभाव कर रही है और किसी को कोई अधिकार नहीं देना चाहती। मूल निवासियों को अधिकार वंचित कर देना चाहती है। डॉक्टर एसपी सिंह ने कहा कि बहुजन क्रांति मोर्चा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा का जाहिर समर्थन करता है। यदि नीट में आरक्षण नहीं मिला तो हम लोग ओबीसी के लिए पूरे समाज इंडिया में जन आंदोलन करने के लिए तैयार हैं। 
ज्ञापन देने वालों में आर डी गादरे देव कुमार, भारतीय विद्यार्थी मोर्चा योगेश, डॉक्टर फारुख, डॉक्टर हितेश सहतवार, डॉक्टर एस पी सिंह, एडवोकेट खुर्रम रामशरण गौतम चौधरी स्थित राष्ट्रीय किसान मोर्चा मोहम्मद कामिल, एडवोकेट रियासत अली, धर्मवीर गुर्जर, एडवोकेट अतर सिंह, प्रवीण कुमार, जावेद मंसूरी, ओमवीर सिंह, राम सुरेश गौतम, संदीप कुमार जाटव, रामवीर सिंह गुर्जर चौधरी, संजय सिंह, संजीव कुमार चौधर, ऋषि पाल गुर्जर, धर्मवीर गुर्जर फखरे, आलम आदि मौजूद रहे।

परिक्षा को निष्पक्ष रूप से संपन्न कराने के निर्देश दिएं

कौशाम्बी। जिलाधिकारी ने बैठक में संबंधित अधिकारियों को परीक्षा को सकुशल पारदर्शी एवं निष्पक्ष रूप से संपन्न कराये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने प्रत्येक कक्ष में सीसीटीवी कैमरों को लगाये जाने कक्ष निरीक्षकों की ड्यूटी मजिस्ट्रेटों की ड्यूटी एवं आब्जर्बर की ड्यूटी की विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक को निर्देश दिये हैं, कि रिजर्व में भी अधिकारियों की ड्यूटी लगायी जाए। जिससे आवश्यकता पड़ने पर कार्य को सुगमता से सम्पादित किया जा सके। उन्होंने कहा कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अक्षरशः पालन कराया जाए। किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाएं।
गणेश साहू 

यूके: सरकार ने कर्फ्यू को 10 अगस्त तक बढ़ाया

पंकज कपूर                 
देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आने के बावजूद कोई ढिलाई न देते हुए राज्य सरकार ने कोविड कर्फ्यू को 10 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया। यहां इस संबंध में सोमवार देर रात मुख्य सचिव डा. सुखबीर सिंह संधु द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि 10 अगस्त की सुबह छह बजे तक कोविड कर्फ्यू प्रभावी रहेगा। इस दौरान पिछली सभी रियायतों को जारी रखा गया है।
त्रसोमवार से प्रदेश भर में खुले सरकारी और निजी विद्यालयों को शिक्षा विभाग द्वारा जारी मानक प्रचलन विधि (एसओपी) का कडाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है। इसी प्रकार, राज्य में आईटीआई, पॉलीटेक्निक, महाविद्यालय, मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज तथा विश्वविद्यालयों को खोलने के लिए संबंधित विभाग द्वारा पृथक से कोविड प्रोटोकॉल के प्रावधानों के साथ एसओपी जारी की जाएगी।


निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज

अकांशु उपाध्याय                 
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल बंद करने और देश में आगामी चुनावों में फिर से मत पत्रों (बैलट पेपर) का प्रयोग करने का निर्वाचन आयोग को निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि वकील सी आर जया सुकिन की याचिका ”प्रचार हित याचिका” (पीआईएल) है जो अफवाहों और “निराधार आरोपों एवं अनुमानों” पर आधारित है। अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता (सुकिन) ने ईवीएम के कामकाज पर ठोस रूप से कुछ भी तर्क नहीं दिए। हमें याचिका पर सुनवाई करने का कोई कारण नहीं दिखता।
 यह कहा गया कि याचिका चार दस्तावेजों पर आधारित थी, जिनमें से एक कोई खबर थी और अन्य उच्चतम न्यायालय के समक्ष उसके प्रतिवेदन एवं याचिका से संबंधित थे, और सुकिन को खुद ईवीएम के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी। अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता ने खबर पढ़ी और ईवीएम और उसके काम-काज को देखे बिना याचिका दाखिल कर दी,जिसे निर्वाचन आयोग के साथ-साथ संसद की भी स्वीकृति प्राप्त है।”
अदालत ने कहा कि सुकिन शोध करने और उचित तर्कों के साथ नई याचिका दाखिल कर सकते हैं। अदालत ने आदेश दिया, “याचिका 10,000 रुपये के अर्थदंड के साथ खारिज की जाती है जिसे चार हफ्ते के अंदर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा कराना होगा।” निर्वाचन आयोग की तरफ से पेश अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कहा कि देश की कई अदालतें पहले ही इसपर गौर कर चुकी हैं और मुद्दे पर फैसला दे चुकी हैं।

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बृहस्पतिवार को ...