बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। दामादे रसूल हज़रत अली की यौमे शहादत पर मुसलिम बहुल्य इलाक़ो मे माहौल संजीदा व दिल ग़मज़दा रहा। दरियाबाद,करैली,रानीमण्डी व बख्शी बाज़ार से शहादत हज़रत अली पर निकाला जाने वाला कोई भी जुलूस कोविड संक्रमण के कारण नहीं निकला।दरियाबाद इमामबाड़ा मोजिज़नुमा, इमामबाड़ा अरब अली खान, रानीमण्डी के इमामबाड़ा आज़म हुसैन व बख्शी बाज़ार मस्जिद क़ाज़ी साहब से इस वर्ष कोई भी जुलूस नहीं निकाला गया। इमामबाड़ों मस्जिदों व घरों मे ऑनलाईन या कम संख्या मे लोगों की उपस्थिति मे मजलिसें आयोजित कर नम आँखों से हज़रत अली की शहादत का ज़िक्र किया गया। मस्जिद क़ाज़ी साहब बख्शी बाज़ार मे नमाज़ ए फजिर के बाद मौलाना रज़ा अब्बास ज़ैदी ने मसायब-ए-हज़रत अली का ज़िक्र किया। मस्जिद की लाईटों को बन्द कर मोमबत्ती की रौशनी मे गुलाब और चमेली के फूलों से सजा ताबूत मौला मुशकिल कुशा बरामद किया गया। मस्जिद के अन्दुरुनी हिस्से मे मातमदारों ने या अली मौला हैदर मौला की सदा बुलन्द की। उम्मुल बनीन सोसाईटी के महासचिव सै.मो. अस्करी के अनुसार मस्जिद के एक हिस्से मे ताबूत को नमाज़ ए ज़ोहर तक रखा गया। माहे रमज़ान की इक्कीसवीं को मस्जिद काज़ी साहब से उठने वाले जुलूस के आयोजक मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन के साथ तमाम नौजवान पाँच पाँच लोगों को ताबूत की ज़ियारत को मास्क लगाने के उपरान्त ही मस्जिद मे प्रवेश कराकर ज़ियारत के साथ कोराना गाइडलाइन का अमल कराते रहे। बड़ी संख्या मे महिलाओं ने भी ताबूत की ज़ियारत कर मनन्ते व मुरादें मांगने के साथ पिछले साल मांगी मन्नतों को बढ़ाने और अक़ीदत का इज़हार करने को पहुंची। दायरा शाह अजमल के क़दीमी इमामबाड़ा नवाब अब्बान साहब मे महिलाओं की मजलिस को मुलतवी कर पुरुषों की मजलिस हुई। मौलाना ज़ायर हुसैन नक़वी ने मजलिस को सम्बोधित किया। शहनशाह हुसैन सोनवी ने ग़म्गीन मर्सिया पढ़ा। शबीह अब्बास जाफरी व ऐजाज़ नक़वी ने नौहा पढ़ा। कोविड 19 और लॉकडाऊन के कारण कोई भी एक मुहल्ले से दुसरे मोहल्ले नहीं जा सका, जो जिस इलाक़े का था। वहीं मजलिसो मे शिरकत की। घरों मे महिलाओं की भी मजलिस आयोजित कर हज़रत अली की शहादत पर या अली मौला हैदर मौला की सदा गूँजी। मजलिस मे मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन,सै. मो. अस्करी, शन्नन भाई, सफदर, शाहिद अब्बास,सूफी हसन, शीराज़,बज़मी अब्बास, ज़ामिन हसन, सै.अज़ादार हुसैन ,ताहिर मलिक, मशहद अली खान, नजीब इलाहाबादी, मंज़र कर्रार, अस्करी अब्बास, शादाब रज़ा, अब्बास ज़ैदी, औन ज़ैदी, जौन ज़ैदी,रौनक़ सफीपुरी,हसन नक़वी,क़िबला नक़वी समेत अन्य लोग अलग अलग समूहों मे अपने अपने इलाक़ो मे शामिल रहे।