शनिवार, 10 अप्रैल 2021

सरकार किसानों के साथ बातचीत को तैयार: तोमर

राणा ओबराय               
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन कृषि सुधार कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत हजारों किसानों ने शनिवार सुबह केजीपी-केएमपी एक्सप्रेस-वे पर जाम लगा दिया। जबकि, सरकार ने कोरोना संकट को देखते हुए किसान संगठनों से आंदोलन वापस लेने की पेशकश की है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कोरोना संकट को देखते हुए किसान संगठनों से आंदोलन वापस लेने का शनिवार को अनुरोध करते हुए कहा कि सरकार उनके साथ बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, किसानों के मन में असंतोष नहीं है। जो किसान संगठन इन बिलों के विरोध में हैं। उनसे सरकार बातचीत के लिए तैयार है। मैं किसान संगठनों से आग्रह करूंगा कि वे अपना आंदोलन स्थगित करें, अगर वे बातचीत के लिए आएंगे तो सरकार उनसे बातचीत के लिए तैयार है। 

उल्लेखनीय है कि किसान संगठन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर लंबे समय से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। आज से उन्होंने अपना आंदोलन तेज करने का निर्णय किया है। तोमर ने कहा कि जब किसान संगठनों से बातचीत चल रही थी, उस समय भी उन्होंने कोविड संकट को लेकर आंदोलन में शामिल बुजुर्ग और बच्चों को घर भेजे जाने का अनुरोध किया था। आज कोविड का दूसरा दौर है। पूरा देश इसको लेकर चिंतित है और कोरोना प्रोटोकॉल के पालन पर जोर दिया जा रहा है। किसानों की जिंदगी उनके लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में किसानों को आंदोलन स्थगित कर सरकार के साथ बातचीत कर समस्या का समाधान करना चाहिए। उधर, बड़ी संख्या में आंदोलनकारी किसान दोनों एक्सप्रेस-वे के जीरो प्वॉइंट के अलावा दोनों टोल प्लाजा पर दिन भर बैठे रहे। पूर्व निर्धारित घोषणा के अनुसार सुबह करीब 7:30 बजे हजारों किसान केएमपी और केजीपी के जीरो पॉइंट पर एकत्रित हो गए। सैकड़ों किसान वहीं धरने पर बैठ गए बाकी हजारों की संख्या में किसान केएमपी और केजीपी के करीब तीन किलोमीटर दूर स्थित टोल प्लाजा पर पहुंच गए। किसानों ने करीब 250 ट्रैक्टर खड़े कर एक्सप्रेस-वे के बीचों-बीच खड़े कर जाम लगा दिया। इन किसानों के बीच 26 जनवरी को लाल किले पर तिरंगा फहराने के मामले में वांछित एक लाख रुपए का इनामी लक्खा सिधाना भी मौजूद रहा। किसानों ने टोल प्लाजा पर पहुंचकर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वह तीन कानूनों को वापस करा कर ही अपने घरों को लौटेंगे, इससे कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं। दिनभर अलग-अलग जत्थों में किसान धरना स्थल पर नारेबाजी करते हुए पहुंचते रहे। 

मुख्य मंच से मोर्चा के नेता लगातार शांति बनाए रखने और किसी प्रकार के उपद्रव में शामिल न होने की नसीहत देते रहे। केजीपी-केएमपी पर जाम की सूचना पहले से ही मिलने के कारण बहुत से वाहन चालकों ने अपना मार्ग बदल लिया। लेकिन जो थोड़े बहुत वाहन यहां आए, उन्हें वापस लौटना पड़ा। जाम का सबसे ज्यादा असर राजमार्ग संख्या-44 पर रहा, जहां गन्नौर से लेकर मुरथल और बहालगढ़ से बीसवां मील तक लंबा जाम लगा रहा। जाम का मुख्य कारण भारी वाहनों को पीछे ही न रोक पाना था। पुलिस भारी वाहनों को रोक पाने में नाकाम रही। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार किसानों का यह जाम रविवार सुबह आठ बजे तक चलेगा। पुलिस की 13 रिजर्व कंपनियाँ हालाँकि सुरक्षा के लिए तैनात की गईं थी। इनकी कमान छह डीएसपी के हाथ रही। इसके लिए 14 जगह नाकेबंदी की गई थी और राहगीरों की सुविधा के लिए मार्गों में परिवर्तन किया गया था। फिर भी अनेक वाहन चालक संपर्क मार्गों से राजमार्ग पर पहुंच कर जाम में फंस गए। संयुक्त मोर्चा के सदस्य डॉ दर्शनपाल, अभिमन्यु कोहाड़, गुरनाम सिंह चढूनी एवं धर्मेंद्र मलिक ने आदि किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को हल्के में ले रही है। मगर अब और अधिक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन को और तेज किया जाएगा। अगले कुछ दिनों में कटाई के कार्य से निवृत्त होने के बाद हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचेंगे।

चीन की चुनौती से राजनीतिक हालात बदल रहे हैं

वाशिंगटन डीसी/ बीजिंग। अमेरिका और पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाली विश्व व्यवस्था को चीन की चुनौती से भू-राजनीतिक हालात बदल रहे हैं। कोविड-19 महामारी इसमें बड़ी भूमिका निभा रही है। 2017 में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में दुनिया में ऐसी कोई महामारी फैलने की आशंका जताई गई थी। कहा गया था, कि उससे विश्व व्यवस्था को गंभीर चुनौती मिलेगी। कोरोना काल में वैसा ही कुछ हुआ है। यह वायरस चीन से ही फैला है। ग्लोबल ट्रेंड्स 2040 के शीर्षक से न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी देशों के मुश्किल में फंसने का फायदा चीन उठाएंंगा। 

आने वाले समय में अमेरिका और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता का दायरा और विकसित होगा। इससे दुनिया की भू-राजनीतिक स्थितियां प्रभावित होंगी। दोनों देशों में प्रतिद्वंद्विता की स्थिति कई दशकों तक बनी रह सकती है। इस दौरान दुनिया में सहयोग और विरोध के नए मानदंड स्थापित होंगे। साथ ही नए समीकरण और गठबंधन होंगे। इस दौरान क्षेत्रीय शक्तियों और आधिकारिक सत्ता से दूर ताकतों को महत्व मिलेगा। उन्हें महाशक्तियों से सहयोग और प्रश्रय मिलेगा।

नए स्ट्रेन की तबाही के साथ नए लक्षण भी मिलें

बृजेश केसरवानी      
नई दिल्ली। भारत में कोरोना के रोजाना तकरीबन एक लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। खांसी, बुखार, लॉस ऑफ टेस्ट-स्मैल इस जानलेवा वायरस के कॉमन लक्षण थे। लेकिन, नए स्ट्रेन की तबाही के साथ अब नए लक्षण भी देखने को मिलेंं हैं। आइए, आपको बताते हैं  कि कोरोना के नए स्ट्रेन के लक्षण पुराने वेरिएंट से कितने अलग हैं। और इनकी कैसे पहचान की जा सकती है ? चीन में हुई एक हालिया स्टडी के मुताबिक, नए स्ट्रेन पर गौर करने पर कुछ खास लक्षणों की पहचान की गई है। इंफेक्शन के नए वेरिएंट में इंसान की आंखें हल्की लाल या गुलाबी हो सकती हैं। आंखों में लालपन के अलावा, सूजन और आंख से पानी आने की भी शिकायत हो सकती है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ऑडियोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 का नया स्ट्रेन कानों से जुड़ी दिक्कत को ट्रिगर कर सकता है। स्टडी में करीब 56 प्रतिशतक लोगों में ये परेशानी देखी गई है। अगर आप भी ऐसा कोई लक्षण महसूस कर रहे हैं तो ये कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन का संकेत हो सकता है। नए स्ट्रेन में शोधकर्ताओं ने गैस्ट्रोइंटस्टाइनल से जुड़ी शिकायत होने की बात भी कही है। पहले जहां मरीज को सिर्फ अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम में शिकायत होती थी। अब पेट से जुड़ी दिक्कतें भी सामने आ रही हैं। 

नए स्ट्रेन में लोगों ने डायरिया, उल्टी, पेट में ऐंठन और डायजेस्टिव डिसकम्फर्ट महसूस किया है। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित होने वाले लोगों में न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर की समस्या भी देखने को मिल रही है। लंबे समय तक कोरोना से बीमार रहने वालों में ब्रेन फॉग या मेंटल कंफ्यूज़न की समस्या देखने को मिली है। इस न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर का असर उनकी नींद और मेमोरी लॉस पर भी पड़ रहा है।
अगर आप कुछ दिनों से दिल की असामान्य गति को महसूस कर रहे हैं तो इसे बिल्कुल नजरअंदाज न करें, मेयो क्लीनिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नए स्ट्रेन की चपेट में आने के बाद धड़कन की रफ्तार काफी ज्यादा तेज हो जाती है। जामा में प्रकाशित एक रिपोर्ट में रिकवर हो चुके 78 प्रतिशत लोगों ने कार्डिएक से जुड़ी समस्या होने की बात कही है। 

जबकि, 60 फीसद लोगों ने मेयोकार्डिएल इन्फ्लेमेशन की शिकायत बताई है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना का नया वेरिएंट बॉडी पर अलग-अलग तरीके से हमला कर रहा है। नया स्ट्रेन बहुत ज्यादा संक्रामक है और फेफड़ों और श्वसन तंत्र में आसानी से फैल जा रहा है। इसकी वजह से निमोनिया हो रहा है जो कोरोना को और घातक बना रहा है। कोरोना के पुराने वेरिएंट के लक्षण इससे थोड़े अलग थे। सूखी खांसी, बुखार, गले में दर्द और सांस में तकलीफ ज्यादा देखने को मिल रही थी। हालांकि, मौजूदा हालातों में भी इन लक्षणों को नजरअंदाज करने की भूल नहीं करनी चाहिए। कोरोना के पहले स्ट्रेन की चपेट में आने के बाद काफी ज्यादा तादाद में मरीजों को लॉस ऑफ टेस्ट और स्मैल की शिकायत हो रही थी। हालांकि, उस वक्त भी कुछ एक्सपर्ट ने ऐसा कहा था कि किसी भी प्रकार के रेस्पिरेटरी डिसीज में इंसान के सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता खत्म हो जाती है। पिछले साल मार्च में इटली के कुछ डर्माटोलॉजिस्ट ने कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के पैरों और उंगलियों में सूजन होने की बात कही थी।उन्होंने ये भी दावा किया था कि कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनकी स्किन का कलर असामान्य ढंग से बदल रहा था। कुछ लोगों की स्किन पर नीले या बैंगली कलर के धब्बे भी देखे गए थे। अमेरिका के वॉशिंगटन नर्सिंग होम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग एक-तिहाई लोग कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए। लेकिन आधे लोगों में इसके कोई लक्षण नहीं थे। कुछ मरीजों में सिर्फ बेचैनी और मांसपेशियों में दर्द जैसे असामान्य लक्षण देखने को मिले थे। कोविड-19 के कुछ मरीजों में बंद नाक या बहती नाक के लक्षण भी देखे गए थे। हालांकि, जरूरी नहीं कि नाक बहने की समस्‍या कोरोनो वायरस का ही संकेत हो। आमतौर पर एलर्जी या ठंड लगने की वजह से भी नाक बहने लगती है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 के पांच फीसदी से भी कम मरीज इन लक्षणों का अनुभव करते हैं। कोरोना वायरस के कुछ मरीजों में छींक आना और गले में खराश होने जैसी समस्या देखी गई है। हालांकि छींक आने का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि आप कोरोना वायरस से ही पीड़ित हों। एलर्जी या सर्दी लगने पर भी छींक आने और गले में खराश होने जैसी समस्या हो जाती है।

दिल्ली में कर्फ्यू के बाद लगाएं जाएंगे नए प्रतिबंध

अकांशु उपाध्याय       

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में तेजी से बिगड़ते कोरोना के हालात के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और वरिष्ठ अधिकारियों की टीम भी मौजूद थी। केजरीवाल ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा कि दिल्ली में अभी 7-10 दिन की वैक्सीन बची हुई है। अगर हमें पर्याप्त संख्या में वैक्सीन उपलब्ध कर दी जाएं। आयु सीमा हटा दी जाए और बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन सेंटर खोलने की इजाजत दे दी जाए तो हम 2-3 महीने में पूरी दिल्ली को वैक्सीनेट कर सकते हैं।

इस दौरान दिल्ली में फिर से लॉकडाउन की संभावना के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने यह साफ कर दिया कि यहां कोई लॉकडाउन नहीं होगा, लेकिन जल्द ही नए प्रतिबंध लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली में तेजी से कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। हमें वैक्सीनेशन तेज करने की जरूरत है, दिल्ली में ये चौथी वेव आई है, इससे पहले नवंबर में लास्ट वेव आई थी, इसलिए हम उस स्तर की तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि, दिल्ली सरकार ने संक्रमण के मामलों को बढ़ने से रोकने के लिए राजधानी में मंगलवार को रात दस बजे से सुबह पांच बजे तक के लिए नाइट कर्फ्यू लगा दिया है जो 30 अप्रैल तक जारी रहेगा।

नौसैनिक पोतों ने प्रिंस को 41तोपों की सलामी दी

लंदन। यूनाइटेड किंगडम की सभी राजधानियों और नौसैनिक पोतों ने शनिवार को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पति और ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग दिवंगत प्रिंस फिलिप को तोपों की सलामी दी। प्रिंस फिलिप का 99 साल की उम्र में शुक्रवार को विंडसर कैसल में निधन हो गया। लंदन, कार्डिफ, बेलफास्ट और एडिनबर्ग में शनिवार दोपहर से प्रत्येक मिनट पर एक गोला दागे जाने की दर से 41 तोपों की सलामी के साथ देश में आठ दिन के राष्ट्रीय शोक की शुरुआत हुई। 

शाही परिवार की वेबसाइट पर पोस्ट बयान के अनुसार, ”महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अवसरों पर देश भर में तोपों की सलामी देने की परंपरा कम से कम 18वीं सदी से शुरू हुई और कुछ ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार 14वीं सदी में भी तोपों की सलामी दी गई है। उस दौरान बंदूकें, तोप और बारुद बड़े पैमाने पर बनना शुरू हुआ था।” उसमें कहा गया है, ”महारानी विक्टोरिया के निधन पर 1901 में भी ऐसे ही तोपों की सलामी दी गई थी।” उन्होंने सेना के साथ ड्यूक के संबंधों का भी सम्मान किया। ड्यूक ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश नौसेना के साथ काम किया था।

बंगाल: नया राजनीतिक माहौल तैयार करेंगी सरकार

कृष्णानगर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की डबल इंजन सरकार पश्चिम बंगाल में नया राजनीतिक माहौल तैयार करेगी। मोदी ने कहा कि भाजपा की डबल इंजन सरकार बंगाल में सिंडिकेट राज पर लगाम लगाएगी। प्रधानमंत्री ने यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि बंगाल की जनता तृणमूल कांग्रेस का खेल खत्म करने का फैसला ले। प्रधानमंत्री ने कहा, “दीदी (सुश्री बनर्जी) इससे बहुत खफा हैं कि वह अपनी पुराने ‘खेला’ में पिछड़ रही हैं। 

उन्होंने कहा कि दशकों के इंतजार के बाद बंगाल में ‘असल परिवर्तन’ का ‘महायज्ञ’ शुरू हो गया है।प्रधानमंत्री ने कहा कि यह चुनाव भाजपा नहीं लड़ रही है बल्कि बंगाल की जनता लड़ रही है। मोदी ने कहा कि केन्द्रीय बल पूरे देश में निष्पक्ष तरीके से मतदान करने में सहायता करते हैं। उन्होंने कहा कि समस्या बलों में नहीं बल्कि राज्य की हिंसक राजनीति में है।

गड़बड़: 4 केंद्रो पर दोबारा मतदान का आदेश दिया

गुवाहाटी। निर्वाचन आयोग ने असम के चार मतदान केन्द्रों पर 20 अप्रैल को दोबारा मतदान कराने का शनिवार को आदेश दिया है। आयोग ने असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजे पत्र में कहा कि 20 अप्रैल को रताबाड़ी, सोनाई और हाफलोंग क्षेत्रों के चार मतदान केंद्रों पर दोबारा मत डाले जाएंगे। पत्र में कहा गया है कि आयोग ने एक अप्रैल को इन मतदान केन्द्रों पर डाले गए मतों को अमान्य घोषित कर दिया है। 

असम विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों में एक अप्रैल को मतदान हुआ था। आयोग के आदेश में कहा गया है कि भाजपा उम्मीदवार की पत्नी से संबंधित कार में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) मिलने के बाद रताबाड़ी (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र में स्थित इंदिरा एमवी स्कूल में मतदान केन्द्र संख्या 149 पर दोबारा चुनाव कराए जाएं।

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...