अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। कभी दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातक देश रहे भारत के लिए एक अच्छी खबर है। अत्याधुनिक हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रहे भारत ने पिछले 5 साल में विदेशों से हथियारों के आयात में 33 फीसदी की कमी है। हथियारों की बिक्री पर नजर रखने वाली संस्था सिप्री की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक रूस अभी भारत को सबसे ज्यादा हथियार बेचता है। लेकिन उसे भारत से तगड़ा झटका लगा है। भारत अब इजरायल और फ्रांस से हथियारों की खरीद पर ज्यादा तरजीह दे रहा है। सिप्री के मुताबिक सऊदी अरब के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश बना हुआ है। भारत के बाद मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और चीन का नंबर आता है। वर्ष 2011-2015 और वर्ष 2016-2020 के बीच में भारत के विदेशों से हथियारों के आयात में 33 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले 5 साल की अवधि में भारत ने सबसे ज्यादा हथियार रूस से खरीदे है। लेकिन हथियारों के इस आयात में करीब 53 फीसदी की गिरावट आई है। भारत अब रूस से पहले के 70 फीसदी की बजाय अब केवल 49 फीसदी हथियार ही खरीद रहा है।हथियारों के आयात के मामले में भारत ने अमेरिका को भी बड़ा झटका दिया है। साल 2011-2015 के बीच में अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश था लेकिन साल 2016-2020 के बीच में अमेरिका चौथे पायदान पर चला गया है। अमेरिका से हथियारों के आयात में भारत ने 46 फीसदी की कमी की है। साल 2016 से 2020 के बीच में इजरायल और फ्रांस क्रमश: दूसरे और तीसरे सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ता देश रहे। वर्ष 2016 से 2020 के बीच भारत का फ्रांस से हथियार आयात 709 फीसदी बढ़ा है। वहीं भारत का इजरायल के साथ हथियार आयात 82 प्रतिशत बढ़ गया है। भारत ने इसी अवधि के दौरान राफेल डील किया था जिससे फ्रांस से हथियारों के आयात में इतनी वृद्धि हुई है। राफेल विमान और उसमें लगी मिसाइलों को खरीद भारत के कुल आयात का आधा है। हालांकि इस अवधि में भारत के कुल हथियार आयात में गिरावट आई है। सिप्री ने कहा कि इस कमी की वजह भारत की जटिल खरीद प्रक्रिया और रूस से इतर अन्य देशों से भारत का हथियार खरीदना है। सिप्री ने अनुमान जताया है कि भारत ने पिछले 10 साल में भले ही हथियारों के आयात में काफी कमी की हो लेकिन आने वाले 5 साल में भारत की बड़े पैमाने पर हथियार खरीदने की योजना है। इसमें लड़ाकू विमान, एयर डिफेंस सिस्टम, युद्धक जहाज और सबमरीन शामिल है। इससे भारत का आयात काफी बढ़ सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल 2016 से 2020 के बीच पाकिस्तान के हथियार आयात में 23 फीसदी की गिरावट आई है। पाकिस्तान अपने हथियार आयात का 61 फीसदी हिस्सा चीन से लेता है। पाकिस्तान बड़े पैमाने पर हथियारों की खरीद कर रहा है जो उसे वर्ष 2028 तक उसे मिल जाएंगे। पाकिस्तान 50 लड़ाकू विमान, 8 सबमरीन और 4 फ्रीगेट्स चीन से और 4 फ्रीगेट्स तुर्की से खरीद रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है, कि एशिया के कई देश चीन को अपने लिए खतरा मानते हैं। इसलिए बड़े पैमाने पर हथियारों की खरीद कर रहे हैं।