शनिवार, 13 मार्च 2021
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'वैदिक संध्या' पर गोष्ठी का आयोजन, श्रद्धांजलि दीं
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “वैदिक संध्या” व आर्य नेता रामनाथ सहगल के 98 वें जन्मदिन पर आर्य गोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन जूम पर किया गया। यह परिषद का कोरोना काल में 187 वां वेबिनार था। उल्लेखनीय है, कि रामनाथ सहगल का जन्म 13 मार्च 1923 को सरगोधा,पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा, कि आर्य नेता रामनाथ सहगल का जीवन आर्य समाज के प्रति सदैव समर्पित रहा। आपने युवाओं को आर्य समाज और महर्षि दयानंद की विचारधारा से जोड़ने के लिए सराहनीय कार्य किया। उन्होंने कहा, कि महर्षि दयानंद सरस्वती की जन्मभूमि टंकारा को सँवारने व विश्व प्रसिद्ध करने का श्रेय सहगल जी को ही जाता है। अजमेर में 1983 में आयोजित महर्षि दयानंद निर्वाण शताब्दी समारोह के संयोजक का कार्य कुशलता से निभाया। आप डीएवी मैनेजिंग कमैटी के उपप्रधान व आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा के भी वर्षा सचिव रहे।ऐसे हनुमान कार्यकर्ता को आर्य समाज की ओर से उनकी सेवाओं को स्मरण करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। आज की युवा शक्ति के लिए सहगल जी का जीवन प्रेरणा देने का कार्य करता रहेगा। वैदिक विद्वान आचार्य विजय भूषण आर्य ने “वैदिक संध्या” क्यों और कैसे विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैदिक संध्या परमात्मा के निकट जाने का पहला साधन है। मनुष्य के शरीर में इन्द्रिय,मन,बुद्धि,चित और अहंकार स्थित हैं। वैदिक संध्या में आचमन मंत्र से शरीर, इन्द्रिय स्पर्श और मार्जन मंत्र से इन्द्रियाँ, प्राणायाम मंत्र से मन,अघमर्षण मंत्र से बुद्धि, मनसा-परिक्रमा मंत्र से चित और उपस्थान मंत्र से अहंकार को सुस्थिति संपादन व शुद्व किया जाता है। फिर गायत्री मंत्र द्वारा ईश्वर की स्तुति-प्रार्थना और उपासना की जाती हैं। अंत में ईश्वर को नमस्कार किया जाता हैं। यह पूर्णत वैज्ञानिक विधि हैं जिससे व्यक्ति धार्मिक और सदाचारी बनता हैं। धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष को सिद्ध करता हैं।
'अभिभावक सहभागिता कार्यक्रम‘ का आयोजन किया
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। दिल्ली पब्लिक स्कूल राजनगर में विद्यालय व अभिभावकों में बेहतर समन्वय स्थापित करने हेतु 'अभिभावक सहभागिता कार्यक्रम‘ का आयोजन किया गया। इस कार्य क्रम का शुभारंभ विनम्र अभिवादन, दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुआ। सर्वप्रथम विद्यालय प्रधानाचार्या शशिरंजन ने अभिभावकों को संबोधित करते हुए नए सत्र की शुभकामनाएँ दीं और कहा कि विद्यालय का उद्देश्य भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण बहुमुखी शिक्षा प्रणाली के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है और यह तभी संभव हो सकता है। जब विद्यालय व अभिभावक के संबंध मजबूत होंगे। फलस्वरूप विद्यालय और अभिभावक कदम से कदम मिलाकर छात्रों का भविष्य निर्माण कर सकेंगे। इसके बाद अभिभावकों को आभासी मंच का प्रयोग करते हुए विद्यालय दिखाया गया। विश्वसनीयता व पारदर्शिता बनाए रखने हेतु विद्यालय की आधारिक संरचना और विद्यालय-पदानुक्रम की संपूर्ण जानकारी दी गई। विद्यालय के पूर्व छात्रों ने अपने अनुभवों को साझा किया। अभिभावकों को गत वर्षों की महत्वपूर्ण शैक्षणिक व सहशैक्षणिक गतिविधियों की विडियो दिखाकर साक्षात् जानकारी उपलब्ध कराई गई। छात्रों के पोशाक, स्वास्थ्यवर्धक टिफिन, आगामी वर्ष में परीक्षा, शिक्षण संबंधी सम्पूर्ण जानकारी को पीपीटी द्वारा सरलता से समझाया गया। अतः धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्य क्रम का समापन किया गया।
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