अश्विन उपाध्याय
नई दिल्ली/गाजियाबाद। सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए हरी झंडी दे दी है। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना’ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाया। इस परियोजना के लिये पर्यावरण मंजूरी दिये जाने और इसके लिये भूमि उपयोग में बदलाव सहित अनेक बिन्दुओं पर सवाल उठाये गये थे। फैसला सुनाते समय जस्टिस खानविलकर ने कहा कि परियोजना के तहत स्मॉग टावर्स स्थापित किए जाएं। खानविलकर ने कहा कि डीडीए एक्ट के तहत केंद्र का कदम वैध है। सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण समिति द्वारा दी गई सिफारिश को भी वैध माना।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इन याचिकाओं पर फैसला सुनाया। इस पीठ ने पिछले साल पांच नवंबर को इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि इन पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा। हालांकि, न्यायालय ने सात दिसंबर को केन्द्र सरकार को सेंट्रल विस्टा परियोजना के आयोजन की अनुमति दे दी थी। सरकार ने न्यायालय को आश्वासन दिया था कि इस परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा होने तक निर्माण कार्य या इमारतों को गिराने या पेड़ों को काटने जैसा कोई काम नहीं किया जाये। परियोजना का शिलान्यास कार्यक्रम 10 दिसंबर को आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन की नयी इमारत की आधारशिला रखी थी।
इस परियोजना में 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। इस परियोजना के तहत साझा केन्द्रीय सचिवालय 2024 तक बनने का अनुमान है। यह परियोजना लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे दायरे में फैली हुई है।