बुधवार, 30 दिसंबर 2020

आंदोलन: प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च किया गया स्थगित

अकांशु उपाध्याय   

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने बुधवार को सरकार के साथ होने वाली बातचीत के मद्देनजर अपना प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च बृहस्पतिवार तक स्थगित कर दिया है। इससे पहले, 40 किसान संगठनों के समूह ’संयुक्त किसान मोर्चा’ ने घोषणा की थी, कि 30 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग तक ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया, ‘सरकार के साथ बातचीत को देखते हुए हमने ट्रैक्टर मार्च टालने का फैसला किया है। अब किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ ये मार्च 31 दिसंबर को निकालेंगे।’ उन्होंने कहा कि किसान नेता बुधवार को सरकार के साथ बातचीत करेंगे, ऐसे में किसान संगठनों ने यह मार्च स्थगित करने का फैसला किया। वहीं गाज़ियाबाद में यूपी गेट पर किसानों ने एक महापंचायत करने का फैसला किया है। इस महा पंचायत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब से भारी संख्या में किसानों के भाग लेने की संभावना है। जिला प्रशासन ने पंचायत के मद्देनजर सुरक्षा प्रबंध बढ़ा दिए हैं और पुलिस प्रशासन की बड़ी टीम मौके पर तैनात रहेगी।

एक हजार करोड़ से ज्यादा का प्रोजेक्ट बनी समस्या

श्रीराम मौर्य   
देहरादून। पिथौरागढ- टनकपुर के बीच बन रहा आँलवेदर रोड सवालों के घेरे में आ गया है। किसी भी मौसम में बंद नहीं होने के दावे के साथ शुरू किया गया। एक हजार करोड़ से अधिक का यह प्रोजेक्ट यात्रियों के लिए मुसीबत बन गया है। सामाजिक कार्यकर्ता हरपाल राणा द्वारा मांगी गयी सूचना के आधार पर सरकारी आंकड़े बता रहे हैं, कि महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की यह सड़क मलवा आने से वर्ष भर मैं 182 बार बंद हुई। मार्ग बंद होने से कई बार यात्रियों की 18-18 घंटे तक फजीहत हुई। यह क्षेत्र संवेदनशील क्षेत्र है। क्योंकि सीमांत पिथौरागढ से चीन और नेपाल की सीमा लगी है।चम्पावत से 'मीडिया4सिटीजन' के संवाददाता अर्जुन सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सामरिक महत्व को देखते हुए केन्द्र ने टनकपुर- पिथौरागढ हाईवे को आँलवेदर रोड में तब्दील करने की मंजूरी वर्ष 2016 में दी थी। वर्ष 2017 में पहाड़ियों को काटकर निर्माण शुरू हुआ। आशा थी कि पिथौरागढ और चम्पावत जिलों को राहत मिलेगी लेकिन हालत जस के तस हैं। चम्पावत जिला आपदा कंट्रोल रूम के आंकड़े बताते हैं कि इसी साल जनवरी से अब तक मार्ग 182 बार बंद हो चूका है।कई बार तो यह दो तीन दिन तक बंद रहा है। टनकपुर-पिथौरागढ तक150 किलोमीटर राजमार्ग को आँलवेदर रोड में तब्दील करने केलिए लगभग 1078 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली थी। मार्ग निर्माण के वक्त दावा था कि निर्माण पूरा होने के बाद टनकपुर से पिथौरागढ महज चार से पांच घंटे में पहुँचा जा सकेगा लेकिन अब इस रोड पर खतरा पहले से अधिक बढ़ गया है। आँलवेदर रोड की चौड़ाई 36 फीट रखी गयी। मकसद था कि पहाडी से मलवा भी आ जाए तो सड़क का काफी हिस्सा चलने लायक रहेगा जिसमें रुकावट नहीं आएगी।राजमार्ग पर दरकते पहाड़ हाईवे के पूरे हिस्से पर भारी पड़ रहे हैं। चम्पावत, स्वाला औरअमोडी के आसपास तैयार आँलवेदर रोड भी जमीदोज हो चुका है। परियोजना में पहले से कमजोर घोषित पहाड़ों का राँक ट्रीटमेट भी शामिल था। चम्पावत जिले में 12 से अधिक स्थानों पर राँक ट्रीटमेंट किया गया है। इसके तहत पहाडियों से भीतर तक ड्रिल करा कर मोटे सरिया डाले गए हैं। इनको एक जाल से बाँधा गया है। जाल के ऊपर से चटाईनुमा चादर डाली गई है लेकिन फिर भी कुछेक स्थानों पर पहाडी दरकी है।

भारतीय किसान मजदूर संघ ने किया धरना-प्रदर्शन

कौशांबी। किसानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर सिराथू तहसील के काशिया पश्चिम में भारतीय किसान मजदूर संयुक्त यूनियन के नेताओं ने धरना प्रदर्शन कर शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए व्यवस्था सुधारे जाने की मांग की है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भारतीय किसान मजदूर संयुक्त यूनियन के जिला अध्यक्ष नरेंद्र पांडेय ने कहा कि किसानों को समय पर बिजली की आपूर्ति नहीं दी जाती है। जिससे किसानों की फसलों की सिंचाई बाधित हो जाती है।उन्होंने कहा कि नहरों में समय से पानी नहीं छोड़ा जाता है। जिससे फसलों की सिंचाई में किसानों की दिक्कतें होती हैं। इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए नरेंद्र पांडेय ने कहा कि आवारा पशु खेत की फसलों को नष्ट कर रहे हैं। इन पर रोक लगाने का प्रयास सरकार और उनके नुमाइंदों द्वारा नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं का तत्काल समाधान किया जाए वरना भारतीय किसान मजदूर संयुक्त यूनियन के पदाधिकारी अधिकारियों की नींद उड़ा देंगे।
इस मौके पर राजवीर सिंह मुंडेथ, राष्ट्रीय अध्यक्ष,जिला सचिव आफत हसन,मन्नू हासमी, राष्ट्रीय महा सचिव, ब्रजकिशोर, प्रदेश अध्यक्ष,नरेंद्र पांडेय ,बुदुल उर्फ शिव कुमार सरोज युवा जिला अध्यक्ष, महिला जिला अध्यक्ष प्रिया त्रिपाठी तंब्बा, मंजू,देवी सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
अजीत कुशवाहा

स्विफ्ट कार को डीसीएम ने बगल से साइड मारी

कौशांबी। सिराथू तहसील के चाकवन चौराहे पर एक  स्विफ्ट कार को डीसीएम गाड़ी ने बगल से साइड मार दी। जिससे कार सवार चालक गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल चालक कानपुर की तरफ से प्रयागराज के रावत पुर का निवासी बताया जा रहा है। जो, कि अपनी गाड़ी को संजू 35 वर्ष पुत्र विश्वनाथ प्रजापति, स्वयं ही चलाता हैं। सूचना पर थाना प्रभारी कोखराज प्रदीप राय ने पहुँच कर घायल को मूरतगंज पी एच सी भेजा, व परिजनों को जानकारी दी।
अजीत कुशवाहा

चौथी बार सपा व्यापार सभा के अध्यक्ष चुने गए

कौशाम्बी। समाजवादी व्यापार सभा के चौथी बार संतोष केसरवानी को नगर अध्यक्ष घोषित किए जाने के बाद समाजवादी पार्टी पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है और संतोष केसरवानी के अध्यक्ष बनाए जाने पर लोगों ने मिठाई खिलाकर खुशी जाहिर करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष का आभार व्यक्त किया है। इस मौके पर संतोष केसरवानी के निष्ठा पर लोगों ने विश्वास जताया है। भरवारी कस्बा निवासी संतोष केशरवानी को समाजवादी पार्टी व्यापार सभा का चौथी बार अध्यक्ष बनाकर उनके कार्यशैली पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने विश्वास जताया है। इस बात की जानकारी होने पर अध्यक्ष व्यापार सभा संतोष केशरवानी सहित उनके चाहने वालो ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अध्यक्ष अखिलेश यादव व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम का आभार व्यक्त किया है। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओ ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई इस अवसर पर वरिष्ठ समाजवादी पूर्व विधान सभा प्रत्याशी सिराथू कैलाश केशरवानी, प्रेम नारायण कलेक्टर, अंकित यादव, हर्षित नागा, मेहबूब आलम, उर्फ सज्जू, विपिन, शिव बाबू फर्नीचर तथा राजेश केशरवानी आदि लोग मौजूद थे।
राजू सक्सेना

हरियाणा एमएलए हॉस्टल में इंचार्ज का बड़ा खेल

राणा ओबराय
चंडीगढ। हरियाणा एमएलए होस्टल चंडीगढ के इंचार्ज अधिकारी अवर सचिव मुकेश गुप्ता ने अपने कनिष्ठ अधिकारियों पर इस तरह से प्रभाव जमा रखा है, कि मौके के अधिकारी अपनी मर्जी से किसी भी विधायक को कमरा अलॉट नही कर सकते है। एमएलए होस्टल में गई न्यूज की टीम को यह नजारा देखने को मिला। 
मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने विधानसभा में कार्यरत अवर सचिव मुकेश गुप्ता को एमएलए होस्टल का इंचार्ज अधिकारी बना रखा है और यह भी अधिकार दे रखा है, कि यदि किसी एमएलए को होस्टल में कमरा अपने नाम या परिचित के नाम करवाना है। तो वह इंचार्ज अधिकारी मुकेश गुप्ता से सम्पर्क करें। 
मिली जानकारी के अनुसार अवर सचिव मुकेश गुप्ता लगभग चार दिन की छुट्टी पर है। शायद जब कोई कर्मचारी या अधिकारी छुट्टी पर होता है तो सरकारी कामकाज में दखलंदाजी नही कर सकता है? परन्तु आज हमने देखा कि एमएलए होस्टल का रिसेप्शन ऑफिसर अपनी मर्जी से किसी भी एमएलए को कमरा अलॉट नही कर पा रहा था। जब हमने रिसेप्शन अधिकारी चन्द्र शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि अवर सचिव मुकेश गुप्ता लगभग चार दिन की छुट्टी पर है। छुट्टी पर होने के बावजूद भी कमरे बुक करने या न करने का आदेश उन्ही के चल रहे हैं। जब हमने चन्द्र शर्मा से पूछा की क्या कोई अधिकारी छुट्टी पर होने के बावजूद सरकारी काम में दखलंदाजी कर सकता है क्या! तो उन्होंने बताया कानूनी रूप से तो नही कर सकता पर यहां ऐसा हो रहा है। इसका मतलब तो यह निकला होस्टल में अवरसचिव मुकेश गुप्ता ने ज्यादा प्रभाव जमा रखा है? क्या किसी अवरसचिव स्तर के क्लासवन अधिकारी को रोजाना पांच बजे डयूटी खत्म होने के बाद भी कई कई घण्टे एमएलए होस्टल में बैठे रहना चाहिये!यह सरकार के आदेश है या कोई व्यक्तिगत कारण है?
हमारा स्पीकर हरियाणा से सवाल यह है कि (1) क्या किसी अवरसचिव स्तर के जिम्मेदार क्लास वन अधिकारी को छुट्टी पर होंने के बावजूद सरकारी काम मे दखलंदाजी करनी चाहिए। (2) क्या हरियाणा स्पीकर होस्टल के स्वागत/ रिसेप्शन अधिकारी अधिकारी के कार्य से खुश नही है। (3) क्या हरियाणा स्पीकर का कोई ऐसा लिखित में आदेश है कि कई दिनों की छुट्टी पर होने के बावजूद भी अवर सचिव कनिष्ठ अधिकारी को आदेश देते रहेंगे? इसमें कोई शक नही हरियाणा स्पीकर ईमानदार है औऱ स्वच्छ प्रशासन चाहते हैं। परन्तु विधानसभा अध्यक्ष यह कभी नही चाहेंगे कि कोई अधिकारी अपनी मनमानी चलाये?

राहुल को पार्टी की विरासत, समझने की दरकार

अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। अब तो यह तय है, कि कांग्रेस ने ठान लिया है, कि 'बरउं संभु न त रहौं कुआरी' अर्थात कांग्रेस नेता बनाएगी तो राहुल गांधी को ही अन्यथा कार्यकारी अध्यक्ष से ही काम चलता रहेगा। कांग्रेस जैसी गरिमामयी राजनीतिक पार्टी के 136 साल बीत चुके हैं। और अभी 28 दिसम्बर को उसका स्थापना दिवस मनाया गया। युवराज राहुल गांधी को इस पार्टी की बिरासत में समझना चाहिए। राहुल अगर इसको महत्व देते तो स्थापना दिवस से पहले विदेश यात्रा पर नहीं जाते। स्थापना दिवस से एक दिन पहले ही राहुल गांधी का विदेश यात्रा पर जाना यही संकेत देता है। कि राहुल पार्टी को अपने निजी स्वार्थ से ज्यादा महत्व नहीं देते हैं। इसके बावजूद वे उन नरेन्द्र मोदी से मुकाबला कर रहे हैं। जो अपनी पार्टी भाजपा को मां की तरह सम्मान देते हैं। इसलिए राहुल गांधी की स्थापना दिवस से पहले विदेश यात्रा का विपक्षी दल उपहास उड़ा रहे हैं। तो उसे अनुचित नहीं कहा जा सकता।
देश में कृषि कानून के मसले पर चल रहे आंदोलन और कांग्रेस के स्थापना दिवस (28 दिसम्बर) के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी विदेश दौरे पर गए हैं। विवाद होने के बाद कांग्रेस की ओर से इस यात्रा की पुष्टि भी कर दी गई, लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी को फिर एक बार कांग्रेस को आड़े हाथों लेने का मौका मिल गया है। बीजेपी के हमलों के बीच कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है। कि राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं। बल्कि सोनिया गांधी हैं।भाजपा सांसद जनरल वीके सिंह ने राहुल की यात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि राहुल को बधाई, यहां कांग्रेस स्थापना दिवस मना रही है। और राहुल विदेश में आराम कर रहे है। शायद बहुत थक गए हैं। कांग्रेस का हाल ये है। कि जो समझदार है उसे बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। जनरल वीके सिंह ने कहा कि यूपीए का नेतृत्व कोई भी करे चाहे शरद पवार करें, कपिल सिब्बल करें आज कांग्रेस का क्या हाल है सब जानते हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की हालत उस बच्चे की तरह है। जो पहले एक खिलौना मांगता है और जब वो मिल जाता है तो कहता है। ये नहीं दूसरा चाहिए। वीके सिंह से पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने भी तंज कसा था। उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा कि कांग्रेस इधर अपना 136वां स्थापना दिवस मना रही है। और राहुल जी '9 2 11' हो गये।
बीजेपी की ओर से लगातार किए जा रहे हमले के बीच कांग्रेस अब सफाई देने में जुट गई है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी एक निजी यात्रा पर गए हैं। उनकी नानी की तबीयत ठीक नहीं है। ऐसे में बीजेपी को इस पर सवाल नहीं खड़े करने चाहिए। सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी अभी पार्टी अध्यक्ष नहीं हैं। सोनिया गांधी हैं। पार्टी राहुल को जो भी जिम्मेदारी देती है। वो उसका वहन करते हैं। रणदीप सुरजेवाला के अलावा केसी वेणुगोपाल ने भी बीजेपी द्वारा उठाए गए सवालों पर निशाना साधा। जबकि पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर जब महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा मुख्यालय पहुंचीं। तो उनसे भी राहुल गांधी को लेकर सवाल हुआ। हालांकि, प्रियंका ने कोई जवाब नहीं दिया। कुछ दिनों पूर्व ही राहुल गांधी के इटली जाने की खबर सामने आई थी। जिसके बाद सोशल मीडिया पर काफी विवाद हुआ था। इस विवाद के बाद ही कांग्रेस पार्टी की ओर से राहुल की विदेश यात्रा की खबर की पुष्टि की गई थी। विदेश दौरे पर रहते हुए भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी के स्थापना दिवस पर बधाई दी। राहुल गांधी संक्षिप्त निजी यात्रा पर विदेश रवाना हुए। हालांकि, कांग्रेस ने यह नहीं बताया कि राहुल गांधी कहां गए हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पुष्टि की है कि राहुल कुछ दिनों तक बाहर रहेंगे। उन्होंने कहा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी संक्षिप्त व्यक्तिगत यात्रा के लिए विदेश रवाना हुए हैं। और वह कुछ दिनों तक बाहर रहेंगे। यह पूछे जाने पर कि पूर्व कांग्रेस प्रमुख कहां गए हैं। सुरजेवाला ने कोई खुलासा नहीं किया। इस बीच सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी सुबह कतर एयरवेज की उड़ान से इटली के मिलान रवाना हुए हैं। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस, जो काँग्रेस के नाम से प्रख्यात है। भारत के दो प्रमुख राजनैतिक दलों में से एक हैं। जिन में अन्य भारतीय जनता पार्टी हैं। काँग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज में 28 दिसंबर 1885 में हुई थी। इसके संस्थापकों में ए0 ओ0 ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे। 19वीं सदी के आखिर में और शुरूआत से लेकर मध्य 20वीं सदी में, काँग्रेस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में, अपने 1.5 करोड़ से अधिक सदस्यों और 7 करोड़ से अधिक प्रतिभागियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक केन्द्रीय भागीदार बनी। सन् 1947 में आजादी के बाद, काँग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। आजादी से लेकर 2014 तक, 16 आम चुनावों में से, काँग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत जीता है। और 4 में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया। अत कुल 49 वर्षों तक वह केन्द्र सरकार का हिस्सा रही। भारत में, काँग्रेस के सात प्रधानमंत्री रह चुके हैंय पहले जवाहरलाल नेहरू (1947-1965) थे। और हाल ही में मनमोहन सिंह (2004-2014) थे। 2014 के आम चुनाव में, काँग्रेस ने आजादी से अब तक का सबसे खराब आम चुनावी प्रदर्शन किया और 543 सदस्यीय लोक सभा में केवल 44 सीट जीती। तब से लेकर अब तक कोंग्रेस कई विवादों में घिरी हुई है। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति के साथ 28 दिसम्बर 1885 को बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी। इसके संस्थापक महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) ए ओ ह्यूम थे। जिन्होंने कलकत्ते के व्योमेश चन्द्र बनर्जी को अध्यक्ष नियुक्त किया था। अपने शुरुआती दिनों में काँग्रेस का दृष्टिकोण एक कुलीन वर्ग की संस्था का था। इसके शुरुआती सदस्य मुख्य रूप से बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी से लिये गये थे। काँग्रेस में स्वराज का लक्ष्य सबसे पहले बाल गंगाधर तिलक ने अपनाया था। 1907 में काँग्रेस में दो दल बन चुके थे। गरम दल एवं नरम दल। गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय एवं बिपिन चंद्र पाल (जिन्हें लाल-बाल-पाल भी कहा जाता है) कर रहे थे। नरम दल का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता एवं दादा भाई नौरोजी कर रहे थे। गरम दल पूर्ण स्वराज की माँग कर रहा था। परन्तु नरम दल ब्रिटिश राज में स्वशासन चाहता था। प्रथम विश्व युद्ध के छिड़ने के बाद सन् 1916 की लखनऊ बैठक में दोनों दल फिर एक हो गये और होम रूल आंदोलन की शुरुआत हुई जिसके तहत ब्रिटिश राज में भारत के लिये अधिराजकीय पद (अर्थात डोमिनियन स्टेट्स) की माँग की गयी।परन्तु 1915 में गाँधी जी के भारत आगमन के साथ काँग्रेस में बहुत बड़ा बदलाव आया। चम्पारन एवं खेड़ा में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को जन समर्थन से अपनी पहली सफलता मिली। 1919 में जालियाँवाला बाग हत्याकांड के पश्चात गान्धी काँग्रेस के महासचिव बने। उनके मार्गदर्शन में काँग्रेस कुलीन वर्गीय संस्था से बदलकर एक जनसमुदाय संस्था बन गयी। तत्पश्चात् राष्ट्रीय नेताओं की एक नयी पीढ़ी आयी जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, महादेव देसाई एवं सुभाष चंद्र बोस आदि शामिल थे। गाँधी के नेतृत्व में प्रदेश काँग्रेस कमेटियों का निर्माण हुआ, काँग्रेस में सभी पदों के लिये चुनाव की शुरुआत हुई एवं कार्यवाहियों के लिये भारतीय भाषाओं का प्रयोग शुरू हुआ। काँग्रेस ने कई प्रान्तों में सामाजिक समस्याओं को हटाने के प्रयत्न किये जिनमें छुआछूत,पर्दा प्रथा एवं मद्यपान आदि शामिल थे। 1947 में भारत की स्वतन्त्रता के बाद से भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस भारत के मुख्य राजनैतिक दलों में से एक रही है। इस दल के कई प्रमुख नेता भारत के प्रधानमन्त्री रह चुके हैं। जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, नेहरू की पुत्री इन्दिरा गांधी एवं उनके नाती राजीव गांधी इसी दल से थे। राजीव गांधी के बाद सीताराम केसरी काँग्रेस के अध्यक्ष बने जिन्हे सोनिया गांधी के समर्थकों ने निकाला तथा सोनिया को हाईकमान बनाया, राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी काँग्रेस की अध्यक्ष तथा यूपीए की चेयरपर्सन भी रह चुकी हैं।

बार-बार विदेश जाने वाले 'पीएम' कुवैत रवाना हुए

बार-बार विदेश जाने वाले 'पीएम' कुवैत रवाना हुए  इकबाल अंसारी  नई दिल्ली। कांग्रेस ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कटाक्ष ...