संगठन में राहुल का दबदबा फिर से बढ़ा, मिली राज्यों की कमान।
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहते हुए जो बदलाव संगठन में करना चाहते थे वो अब हुआ है।
राहुल जिन नेताओं को महत्वपूर्ण पदों पर देखना चाहते थे उन्हें जिम्मेदारी के साथ पद भी मिल गए हैं। अब ज्यादातर राज्यों की कमान राहुल के करीबियों के हाथ में है।
पार्टी के 23 असंतुष्ट नेताओं के पत्र ने इस काम को आसान बना दिया। हालांकि कांग्रेस की सर्वोच्च सीडब्ल्यूसी में उन नेताओं को जगह मिलने से युवा ब्रिगेड को चुनौती मिलती रहेगी।
कांग्रेस में इस बदलाव के स्पष्ट संकेत हैं कि राहुल गांधी अब दुबारा पार्टी की कमान संभालने को तैयार हो गए हैं।
संगठन में युवाओं की भागीदारी तो उन्होंने अपने कार्यकाल में बढ़ा दी थी लेकिन उन्हें बढ़े पद और फैसले का अधिकार नहीं मिल पा रहा था। राहुल अध्यक्ष रहते केसी वेणुगोपाल, प्रियंका गांधी और हरीश रावत को महासचिव बना पाए थे जबकि इस पद पर सर्वाधिक उम्र के मोती लाल वोरा 90 भी शामिल थे।
राहुल तब भी रणदीप सुरजेवाला को कम्युनिकेशन विभाग का प्रभारी महासचिव बनाना चाहते थे लेकिन कई वरिष्ठ महासचिव एक स्वर से विरोध कर देते। अभी हाल अजय माकन को महासचिव बनाने के बाद तय हो गया था कि अब युवाओं को महासचिव बनने का मौका मिलेगा। इस फैसले के बाद असंतुष्ट खुलकर राहुल के हस्तक्षेप को लेकर मुखर हुए।
राहुल की टीम के राजीव शुक्ला को हिमाचल प्रदेश, विवेक बंसल को हरियाणा, मनीष चतरथ जो गांधी परिवार के करीबी हैं को अरुणाचल, देवेंद्र यादव को उत्तराखंड, राजीव साटव को गुजरात की जिम्मेदारी मिली है। रणदीप सुरजेवाला को कर्नाटक का प्रभार जरूर मिला है वे फिलहाल कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट भी देखेंगे।
असंतुष्ट नेताओं में गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को सीडब्ल्यूसी का फिर से सदस्य बनाया गया है। पत्र में हस्ताक्षर करने वाले मुकुल वासनिक, जितिन प्रसाद को राज्यों का प्रभार और दिल्ली के अरविंदर सिंह लवली को केंद्रीय चुनाव समिति में जगह मिल गई थी।