शनिवार, 5 सितंबर 2020

पीएम ने 'शिक्षक दिवस' पर जताया आभार

नई दिल्ली। शिक्षक दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट शिक्षकों को आभार जताया है। मोदी ने लिखा कि हम मन को आकार देने और हमारे राष्ट्र के निर्माण में उनके योगदान के लिए मेहनती शिक्षकों के आभारी हैं। शिक्षक दिवस पर हम अपने शिक्षकों को उनके उल्लेखनीय प्रयासों के लिए आभार व्यक्त करते है। पीएम मोदी ने डॉ एस राधाकृष्णन को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।                                     


दुर्घटना में परिजनों को मिलेगें 2-2 लाख

रायपुर। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुई बस दुर्घटना में मरने वाले 7 लोगों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने मंत्री सुसंता सिंह को रायपुर जाने और आवश्यक सहायता देने के लिए कहा है. बता दें कि आज सुबह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के मंदिर हसौद इलाके में तेज रफ्तार बस और ट्रक के बीच हुई भिड़ंत में 7 मजदूरों की मौत और करीब 20 मजदूर घायल हो गए। बताया जा रहा है कि आज सुबह करीब 3:30 बजे यह हादसा तब हुआ जब मजदूरों को उड़ीसा के गुंजाम से भर कर एक बस सूरत गुजरात जा रही थी।                   


कोरोनाः पेटीएम ने 10 करोड रोज कमाएंं

डी.नंदनी


नई दिल्ली। डिजिटल वित्तीय सेवा कंपनी पेटीएम ने शुक्रवार को कहा कि 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के दौरान उसकी आय बढ़कर 3,629 करोड़ रुपये (रोजाना करीब 10 करोड़ रुपये) हो गई। कंपनी ने बताया कि वर्ष-दर-वर्ष आधार पर उसके घाटे में 40 प्रतिशत की कमी आई। पेटीएम ने एक बयान में कहा कि हम अपने मर्चेंट पार्टनर्स के लिए डिजिटल सेवाओं के निर्माण में भारी निवेश कर रहे हैं। बयान में कहा गया है कि वित्तीय सेवाओं और बिक्री उपकरणों से लेनदेन में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई और खर्च में कमी के कारण पिछले साल की तुलना में घाटा 40 फीसदी कम हुआ।


भारतीयों को डिजिटल के लिए सशक्त बना रहे
पेटीएम के प्रेसीडेंट मधुर देवड़ा का कहना है कि हम लाखों भारतीयों को डिजिटल वित्तीय सेवाओं के लिए सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारा यह प्रयास आत्मनिर्भर भारत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। इसके अलावा हम अपने मर्चेंट पार्टनर्स के लिए डिजिटल सेवाएं तैयार करने के लिए भारी-भरकम निवेश कर रहे हैं। हमारे प्रयासों की बदौलत अब ग्राहक और मर्चेंट अधिक लाभदायक सेवाओं को तेजी से ग्रहण कर रहे हैं।


2022 तक मुनाफे वाली कंपनी बनाने के रास्ते पर
देवड़ा ने कहा कि हम 2022 तक मुनाफे वाली कंपनी बनने के रास्ते पर हैं। इसके अलावा पेटीएम एक प्रमुख डिजिटल वित्तीय सेवाएं देने वाला प्लेटफॉर्म बनने के लिए कदम उठा रहा है। आने वाले वर्षों में पेटीएम पोस्टपेड, पेटीएम मनी और पेटीएम इंश्योरेंस सर्विसेज का टर्नओवर बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। कंपनी के मुताबिक, वह अब तक 2 लाख से ज्यादा यूनिट्स को एंड्रॉयड पर आधारित पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) डिवाइस की बिक्री कर चुकी है। इसके अलावा स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एसएमई) और ग्रॉसरी स्टोर से पीओएस डिवाइस की भारी मांग आ रही है।


छत्तीसगढ़ में कोरोना का कहर जारी

रायपुर। प्रदेश में शुक्रवार को कोरोना ने अब तक के सभी रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 2599 लोगों को अपनी चपेट में लिया है। यह आंकड़ें रात 11:20 बजे की स्थिति में जारी अपडेटेड मेडिकल बुलेटिन में सामने आए हैं। नए 911 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पहचान होने की जानकारी मिली। साथ ही 3 और मरीजों की मौत की जानकारी मिली। देर शाम जारी बुलेटिन में 1688 मरीजों की पहचान व 19 मरीजों की मौत की जानकारी मिली थी। साथ ही गुरुवार रात 68 और मरीजों की पहचान होने की जानकारी दी गई थी। 658 मरीजों को स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किया गया था। इस तरह से दिनभर में 22 मरीजों की मौत हुई है।


दोनों मेडिकल बुलेटिन के आंकड़ों के मुताबिक शुक्रवार को रायपुर जिले सर्वाधिक 865 मरीज मिले हैं। इसी तरह बिलासपुर से 270,दुर्ग से 266, राजनांदगांव से 197, रायगढ़ से 114, कबीरधाम से 91, जांजगीर चांपा से 91,कोरबा से 85,बालोद से 78, धमतरी से 71,महासमुंद से 70, बस्तर से 53, जशपुर से 47, सरगुजा से 37,दंतेवाड़ा से 37,सूरजपुर से 31,कांकेर से 29,गरियाबंद से 25,नारायणपुर से 24,बेमेतरा से 21,सुकमा से 20,कोंडागांव से 19,बलरामपुर से 14,कोरिया से 13,मुंगेली से 11,अन्य राज्य से 9, बीजापुर से 8 व बलौदाबाजार से 3 मरीजों की पहचान हुई है। प्रदेश में अब तक कुल 40634 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। इनमें 19608 संक्रमित मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। कुल 337 मरीजों की मौत हुई है। शुक्रवार को मिले कुल मरीजों को मिलाकर प्रदेश में एक्टिव केस 20689 हो गए हैं।                                                                                               


दलित की हत्या पर एक सरकारी नौकरी

पटना। बिहार में जब से लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग़ पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला हैं तब से राज्य सरकार दलितों को लुभाने हर संभव प्रयास कर रही है। इसी के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को घोषणा की कि अगर राज्य में किसी अनुसूचित जाति या जनजाति के शख्स की हत्या होती हैं तो उसके परिवार के एक सदस्य को सरकारीनौकरी दी जाएगी। नीतीश कुमार शुक्रवार को पटना में अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे।


इस बैठक में सभी दलों के दलित सांसद विधायक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नीतीश कुमार के समक्ष अपनी शिकायतें रखी। इस बैठक की दो सबसे अहम बातें रही जिसमें पहला उन्होंने तुरंत अनुसूचित जाति या जनजाति के परिवार के किसी सदस्य की हत्या होने पर उस पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के प्रावधान के लिए अधिकारियों को तुरंत नियम बनाने का आदेश दिया। साथ ही साथ राज्य के DGP से इन दोनों वर्गों के लंबित मामलों का निष्पादन अगले 15 दिनों में करने का आदेश दिया। मतलब 20  सितंबर तक सभी लंबित मामलों की जांच का कार्य पूरा कर रिपोर्ट देना होगा। नीतीश कुमार ने इसके लिए उन्होंने राज्य के पुलिस महानिदेशक को थानावार समीक्षा करने का ख़ुद से निर्देश दिया साथ ही राज्य के मुख्य सचिव को दलितों से संबंधित जितनी भी योजनाएं चल रही है उनको अपने स्तर पर समीक्षा कर इनमें तेज़ी लाने का भी आदेश दिया। हालांकि इस बैठक में लोक जनशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग़ पासवान या राष्ट्रीय जनता दल में अब शामिल श्याम रजक जैसे नेता शामिल नहीं हुए।


इस बैठक में अब नीतीश कुमार की तारीफ के क़सीदे गढ़ने वाले जीतन राम मांझी ज़रूर उपस्थित रहे। नीतीश कुमार को इस बात का आभास हैं कि चिराग़ अगर JDU उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ प्रत्याशी उतारने की अपनी ज़िद पर क़ायम रहे तो दलितों के कल्याण के लिए उनकी सरकार के काम-काज पर जमकर चर्चा होगी। लिहाजा वो अभी से ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिससे चुनाव में उन्हें घेरने का मौक़ा ना मिले।


3 बच्चों सहित पत्नी की कुल्हाड़ी से हत्या

राणा ओबरॉय


महेंद्रगढ़। हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक शख्‍स पर पत्नी और तीन बच्चों की कुल्‍हाड़ी से काट कर हत्या करने का आरोप लगा है। घटना को अंजाम देने के बाद अरोपी फरार हो गया। पुलिस ने सभी शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मौके से पुलिस ने कुल्हाड़ी बरामद की है। जानकारी के अनुसार, छतरपुर (मध्य प्रदेश) निवासी तुलसी (35) अपनी पत्नी आरती और तीन बच्चों के साथ सिंघाना रोड पर किराए के मकान में रहता था। तुलसी राजमिस्त्री का काम करता था और उसकी पत्नी शहर में मजदूरी का काम. यहीं पर करीब दस अन्य मजदूर भी परिवार के साथ रहते हैं। आरोप है कि रात को उसने अपने तीन बच्चों (एक 12 वर्षीय बेटी और दो 6-8 वर्षीय लड़कों) और पत्नी की कुल्हाड़ी से वार कर निर्मम हत्या कर मौके पर फरार हो गया। झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे लोगों को दोपहर उसकी झोपड़ी से बदबू आई, जिस पर उन्होंने प्लाट मालिक को इसकी सूचना दी।
झोपड़ी में पड़े थे शव



प्लाट मालिक ने झोपड़ी में देखा तो बच्चों व महिला के शव पड़े थे। इस पर उन्‍होंने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन व शहर थाना पुलिस मौके पर पहुंची। जहां उन्होंने आस-पास के लोगों से घटना की जानकारी ली।
पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी
झुग्गी-झोपड़ी में उनके आस-पास रह रहे लोगों ने बताया कि गत दिवस मृतक महिला के बुधवार को गांव जाने की सूचना थी। यही कारण रहा कि आस-पास के लोगों को घटना की जानकारी नहीं लग पाई, क्योंकि उन्होंने सोचा की वे अपने गांव चले गए, लेकिन जब घटना की जानकारी लगी तो उनके आस-पास रहने वाले लोगों के होश उड़ गए। स्‍थानीय लोगों ने बताया कि महिला का पति तुलसीराम शराब का आदी था। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है।   


समाज को जीने की कला सिखाता है 'शिक्षक'

शिक्षक इस समाज की रीड होता है जो समाज को जीवन जीने की कला सिखाता है 


अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। विश्व हिंदू परिषद् बंजरंग दल गाजियाबाद के जिला मंत्री  पंडित जय भोलेजी ने शिक्षक दिवस के शुभ अवसर सभी गुरूजनो  को कोटी कोटी नमन करते हुए बताया कि 'गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वराय, गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः' और उन्होने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति शिक्षाविद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में 5 सितंबर को सभी शिक्षको की समाज के प्रति जिम्मेदारी के रूप मे मनाया जाता है। शिक्षक ही एक ऐसा माध्यम है जो  व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। कोरोना के कारण शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा प्रणाली दोनों ही बदल गई है। कोरोना संकट की वजह से कुछ ऐसा ही एक झटके में बदलाव हुआ है। शैक्षिक दुनिया में अब शिक्षा के तरीकों में तकनीकी इतनी हावी हो गई है कि पारंपरिक शिक्षकों पर टेक्नास्मार्ट टीचर बनने का भी दबाव आ गया है। जाहिर है अब शिक्षकों को अपनी भूमिका बदली हुई स्थितियों में निभाने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। आज शिक्षको पर तकनीक हावी हो गई है।
हालांकि कोरोना ने न केवल छात्रों को बल्कि शिक्षकों को भी  घरों में कैद कर दिया है। वह अब मोबाइल, लैपटॉप, टेबलेट या डेक्सटॉप कंप्यूटर के साथ व्यस्त हैं। कोरोना ने एक झटके में दुनिया भर के अध्यापकों को वर्चुअल शिक्षक में बदल दिया है। राजधानी दिल्ली में कई हजार शिक्षकों ने सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से यह बात कही है कि उन्होंने कोरोना के पहले भी कभी भी घंटों तो छोड़िए कुछ मिनट तक भी कैमरे सामना नहीं किया था। वह कैमरे की एबीसीडी नहीं जानते थे, लेकिन एक झटके में देश ही नहीं दुनिया के अधिकतर शिक्षको को कैमरे पर मित्रवतहोना पड़ा। इस समय लाखों-करोड़ों अध्यापक दुनिया के किसी ना किसी कोने में हर समय ऑनलाइन रहते हैं। क्योंकि  वर्चुअल दुनिया स्कूल और कॉलेज की कक्षाओं में बदल गई है
सवाल है क्या ...इससे शिक्षकों की भूमिका में भी कुछ बदलाव आया है ? क्या इससे शिक्षकों के प्रति छात्रों की भावनाओं में भी कुछ परिवर्तन हुआ है ? इस सवाल का सटीक जवाब तो आसान नहीं है लेकिन इस बात को तो महसूस कर ही सकते हैं कि अब पढ़ने और पढ़ाने वालों के बीच तकनीकी महत्वपूर्ण भूमिका में आ गई है। भविष्य की पीढ़ियां अब शिक्षकों से कहीं ज्यादा शैक्षिक तकनीक से शिक्षित होंगे। दूसरे शब्दों में अब विज्ञान एक माउस क्लिक प्रक्रिया का हिस्सा है। शिक्षक को बदलना होगा, क्योंकि शिक्षकों के हिस्से की बड़ी भूमिका तकनीकी के खाते में चली गई है। देर सवेर कोरोना खत्म तो होगा ही लेकिन अब पढ़ने पढ़ाने की नई भूमिका आने वाली है।
यह अब एक कड़वा सच है कि भविष्य की पीढ़ियों को शिक्षित करने के लिए मौजूदा शिक्षा व्यवस्था को बदलना होगा। दरअसल एक दौर था जब छात्रों और शिक्षकों के बीच सिर्फ उम्र का ही अंतराल नहीं होता था, बल्कि शैक्षिक ज्ञान और समझदारी का भी एक अंतराल होता था। इसलिए शिक्षक जो कुछ पढ़ाते थे, जो कुछ बताते थे, या जो कुछ सिखाते थे, छात्र उस पर आंख मूंदकर भरोसा करते थे। क्योंकि उनके पास अपने शिक्षक से ज्यादा कोई प्रभावशाली स्त्रोत ज्ञान का अपनी पढ़ाई के लिए नहीं होता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है, क्योंकि छात्र तकनीक के इस्तेमाल में उनसे कहीं ज्यादा स्मार्ट हैं।
पिछले दिनों सोशल मीडिया में और पारंपरिक मीडिया में भी सैंकड़ों ऐसी शिकायतें उम्र दराज शिक्षकों और शिक्षिकाओं के सामने आई है कि छात्र उन्हें ऑनलाइन पर आते समय काफी परेशान करते हैं। काफी दबाव में रखते हैं क्योंकि छात्र अपने शिक्षकों के मुकाबले इस माध्यम को समझने के मामले में अपने उम्र दराज अध्यापकों से कहीं ज्यादा स्मार्ट है। यही नहीं शिक्षकों और छात्रों के बीच किसी हद तक अनुभव की समस्या खड़ी हो गई है। जिन शिक्षको के पास अपने छात्रों को पढ़ाने का एक जबरदस्त और लंबा अनुभव है। लेकिन शिक्षकों के पास आज तकनीकी के इस्तेमाल और उसके जरिए बेहतर परफॉर्मेंस करने का अनुभव अपने छात्रों से कम है। इस वजह से भी मौजूदा छात्रों और शिक्षकों की दुनिया काफी हद तक बदल रही है।
सरकारी अध्यापकों की मजबूरी बहुत चिंताजनक है 
शिक्षकों पर बढ़ रहे दबाव पर ऐसा नहीं है कि यह तमाम बदलाव नहीं होने चाहिए। बदलाव तो होने से थे, चाहे कोरोना आया या न आया होता। लेकिन इतनी तेजी से एक झटके में नहीं होना था, जैसा कोरोना के कारण हुआ है। यही वजह है कि आनन-फानन में अध्यापकों ने छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने का जिम्मा तो ले लिया, लेकिन वह इस बात को जान गए कि आज की एक्स वाई जेड और अल्फा बीटा जेनरेशन को उनके लिए पढ़ाना इतना आसान नहीं है। यह अकारण नहीं है कि बहुत सारे प्राइवेट अध्यापकों ने ऑनलाइन टीचिंग से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। सरकारी अध्यापकों की मजबूरी यह है कि वह इस जोखिम को नहीं ले सकते, लेकिन परेशान वह भी हैं। दरअसल इस परेशानी की वजह से छात्र से ज्यादा तेजी से बदलते टेक्नोलॉजी है। इससे मैसेज स्नैपचैट और व्हाट्सएप जैसे माध्यमों से हर दिन जो संवाद की नई विधियां सामने आ रही है। हमारे भारतीय शिक्षक पद्धति शुरू से ही गुरू और शिष्य के बीच मे समर्पण की रही है जो आज भी इसी प्रकार हमारे देश के हर शिक्षक मे अपने शिष्य के प्रति जागरूकता रही है।


कांग्रेस के प्रदर्शन को वोटो के लिए छलावा बताया

कांग्रेस के प्रदर्शन को वोटो के लिए छलावा बताया  इकबाल अंसारी  नई दिल्ली। राज्यसभा में संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को लेकर दिए गए...