बीजिंग। चीनी विदेश मंत्रालय का कहना है कि विवादित सीमाओं पर शांति कायम करना और भारत के साथ रणनीतिक भरोसा कायम करना चीन की कूटनीतिक प्राथमिकताएं हैं। चीन आने वाले समय में अपने पड़ोसियों के साथ 'साझा हितों' का विस्तार करने की कोशिश करेगा।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान ने कहा, "जहां तक चीन भारत संबंधों की बात है तो दोनों देशों को मिलकर सीमा पर शांति और सुरक्षा कायम करनी चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूती से आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा, "हम अपने पड़ोसियों और दूसरे विकासशील देशों के साथ पारस्परिक विश्वास और साझा हितों को बढ़ाने की दिशा में काम करना जारी रखेंगे। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से सवाल किया था कि कोविड-19 महामारी की वजह से जिस तरह दुनिया पर असर पड़ा है और उससे अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक में बदलाव हुए हैं, ऐसे में चीन किस तरह अपनी कूटनीतिक प्राथमिकताएं तय कर रहा है। ख़ासकर अमरीका, रूस, यूरोपीय संघ, जापान और भारत के साथ। हालांकि इस दौरान उन्होंने पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर दोनों देशों के बीच तनाव को लेकर कुछ नहीं कहा। एलएसी दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के बीच कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य बातचीत हो चुकी है लेकिन फ़िलहाल नतीजा नहीं निकला।
एलएसी पर क्या चल रहा है ?
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने 30 जुलाई को मीडिया ब्रीफिंग में बताया था कि बातचीत के बाद फ़िलहाल इस मामले में कुछ प्रगति हुई लेकिन अभी यह बातचीत का दौर ख़त्म नहीं हुआ। चाओ लिजियान ने कहा, "इस साल की शुरुआत से ही कोरोना महामारी का असर पूरी दुनिया पर है। चीनी विदेश मंत्रालय इस महामारी से निपटने और आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है। चीन ने हमेशा शांति के लिए स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई है और विश्व शांति के लिए यूं ही प्रयासरत रहेगा। चीन वैश्विक विकास में योगदान देता रहेगा और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का रक्षक रहेगा। कोरोना महामारी की वजह पनपे हालात और इससे निपटने की चुनौतियों पर चाओ लिजियान ने कहा, "चीन इस बीमारी को रोकने और ख़त्म करने की संभावनाओं, दवा, वैक्सीन और इससे जुड़े रिसर्च में दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करेगा।उन देशों की मदद करेगा जिन्हें ज़रूरत है।
श्रीराम 'निर्भयपुत्र'