गुरुवार, 25 जून 2020
मंत्री का निरीक्षण, स्थिति का लिया जायजा
आपातकालः शाह का कांग्रेस पर निशाना
नई दिल्ली। कांग्रेस वर्किंग कमिटी की मंगलवार (23 जून) को हुई बैठक में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं डरते है। राहुल गांधी ने कहा कि वह पीएम मोदी की लगातार आलोचना करते रहेंगे। राहुल गांधी ने यह जवाब कांग्रेस वर्किंग कमिटी में उठे उन सवालों पर दिया था, जब कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कहा था कि भारत-चीन के मुद्दे पर हमें निजी व्यक्तिगत आलोचना नहीं करनी चाहिए. गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी के इस बयान पर आज (25 जून) अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमित शाह ने 25 जून की सुबह ट्वीट करते हुए लिखा, ”हाल ही के कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में कुछ नेताओं ने अलग मुद्दे उठाए तो लोग चिल्ला पड़े। एक पार्टी प्रवक्ता को बिना सोचे-समझे बर्खास्त कर दिया गया. यह एख दुखद सच है कि कांग्रेस पार्टी में नेता निराश हैं।” इस ट्वीट के साथ अमित शाह ने अंग्रेजी वेबसाइट इकोनॉमिक्स टाइम्स की वह रिपोर्ट भी साझा की है, जिसमें कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लेकर प्रतिक्रिया दी थी।
- अंग्रेजी वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है, राहुल गांधी ने CWC की बैठक में कहा था, ‘मैं पीएम नरेंद्र मोदी ने नहीं डरता हूं। वह मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं. मैं उनकी आलोचना जारी रखूंगा। अगर किसी को इसमें दिक्कत है तो CWC मुझे चुप रहने के लिए कह सकती है.’ राहुल गांधी के इस बयान के बाद पार्टी के कुछ नेता नाराज हुए थे।आपातकाल को लेकर भी अमित शाह ने कांग्रेस पर साधा निशानाः अमित शाह ने आपातकाल के 45 साल पूरे होने पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया. अमित शाह ने लिखा, ‘कांग्रेस को एक विपक्षी पार्टी होने के नाते अपने आप से सवाल पूछना चाहिए। आखिर क्यों आपातकाल वाली मानसिकता आज भी उनके अंदर है? जो नेता एक वंश से नहीं आते वे कुछ भी बोलने में असमर्थ क्यों हैं? कांग्रेस में रहकर नेता क्यों निराश हो रहे हैं।
महेश का 'राष्ट्रपति' को पत्र, खतरा बताया
पालूराम
अहमदाबाद। गुजरात में राज्यसभा चुनाव का बहिष्कार करने वाले भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के दो विधायक छोटूभाई वसावा व महेश वसावा ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अपनी जान को खतरा बताया है। वसावा पिता-पुत्र का दावा है कि सामंतवादी व विघटनवादी ताकतें उनके सामाजिक समानता व आदिवासी अधिकार के आंदोलन को कुचलना चाहते हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में भरुच झगडिया से विधायक छोटूभाई वसावा तथा नर्मदा के डेडियापाडा विधानसभा से विधायक उनके पुत्र महेश वसावा ने बताया कि भारतीय ट्राइबल पार्टी ने राज्यसभा चुनाव में संविधान की 5वीं सूची का अमल तथा आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की मांग को लेकर चुनाव का बहिष्कार कर दिया था। उनका कहना है कि वे लंबे समय से सामाजिक न्याय की आवाज उठा रहे हैं, समाज में विघटन जैसा माहौल बन रहा है।
असमानता व सामंतवादी सोच के लोग उनके सामाजिक न्याय के अभियान को पसंद नहीं करते हैं तथा उसे खत्म कर देने की इच्छा रखते हैं। इससे समाज में विघटन के हालात हैं तथा उनकी जान को भी जोखिम है। राज्य पुलिस ने पहले भी ऐसे असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर फर्जी मुठभेड़ की घटनाओं को अंजाम दिया था, भविष्य में इनके फिर होने की आशंका है। मीडिया भी तनाव व राजनीतिक खबरें चलाकर उनकी छवि को बिगाड़ने का प्रयास कर रहा है। दोनों विधायकों ने खुद पर जानलेवा हमले की आशंका जताते हुए सुरक्षा की मांग की है, ऐसा नहीं होने पर किसी भी तरह की घटना होने पर प्रशासन की जिम्मेदारी रहेगी।
गौरतलब है कि बीटीपी के इन दोनों विधायकों ने गत 19 जून को हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान मतदान से खुद को अलग कर लिया था। इन दोनों विधायक ने आदिवासियों के अधिकार तथा पांचवीं अनुसूची का अमले कराए जाने की मांग को लेकर प्रतीक धरना भी दिया। कांग्रेस व भाजपा नेता राज्यसभा चुनाव के दौरान इनके संपर्क में थे, लेकिन खुद को धर्मसंकट में फंसता देख दोनों विधायाकों ने मदातन से ही खुद को अलग कर लिया था।
स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का विरोध
भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के विधायक व आदिवासी नेता छोटू वसावा ने चाइनीज वस्तुओं के बहिष्कार के साथ स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का विरोध फिर शुरू कर दिया है। वसावा का कहना है कि प्रतिमा के निर्माण में चाइना में बनी ब्रोंज प्लेट का उपयोग हुआ है। बीटीपी ने चाइना के राष्ट्रपति का पुतला दहन भी किया। भरुच के झगडिया गांव में भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायक छोटू वसावा व उनके कार्यकर्ताओं ने चाइना के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पुतला दहन कर चाइनीज वस्तुओं के बहिष्कार का एलान किया। यहां वसावा ने कहा कि चाइना की हर वस्तु का बहिष्कार होना चाहिए। साथ ही, उन्होंने कहा कि लौहपुरुष सरदार पटेल की प्रतिमा के निर्माण में चाइना में बनी ब्रोंज प्लेट का उपयोग किया गया है। इनकी देखरेख के नाम पर बार बार चाइनीज लोग उनके आदिवासी इलाके में आते हैं। गौरतलब है कि स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण आदिवासी बहुल इलाके में हुआ है, जो बीटीपी का राजनीतिक गढ़ है।
दक्षिण कोरिया को पीएम की शुभकामनाएं
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरिया युद्ध के 70 साल पूरे होने पर संदेश जारी कर दक्षिण कोरिया के लोगों को शुभकामनाएं दीं हैं। पीएम मोदी ने कहा कि इस विशेष अवसर पर मैं कोरियाई प्रायद्वीप में शांति के बलिदान करने वाले सभी बहादुरों को सलाम करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरिया के लोगों ने युद्ध के बाद एक महान राष्ट्र का निर्माण किया है। मैं कोरियाई प्रायद्वीप में शांति को बनाए रखने और बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रपति मून जे इन द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना करता हूं। बता दें कि कोरियाई युद्ध 1950 से 53 तक चला था। इसकी शुरुआत 25 जून, 1950 को उत्तरी कोरिया से दक्षिणी कोरिया पर आक्रमण के साथ हुआ। यह शीत युद्ध काल में लड़ा गया सबसे पहला और सबसे बड़ा संघर्ष था।
पहली बार मज़दूरों का सुख-दुख जानेंगे
नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी लॉकडाउन के बाद पहली बार मज़दूरों से बात करेंगे और उनका सुख-दुख जानेंगे। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी वीडियो कांफ्रेंस से जुड़े रहेंगे। 26 जून को मोदी यूपी के कुछ ख़ास लोगों से उनके मन की बात जानेंगे। ये वैसे लोग हैं जो लॉकडाउन में बेरोज़गार हो गए थे। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो महाराष्ट्र और गुजरात में काम करते थे। जब वहां फैक्ट्ररियां बंद हुईं तो अपने घर लौट आए।
लेकिन यूपी सरकार की मदद से इन्हें काम मिल गया है। योगी सरकार का दावा है कि 1 करोड़ 25 लाख लोगों को लॉकडाउन के समय से ही रोज़गार मिल गया है। शुक्रवार को सुबह 11 बजे छह ज़िलों के कुछ लोगों से मोदी बातचीत करेंगे। ये पहला मौक़ा होगा जब प्रधान मंत्री लॉकडाउन के बाद सीधा संवाद करेंगे। लॉकडाउन के दौरान बाहर से लोगों को अपने यहां लाने की शुरुआत सबसे पहले योगी आदित्यनाथ ने की थी। हरियाणा बस भेज कर उन्होंने मज़दूरों को घर बुलवाया था। इसके बाद तो कुछ और राज्यों में भी बसें भेजी गई थीं। जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलने लगे तो लाखों लोग यूपी आए. क़रीब 36 लाख प्रवासी लोग यूपी में अपने घर लौटे. तब सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था ये लोग हमारी ताक़त हैं। हमारी पूंजी हैं।
सीएम योगी ने वादा किया था ऐसे लोगों के उनके घर के पास ही रोज़गार देने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए देश में पहली बार यूपी में स्किल मैपिंग का काम शुरू हुआ। डाटा तैयार किया गया कि कौन लोग किस तरह का काम करते हैं।जैसे बढ़ई, लुहार, सोनार, दर्ज़ी, कंप्यूटर रिपेयर करने वाले, गाड़ी की मरम्मत का काम करने वाले, राज मिस्त्री जिनके पास कोई हुनर नहीं है उनमें से कुछ को मनरेगा का काम दिया गया. कुछ लोगों को रियल एस्टेट में काम मिला। इसके लिए रियल एस्टेट डेवलपरों के संगठन नरडेका से समझौता किया गया. इसे रोज़गार अभियान नाम दिया गया है। राज्य के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी बताते हैं कि शुरूआत में 31 ज़िलों में ये योजना शुरू की गई है।
अहमदाबाद से राजकुमार साहनी मई के शुरूआत में ही अपने घर गोरखपुर आ गए थे। वे जिस फ़ैक्ट्री में काम करते थे, बंद हो गया था। अब आगे क्या करते, परिवार कैसे चलाते? यूपी सरकार की मदद से उन्हें घर के पास ही काम मिल गया। वे बोरे बनाने की फ़ैक्ट्री में काम कर रहे हैं. अहमदाबाद में भी वे यही काम किया करते थे। कुछ ऐसा ही कहानी गुजरात से लौटे विजेंद्र पाल की भी है। उन्हें भी काम मिल गया है। यूपी में क़रीब 90 लाख छोटे और लघु उद्योग हैं। योगी सरकार का दावा है कि अगर इनसे एक भी आदमी को जोड़ दिया गया तो 90 लाख को रोज़गार मिल जाएगा। नोएडा में गार्मेंट्स की क़रीब 3500 फ़ैक्टरियाँ हैं। जिनमें दो लाख लोगों की ज़रूरत थी। स्किल मैपिंग में प्रवासी लोगों में से 64000 दर्ज़ी पाए गए। यूपी में एमएसएमई के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल बताते हैं कि हमने गार्मेंट्स कंपनियों को उनकी ज़रूरत के हिसाब से लोग दे दिए हैं। वे कहते हैं कि जिसको जिस काम का अनुभव है, उसे हम उसी सेक्टर में काम दिलाने में लगे हैं. जो लोग अपना काम धंधा खुद करना चाहते हैं, उन्हें बैंकों से कम ब्याज पर लोन दिया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि बाहर कमाने वाले जो लौटे हैं उन्हें अब फिर बाहर नहीं जाने देंगे। सीएम योगी ने कहा था कि वे पीएम नरेन्द्र मोदी के संकट को अवसर में बदलने के मंत्र को सच साबित कर दिखाएंगे।
संघर्षियों के बलिदान को भूल नहीं पाएगें
आपातकाल के 45 साल पूरे होने पर गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वालों को याद किया और कहा कि उनके बलिदान को देश भूल नहीं पाएगा। पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ''आज से ठीक 45 वर्ष पहले देश पर आपातकाल थोपा गया था। उस समय भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया, यातनाएं झेलीं, उन सबको मेरा शत-शत नमन! उनका त्याग और बलिदान देश कभी नहीं भूल पाएगा।''
पीएम मोदी ने ट्वीट के साथ मन की बात का अंश शेयर किया, जिसमें वह आपातकाल के बारे में बता रहे हैं। पीएम मोदी इसमें कहते हैं, ''जब देश में आपातकाल लगाया गया तो उसका विरोध केवल राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं रहा था, जेल की सलाखों तक आंदोलन सिमट नहीं गया था, जन-जन में आक्रोश था। खोए हुए लोकतंत्र की एक तड़प थी।''
पीएम मोदी ने कहा, ''जब समय पर खाना खाते हैं तो भूख क्या होती है इसका पता नहीं होता है। ठीक उसी तरह सामान्य जीवन में लोकतंत्र के अधिकारों का क्या मजा है, वह तब पता चलता है जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेता है। आपातकाल में देश के हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया है। जिसका उसने जीवन में कभी उपयोग नहीं किया था वह भी छिन गया है तो उसका दर्द उसके दिल में था।'' पीएम मोदी कहते हैं, ''समाज व्यवस्था को चलाने के लिए संविधान की भी जरूरत होती है, कायदे कानून और नियमों की भी आवश्यकता होती है। अधिकार और कर्तव्य की भी बात होती है। लेकिन भारत गर्व के साथ कह सकता है कि हमारे लिए लोकतंत्र हमारा संस्कार, संस्कृति और विरासत है। हम इसके साथ पले बढ़े लोग हैं। देश ने अपने लिए नहीं एक पूरा चुनाव अपने लिए नहीं लोकतंत्र की रक्षा के लिए आहूत कर चुका था। शायद दुनिया के किसी देश में वहां के जन-जन ने लोकतंत्र के लिए अपने बाकी हकों और आवश्यकतओं की परवाह किए बिना मतदान किया हो तो इस देश ने 1977 में देखा था।'' इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर करारा हमला बोला और आरोप लगाया कि एक परिवार के हित दलीय व राष्ट्रीय हितों पर हावी हो गए हैं। उन्होंने साथ ही सवाल किया कि ''आपातकाल की मानसिकताक्यों आज भी कांग्रेस में मौजूद है। आपातकाल के 45 साल पूरे होने पर शाह ने एक के बाद एक सिलसिलेवार ट्वीट किए और दावा किया कि कांग्रेस के नेता अब अपनी ही पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं। उनके मुताबिक जनता से विपक्षी पार्टी की दूरी बढ़ती जा रही है। देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच 21 महीने की अवधि तक आपातकाल लागू रहा। इंदिरा गांधी उस समय देश की प्रधानमंत्री थीं।
पैदा हुए 3 बच्चे मिले कोरोना पॉजिटिव
भारत समेत पूरी दुनिया के लिए कोरोना वायरस एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। अब तक इसका इलाजा नहीं ढूंढा जा सका है। इस बीच कोरोना के नए-नए लक्ष्ण और इससे जुड़े मामले सामने आ रहे हैं। मेक्सिको में एक हैरान करने देने वाला मामला सामने आया है। यहां पर एक साथ पैदा हुए तीन बच्चे कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए हैं। हैरानी की बात ये है कि इन बच्चों के माता-पिता को कोरोना वायरस नहीं है। इस मामले के सामने आने के बाद डॉक्टर भी हैरान हैं। मेक्सिकों के स्वास्थ्य अधिकारी इस बात का पता लगाने में जुट गए हैं कि आखिर ऐसा केसा हुआ। वहीं, स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इससे पहले ऐसा कोई भी केस नहीं देखा है, जिसमें बच्चे संक्रमित पैदा हुए हों और मां-बाप को संक्रमण न हो। इन तीन बच्चों में एक लड़की और दो लड़के हैं। पैदा होने के चार घंटे बाद सान लुइस पोटोसी में इनका कोरोना वायरस टेस्ट कराया गया, जहां इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, शुरू में उन्हें लगा कि हो सकता है बच्चों की मां कोरोना पॉजिटिव हो और उनसे कोरोना बच्चों में फैल गया हो। बच्चों की रिपोर्ट आने के बाद माता-पिता का भी टेस्ट कराया गया, लेकिन दोनों की रिपोर्ट नेगेटिव आई। बच्चों की देखभाल करने वाले डॉक्टर ने बताया कि 17 जून को पैदा हुए तीनों बच्चों में से दो पूरी तरह स्वस्थ थे और इनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे। तीसरे बच्चे को निमोनिया की शिकायत थी, लेकिन वो भी अब ठीक है। मेक्सिको की स्वास्थ्य सचिव कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि बच्चों के माता-पिता के कोरोना वायरस टेस्ट नेगेटिव आए और हमारा पूरा ध्यान इस पर है। उन्होंने कहा कि हमने विशेषज्ञों से इस मामले की जांच करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि फिलहाल तीनों बच्चे डॉक्टरों की निगरानी में अस्पताल में हैं। मैक्सिको में कोरोना वायरस के 1,90,000 से भी ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। यहां पर अब तक कोरोना से 23,377 लोगों की जान जा चुकी है।
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