बुधवार, 17 जून 2020

अमेरिका में की 'हनुमान' मूर्ति स्थापित


 अखिलेश जयसवाल




नई दिल्ली। अमेरिका के हॉकेंसिन शहर में सबसे ऊंची हनुमान जी की 25 फीट ऊंची प्रतिमा को स्थापित की गई है। जिससे अब अमेरिका में भी हनुमान भक्‍त आराधना कर सकते हैं। भगवान हनुमान की मूर्ति के निर्माण पर एक लाख डॉलर (करीब 76 लाख रुपये) की लागत आई। इसका निर्माण दक्षिण भारत के वारंगल शहर में किया गया है।






डेलावेयर हिंदू मंदिर संगठन के अध्यक्ष पाटीबंद शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते मूर्ति स्थापना के दौरान ज्यादा लोगों का जमावड़ा नहीं लगा। उन्होंने कहा कि मूर्ति स्थापना के बाद अब हिंदू समुदाय के लोगों को जत्थों में आमंत्रित किया जाएगा. यह मंदिर सभी समुदायों के लिए खुला रहेगा।सुंदर नक्काशी वाले हनुमान जी की इस प्रतिमा को दक्षिण भारत के एक छोटे शहर वारंगल में काले ग्रेनाइट पत्थर के एक ही टुकड़े से बनाया गया है। साल भर की कड़ी मेहनत के बाद 12 से ज्यादा मूर्तिकारों ने हनुमान जी की इस प्रतिमा को तैयार किया।





इसका वजन 30 हजार किलोग्राम से ज्यादा है। भगवान हनुमान की यह विशाल मूर्ति गत जनवरी में मालवाहक पोत के जरिये हैदराबाद से न्यूयॉर्क लाई गई थी। इसके बाद ट्रक से डेलावेयर पहुंचाई गई थी. मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठिा और अनुष्ठानों के लिए बेंगलुरु से पुजारी नागराज भट्टर भी हॉकेसिन पहुंचे।



रणनीति पर काम शुरू, बातचीत बंद

नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच हालत बेहद बुरे दौर में पहुंच गए हैं। दोनों देश अब लगभग युद्ध के मुहाने पर खड़े हैं। अब सरकार सख्त एक्शन के मूड में है।


भारत और चीनी सैनिकों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हिंसक झड़प के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुखों और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के साथ बैठक की। उन्होंने मौजूदा स्थिति पर भी विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी बात की। ताजा जानकारी के मुताबिक दोनों देशों के बीच जारी बातचीत रोक दी गई है। अब भारत सरकार सख्त कार्रवाई के मूड में है।गलवन घाटी में 20 सैनिकों की मौत के बाद भारत के रणनीतिकार अब नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गए हैं। कल देर रात तक बैठकों का दौर जारी रहा। आज भी रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के बीच बैठकों का सिलसिला जारी है। आधी रात को प्रधानमंत्री ने मंत्रियों के साथ मीटिंग कर मामले की जानकारी ली और चीन के खिलाफ प्लान बनाकर कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिये।


डब्ल्यूएचओ ने परीक्षण का स्वागत किया

मास्को। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गंभीर रूप से कोरोना वायरस (कोविड-19) से संक्रमित मरीजों के इलाज में असरदार दवा डेक्सामेथासोन के क्लीनिकल परीक्षण के प्रारंभिक परिणामों का स्वागत किया है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम ग्रेबेयेसस ने मंगलवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, यह पहला उपचार है जिसमें ऑक्सीजन और वेंटिलेटर का सहारा ले रहे कोविड-19 मरीजों की मृत्यु के जोखिम कम हो जाता है। यह बहुत अच्छी खबर है और मैं ब्रिटेन सरकार, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, ब्रिटेन के कई अस्पतालों और मरीजों को बधाई देता हूं जिन्होंने जीवन बचाने वाली इस वैज्ञानिक सफलता में योगदान दिया है।


यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के रिसर्च के अनुसार यह दवा कोविड-19 मरीजों में मौत के जोखिम को कम करने में असरदार साबित हुई है। यह दवा वेंटिलेटर का सहारा लेने वाले कोरोना मरीजों की मौत के जोखिम को 35 फीसदी और ऑक्सीजन का सहारा लेने वाले रोगियों की मौत के जोखिम को 20 फीसदी तक कम कर देता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि शोधकर्ताओं ने डेक्सामेथासोन के क्लीनिकल परीक्षण के प्रारंभिक परिणामों को साझा किया है और संगठन आने वाले दिनों में इस पर विस्तृत रूप से विश्लेषण की उम्मीद करता है।


पीएम मोदी की चुप्पी पर उठाए सवाल

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन गतिरोध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘चुप्पी’ पर सवाल उठाया है। राहुल गांधी ने कहा कि देश को यह जानने की जरूरत है कि वास्तव में वहां क्या हो रहा था। राहुल ने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री चुप क्यों है? वह क्यों छिप रहे हैं? बस बहुत हो गया। हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या हुआ है? चीन ने हमारे सैनिकों को कैसे मारा? हमारी जमीन लेने की उनकी हिम्मत कैसे हुई?”


कांग्रेस ने कहा, “कभी सोचा है कि एक मुखर आदमी जो हर मुद्दे पर (पिछली) सरकार पर सवाल उठाने में कभी नाकाम नहीं रहा, वह अब पूरी तरह से चुप है? क्योंकि, अब वह अपनी सारी विफलताओं के लिए किसी और को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं।”


कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम ने भी सीमा मुद्दे पर मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने मंगलवार शाम को पूछा, “पीएम ने 5 मई से एक चिंताजनक चुप्पी बनाए रखी है। क्या आप सरकार के किसी अन्य प्रमुख को लेकर कल्पना कर सकते हैं कि 7 सप्ताह से देश में विदेशी सैनिकों की घुसपैठ के बाद से एक शब्द भी नहीं कहा गया है?”बता दें कि 10 जून को भी राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, “चीनी लोग लद्दाख में हमारे क्षेत्र में चले गए हैं और इस बीच पीएम बिल्कुल चुप हैं और दृश्य से गायब हैं।” भारतीय सेना ने मंगलवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हिंसक झड़प में अधिकारियों सहित भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए।


24 घंटे में 2003 लोगों की मौत

नई दिल्ली। देश में कोरोना ने कोहराम मचा दिया है। पूरी दुनिया में चीन से फैले कोरोना का कहर कम नहीं हो रहा है। भारत में भी इस जानलेवा बीमारी के कारण अबतक हजारों की मौत हो चुकी है। इस जानलेवा वायरस ने भारत में मंगलवार को एक दिन में रिकॉर्ड 2003 लोगों की जान ले ली। सबसे ज्यादा 1409 मौतें महाराष्ट्र में हुईं। पिछले 24 घंटे में देश में सबसे ज्यादा मौतें हुईं हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 10,974 नए मामले सामने आए हैं और 2,003 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद देशभर में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 3,54,065 हो गई है, जिनमें से 1,55,227 सक्रिय मामले हैं, 1,86,935 लोग ठीक हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब तक 11,903 लोगों की मौत हो चुकी है।
जानकारी के अनुसार ये जो 2003 लोगों की जान गई है इनमें सबसे ज्यादा 1409 मौतें महाराष्ट्र में हुईं। एक दिन में इतनी मौतें होने के बाद महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि इनमें काफी मौतें पहले हो चुकी थीं जिन्हें उस वक्त किन्हीं कारणों से नहीं जोड़ा जा सका था। अब मृतकों का संशोधित आंकड़ा जारी किया जा रहा है। इन आंकड़ों के चलते महाराष्ट्र में मरने वालों का आंकड़ा 5537 हो गया। 
वहीं देश की राजधानी दिल्ली में भी रिकॉर्ड 437 संक्रमितों ने दम तोड़ा। ये दिल्ली में अब तक हुई मौतों में सबसे अधिक है। यहां मरने वालों का आंकड़ा 2 हजार के करीब पहुंच गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा जानकारी के मुताबिक, देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 11 हजार 903 हो गई है।


दादी-पोते का प्रेम चढ़ा परवान, विवाह

जकार्ता। दुनिया में ऐसी कई घटनाएं सामने आती हैं, जो लोगों को हैरान कर देती है। कई तरह के रिश्ते देखने को मिलते हैं। लेकिन कुछ ऐसे मामले सामने आते हैं, जिन्हें जानकर आपको ताज्जुब होगा। एक ऐसा ही मामला इंडोनेशिया से सामने आया। यहां रहने वाली एक 65 साल की महिला ने एक शख्स को बेटे की तरह गोद लिया। फिर उसने अपने बेटे के 24 साल के होते ही उससे शादी कर ली। ये अनोखी प्रेमकहानी दुनिया का ध्यान खींच रहा है।


ये अनोखी प्रेम कहानी इंडोनेशिया से सामने आई है। यहाँ रहने वाली 65 साल की माबाह गम्ब्रेनग ने 24 साल के अर्दी वरस से शादी कर ली। माबाह ने अर्दी को गोद लिया था।  अपने बेटे के साथ माबाह काफी खुश थी। लेकिन उसे क्या आता था कि जल्द मां-बेटे का ये रिश्ता बदलने वाला है।


माबाह ने एक दिन अर्दी को समझाया कि अब उसे शादी कर लेनी चाहिए। बुजुर्ग माबाह उसे जीवनसाथी की तलाश करने की सलाह दे रही थी। लेकिन माबाहा को क्या पता था कि अर्दी के इरादे उसी से शादी करने का है। माबाह को तब झटका लगा जब अर्दी ने कहा कि वो उसी से शादी करना चाहता है। पहले तो माबाह को इसपर यकीन नहीं हुआ लेकिन कुछ समय बाद दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया। इसके बाद एक समारोह में दोनों ने शादी कर ली। इंडोनेशिया के इस्लामिक वेडिंग रिचुअल के मुताबिक, लड़का शादी के वक्त दुल्हन को दहेज़ देता है। अर्दी ने माबाह को दहेज़ में 539 रूपये दिए। इस कपल की शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। ये कपल साथ में काफी खुश नजर आ रहा है। लोगों ने इस बेमेल शादी पर कई कमेंट्स किये। लोग हैरत में  हैं और प्यार को वाकई अंधा बता रहे हैं।


ब्याज में छूट से भाग नहीं सकती सरकार

 ब्याज में छूट पर सुप्रीम कोर्ट : सरकार और RBI हाथ खड़े नहीं कर सकती

बृजेश केसरवानी

नई दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान ईएमआई स्थगन के दौरान ब्याज में छूट की याचिका पर सुनवाई के दौरान Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से कहा है कि वह स्थिति को रिव्यू करे। अदालत ने सरकार से कहा है कि वह इस मामले में हाथ खड़े नहीं कर सकती।supreme-court-decisionसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र ये बयान देकर नहीं पल्ला छुड़ा सकता है कि ये मामला बैंक और उनके कस्टमर के बीच का है। अगर केंद्र सरकार ने मोरेटोरियम (ईएमआई के स्थगन) की घोषणा की थी तो ये उसे तय करना चाहिए कि कस्टमर को तार्किक लाभ मिले। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से कहा है कि वह स्थिति की समीक्षा करे। सुप्रीम कोर्ट साथ ही कहा कि इंडियन बैंक असोसिएशन देखेगी कि क्या मोरेटोरियम के मुद्दे पर कोई नई गाइडलाइंस आएगी या नहीं। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में हाथ खड़े नहीं कर सकती। केंद्र सरकार ये नहीं कह सकती कि ये मामला बैंक और कंस्टमर के बीच का है। केंद्र सरकार ने जब मोरेटोरियल की घोषणा की थी तो उसे सुनिश्चित करना होगा कि कस्टमर को लाभ मिले। केंद्र सरकार ने इस समस्या के निदान के लिए समय लिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। केंद्र सरकार ये नहीं कह सकती कि इसे बैंक पर छोड़ा जाए।

दरअसल लॉकडाउन में ईएमआई पर ब्याज छूट की मांग पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ब्याज में छूट संभव नहीं है। इस कारण बैंक की आर्थिक स्थिरता पर फर्क पड़ेगा और आखिर में बोझ डिपॉजिटर पर ही पड़ेगा।

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