नई दिल्ली। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ रही है। न्यूज एजैंसी व स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक देखा जाए तो देश में पिदले 24 घंटे में 354 नए कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए है। और इन्ही 24 घंटों में भारत में पांच लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 4421 हो गई है। इनमें 3981 सक्रिय हैं, 325 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। साथ है मौत का आंकड़ा 124 पहुंच चुका है। महाराष्ट्र में 1018 संक्रमित।
मंगलवार, 7 अप्रैल 2020
सोनिया के बयान पर शाह की प्रतिक्रिया
अश्वनी उपाध्याय
नई दिल्ली। पूरे देश में लॉक डाउन का माहौल है, भारत सरकार ने 21 दिनों के लॉक डाउन की घोषणा की है। जिसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोना सोनिया गांधी ने भले ही लॉक डाउन का समर्थन किया है। लेकिन उन्होंने इसके तरीके को गलत माना है। उनका क्या कहना है आइए जानते हैं। दरअसल सोनिया गांधी जी का कहना है, कि लोकतंत्र उड़ी तो था लेकिन इसे लागू गलत तरीके से किया गया है इस अनियोजित लॉक डाउन के कारण प्रवासी मजदूरों का उत्पीड़न हुआ है। जिनकी संख्या लाखों थी लॉक डाउन एक ऐसा प्रोटोकॉल है, जो कि आपातकालीन होता है। इस स्थिति में लोगों के कहीं पर भी आने-जाने पर रोक लगाई गई है। सरकार द्वारा यह प्रतिबंध 21 दिनों के लिए गया है।
आपको बता दें कि साल 2020 में कोरोना वायरस के बचाव के लिए भारत सरकार ने 25 मार्च से 14 अप्रैल तक पूरे देश में लोग कौन किया है। जहां पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वजह से त्राहि मचा हुआ है। वहीं भारत में इसके कारण आए दिन हालात बिगड़ते नजर आते हैं। अभी तो भारत सरकार ने कोरोना वायरस को हराने के उद्देश्य से देशवासियों से यह अपील की है, कि सभी लोग अपने अपने घरों में रहे और कोई भी बाहर ना निकले।
सीएम नीतीश कुमार एवं एवं पीएम नरेंद्र मोदी ने भी 21 दिनों की लॉक डाउन के बाद देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर या अपील की है कि कोरोना वायरस का खतरा आपकी जान ले सकता है। इसीलिए अपने घरों में रहकर सुरक्षित रहें और बाहर निकलते वक्त सावधानी बरतें। अपने हाथों में सैनिटाइज करें। कुछ भी छूने या खाने से पहले अच्छी तरीके से हाथ जरूर धोये। यहा स्थिति ऐसी है कि लॉक डाउन होने के बावजूद भी शहर के लोग नहीं मान रहे हैं। जिसकी वजह से पुलिस को डंडे का सहारा लेना पड़ रहा है। जिस शहर को लॉक डाउन किया जाता है उस शहर में कोई भी व्यक्ति के घर से निकलने पर मनाही होती है एवं उसे स्वयं कों घरों में कैद करना होता है मात्र आवश्यक कार्य के लिए ही लोगों को घर से बाहर निकलने की आज्ञा दी जाती है।
इधर अमित शाह ने सोनिया गांधी के बयान पर तीखा और करारा जवाब देते हुए कहा है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में कोरोना से लड़ने के लिए विश्व स्तर पर प्रशंसा हो रही है। उनके प्रयासों की लोग सराहना कर रहे हैं। अगर 130 करोड़ भारतीय जनता एकजुट है तो फिर कांग्रेस ऐसी राजनीति और विचार क्यों कर रही है उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे समय में पहले सोनिया गांधी जी को अपने देश और राष्ट्रीय हित के बारे में सोचना चाहिए और देश की जनता को गुमराह करना बंद कर देना चाहिए।
आपको बता दें कि लॉक डाउन की वजह से कई जगह ट्रेनों को रोकने की वजह से लोग एवं प्रवासी मजदूर एवं यात्रा करने निकले यात्री लोग भी जगह-जगह देश के कई हिस्सों में फंसे हुए हैं। वह अपने राज्य और अपने शहर लौटने के लिए बहुत ही प्रयास कर रहे हैं। जिन्हें कुछ को तो सरकार ने बसों के द्वारा किसी तरीके से वहां से निकाला। लेकिन अभी भी बिहारी और देश के अन्य हिस्सों से कई जगह के लोग कई जगहों पर फंसे हुए हैं। जिन्हें निकालने के लिए सरकार प्रयास तो कर रही है परंतु लॉक डाउन के दौरान किसी भी व्यक्ति को इस शहर से दूसरे शहर में भेजना खतरनाक साबित हो सकता है। लेकिन इन सबके बावजूद भी सरकार द्वारा उन लोगों को ठहरने का जगह और खाना भी दिया जा रहा है।
97 जमातीयों के खिलाफ मामला दर्ज
शिमला। हिमाचल प्रदेश पुलिस निजामुद्दीन की मरकज की तबलीगी जमात पर में शामिल हुए लोगों के खिलाफ सख्त हो गई है। पुलिस ने जानकारी छुपाने के आरोप में 97 जमातियों के खिलाफ मामले दर्ज कर दिया है। इनमें से अधिकांश ऐसे जमाती हैं जो दिल्ली में मरकज के जलसे में शामिल हुए थे। हिमाचल प्रदेश में वापस आने पर इन्होंने पुलिस और प्रशासन को अपनी यात्रा की जानकारी नहीं दी। मगर जैसे ही जमातियों का मुद्दा गरमाया तो हिमाचल पुलिस ने प्रदेश के विभिन्न भागों से मरकज से लौटे तब्लीगी जमात के 329 सदस्यों को ढूंढ निकाला। इन सभी को क्वारंटाइन कर दिया गया है।
पुलिस के अनुसार ने 14 जमातियों के खिलाफ ऊना जिले में पांच एफआईआर दर्ज की गई हैं। मंडी जिले में सात जमातियों के खिलाफ चार एफआईआर, शिमला में 15 जमातियों के खिलाफ तीन, 45 जमातियों के खिलाफ बद्दी में दो एफआईआर, पांच जमातियों के खिलाफ दो एफआईआर बिलासपुर में, दो जमातियों के खिलाफ दो एफआईआर सिरमौर जिले में, आठ जमातियों के खिलाफ एक एफआईआर चंबा जिले में और एक एफआईआर कांगड़ा जिले में दर्ज की गई है। सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 188, 269, 270 और आपदा प्रबंधन कानून की धारा 51 के तहत यह मामले दर्ज किए हैं।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि 64 जमातियों ने पुलिस और प्रशासन को खुद जानकारी मुहैया करवाई है। इनके कोविड-19 सैंपल लिए गए हैं।
वीसी के माध्यम से अदालती कार्रवाई
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की रूपरेखा तय की है और कहा कि तकनीकी यही रहने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोरोना लॉकडाउन के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालतों के कामकाज के लिए स्वत: संज्ञान लेकर शुरु किए मामले में विभिन्न दिशा-निर्देश पारित किए है। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने निर्देश दिया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के तौर-तरीकों को स्थापित करने के लिए राज्य उच्च न्यायालयों के साथ संपर्क करने और सहयोग करने के लिए एऩआईसी और राज्य के अधिकारियों को नियुक्त किया जाए। हमें केवल तब तक नहीं रुकना चाहिए जब तक कोरोना है। लॉकडाउन के बाद भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जारी रखने की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने टेकनोलॉजी फ्रेंडली और व्यवहार्य विकल्पों को लागू करने की आवश्यकता भी बताई, जो न केवल लॉकडाउन के दौरान, बल्कि बाद में भी जारी रहें। यह कहते हुए कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और इसके तौर-तरीके नियम कानून को सुनिश्चित करने और संविधान को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि कोरोना महामारी के प्रकाश में सोशल डिस्टेंसिंग को लागू करना महत्वपूर्ण है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि सामाजिक दूरियां करने के दिशा-निर्देशों और सर्वश्रेष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य दिशानिर्देशों के लिए उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों द्वारा सभी उपाय किए जाएंगे। उच्च न्यायालयों को सामाजिक दूरी के लिए उपायों को नियुक्त करने के लिए अधिकृत किया जाता है।
24 घंटे में 600 से ज्यादा संक्रमित
नई दिल्ली। कोरोना का कहर लगातार जारी है। पूरी दुनिया में वह 70 हज़ार से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है और 13 लाख लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है। इतनी भयंकर जानलेवा बीमारी जिसका तोड़ अभी तक नहीं मिल पाया है उसे हमारे देश में कुछ लोग पता नहीं क्यों जानबूझकर छुपा रहे या यूं कहिए उसे पाल पोस रहे हैं। भारत में भी कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं। कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 42 सौ पार कर चुकी है जिसमें से 1445 तो अकेले एक जमात है। दिल्ली की मुसीबत भी उसी जमात के लोगों ने और बढ़ा दी है। वहां भी संख्या तेजी से बढ़ रही है। सबसे बुरा हाल महाराष्ट्र का है। कोरोना का कहर सिर्फ भारत में ही नहीं है। ब्रिटेन में भी इस का कहर अब तेजी से बढ़ रहा है। वहां के प्रधानमंत्री खुद इसका शिकार हो चुके हैं और उन्हें आईसीयू में उन्हें भर्ती कराया नया है। भारत में ही पिछले 24 घंटे में सवा 6 सौ से ज्यादा नए मरीज मिले हैं। ये बेहद चिंता की बात है।
अशोक कुमार देश के सर्वश्रेष्ठ आईपीएस
नई दिल्ली। उत्तराखंड पुलिस के पुलिस महानिदेशक (लॉ एंड ऑर्डर) अशोक कुमार को देश का सर्वश्रेष्ठ सक्रिय आईपीएस चुना गया। वर्तमान में देश भर में करीब 4000 आईपीएस अधिकारियों में से सिर्फ 25 को उत्कृष्ट के तौर पर चुना गया है।
फेम इंडिया द्वारा हर वर्ष देश के 25 सर्वश्रेष्ठ आईपीएस की सूची जारी की जाती है। सोमवार को फेम इंडिया ने वर्ष 2020 की सर्वश्रेष्ठ 25 आईपीएस की सूची जारी की। जिसमें 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी और उत्तराखंड के डीजी (कानून एवं व्यवस्था) अशोक कुमार को देश का सर्वश्रेष्ठ सक्रिय आईपीएस चुना गया। फेम इंडिया द्वारा विभिन्न वर्ग में 25 सर्वश्रेष्ठ आईपीएस अधिकारियों का चयन किया गया है। यह चयन देश के 4000 से अधिक आईपीएस अधिकारियों के बीच से किया गया है।असल में फेम इंडिया हर वर्ष देश के ऐसे आईपीएस अधिकारियों का सर्वे करता है जिन्होंने अपने कार्य से समाज में अभूतपूर्व योगदान दिया हो। इस लिस्ट में अधिकारियों का चयन उनकी कार्यशैली, जागरूकता ईमानदारी एवं जनता के बीच उनकी छवि सहित 11 बिंदु शामिल होते हैं। सर्वे के बाद फेम इंडिया द्वारा उत्कृष्ट आईपीएस अधिकारी का चयन किया जाता है।
वर्तमान में देश भर में करीब 4000 आईपीएस अधिकारियों में से सर्वश्रेष्ठ 25 में अपनी जगह बनाना बेहद उल्लेखनीय है। यह सभी आईपीएस अधिकारी अपने उत्कृष्ट सेवा के कारण देशभर में विशिष्ट स्थान रखते हैं। इन सभी अधिकारियों को 25 कैटेगरी में बांटा जाता है और हर कैटेगरी में से एक-एक प्रमुख का नाम उत्कृष्ट आईपीएस की सूची में शामिल किया जाता है। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (लॉ एंड ऑर्डर) अशोक कुमार को देश में सबसे सक्रिय आईपीएस अधिकारी घोषित करने के साथ ही फेम इंडिया की इस लिस्ट में उत्तराखंड का नाम भी शामिल हो गया।
समितियां बनाएगी जिले की व्यवस्था
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि हर जिले में 11 समितियां (Team 11) बनाई जाए। दरअसल राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव व प्रदेश के सभी प्रमुख अफसरों के साथ 11 समितियां बनाई हैं। सीएम की तरफ से निर्देश दिए गए हैं कि अलग-अलग लोगों की समिति जिले में सभी व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करे। इन 11 जिला समितियों द्वरा रोज शासन को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। ये सभी समितियां राज्य मुख्यालय पर बनी समितियों की तर्ज पर ही काम करेंगीं। जिलाधिकारी सभी समितियों के अध्यक्ष तय करेंगे।
राज्य स्तर पर सीएम योगी बना चुके हैं टीम 11
बता दें योगी सरकार ने कोरोना वायरस (COVID-19) के खिलाफ जंग और लॉक डाउन को लेकर प्रदेश के आलाधिकारियों की कुल 11 समितियां (टीम 11) बनाई हैं। ये समितियां लॉकडाउन के दौरान लोगों को जरूरी सामान की आपूर्ति (विशेष रूप से होम डिलिवरी), गरीब, कमजोर और मजदूरों तक सहायता पहुंचाने, लोगों की आवाजाही नियंत्रित करने, मीडिया को सही जानकारी देने के साथ ही कई काम कर रही है। ये समितियां रोजाना रिपोर्ट सीएम कार्यालय को भेजती हैं। इसमें सभी जिलों में कंट्रोल रूम की व्यवस्था, चिकित्सा एवं चिकित्सा शिक्षा विभागों की इकाइयों द्वारा लोगों की सहायता, लोगों से लगातार संवाद और अर्थव्यवस्था पर इस लॉकडाउन से पड़ने वाले प्रभाव के लिए कार्ययोजना तैयार करना शमिल है।
मुख्य सचिव से लेकर सभी प्रमुख अधिकारियों की तय है जिम्मेदारी
एक समिति के अध्यक्ष मुख्य सचिव बनाए गए हैं. उनके साथ अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा व श्रम एवं सेवायोजन के अफसर सदस्य हैं। इस समिति का मुख्य काम होगा भारत सरकार और अन्य राज्य सरकारों से महत्वपूर्ण मुद्दों पर समन्वय स्थापित करना। शिक्षा से जुड़े सभी विभागों और सेवायोजन विभाग के माध्यम से सभी छात्रों व काम करने वाले लोगों को अपनी जगह पर रहने के लिए जागरूक करना।
वहीं दूसरी समिति में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अध्यक्ष होंगे। उनका साथ प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास और श्रम व सेवायोजन देंगे। इस समिति का काम श्रमिकों और अन्य गरीबों को समय से भरण पोषण भत्ते का वितरण सुनिश्चित कराना। प्रदेश की औद्योगिक और व्यावसायिक इकाइयों में काम करने वाले कर्मियों को बंदी के दौरान पूरा वेतन/मानदेय सुनिश्चित कराना। इनसे जुड़ी समस्याओं का शासन व जिला स्तर पर निराकरण कराना होगा। इसी तरह कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में बनी समिति का काम आवश्यक सामग्री और वस्तुएं उपलब्ध करने के लिए जिलों से समन्वय करना। अंतर जिला व जनपदीय परिवहन में आ रही दिक्कतों का निराकरण करना। प्रदेश के जनता को होम डिलिवरी से आवश्यक वस्तुएं पहुंचाने की व्यवस्था देखना। समिति ये भी सुनिश्चित करेगी कि ये वस्तुएं उचित मूल्य पर ही मिलें, इनमें कोई भी कालाबाजारी न हो।
इसी तरह से सरकार ने कुल 11 समितियां बनाई हैं।
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