शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

योगी सरकार में पुलिस व्यवस्था लचर

योगी सरकार में पुलिसिया ब्यवस्था हुई पूरी तरह फेल लोधउर चौकी क्षेत्र बना शराबियों वा जुंआड़िओं का गढ़ पुलिस रोक पाने में असफल


कौशाम्बी! मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने प्रदेश को भ्रष्टाचार अराजकता व शराब मुक्त बनाने के लाखों उपाय अपना रहे हैं! लेकिन उनके ही पुलिस प्रशासन पूरी तरह से लापरवाह होने के कारण कौशाम्बी जिला सुधार होने में कोसों दूर पिपरी थाना के लोधउर चौकी क्षेत्र में इन दिनों शराब व जुंआ जोरों पर चल रहा है! जिससे अराजकता व अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहा है! उस शराब और जुंआ के आदी बने छोटे-छोटे बच्चे लत में पड़कर अपने घर में तो दाग लगा ही रहे हैं! बल्कि दूसरों को भी नुकसान पहुंचाने में पीछे नहीं हटते और दूसरों से गाली गलौज व मार पीट करते रहते हैं! और तो और क्षेत्र में जहरीली जानलेवा स्प्रिट भी खुलेआम बेंची जाती है! लेकिन पुलिस अन्जान बनी हुई है जब कि चौकी से नजदीकी गांवों में अर्से से बिक रही स्प्रिट को रोक पाने में चौकी पुलिस पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है! 


और जुंआ का जिक्र करें तो क्षेत्र में लाखों की सजती है फड़ इस जुंआ में हारे हुए जुंआड़ी को कुछ नहीं सूझता तो वह अपने घर का सामान आदि बेंचते है! और रुपयों की जरुरत लगी तो कहीं न कहीं से कर्जा भी ले लेते हैं जिससे आगे चलकर बिवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है! 


इसकी सिकायत कई बार चौकी इंचार्ज मिश्री लाल चौधरी से किया गया लेकिन वो इन्कार कर दिया और शिकायत कर्ता को ही कानून का पाठ पढ़ाने लगते है! और उनका कहना है कि उनके माँ बाप के संस्कारों का नतीजा है इसमें पुलिस क्या कर सकती है! और अपनी जिम्मेदारी से कतराते रहते हैं जिससे यह साबित होता है कि कहीं न कहीं चौकी पुलिस की संलिप्तता जरूर है! अब सवाल इस बात का है कि क्या नवागत एस, पी अभिनन्दन इस लोधउर चौकी क्षेत्र में बढ़ रहे शराब व जुंआ जैसे अपराध को   रोक पाने में आगे बढ़ेंगे या फिर क्षेत्र में अपराध बढ़ता रहेगा!


रामबाबू केशरवानी पत्रकार


'अमन के दुश्मन' (संपादकीय)

'अमन के दुश्मन'    (संपादकीय)
नागरिकता संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर से राष्ट्रीय सौहार्द में हस्तक्षेप होने का प्रभाव सभी नागरिकों को हो रहा है! नागरिकता विधेयक से सरकार के दोहरे मापदंड वाली मानसिकता का चित्रण अस्तित्व में आया है! समानता के अधिकार के विरुद्ध धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करने का रास्ता निर्मित किया गया है! संवैधानिक मौलिकता के विरुद्ध विधेयक पारित किया गया है! मुस्लिम पक्ष अनदेखी से खफा है, ज्यादातर अज्ञानता वंश भयभीत भी, परंतु ऐसा कुछ नहीं है जिसका भय प्रतीत किया जाए! इस पूरे प्रकरण में राजनीति का वास्तविक चेहरा बेनकाब जरूर हुआ हैै! राष्ट्रीय विकास और निर्माण की नीति के साथ न्यायसंगत रुख अख्तियार नहीं किया गया है! संविधान की मूल भावना के विरुद्ध नियमों का संकलन और लागू करना राष्ट्र हित में नहीं हैै! संविधान के अनुसार यह विधेयक नागरिकता का समर्थन नहीं करता है! बल्कि यह समानता के अधिकार का हनन करने वाला है! मतदाता ध्रुवीकरण को आधार बनाकर राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से यह विधेयक लागू किया गया है! राष्ट्रीय नीति के अभाव के कारण पूर्वोत्तर में विरोध ने हिंसा का रूप धारण कर लिया है! पश्चिम बंगाल में विरोध इससे अधिक भयावह होने के आसार प्रबल हो गए हैं! पश्चिम बंगाल में यह अधिक बुरा असर डाल सकता है! राज्य का संचालन भी प्रभावित कर सकता है!सरकार की यह नीति जनविरोधी है! नागरिकों को संविधान के विरुद्ध चिंतित करने वाला विधेयक सरकार के कल्पित उद्देश्य के स्वरूप को उखेरने का कार्य कर रहा है! राजनीति में स्वार्थ की प्रधानता को आधार बनाकर किए गए कार्य से नागरिकों की शांति भंग हुई है! हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव अधिकार अयोग प्रकरण पर आवश्यक आकलन करेगा! परिणाम के प्रति निर्धारित समय अवधि का अभी निर्धारण नहीं किया गया है!


 राधेश्याम 'निर्भय- पुत्र'


स्मार्ट सिटी पर आधारित डीएम की बैठक

अकांशु उपाध्याय


 गाजियाबाद! जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने कहा कि जनपद में सभी विकास कार्यक्रमों के मूल-भूत इंफ्रास्ट्रक्चर जो विकसित हो चुके हैं, उनके ऊपर जब हम बढ़-चढ़कर और सार्थक प्रयास करेंगे तो स्मार्ट सिटी की कल्पना की जा सकती है। इसके लिए हमें निरंतर प्रयास करने होंगे ताकि हम आमजन को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचा सकें। उन्होंने जनपद को स्मार्ट सिटी बनाए जाने के संबंध में सभी जिला स्तरीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह अपने-अपने विभाग से जनपद को स्मार्ट सिटी की श्रेणी में लाने के लिए अपने-अपने विभाग से विकास कार्यो एवं आम जनता को लाभान्वित करने वाली योजनाओं का डीपीआर तैयार कर लें। उन्होंने नगर आयुक्त को इसके सफल क्रियान्वयन के लिए संयुक्त समिति गठित करने के निर्देश दिए, जिसमें गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, नगर निगम, लोक निर्माण विभाग एवं अन्य विभाग से सदस्य बनाए जाएं, जो निरंतर निगरानी कर सकें। इस अवसर पर उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया कि अस्पतालों को और स्मार्ट बनाने के लिए नए एमआरआई सेंटर की स्थापना, ओपीडी टोकन स्लिप्स आदि जैसे सुविधाओं को  अपने डीपीआर में सम्मिलित कर प्रस्तुत करें। उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक को माध्यमिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए जैसे बिल्डिंग का रख-रखाव, पार्किंग, स्मार्ट क्लास, शौचालय,  सीसीटीवी कैमरा एवं अन्य आधुनिकरण से संबंधित सुविधाओं  के लिए आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किए। उन्होंने जल पूर्ति विभाग एवं नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया कि जहां नालों की टैपिंग का कार्य कराया जाने हैं अथवा जहां नालों में पानी भरा रहता है, उसका प्रस्ताव अपने डीपीआर में जरूर रखें। लोक निर्माण विभाग सड़कों का रख-रखाव, लाइटिंग, फुटपाथ की मरम्मत को अपने प्रस्ताव में रखें। उन्होंने जीडीए को मल्टीलेवल पार्किंग, भूमिगत पार्किंग एवं स्वच्छ पर्यावरण में कोई तलाब चिन्हित कर कार्य शुरू कराने के निर्देश दिए। उन्होंने खेल के मैदान स्टेडियम को भी इस योजना में जोड़ने की बात रखी।
इस अवसर पर नगर आयुक्त, मुख्य विकास अधिकारी ,अपर जिलाधिकारी नगर, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम, जीडीए, डीआईओएस, बीएसए सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित रहे।


पीस पार्टी का विरोध में डीएम को ज्ञापन

 अस्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद! राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर अय्युब सर्जन साहब के आदेश अनुसार गाजियाबाद जिला अध्यक्ष हाजी नाजिम खान के निर्देश पर मौहम्मद असलम सैफी के नेतृत्व में पीस पार्टी ने धरना प्रदर्शन कर के cab का विरोध प्रदर्शन करके जिला अधिकारी महोदय को ज्ञापन दिया।  मौहम्मद असलम सैफी  ने कहा धर्म के नाम पर देश को बांटने की कोशिश करने वालों के मंसूबों को नाकाम करने की पूरी कोशिश करेगे ।


पीस पार्टी सी.ए.बी. के विरोध में आज 12 दिसंबर 2019 को उत्तर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन करने के साथ-साथ जिला गाजियाबाद  जिला मुख्यालय पर भी विशाल धरना प्रदर्शन दिया। जिसमें जिलाधिकारी महोदय के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया।पीस पार्टी ने मांग  कि नागरिकता संशोधन विधेयक बिल जो कि लोकसभा और राज्यसभा में पास हो चुका है, जिसमें धर्म के आधार पर केवल मुसलमानों को छोड़कर सभी गैर मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान है। जो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का स्पष्ट उल्लंघन है। धर्म के आधार पर मुसलमानों को घुसपैठिए और गैर मुस्लिमों को शरणार्थी कहना नैतिकता के विरुद्ध है। देश के विरुद्ध काम करने वाले, दुश्मन देश के लिए जासूसी करने वालों में सभी धर्म के लोग शामिल रहे हैं। धर्म के नाम पर आप किसी को घुसपैठिया और किसी को शरणार्थी नहीं कह सकते जब तक कि उसकी सघन जांच ना हो जाए। पीस पार्टी ने महामहिम राष्ट्रपति से मांग की है कि वर्तमान में पारित नागरिकता संशोधन विधेयक बिल को मंजूरी ना देकर कानून बनने से रोकने की कृपा करें । जिससे राजनीतिक दल अपने मंसूबों में कामयाब ना हो सके और भारत में भाईचारा कायम रहे। , मौहम्मद असलम सैफी जिला महासचिव साहिद सैफी प्रदेश उपाध्यक्ष ,लाल बहादुर उर्फ सर्मा,रहीस अंसारी,वसीम सैफी सहर अध्यक्ष,सोमिन राजा यूवा जिला अध्यक्ष,असलम बाबा,नसीम अलवी फईम खान,सकील अंश अनसारी,अजीम कुरेसी ,इस्लामुदीन,मौनी इदरीसी,सिराजुदीन,इरफान,उस्मान आदि सैकड़ों लोग मौजूद रहे।


जाने क्या है नागरिकता, कैसे मिलती है?

जाने क्या है? नागरिकता कैसे मिलती है ?:-आमिर हुसैन एडवोकेट
  अविनाश श्रीवास्तव


गाजियाबाद! नागरिकता अधिकारों का गट्ठर है, जो व्यक्ति और राज्य के बीच संबंधों को परिभाषित करती है। भारत में मौलिक अधिकारों और कई वैधानिक अधिकारों का उपभोग भारतीय नागरिकता होने पर निर्भर हैं। जन्म और वंश से नागरिकता दुनिया भर के देश नागरिकता की दो अवधारणाओं का पालन करते हैं: 1-'jus soli' (मिट्टी का अधिकार) या जन्मसिद्ध नागरिकता 2-'jus sanguinis' (रक्त का अधिकार) या वंश द्वारा नागरिकता। पहले मॉडल में, माता-पिता की राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना उन सभी को नागरिकता दी जाती है] जो देश की सीमा के भीतर पैदा हुए हैं। दूसरे मॉडल में, जन्म की जगह की परवाह किए बिना, माता-पिता दोनों में से किसी एक या दोनों की राष्ट्रीयता के आधार पर नागरिकता दी जाती है। भारत अपने नागरिकता कानूनों में इन दोनों मॉडलों का उपयोग करता है। संविधान के अनुच्छेद 5 के अनुसार, भारत में रह रहा व्यक्ति भारतीय नागरिक है, यदि: 1- वह भारतीय क्षेत्र में पैदा हुआ है, या 2- उनके माता-पिता में से किसी का जन्म भारतीय क्षेत्र में हुआ हो। तो, जन्म या वंश के साथ जुड़ा अधिवास नागरिकता का मुख्य कारक है। यह ध्यान रखना दिलचस्प होगा कि संविधान के निर्माण के दौरान, कुछ सदस्यों ने धर्म को नागरिकता प्रदान करने के कारक के रूप में शामिल करने का तर्क दिया, लेकिन इस प्रस्ताव को संविधान सभा ने खारिज कर दिया, जिसने भारत को एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य के रूप में परिकल्पित किया था। संविधान में पाकिस्तान से पलायन करने वालों को कुछ शर्तों (अनुच्छेद 6) के आधार पर नागरिकता देने का भी प्रावधान था। संविधान ने यह भी कहा कि नागरिकता पर संसद द्वारा बनाए गए कानून का संविधान के प्रावधानों (अनुच्छेद 11) पर अधिभावी प्रभाव पड़ेगा। 1955 में संसद द्वारा पारित नागरिकता कानून ही वह कानून है। इस कानून में किए गए विभिन्न परिवर्तनों ने भारतीय नागरिकता के 'jus soli' के सिद्धांत को कमजोर कर दिया है। भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के तरीके नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत नागरिकता प्राप्त करने के चार तरीके हैं: 1-जन्म से नागरिकता 2-वंश द्वारा नागरिकता 3-पंजीकरण द्वारा नागरिकता 4-प्राकृतिकिकरण द्वारा नागरिकता। जन्म से नागरिकता (सेक्शन3) नागरिकता अधिनियम की धारा 3 जन्म से नागरिकता से संबंधित है। जब पहली बार 1955 में कानून बनाया गया था, तब इस धारा में कहा गया था कि वे सभी जो 1 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत में पैदा हुए हैं, भारतीय नागरिक होंगे।1986 में इसमें संशोधन किया गया और जन्मजात नागरिकता को उन लोगों तक सीमित किया गयाजो 1 जनवरी, 1950 और 1 जनवरी, 1987 के बीच भारत में पैदा हुए थे। कानून में एक शर्त ये जोड़ी गई कि 1 जनवरी, 1987 के बाद भारत में पैदा हुए लोगों को नागरिकता प्रदान करने के लिए, माता-पिता में से एक को भारतीय नागरिक होना चाहिए। इसने, उन लोगों को, भारत में जिनके दादा-दादी पैदा हुए थे,माता-पिता नहीं, उन्हें 'भारतीय मूल' के दायरे से बाहर रखकर, भी परिभाषा में बदलाव किया। 2003 के संशोधन के बाद जन्मसिद्ध नागरिकता की शर्त को और कठोर कर दिया गया, जिसमें कहा गया कि 3 दिसंबर, 2004 के बाद पैदा हुए वो लोग, जिनके माता-पिता में से एक भारतीय हो और दूसरा अवैध प्रवासी न हो, वे भारतीय नागरिकता के पात्र होंगे। वंश द्वारा नागरिकता (धारा 4) भारत के बाहर पैदा हुआ ऐसा व्यक्ति, जिसके माता-पिता उसके जन्म के समय भारत के नागरिक थे, वंश द्वारा भारत का नागरिक होगा। हालांकि ये एक शर्त के अधीन है कि जन्म के 1 वर्ष के भीतर भारतीय वाणिज्य दूतावास में उसके पंजीयन होना चाहिए, साथ ही एक घोषणा हो कि वह किसी अन्य देश का पासपोर्ट नहीं रखता है। पंजीकरण द्वारा नागरिकता (धारा 5) यह साधन उन विदेशी नागरिकों के लिए भारतीय नागरिकता का द्वार खोलता है, जो विवाह या कुल के माध्यम से भारतीय नागरिक के साथ संबंध रखते हैं। आवेदक को इसके लिए भारत में रहने की निर्धारित अवधि की शर्तों को पूरा करना होता है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसी तरीके से भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी। प्राकृतिकिकरण द्वारा नागरिकता (धारा 6) यह उन व्यक्तियों के लिए भारतीय नागरिकता पान का रास्ता है, जिनका रक्त, मिट्टी या विवाह के माध्यम से भारत के साथ कोई संबंध नहीं है। अधिनियम की तीसरी अनुसूची में प्राकृतिककरण की शर्तों का उल्लेख किया गया है। आवेदक को (अवैध प्रवासी नहीं) आवेदन करने से पहले 12 महीनों तक की अवधि के लिए भारत में अविराम निवास करना चाहिए। 12 महीनों के उक्त अवधि से पहले आवेदक को चौदह वर्ष की अवधि में, कुल 11 साल तक भारत में निवास करना चाहिए। हाल ही में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में प्रवेश किया थ, यह अवधि 11 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष की गई है। पाकिस्तानी गायक अदनान सामी और दलाई लामा ऐसे उदाहरण हैं, जिन्हें धारा 6 के तहत भारत की नागरिकता दी गई है। केंद्र के पास किसी व्यक्ति को, जिसने उसकी राय में विज्ञान, दर्शन, कला, साहित्य, विश्व शांति और मानव प्रगति के क्षेत्र में विशिष्ट सेवा प्रदान की है, नागरिकता प्रदान करने के लिए प्राकृतिककरण की सभी शर्तों को समाप्त करने की शक्ति है। जो लोग पंजीकरण और प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता प्राप्त करते हैं, उन्हें वफादारी की शपथ की घोषणा करनी होती है और उन्हें अपनी पिछली नागरिकता का त्याग करना होता है। के कृष्णा बनाम भारत संघ और अन्य जेटी 2007 (7) एससी 258 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक व्यक्ति प्राकृतिककरण के माध्यम से नागरिकता का दावा नहीं कर सकता है। नागरिकता देना या न देना भारत सरकार की मरजी पर निर्भर है। अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता का अधिकार नहीं एक अवैध प्रवासी को प्राकृतिक तरीके से भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। अधिनियम की धारा 2 (1) (बी) के अनुसार, अवैध प्रवासी एक विदेशी है, जिसने वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया है, या भारत में दस्तावेजों में अनुमत समय अधिक अवधि तक रहा है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए ये शर्त समाप्त कर दी है। 2019 के संशोधन ने धारा 2 (1) (बी) में कहा है कि 31 दिसंबर, 2014 से पहले इन देशों से भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई अवैध प्रवासी नहीं माने जाएंगे। भारतीय नागरिकता खोना एक भारतीय नागरिक तीन तरीकों से अपनी नागरिकता खो सकता है: 1-त्याग, 2-समाप्ति 3-अभाव। त्याग ( सेक्‍शन 8) निर्धारित प्राधिकरण के पास, एक व्यक्ति ये घोषणापत्र देकर कि वो अपनी भारतीय नागरिकता का त्याग कर रहा है, नागरिकता का त्याग कर सकता है। घोषणापत्र देने के बाद, व्यक्ति और उसकी नाबालिग संतान की नागरिकता समाप्त हो जाएगी। हालांकि संतान के पास बालिग होने पर, बा‌लिग होने के एक वर्ष के भीतर संबंधित प्राधिकरण को आवेदन देकर अपनी भारतीय नागरिकता को फिर से शुरू करने का विकल्प होता है। समाप्ति (धारा 9) चूंकि भारतीय कानून दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देता है, इसलिए एक व्यक्ति दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त करते ही भारतीय नागरिक नहीं रह जाता। वंचन ( धारा10) केवल पंजीकरण या प्राकृतिककरण के जरिए प्राप्त की गई है नागरिकता को ही रद्द किया जा सकता है। निम्नलिखित परिस्थितियों में, सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद, केंद्र सरकार किसी व्यक्ति को नागरिकता से वंचित करने का आदेश पारित कर सकती है: 1- पंजीकरण या प्राकृतिककरण का प्रमाण पत्र धोखाधड़ी, गलत बयानी या छिपाव के माध्यम से प्राप्त किया गया था। 2- उस व्यक्ति ने भारत के संविधान के प्रति अरुचि या अप्रसन्नता दिखाई है। 3- व्यक्ति ने युद्ध के दौरान दुश्मन के साथ संवाद किया है। 4- उस व्यक्ति को भारत की नागरिकता प्राप्त करने के पांच साल के भीतर किसी देश में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। 5- व्यक्ति 7 वर्षों की निरंतर अवधि के लिए भारत के बाहर एक साधारण निवासी रहा है (जब तक कि निवास का उद्देश्य अकादमिक या सरकारी सेवा नहीं था)। भारत की विदेशी नागरिकता जैसा कि ऊपर कहा गया है, भारतीय कानून दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है। हालांकि, भारतीय मूल के व्यक्तियों, जिन्होंने विदेशी नागरिकता हासिल कर ली है, की लंबे समय से चली आ रही मांगों के मद्देनजर, भारत की ‌विदेशी नागरिकता की अवधारणा को 2005 में नागरिकता अधिनियम में किए गए के संशोधन में पेश किया गया था। भारतीय मूल के व्यक्तियों को ओसीआई कार्ड प्रदान करने के लिए अधिनियम में धारा 7 ए को डाला गया था। ओसीआई भारत की वास्तविक नागरिकता नहीं है। यह एक स्थिति है, जो कुछ विशेषाधिकार प्रदान करती है, जैसे कि बहु-प्रवेश और बहुउद्देश्यीय दीर्घकालीन वीजा, फॉरेनर्स एक्ट के तहत पंजीकरण से छूट, नॉन रेजिडेंट इंडियन के साथ समानता। हालांकि इसकी कई सीमाएं हैं, जैसेकि ओसीआई धारकों को मतदान का अधिकार नहीं है, संवैधानिक कार्यालयों को रखने का अधिकार नहीं और कृषि संपत्तियों को खरीदने का अधिकार नहीं है


गाजियाबाद में भी विधेयक का विरोध

 तरीकत चौधरी


गाजियाबाद। जमीअत उलमा-ए-हिंद जिला इकाई ने शुक्रवार को नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में कलेक्ट्रेट पर शांतिपूर्वक धरना दिया । केंद्र सरकार ने CAB बिल लाकर संविधान का कत्ल किया है । यह बिल हिंदुस्तान के संविधान के बिल्कुल विरुद्ध है ।


इस सिलसिले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद जिला गाजियाबाद में जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना देकर इस बात की मांग की कि इस बिल को वापस लिया जाए । क्योंकि यह बिल हिंदुस्तान के संविधान के खिलाफ है और मुसलमानों के भी खिलाफ है । जमीयत उलमा-ए-हिंद जिला गाजियाबाद के सदर मौलाना इब्राहिम ने कहा कि केंद्र सरकार को जल्दी ही इस बिल को वापस लेना चाहिए । जमीअत उलमा-ए-हिंद जिला गाजियाबाद के महासचिव मौलाना असद ने कहा कि अगर हुकूमत इस बिल को वापस नहीं लेगी तो  जमीयत उलेमा-ए-हिंद सड़कों पर उतरकर इस बिल का विरोध करेगी 


इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हुकूमत के मुखालिफ नारे लगाए और हाथों में तख्तियां लेकर संविधान बचाओ के नारे भी लगाए । इस दौरान प्रदर्शनकारियों में मौलाना शाबान, सदर जमीअत उलमा ए हिंद तहसील गाजियाबाद कारी तनवीर, मौलाना वासिफ, जमीअत उलमा ए हिंद यूथ क्लब तहसील गाजियाबाद के कन्वीनर  मुफ्ती फुरकान, अख्तर कासमी, कारी मुस्तफा हाफिज मुस्तकीम, कारी इंतजार के अलावा सैकड़ों लोग मौजूद रहे!


बॉयफ्रेंड में दोस्तों संग किया गैंगरेप

पटना! राजधानी में गैंगरेप का मामला सामने आया है! जहां 20 वर्षीय छात्रा के बॉयफ्रेंड ने उसे किसी बहाने से नेहरू नगर इलाके में स्थित अपने दोस्त के फ्लैट पर बुलाया! इस दौरान उसके तीन दोस्त वहां पहले से ही मौजूद थे! इसके बाद चारों ने लड़की के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया!


इस घटना के सामने आने के बाद से ही पटना में कई कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किया और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की! आज छात्र-छात्राओं का हुजूम सड़कों पर उतरा. छात्रों ने गैंगरेप का विरोध करते हुए बीएन कॉलेज के सामने प्रदर्शन किया! पुलिस के मुताबिक पीड़िता के साथ अक्टूबर में भी उसके बॉयफ्रेंड ने ऐसी ही घटना को अंजाम दिया था और उसका वीडियो बनाकर धमकी दी थी. महिला थाने की एसएचओ आरती जायसवाल ने कहा कि पीड़िता की ओर से एफआईआर दर्ज करने के बाद पूरे मामले की जांच की जा रही है. पीड़िता ने जिन लड़कों का नाम बताया उनके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की जा रही है.


पुलिस ने फिलहाल धारा 164 के तहत कोर्ट में महिला का बयान दर्ज कराया है, जहां उसने अपने साथ गैंगरेप की बात कही है. पुलिस सभी आरोपियों के नाम और पता प्राप्त कर उनके घर पर छापेमारी कर रही है!इस पूरे मामले में पुलिस ने एक युवक को हिरासत में भी लिया है, जिसके फ्लैट में इस पूरी घटना को अंजाम दिया गया! गुरुवार को पुलिस ने पीड़ित छात्रा का अस्पताल में मेडिकल जांच भी करवाई, जिसकी रिपोर्ट अब तक नहीं आई है!


जानकारी के मुताबिक घटना 9 दिसंबर की है, जब 20 वर्षीय छात्रा के बॉयफ्रेंड ने उसे किसी बहाने से नेहरू नगर इलाके में स्थित अपने दोस्त के फ्लैट पर बुलाया! इस दौरान उसके तीन दोस्त वहां पहले से ही मौजूद थे! इसके बाद चारों ने लड़की के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया!


नशे को नियंत्रित करने हेतु रणनीति तैयार की जाएं

नशे को नियंत्रित करने हेतु रणनीति तैयार की जाएं  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जिला अधिकारी उमेश मिश्रा एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक ...