मंगलवार, 17 सितंबर 2019

अफगान में ब्लास्ट 24 की मौत 32 घायल

काबुल। अफगानिस्तान के परवान प्रांत में मंगलवार को राष्ट्रपति अशरफ गनी की रैली में हुए आत्मघाती बम धमाके में कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई और 32 लोग घायल हो गए। धमाके के समय गनी वहीं पर मौजूद थे। अस्पताल के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। परवान अस्पताल के निदेशक डॉक्टर अब्दुल कासिम संगिन ने कहा कि मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता नसरत रहीमी ने कहा कि हमलावर मोटरसाइकिल पर आए और रैली स्थल के नजदीक पुलिस चौकी में बम लगाकर धमाका कर दिया। हालांकि गनी को कोई चोट नहीं आई। किसी भी समूह ने अभी तक हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।


बसपा विधायक कांग्रेस में शामिल क्यों

मायावती बताएं कि आखिर हर बार बसपा के विधायक ही कांग्रेस में क्यों शामिल होते हैं? बसपा विधायक राजेन्द्र गुढा ने आरोप लगाया था कि मायावती पैसे लेकर टिकट देंती हैं। मायावती में दम हो तो एमपी में कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस लें। ट्वीट करने से क्या होता है। मायावती अपनी सोच बदलें-सीएम गहलोत। 

जयपुर। राजस्थान में यह दूसरा मौका है, जब बहुजन समाज पार्टी के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। वर्ष 2009 में भी अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को मजबूती देने के लिए बसपा के सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। अब बसपा सुप्रीमो मायावती को बताना चाहिए कि आखिर हर बार उन्हीं की पार्टी के  विधायक  कांग्रेस में शामिल  क्यों होते हैं? एक राजनीतिक पार्टी के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात नहीं हो सकती कि सभी विधायक रातों रात पाला बदल लें। मायावती का दावा रहता है कि उनकी पार्टी दलितों की पार्टी है और पार्टी की एक विचारधारा है। हालांकि राजस्थान में बसपा के विधायक राजेन्द्र गुढा का तो आरोप है कि मायावती और उनके समर्थक पैसा लेकर टिकिट देते हैं। गुढा ने यह बयान कोई एक माह पहले दिया था, लेकिन मायावती ने न तो कोई जवाब दिया और न ही गुढा के खिलाफ कोई कार्यवाही की। क्या बसपा ऐसी ही विचारधारा वाली पार्टी है? क्या मायावती को राजस्थान में ऐसे उम्मीदवार नहीं मिलते तो पार्टी के प्रति वफादार रहें? या फिर राजेन्द्र गुढा के आरोप सही हैं। जब पैसे देकर टिकिट लिया जाएगा, तब विधायक बनने के बाद पैसों की वसूली तो की जाएगी? क्या पैसों के आगे विचारधारा गौण हैं? जो मतदाता मायावती की पार्टी को दलितोंकी पार्टी मान कर वोट देते हैं, उन्हें बसपा विधायकों के पाला बदलने की घटना से सबक लेना चाहिए। बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायक राजेन्द्र गुढा, जोङ्क्षगदर अवाना, लाखन सिंह, दीपचंद खेरिया, संदीप यादव और वाजिब अली को मतदाताओं ने कांग्रेस के खिलाफ वोट देकर जिताया था। अब ये सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। क्या यह मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी नहीं हैं?
एमपी में समर्थन वापसी क्यों नहीं:
राजस्थान की घटना पर मायातवी ने ट्वीट पर कड़ी टिप्पणी की। माया ने कांग्रेस को गैर जिम्मेदार धोखेबाज और दलित विरोधी पार्टी बताया है। सवाल उठता है कि जब मायावती को कांग्रेस से इतनी नाराजगी है तो फिर मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार को समर्थन क्यों दे रखा है? मायावती के समर्थन की वजह से ही एमपी में कमलनाथ की सरकार टिकी हुई है। यदि बसपा विधायक समर्थन वापस ले लें तो कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ जाएगी। एमपी में बहुमत के लिए 115 विधायक चाहिए। कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं, लेकिन 2 बसपा, 1 सपा ने समर्थन दे रखा है। अब यदि मायावती दो विधायक समर्थन वापस ले लें तो कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ जाएगी। लेकिन मायावती को भी पता है कि जब राजस्थान में 6 विधायक पाला बदल सकते हैं, तब एमपी में दो विधायक भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। मायावती अपने विधायकों को अच्छी तरह जानती है। 
गहलोत की दो टूक:
बसपा के सभी छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने और बसपा प्रमुख मायावती के बयान का जवाब देते हुए 17 सितम्बर को मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि अब मायावती को अपनी सोच में बदलाव करना चाहिए। बसपा की विधायक शुरू से ही मेरी सरकार को समर्थन दे रहे थे। अब इन विधायकों ने अपने स्तर पर यह महसूस किया कि उन्हें अपने क्षेत्र के विकास के लिए कांग्रेस में शामिल होना चाहिए। गहलोत ने कहा कि एक समय उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस ने बसपा को बिना शर्त समर्थन दिया था। मैं आज भी इस पक्ष में हंू कि बसपा जैसे राजनीतिक दल कांग्रेस के साथ मिल कर काम करें। उन्होंने कहा कि बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने का असर नवम्बर में होने वाले तीन राज्यों पर कितना पड़ेगा यह आने वाला समय ही बताएगा। मैं इतना कह सकता हंू कि बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने को लेकर कोई सौदेबाजी नहीं हुई, जबकि भाजपा तो मध्यप्रदेश में करोड़ों रुपए का प्रस्ताव कर रही है। भाजपा को बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने पर कोई सवाल करने का अधिकार नहीं क्योंकि कई राज्यों में भाजपा ने अल्पमत में होने के बावजूद भी सरकार का गठन किया है। सब जानते हैं कि इन राज्यों में भाजपा ने किस तरह सरकार बनाई है। 
एस.पी.मित्तल


आने वाले दिन कांग्रेस में मचाएंगे खलबली

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अब सचिन पायलट से भी लिया जा सकता है राजस्थान प्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष का पद। बसपा के सभी 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने पर कांग्रेस संगठन पर ज्यादा असर।
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16 सितम्बर की रात को राजस्थान में बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। 200 में अब कांग्रेस के विधायकों की संख्या 106 हो गई है। इससे अशोक गहलोत की सरकार तो मजबूत होगी, लेकिन ज्यादा असर कांग्रेस संगठन पर पड़ेगा। हो सकता है कि अब डिप्टी सीएम सचिन पायलट से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पद वापस ले लिया जाए। बसपा के 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाने में प्रदेशाध्यक्ष की हैसियत से पायलट की कोई भूमिका नहीं रही। राजनीतिक दृष्टि से यह बड़ी घटना है, लेकिन इसमें प्रदेशाध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं होने से साफ जाहिर है कि राजस्थान में सत्ता और संगठन एक पटरी पर नहीं है। पायलट पहले ही अपनी सरकार के कामकाज को लेकर प्रतिकूल टिप्पणी कर चुके हैं। सूत्रों की माने तो राजस्थान में सता और संगठन में जो कुछ भी हो रहा है उसकी जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को है। सोनिया गांधी चाहती हैं कि जानवरी में होने वाले पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस को सफलता मिले। लेकिन यह तभी संभव है, जब उम्मीदवारों का चयन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सहमति से हो। पायलट प्रदेशाध्यक्ष के पद पर रहते ऐसा संभव नहीं है। असल में मौजूदा परिस्थितियों में पायलट को हटाना जोखिम भरा था, इसलिए पहले सरकार की मजबूती सुनिश्चित की गई। अब जब सरकार पूर्ण रूप से मजबूत हो गई है तो पायलट को हटाने वाला बड़ा फैसला भी किया जा सकता है। 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन गहलोत के पास है। ऐसे में गहलोत को 200 में से 118 विधायकों का समर्थन है। आरएलडी के सुभाष गर्ग पहले से ही गहलोत के साथ हैं। यानि अब अशोक गहलोत संगठन में कोई भी जोखिम ले सकते हैं। जागरुक पाठकों को याद होगा कि विधानसभा चुनाव के अवसर पर गहलोत ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव की हैसियत से बयान दिया था कि राजस्थान में सहयोगी दलों के साथ गठबंधन किया जा सकता है, तब गहलोत ने बसपा की ओर इशारा भी किया था, लेकिन तब प्रदेशाध्यक्ष की हैसियत से पायलट ने गठबंधन को नकार दिया। गहलोत के समर्थक माने जाने वाले सुभाष गर्ग का टिकिट भी भरतपुर से काट दिया गया था, लेकिन गहलोत ने गर्ग को आरएलडी का उम्मीदवार बनवा दिया। सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में कांग्रेस संगठन में खलबली मचाएंगे। देखना होगा कि इन सब हालातों पर पायलट की क्या प्रतिक्रिया होती है। 
एस.पी.मित्तल


जन्मदिन: बुजुर्गों के प्रति सम्मान

मां का सम्मान करने की प्रेरणा भी दी नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर।
गांधी नगर जाकर मां हीरा बा के साथ भोजन किया। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 69वें जन्मदिन पर मां का सम्मान करने की प्रेरणा भी दी है। ऐसा नहीं कि लोग अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करते। लेकिन समाज में उपभोक्तावादी संस्कृति और एकल परिवार की प्रवृत्ति बढऩे से माता-पिता स्वयं को उपेक्षित समझ रहे हैं। जन्मदिन के मौके पर अनेक परिवार किसी रिसोर्ट या होटल में लंच डिनर करने जाते हैं, कुछ लोग अपने माता-पिता को भी साथ ले जाते हैं, लेकिन महानगरों में नौकरी करने वाले बेटे-बहू तो अपने हाल में ही मस्त रहते हैं। कुछ समझदार बहुएं कोरियर से सास-ससुर को गिफ्ट भिजवा देती हैं, ताकि माल के बंटवारे का ख्याल बना रहे। हम सब जानते हैं कि परिवार में बुजुर्गों की स्थिति कैसी है? लेकिन वो लोग भाग्यशाली है जो अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेते हैं। ऐसे लोगों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल है। आज हर क्षेत्र में मोदी को सफलता मिल रही है। भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने का काम कोई छोटा नहीं है। एक समय था, तब चर्चा करने मात्र से आग के गोले भड़क उठते थे, लेकिन मोदी ने 370 को हटा दिया और आज जम्मू-कश्मीर में शांति भी है। ऐसी सफलताओं के पीछे मां हीरा बा का आशीर्वाद भी है। जो लोग अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं उन्हें नरेन्द्र मोदी की तरह अपनी मां का सम्मान करना चाहिए। एक मां के लिए इससे ज्यादा खुशी और क्या हो सकती है कि जन्मदिन के मौके पर बेटा साथ खाना खा रहा है। ऐसे खुशी के माहौल में मां के दिल से जो आशीष निकलेगा उससे और सफलता मिलेगी। जो लोग जन्मदिन के मौके पर सोशल मीडिया में फोटो पोस्ट करते हैं उन्हें प्रधानमंत्री मोदी से प्रेरणा भी लेनी चाहिए। मोदी ने मां के साथ खाना खाते हुए फोटो जारी किया है। यह फोटो अपने आप में बुजुर्गों के प्रति सम्मान करने की प्रेरणा देता है। 
एस.पी.मित्तल


नमो सेना का निशुल्क स्वास्थ्य शिविर

नमो सेना इंडिया का निशुल्‍क स्वास्थ्य शिविर 
मोहित श्रीवास्तव
गाजियाबाद,लोनी। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर देश में विभिन्न संगठन और संस्थाओं के द्वारा विभिन्न तरीके से जन्मदिन मनाया गया। जिसके अंतर्गत नमो सेना इंडिया के द्वारा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। दिल्ली-सहारनपुर रोड स्थित लोनी इंटर कॉलेज के पास संगठन के द्वारा कैंप लगाकर सैकड़ों लोगों की निशुल्क जांच की। संगठन के गाजियाबाद जिला अध्यक्ष एडवोकेट धर्मेंद्र बैसोया ने बताया नमो सेना इंडिया का उद्देश्य स्वास्थ्य, जनसंख्या नियंत्रण, प्रदूषण आदि विषयों पर जागरूकता फैलाना है। डॉ विजय बैसोया एवं सहयोगियों के द्वारा निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण एवं दवा वितरण की। इस अवसर पर क्षेत्र क्षेत्रीय विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कैंप में पहुंचकर संगठन एवं डॉक्टरों की टीम का उत्साह वर्धन किया।  इस अवसर पर कुलदीप सिंह, सचिन बसोया, पिंटू नंबरदार, सुमी बसोया आदि उपस्थित लोगों के द्वारा केक काटकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के जन्मदिन की एक दूसरे को बधाई देते हुए इस आयोजन को सफल बनाया।


दुखी जनता भाजपा को माफ नहीं करेगी

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से आज संविदा पर कार्यरत नर्सिंग स्टाफ ने भेंटकर अपनी परेशानियां बताई। आउटसोर्सिंग कम्पनी अवनी परिधि के माध्यम से कई जनपदों में सीएमओ एवं सीएमएस के अधीन कार्यरत नर्सिंग स्टाफ को सितम्बर 2018 से अब तक कार्य करते हुए 11 महीने से अधिक समय बीच चुका है। इनको अभी तक कोई मानदेय नहीं मिला है। इनको अब सेवा समाप्ति आदेश दे दिया गया है और सिर्फ जून तक उन्हें मानदेय देने की बात की जा रही है। पीड़ित नर्सों ने बताया कि उन सभी ने माह अगस्त 2019 तक कार्य किया है। कोई सुनवाई नहीं होने से वे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उन्होंने सरकार से सेवा बहाली की मांग करते हुए एक ज्ञापन अखिलेश को भी सौंपा। उन्होंने यह भी कहा कि वे दो-दो वर्ष तक सेवारत रही है और अब भुखमरी की शिकार है। अखिलेश यादव ने नर्सिंग स्टाफ के साथ सहानुभूति जताते हुए कहा कि समाजवादी सरकार में पर्याप्त बजट था। भाजपा सरकार में सभी कर्मचारी दुःखी हैं। श्री यादव ने कहा कि बेरोजगारी में लगातार वृद्धि से स्थिति विस्फोटक हो गई है। भाजपा सरकार की यह संवेदनहीनता की पराकष्ठा है। दुःखी और परेशान जनता भाजपा को माफ नहीं करेगी। 
बृजेश केसरवानी


राष्ट्रपति के प्रेस सचिव की तलाश पूर्ण

नई दिल्ली। काफी दिनों से चल रही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नए प्रेस सचिव की तलाश अब पूरी हो गई है। इस पद पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार सिंह को नियुक्त किया गया है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से जारी आधिकारिक आदेश के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अजय कुमार सिंह (55) की नियुक्ति को मंजूरी दी है। उनकी नियुक्ति एक साल के लिए या अगले आदेश तक अनुबंध के आधार पर की गई है।


अजय कुमार सिंह को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने का करीब 30 साल का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1985 में 'टाइम्स ऑफ इंडिया' (लखनऊ) से की थी। बाद में उन्होंने दिल्ली में 'द पॉयनियर' जॉइन कर लिया था। पूर्व में वह 'बिजनेस स्टैंडर्ड' 'स्टार न्यूज' (अब एबीपी न्यूज) और 'न्यूज एक्स' में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।   


'फर्स्टपोस्ट' में एग्जिक्यूटिव एडिटर की भूमिका निभाने से पहले वह 'गवर्नमेंस नाउ' मैगजीन में एडिटर के रूप में काम कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने दोबारा 'गवर्नमेंस नाउ' में डायरेक्टर (एडिटोरियल) के पद पर वापसी की थी और इस साल की शुरुआत में इस मैगजीन का प्रिंट एडिशन बंद होने तक इसी पद पर काम कर रहे थे। यहां वह मैगजीन के अंग्रेजी और मराठी एडिशन की कमान संभाल रहे थे। फिलहाल वे 'फर्स्टपोस्ट' से कंट्रीब्यूटर के तौर पर जुड़े हुए हैं।


पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बृहस्पतिवार को ...