बुधवार, 31 जुलाई 2019

साधारण पत्र:सुप्रीम कोर्ट (संपादकीय)


तो देश के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई साधारण पत्र पर भी संज्ञान लेते हैं। 
उन्नाव केस में एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई। 

31 जुलाई को देश के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि यूपी के बहुचर्चित उन्नाव बलात्कार कांड की पीडि़ता ने 12 जुलाई को जो पत्र लिखा उसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने नहीं दी। जस्टिस गोगोई ने पत्र को विलम्ब से प्रस्तुत करने की जांच के निर्देश भी दिए हैं। गोगोई का कहना रहा कि 30 जुलाई को अखबारों से पता चला कि पीडि़ता ने मुझे भी पत्र लिखा था। जब मैंने अपने कार्यालय से पूछा तो मुझे 30 जुलाई को ही पत्र की जानकारी दी गई। अब जस्टिस गोगोई ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर एक अगस्त को सुनवाई मुकर्रर की है। पीडि़ता ने यह पत्र 28 जुलाई को सड़क हादसे से पहले ही लिख दिया था। इस पत्र में भाजपा विधायक और बलात्कार के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर से सुरक्षा की मांग की गई थी। 12 जुलाई को लिखे पत्र में पीडि़ता ने उसकी हत्या की आशंका जताई थी। आशंका के अनुरूप ही 28 जुलाई को पीडि़ता की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसमें पीडि़ता की चाची और मौसी की तो मृत्यु हो गई, जबकि स्वयं पीडि़ता और उसका वकील गंभीर रूप से जख्मी है। अब इस मामले में सीबीआई भी जांच कर रही है, लेकिन देश के परेशान लोगों के लिए यह अच्छा संदेश है कि प्रधान न्यायाधीश गोगोई साधारण पत्र पर भी संज्ञान लेते हैं। यानि कोई पीडि़त व्यक्ति जस्टिस गोगोई को पत्र लिखेगा तो उस पर कार्यवाही होगी। यह तो सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री विभाग की लापरवाही है जो उन्नाव पीडि़ता का पत्र जस्टिस गोगोई के सामने पेश नहीं किया, यदि 12 जुलाई के बाद ही पत्र को पेश कर दिया जाता तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पीडि़ता की सुरक्षा बढ़ाई जा सकती थी। तब 28 जुलाई वाला हादसा भी नहीं होता। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब एक अगस्त को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट सख्त आदेश दे, ताकि सेंगर जैसे अपराधियों को कड़ा सबक मिल सके। हालांकि सेंगर अभी भी जेल में बंद हैं। लेकिन आरोप है कि जेल के अंदर ही रणनीति बना कर 28 जुलाई को पीडि़ता की कार को ट्रक से कुचलवा दिया। इससे आरोपी की गुंडाई का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि भाजपा ने सेंगर को निलंबित कर दिया है, लेकिन इस घटनाक्रम से यूपी की भाजपा सरकार की भी बदनामी हो रही है। 
एस.पी.मित्तल


तीन तलाक पर बिफरा विपक्ष,सकारात्मक


तीन तलाक पर बिखर गया विपक्ष। 
यह देश के लिए सकारात्मक संदेश है। 
किसी की हार और जीत नहीं देखी जानी चाहिए।

30 जुलाई को तीन तलाक बिल राज्यसभा में भी पास हो गया और अब राष्ट्रपति के आदेश के बाद बिल कानून बन जाएगा। जिस किसी मुस्लिम पुरुष ने एक साथ तीन बार तलाक कह कर अपनी पत्नी को घर से निकाला उसे अब जेल जाना होगा। यह तभी होगा जब उसकी पत्नी या रिश्तेदार पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाए। अनेक मुस्ल्मि महिलाएं इस कानून की लम्बे अर्से से मांग कर रही थीं, लेकिन जो राजनीतिक मुसलमानों के वोट पर जीत कर आते हैं वे लगातार विरोध करते रहे। भाजपा एक मात्र राजनीतिक दल रहा जो तीन तलाक बिल के पक्ष में था। इसे भाजपा की रणनीति ही कहा जाएगा कि राज्यसभा में बहुमत नहीं होते हुए भी बिल को 84 के मुकाबले 99 मतों से पारिज करवा लिया। बिल को स्वीकृत करवाने में अखिलेश यादव की सपा, मायावती की बसपा, शरद पवार की एनसीपी, राहुल गांधी की कांग्रेस, ममता बनर्जी की टीएमसी, लालू प्रसाद की आरजेडी आदि पार्टियों के सांसदों का सहयोग मिला। यदि ये नेता अपने सांसदों को छूट नहीं देते तो 22 सांसद वोटिंग के समय अनुपस्थित नहीं रहते। भाजपा की सहयोगी अन्ना द्रमुक और जेडीयू ने बहिष्कार कर बिल को पास करवाने में मदद की। अब जब तीन तलाक बिल पर कांग्रेस से लेकर एनसीपी तक की पोल खुल गई तो यह माना जाना चाहिए कि यह देश के लिए एक सकारात्मक संदेश है। हर राजनीतिक चाहता है कि मुस्लिम महिलाओं को अधिकार मिले। अब इस मामले में किसी की हार और जीत नहीं तलाशी जानी चाहिए। भले ही भाजपा की रणनीति रही हो, लेकिन बिल को स्वीकृत करवाने में सभी दलों के सांसदों का सहयोग रहा है। इसलिए बिल को पास करवाने के लिए कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों का धन्यवाद किया जाना चाहिए। कुछ मुसलमानों को खुश करने के लिए कांग्रेस के गुलामनबी आजाद जैसे नेताओं ने राज्यसभा में विरोध का दिखावा किया हो, लेकिन ऐसे नेता भी बिल को पास करवाना चाहते थे। आजाद इस समय राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता है। यदि आजाद का सहयोग नहीं होता तो विपक्ष के 22 सांसद अनुपस्थित नहीं रहते। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस बिल से तीन तलाक की पीडि़त महिलाओं को राहत मिलेगी। अब किसी मुल्ला-मौलवी के फतवे से आरोपी बच नहीं पाएगा। मुस्लिम महिला भी आरोपी पति के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा सकेगी। 
एस.पी.मित्तल


ईमानदारी का इससे बड़ा क्या सर्टिफिकेट


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में आईएएस समित शर्मा की प्रशंसा की। 
शर्मा को ईमानदारी का इससे बड़ा सर्टीफिकेट नहीं मिल सकता। 
दबंग मंत्री के दबाव में किया था तबादला।  


एस पी मित्‍तल

जयपुर ! राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 29 जुलाई को विधानसभा में आईएएस अफसर समित शर्मा की जयपुर में प्रशंसा की। बजट पर विपक्षी नेताओं के आरोपों का जवाब देते हुए गहलोत ने कहा कि 2013 में भाजपा की सरकार बनने पर तब के चिकित्सा मंत्री ने नि:शुल्क दवा योजना के प्रभारी आईएएस को बुलाया और कहा कि इस योजना में 150 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। इस अफसर ने कहा कि मैं तो होली-दीवाली मिठाई का डिब्बा भी नहीं लेता हंू। गहलोत ने कहा कि जिस नि:शुल्क दवा योजना की प्रशंसा विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की उस योजना में भाजपा के मंत्री घोटाला तलाश रहे थे। यहां यह उल्लेखनीय है कि गहलोत ने अपने 2009 से 2013 तक के कार्यकाल में प्रदेशभर में नि:शुल्क दवा योजना लागू की थी और इसका प्रभारी आईएएस समित शर्मा को बनाया गया था। शर्मा ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एमडी और स्वास्थ्य सचिव के पद पर रहते हुए जैनेरिक दवाओं का चलन भी बढ़ाया। गहलोत को भी पता है कि समित शर्मा की मेहनत से ही प्रदेश में नि:शुल्क दवा योजना सफल हुई। यही वजह रही कि गहलोत ने अपनी योजना के साथ साथ समित शर्मा की भी प्रशंसा की। शर्मा की यह प्रशंसा इसलिए भी मायने रखती है कि पिछले दिनों ही एक दबंग मंत्री के दबाव की वजह से शर्मा का चिकित्सा सचिव और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एमडी के पद से हटाया गया था। इस समय शर्मा श्रम आयुक्त और कौशल एवं आजीविका विकास निगम के एमडी के पद पर नियुक्त हैं। जिन हालातों में शर्मा को हटाया उससे वे भी मायूस रहे, लेकिन अब मुख्यमंत्री ने शर्मा की जोरदार हौंसला अफजाई कर दी है। दबंग मंत्री कुछ भी कहें, लेकिन मुख्यमंत्री ने दर्शा दिया है कि समित शर्मा आज भी उनकी नजर में बेहद ईमानदार आईएएस हैं। शर्मा के लिए ईमानदारी और मेहनत का इससे बड़ा सर्टीफिकेट नहीं हो सकता। एक तरह से मुख्यमंत्री ने अपने मंत्री को भी संकेत दे दिए हैं। गहलोत उन मुख्यमंत्रियों में से है जो समय आने पर सबका हिसाब चुकता करते हैं। यदि शर्मा को राजनीतिक दबाव से हटाया भी तो अब विधानसभा में भरपाई कर दी।


मुर्गी अंडे देती है (शिक्षाप्रद)

मुर्गी अंडे दे रही थी और मालिक बेंच रहा था। 
मुर्गी देशहित में अंडे दे रही थी।
उसके मालिक ने कहा था-
'' आज राष्ट्र को तुम्हारे अंडों की जरूरत है। 
यदि तुम चाहती हो कि तुम्हारा घर सोने का बन जाये तो जम के अंडे दिया करो। आज तक तुमसे अंडे तो लिये गये लेकिन तुम्हारा घर किसी ने सोने का नही बनवाया। हम करेंगे। तुम्हारा विकास करके छोड़ेंगे।''
मुर्गी खुशी से नाचने लगी। 
उसने सोचा देश को मेरी भी जरूरत पड़ती है। 
वाह मैं एक क्या कल से दो अंडे दूंगी। 
देश है तो मैं हूं। 
वह दो अंडे देने लगी।
मालिक खुश था। 
अंडे बेचकर खूब पैसे कमा रहा था। 
मालिक निहायत लालची सेठ था।
उसने मुर्गी की खुराक कम कर दी। 
मुर्गी चौंकी। -'' आज मुझे पर्याप्त खुराक नहीं दी गई। कोई समस्या है क्या ?'' 
-'' देश आज संकट में है। किसी भी मुर्गी को पूरा अन्न खाने का हक नहीं। जब तक एक भी मुर्गी भूखी है मैं खुद पूरा आहार नहीं लूंगी। हम देश के लिए संकट सहेंगे।'' 
मुर्गी आधा पेट खाकर अंडे देने लगी। मालिक अंडे बेचकर अपना घर भर रहा था। 
बरसात में मुर्गी का घर नहीं बन पाया। 
मुर्गी बोली- आप मेरे सारे अंडे ले रहे हैं। मुझे आधा पेट खाने को दे रहे है। कहा था कि घर सोने का बनेगा। नहीं बना। मेरे घर की मरम्मत तो करवा दो। 
मालिक भावुक हो गया। 
बोला "तुमने कभी सोचा है इस देश में कितनी मुर्गियां हैं जिनके सर पर छत नहीं हैं। रात-रात भर रोती रहती हैं। तुम्हें अपनी पड़ी है। तुम्हें देश के बारे में सोचना चाहिए। अपने लिए सोचना तो स्वार्थ है।''
मुर्गी चुप हो गई। देशहित में मौन रहने में ही उसने भलाई समझी।
अब वह अंडे नहीं दे पा रही थी।
कमजोर हो गई थी। 
न खाने का ठिकाना न रहने का।
वह बोलना चाहती थी लेकिन भयभीत थी। 
वह पूछना चाहती थी-
"इतने पैसे जो जमा कर रहे हो- वह क्यों और किसके लिए?
देशहित में कितना लगाया है?"
लेकिन पूछ नहीं पाई।
एक दिन मालिक आया और बोला- '' मेरी प्यारी मुर्गी तुझे देशहित में मरना पड़ेगा। देश तुमसे बलिदान मांग रहा है। तुम्हारी मौत हजारों मुर्गियों को जीवन देगा।'' 
 मुर्गी बोली "लेकिन मालिक मैने तो देश के लिय बहुत कुछ किया है,"
मालिक ने कहा अब तुम्हे शहीद होने पड़ेगा। 
बेचारी मुर्गी को अब सब कुछ समझ आ गया था
लेकिन अब वक्त जा चुका था और मुर्गी कमज़ोर हो चुकी थी, मालिक ने मुर्गी को बेच दिया।
मुर्गी किसी बड़े भूखे सेठ के पेट का भोजन बन चुकी थी।
मुर्गी देशहित में शहीद हो गई.


(नोट-जो आप सोच रहे हैं ऐसा बिल्कुल भी नही है। 
ये सिर्फ एक मुर्गी की कहानी है।
युवा बेरोजगारों, किसानों ,मध्यवर्गीय नागरिकों, मजदूरों,गरीबों , कर्मचारियों को और अधिक उन्मादी होकर राष्ट्रभक्ति में बिना चू चप्पड़ किये देशी नेताओ और कॉरपोरेट्स की तिजोरी भरना महान राष्ट्रभक्ति और युगधर्म की कसौटी है। इसपर चलते रहें


प्रशासनिक आश्वासन के बाद तोड़ा अनशन

संवाददाता-विवेक चौबे


गढ़वा ! जिले के कांडी अंचल कार्यालय के समक्ष पिछले तीन दिनों से अपनी मांगों के समर्थन में अनसन पर बैठे चोका निवासी- कृष्ण मोहन दुबे व निर्मला कुंवर ने अनसन समाप्त किया।प्रशासनिक अधिकारी अपर समाहर्ता-प्रवीण कुमार गगरई ने दोनों अनसनकारीयों को अपने हाथों से जूस पिलाकर, अनसन समाप्त कराया।वहीँ एसी व सीओ ने अनसन कारी को लिखित आश्वासन भी दिया कि एक सप्ताह के अंदर आपकी समस्या को दूर कर दिया जाएगा। वहीँ प्रखण्ड विकास पदाधिकारी-गुलाम समदानी ने अनसनकारी को आश्वासन दिया कि आपकी माँ के नाम पर एक यूनिट बाबा भीमराव आवास  की स्वीकृति दी जाएगी ।दस दिनों के अंदर बैंक खाते में पहली किस्त भेज दी जाएगी।अनसनकारी कृष्ण मोहन दुबे ने पदाधिकारियों से यह भी जानना चाहा कि यह एक सप्ताह का दिया गया भरोशा टूट तो नही जाएगा,न ।पदाधिकारियों ने पूर्ण विश्वाश देते हुए कहा कि सरकारी काम मे थोड़ा समय लगता ही हैं।आप प्रशासन व पदाधिकारी पर भरोशा करें।बिदित हो कि पिछले तीन दिनों से चोका निवासी-कृष्ण मोहन दुबे ने अपनी रैयती जमीन से अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए आमरण अनसन पर थे।
बताते चलें की आख़िरकार कांडी प्रखंड के लोगो को न्याय पाने के लिए विवश होकर अनसन पर क्यों बैठना पड़ रहा है।पत्रकारों के पूछे जाने पर एसी-प्रवीण कुमार गगरई ने कहा कि यह सब प्रशासन की कमी है।मौके पर-प्रखण्ड प्रमुख प्रतिनिधि-सत्येंद्र कुमार पाण्डेय उर्फ़ पिंकू पाण्डेय, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी-गुलाम समदानी,अंचलाधिकारी-राकेश सहाय,बीस सुत्री अध्यक्ष -रामलाला दुबे,राम लखन प्रसाद ,मुखिया-विनोद प्रसाद सहित काफी संख्या में लोग उपास्थित थे।


नशे से बचाने के लिए अभियान:गौतमबुध नगर

स्कूली बच्चों को नशे की लत से बचाने के लिए संबंधित अधिकारियों द्वारा चलाया जाए विशेष जागरूकता अभियान


शिक्षण संस्थाओं के आसपास तंबाकू की बिक्री पर अंकुश लगाने की विभागीय अधिकारियों के द्वारा की जाए कार्यवाही


डीएम बीएन सिंह ने अपने कैंप ऑफिस नोएडा के सभागार में तंबाकू नियंत्रण अभियान के अंतर्गत की महत्वपूर्ण बैठक, अधिकारियों को दिए आवश्यक दिशा निर्देश !


गौतमबुध नगर ! जिलाधिकारी बीएन सिंह ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में पढ़ने वाले बच्चे देश का भविष्य हैं। अतः सभी शिक्षण संस्थाओं में स्कूली बच्चों को नशे की लत से बचाने के उद्देश्य से संबंधित विभागीय अधिकारियों द्वारा बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान संचालित किए जाएं ताकि शासन की मंशा के अनुरूप जनपद में तंबाकू नियंत्रण अभियान क्रियान्वित हो सके। जिलाधिकारी अपने कैंप ऑफिस नोएडा के सभागार में जिला स्तरीय समिति की बैठक में अध्यक्षता करते हुए संबंधित विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्कूल कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को नशे की लत से बचाने में तमाकू नियंत्रण अभियान की अहम भूमिका है। अतः सभी संबंधित अधिकारी गणों के माध्यम से जनपद के शिक्षण संस्थाओं में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान संचालित किया जाए ताकि स्कूली बच्चों को नशे की लत से बचाया जा सके। इस संबंध में जिलाधिकारी ने झुग्गी झोपड़ियों में जागरूकता अभियान संचालित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि संबंधित विभागीय अधिकारियों द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए जनपद के सभी शिक्षण संस्थानों के आसपास तमाकू बिक्री पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए और यदि कोई भी व्यक्ति शिक्षण संस्थाओं के आसपास तंबाकू की बिक्री करते हुए पाए जाएं तो उनके विरुद्ध तमाकू अधिनियम के अंतर्गत जुर्माना आदि कार्रवाई संबंधित अधिकारियों पुलिस के अधिकारियों द्वारा सुनिश्चित की जाए। जिलाधिकारी ने नगर मजिस्ट्रेट एवं क्षेत्राधिकारी पुलिस का भी मीटिंग में आह्वान करते हुए कहा कि उनके द्वारा हुक्का बार एवं ई सिगरेट के संदर्भ में निरंतर रूप से कार्रवाई सुनिश्चित की जाए ताकि युवा पीढ़ी को नशे की लत से बचाया जा सके और शासन के तंबाकू नियंत्रण अभियान का लाभ जनसामान्य को प्राप्त हो सके। आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में नगर मजिस्ट्रेट नोएडा शैलेंद्र कुमार मिश्र क्षेत्राधिकारी पुलिस स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गण तथा अन्य अधिकारियों के द्वारा भाग लिया गया। राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी गौतम बुद्ध नगर।


एसीबी ने रिश्वत लेते एएसआई किया गिरफ्तार

एसीबी ने एएसआई 35 सौ रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया


नीमकाथाना। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) मुख्यालय स्पेशल यूनिट में बुधवार को कार्यवाही करते हुए सीकर जिले के पाटन पुलिस थाने में कार्यरत एएसआई अशोक कुमार रेगर को 35 सौ रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया।


भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अतिरिक्त महानिदेशक श्री सौरव श्रीवास्तव ने बताया कि परिवादी ने पाटन पुलिस थाने में 18 जुलाई को मारपीट का मुकदमा दर्ज करवाया था जिस पर सामने वाली पार्टी ने भी क्रॉस मुकदमा दर्ज करवा दिया।उक्त मुकदमें में से परिवादी की लड़की का नाम हटाने की एवज में एएसआई अशोक कुमार रैगर परिवादी से 5 हजार रुपए की रिश्वत की राशि की मांग कर रहा था। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अतिरिक्त अधीक्षक पुलिस स्पेशल यूनिट जयपुर श्री हेमाराम चौधरी के नेतृत्व में उक्त मांग का सत्यापन करवाया गया ।सत्यापन के दौरान एएसआई ने 15 सौ रुपए की रिश्वत ली। एवं आज ट्रैप कार्रवाई के दौरान एएसआई अशोक कुमार रेगर को 35 सौ रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया रिश्वत की यह राशि आरोपी की पहनी हुई पेंट की जेब  से बरामद की गई एवं अग्रिम कार्रवाई जारी।


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...