रविवार, 28 अप्रैल 2019

साध्वी के अभियान पर हेमंत की बेटी ने तोड़ी चुप्पी

साध्वी के बयान पर हेमंत की बेटी ने तोड़ी चुप्पी


महाराष्ट्र ! मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने जिस तरह से मुंबई हमले में शहीद हेमंत करकरे को लेकर विवादित बयान दिया था, उसके बाद आखिरकार करकरे की बेटी ने चुप्पी तोड़ी है। करकरे के शहीद होने के 11 साल के बाद उनकी बेटी का कहना है कि वह चाहती है कि हर कोई इस बात को याद रखे मेरे पिता मरते वक्त भी अपने शहर और अपने देश को बचा रहे थे, उन्होंने अपनी ड्यूटी को परिवार और अपनी जिंदगी से ज्यादा महत्ता दी।


हेमंत करकरे की बेटी जुई नवारे का कहना है कि उसने मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी और भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का बयान पढ़ा है जिस तरह से उन्होंने मेरे पिता को लेकर कहा है। मैं उनके बयान की वजह से उनकी चर्चा करके उनका कद नहीं पद नहीं बढ़ाना चाहती हूं। मैं सिर्फ हेमंत करकरे के बारे में बात करना चाहती हूं, वह मेरे लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं उनका नाम सम्मान के साथ लेना चाहिए।


नवारे ने कहा कि उनके पिता ने सिखाया था कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता है, कोई भी धर्म किसी को मारना नहीं सिखाता है, वह इस विचारधारा को हराना चाहते थे। अपने जीवन में उन्होंने हर किसी की मदद की। मरते वक्त भी वह अपने शहर और देश को बचाने में लगे थे। वह अपनी वर्दी को बहुत प्यार करते थे, वह अपनी जान से ज्यादा अपनी ड्यूटी को निभाने पर विश्वास रखते थे, मैं चाहती हूं कि लोग उन्हें इसी तरह से याद रखें।


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तेजस्वी ने मोदी को बताया कागजी पिछड़ा

तेजस्वी  ने मोदी को बताया कागज़ी पिछड़ा


बिहार में लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान पक्ष-विपक्ष में वार-पलटवार लगातार जारी है। ताजा मामला बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले का है। तेजस्‍वी ने ट्वीट कर नरेंद्र मोदी को कागजी पिछड़ा करार दिया है।प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, ''मैंने 20 अप्रैल को ही कह दिया था कि अपने आप को नकली ओबीसी बताने के बाद नरेंद्र मोदी अब अति पिछड़ा बताएंगे। कल उन्होंने बता भी दिया। वे अपने आप को दलित भी बता चुके है। कुछ भी कहें, लेकिन सच्चाई यह है कि वे जन्मजात अगड़े हैं और कागज़ी पिछड़े।वोट लेने के लिए वे क्या-क्या बोलते हैं?'


विदित हो कि लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ लगातार हमलावर हैं। वे केंद्र व राज्‍यसरकारों की नीतियों की आलोचना के साथ-साथ अपने पिता व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को साजिश के तहत फंसाकर लोकसभा चुनाव से दूर रखने की बात कह 'इमोशनल कार्ड' भी खेलते दिख रहे हैं।universalexpress.page


गिरगिट की तरह बदलते चुनावी मुद्दे

गिरगिट की तरह बदलते चुनावी मुद्दे


लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव के दौरान राजनीत का जो परिदृश्य हो जाता है उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है।चुनाव शुरू होते ही समय के साथ साथ चुनावी मुद्दे भी बरसाती मेंढक की तरह रंग बदलने लगते हैं। कहावत है कि-" जो रोगी के मन भावे वैद्य वही बात बतावे"। बिल्कुल इसी कहावत की तरह ही हमारे यहां जब चुनाव का समय आता है तो हमारे राजनेता भी वही बात करते हैं जो मतदाताओं के मन को लुभावने वाली होती है। आजकल चल रहे लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी मुद्दे गिरगिट की तरह रंग बदलते जा रहे हैं और पुराने मुद्दे पीछे छूटते और नए मुद्दे चुनावी महा समर में सामने आते एवं जुड़ते जा रहे हैं। चुनाव शुरू होने के पहले सरकार की योजनाओं के जो तमाम कार्य चुनावी मुद्दे बनने की चर्चा थी वह सब पीछे हटते और नए नए मुद्दे उभर सामने आने लगे है चाहे वह नोटबंदी जीएसटी राम मंदिर या फिर पुलवामा हमले की बात हो चाहे वह इस हमले के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक हो। चुनाव शुरू होते ही पुराने मुद्दे पीछे और नए मुद्दे चुनावी रंगमंच की शोभा बढ़ाने लगे हैं और राम हनुमान की चर्चा पीछे हो गई है और उत्तर प्रदेश की राजनीति में गाय के बाद उनके वंश सांड चुनावी महासंग्राम में शामिल होने लगे हैं। आजकल विपक्ष सरकार के सारे पुराने मुद्दों को भुला कर सांड की सवारी कर चुनाव वैतरणी को पार करने की जुगत में जुड़ गया है और शेष बचे चुनावी चरणों के लिए सांड का सहारा लिया जाने लगा है। यह पहला अवसर है जबकि गो लोक से आई मानी जाने वाली गौ माता के कमाऊं बछड़े रूपी कमाकर खिलाने वाले सुपुत्र आवारा पशु कहे जाने लगे हैं। एक समय वह भी था जब की कहावत कही जाती थी कि-" या धन बाढ़ है नदी के काछा या धन वाढ़ै है गऊ के बाछा"। लेकिन आदिकाल से चली आ रही यह पुरानी कहावत समाप्त हो गई है और लोग गऊ के बछड़े को आवारा नक्कारा हरामखोर समझकर उसे अपने से दूर करने लगे हैं। आवारा पशुओं की समस्या पैदा करने में किसानों मजदूरों गांव वालों को मात्र बदनाम किया जा रहा है जबकि जो आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं वह साधारण गांव घरों में पलने वाले पशु नहीं हैं बल्कि उच्च प्रजाति के यह बछड़े हैं और अधिकांश धन कमाने की आड़ में सरकारी मदद लेकर खोले गए गौशालाओं से जुड़े हैं। इस समय चुनाव में अब तक किसानों मजदूरों की हमदर्दी लेने के मुद्दे बने हुए थे लेकिन इधर तो इन बछड़ो को चुनावी सभाओं और रैलियों मैं खदेड़ कर इनका उपयोग किया जाने लगा है। अभी दो-तीन दिन पहले इटावा में और मैनपुरी में महागठबंधन की हुई जनसभाओं में इन बेचारे समय के मारे बछड़ा यानी साड़ का इस्तेमाल करके इन्हें चुनावी मुद्दा बना दिया गया है। इस समय महागठबंधन अखिलेश हो या बहन मायावती जी हो दोनों साड़ को मुद्दा बनाकर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास कर मतदाताओं का दिल जीतने में जुटे हुए हैं और दोनों सुप्रीमो का चुनावी राजनैतिक आरोप है कि भाजपा के यह सांड जानबूझकर उनकी जनसभाओं में उत्पात मचाने के लिए भेज जा रही हैं जबकि सत्ता दल भाजपा कहती है यह तो पशु हैं कहीं भी जा सकते हैं। कुछ भी हो आगामी लोकसभा चुनाव के महाभारत में सांड को जोड़कर मतदाताओं को उकसाने एवं लुभाने का कार्य शुरू हो गया है। कांग्रेस की सुपर स्टार एवं पार्टी की भविष्य मानी जाने वाली प्रियंका गांधी ने तो राजनीति में कदम रखते ही उत्तर प्रदेश के अपने दौरों के दौरान आवारा पशुओं का मामला उठा कर मतदाताओं की सहानुभूति लेने का दौर शुरू कर दिया था। आज वही आवारा पशु यानी साड़ प्रदेश के शेष बचे चुनाव जीतने के लिये चुनावी नैया के खेवनहार बनते जा रहे हैं।universalexpress.page
भोलानाथ मिश्र


लखनऊ में दुकानदार पर फायरिंग

लखनऊ में दुकानदार पर फायरिंग, पुलिस नहीं दर्ज कर रही केस


लखनऊ ! इब्राहिम पुत्र शमीम अहमद नाम के एक शख्स जो कि आजमगढ़ के रहने वाले हैं ने अपने नंबर 9628226633 से फोन करके बताया कि कुछ राइट विंग के 6-7 भगवाधारी लड़के उनकी दुकान पर आए, तीन-चार दुकान के अंदर और 2-3 बाहर रुक गए। उन्होंने कहा कि आइसक्रीम चाहिए, लड़के ने पूछा कौन सी तो इतने में तमंचा लोड करने लगे तो यह देख दुकान पर मौजूद लड़के जान बचाकर अंदर भागे। इतने में उन्होंने फायर कर दिया। कुछ छर्रे लड़को को लगे और कुछ दुकान में। उसके बाद दुकान में तोड़-फोड़ की और कुछ सामान भी उठाकर ले गए। यह घटना सेक्टर चार विकास नगर, निकट केके पैलेस मैरेज हाॅल लखनऊ के पास हुई है। उन्होंने डायल 100 पर काॅल किया, विकास नगर थाने में तहरीर दी पर अब तक पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं किया। पुलिस चुनाव और लाॅ एण्ड आर्डर का तर्क देकर एफआईआर दर्ज नहीं करने को कह रहे हैं। जबकि सीसीटीवी कैमरा वहां है। इस घटना में इब्राहिम का भाई मोहम्मद सारिक और मोहम्मद इस्माइल और एक अन्य लड़का घायल है। अब तक न उनका मेडिकल कराया गया है न ही कोई प्राथमिक उपचार कराया गया है। पुलिस उन्हें थाने पर बैठाए है और एफआईआर दर्ज नहीं करने का दबाव बना रही है।इस गंभीर मामले का संज्ञान लेते हुए तत्काल उचित कार्रवाई सुनिष्चित की जाए ताकि पीड़ित पक्ष को न्याय मिल सके!universalexpress.page


राजीव यादव



छेड़छाड़ के आरोपी को 1 वर्ष सश्रम कारावास

छेड़छाड़ के आरोपी को एक वर्ष सश्रम कारावास 


 


अविनाश द्विवेदी!


भिण्ड ! जिले के मेहगांव न्यायालय द्वारा छेड़छाड़ के आरोपी को एक साल की सजा सुनाई गई है साथ ही 400 रुपये का जुर्माना भी आरोपी पर लगाया गया है। न्यायाधीश संध्या गर्ग द्वारा घर में घुसकर महिला के साथ छेड़छाड़ को गम्भीर अपराध मानते हुए आरोपी रामा उर्फ रामशंकर दर्जी को यह सजा सुनाई गई है। दरअसल गोरमी थाना क्षेत्र के दौनीयापुरा गांव में 31 मई 2015 को मामला प्रकाश में आया था


 


जट के बाद, संकट में पवन हंस

जेट के बाद , संकट में पवनहंस


भारत ! इन दिनों एयरलाइंस सेक्टर के दिन कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं। किंगफिशर और जेट एयरवेज के बाद अब पवनहंस हेलिकॉप्टर कंपनी पर भी भयंकर आर्थिक संकट मंडरा रहा है। कंपनी की आर्थिक खस्ताहाली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके पास अपने कर्मचारियों को सैलरी तक देने के लिए पैसे नहीं है। पवनहंस ने बयान जारी कर कहा है कि 2018-19 में उसे करीब 89 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। करोड़ों का कर्ज भी है। ऐसे में वो अपने कर्मचारियों को अप्रैल की सैलरी देने की हालत में नहीं है।


खाध-आपूर्ति विभाग में गेहूं चोरी का मामला

खाद्य-आपूर्ति विभाग में गेंहू चोरी का मामला 


करनाल! अब पता चला कि समझौता भी हो गया। इसमें कईं सवाल खड़े हो गए जिनके जवाब खाद्य-आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के पास नहीं हैं। तभी वो फोन नहीं उठाते ओर न ही किये गए मैसेज का जवाब देना ठीक समझते। अब यदि खाद्य-आपूर्ति विभाग का इंस्पैक्टर जसवीर ओर अन्य अधिकारी बिल्कुल ही पाक-साफ थे तो समझौता क्यो किया ? गेंहूँ कम था तो उसे पूरा क्या पानी से गिला कर किया गया ? या ऐसा कोई धर्म-कांटा है जहाँ कम हुआ गेंहूँ पूरा हो जाये तुलवाया गया ? क्या चंडीगढ़ में बैठे विभाग के ए सी एस से लेकर नीचे इन्सपैक्टर तक सभी भ्र्ष्टाचार में संलिप्त हैं ? जो कि गेंहूँ निकाला जा रहा है और वो उन्हें धृतराष्ट्र की तरह दिखाई नहीं दे रहा। आज के समय मे संजय तो है नहीं जो उन्हें वृतांत सुनाए पर कैमरे से जो दिखाई और सुनाई दे रहा है। उसके बाद भी चंडीगढ़ से लेकर करनाल तक के अफसर खामोश क्यों ? अब सभी चौकीदार कहाँ हैं। ओर क्यों चुप हैं ? सभी सवालों का पूरे विभाग के पास अब कोई जवाब नहीं। सभी ने अब मैं चुप रहूंगी कि फ़िल्म देख ली है। लाम्बा अनिल universalexpress.page


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  1. अंक-374, (वर्ष-11) पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254 2. शुक्रवार, दिसंबर 27, 2024 3. शक-1945, पौष, कृष्ण-पक्ष, त...