नए कानूनों के केंद्र में नागरिक प्रथम की भावना
राणा ओबरॉय
नई दिल्ली/चंडीगढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि नए कानूनों के केंद्र में नागरिक प्रथम की भावना है। मोदी यहाँ भारतीय भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित करने के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि नए कानून बनाने की जरूरत इसलिए समझी गई। क्योंकि, पुराने कानून अंग्रेजों के समय व अंग्रेजी शासन की जरूरत के अनुसार और भारत पर अपना शिकंजा बनाए रखने के लिए बनाए गए थे। मोदी ने कहा कि 1857 में पहले स्वाधीनता संग्राम, जिससे अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला दी थीं, के तीन साल बाद अंग्रेजी हुकूमत ने 1860 में भारतीय दंड संहिता बनाई उसके बाद एविडेंस ऐक्ट और अपराध प्रक्रिया संहिता आई।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भी हमारे कानून उसी दंड संहिता के इर्दगिर्द मंडराते रहे। समय-समय पर इन कानूनों में छोटे-मोटे सुधार होते रहे लेकिन इनका चरित्र वही बना रहा। इसीलिए नए कानून लाने का प्रस्ताव चार साल पहले लाया गया ताकि देश को औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकाला जाएं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले गरीब और कमजोर व्यक्ति पुलिस थाने या कचहरी जाने से डरता था, अब ऐसा नहीं होगा। हर पीड़ित व्यक्ति के प्रति कानून संवेदनशील है। उन्होंने यह भी कहा कि तारीख पर तारीख का समय अब खत्म हो चुका है और पीड़ित को अब त्वरित न्याय मिलेगा। उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा महिलाओं के खिलाफ बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के मामले में प्रथम सुनवाई के आठ दिनों के भीतर आरोप तय करने होंगे। सुनवाई पूरी होने के बाद 45 दिन के भीतर फैसला सुनाया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नए कानूनों का फोकस दंड पर न होकर न्याय पर है। उन्होंने कहा कि आरोपियों को गिरफ्तार करने से पूर्व पुलिस को परिजनों को सूचित करना होगा। तीन साल से कम सज़ा वाले अपराधों में उच्चाधिकारी की अनुमति के बिना गिरफ़्तारी नहीं होगी। जमानत के प्रावधान होंगे। पहली बार अपराध करने वालों के प्रति भी न्याय संहिता संवेदनशील होगी। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के तहत डिजिटल एविडेन्स मान्य होगा। गवाही की वीडियोग्राफी होगी। उन्होंने कहा कि नए कानूनों से आतंकवाद का मुकाबला करने में भी मदद मिलेंगी। मामलों का निबटारा समय से किए जाने के कारण अपराधी फैसले होने में लगने वाली देरी के कारण या कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलताओं का फायदा नहीं ले सकेंगे।