मंगलवार, 8 अक्तूबर 2024

सीएम योगी ने 'भाजपा' की जीत पर बधाई दी

सीएम योगी ने 'भाजपा' की जीत पर बधाई दी 

संदीप मिश्र 
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत पर कार्यकर्ता व नेताओं को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि ये भाजपा की शक्ति पर जनता के विश्वास की मुहर है। 
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले पूर्ण बहुमत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा कार्यकर्ताओं को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह जीत डबल इंजन की भाजपा सरकार की शक्ति पर हरियाणा की जनता-जनार्दन के विश्वास की मुहर है। 
उन्होंने एक्स पर कहा कि हरियाणा विधान सभा चुनाव-2024 में भाजपा को मिली ऐतिहासिक विजय की सभी समर्पित कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों एवं सम्मानित मतदाताओं को हार्दिक बधाई। 
‘विकसित हरियाणा-विकसित भारत’ की संकल्पना की सिद्धि को समर्पित यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोक-कल्याणकारी नीतियों और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के कुशल नेतृत्व और डबल इंजन की भाजपा सरकार की शक्ति पर हरियाणा की जनता-जनार्दन के विश्वास की मुहर है। 
‘राष्ट्र प्रथम’ भाव से ओतप्रोत भाजपा को पुनः सेवा का सौभाग्य प्रदान करने के लिए सभी हरियाणावासियों का हार्दिक अभिनंदन!

51 छात्राओं ने अधिकारी बनकर, समस्याएं सुनीं

51 छात्राओं ने अधिकारी बनकर, समस्याएं सुनीं 

गोपीचंद 
बागपत। एक दिन की डीएम, एसपी, सीडीओ समेत अन्य अधिकारी बनकर 51 छात्राओं ने फरियादियों की समस्याएं सुनीं और निस्तारण करने के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए। यह छात्राएं भी आईएएस बनना चाहती हैं, तो कोई डॉक्टर व कोई शिक्षिका बनना चाहती है। 
मिशन शक्ति अभियान के तहत जिले की 51 छात्राओं को एक दिन का अधिकारी बनाया गया। निरोजपुर गुर्जर निवासी एलिश को एक दिन की डीएम बनाया गया। उन्होंने जमीन व एनओसी नहीं मिलने की शिकायत सुनी और सबसे अधिक समस्या बड़ौत तहसील की पहुंची। उन्होंने एसडीएम बड़ौत से वार्ता कर इनका निस्तारण करने के लिए कहा। 
एसपी बनी नैथला निवासी सुषमा त्यागी के सामने जमीनी विवाद, महिला उत्पीड़न की समस्या पहुंची तो संबंधित थाने को इनका निस्तारण करने के लिए कहा। इस दौरान युवा अमन कुमार ने हर माह युवाओं व पुलिस में संवाद कराने के लिए ज्ञापन सौंपा और उन्होंने इसपर अमल करने की मांग की। एसपी ने जल्द ही सुझाव पर कार्य करने का आश्वासन दिया। 
सीडीओ बनी खुशी ने विकास कार्य न कराने और कार्यों में गड़बड़ी की शिकायत सुनी तो जल्द ही जांच कर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। वैशाली ने सीएमओ बनकर जिला अस्पताल का निरीक्षण कर स्वास्थ्य सेवाएं देखी। डीपीआरओ बनी मुस्कान ने विकास भवन सभागार में प्रधानों व सचिवों की बैठक ली और बजट खर्च न करने का कारण पूछा। कहा कि बजट खर्च नहीं होने से गांवों का विकास नहीं हो पा रहा है। इससे ग्रामीणों को परेशानी हो रही है। उन्होंने प्रधानों व सचिवों को जल्द ही बजट खर्च करने के निर्देश दिए।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-354, (वर्ष-11)

पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254

2. बुधवार, अक्टूबर 09, 2024

3. शक-1945, आश्विन, शुक्ल-पक्ष, तिथि-सप्तमी, विक्रमी सवंत-2079‌‌। 

4. सूर्योदय प्रातः 05:39, सूर्यास्त: 06:58।

5. न्‍यूनतम तापमान- 35 डी.सै., अधिकतम- 39 डी.सै.। गर्जना के साथ बूंदाबांदी होने की संभावना।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।

7. स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय (डिजीटल सस्‍ंकरण)। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

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सोमवार, 7 अक्तूबर 2024

नवरात्रि का छठा दिन मां 'कात्यायनी' को समर्पित

नवरात्रि का छठा दिन मां 'कात्यायनी' को समर्पित 

सरस्वती उपाध्याय 
कात्यायनी नवदुर्गा या हिंदू देवी पार्वती (शक्ति) के नौ रूपों में छठवीं रूप हैं। 'कात्यायनी' अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम है। संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हेेमावती व ईश्वरी इन्हीं के अन्य नाम हैं। शक्तिवाद में उन्हें शक्ति या दुर्गा, जिसमें भद्रकाली और चंडिका भी शामिल है, में भी प्रचलित हैं। यजुर्वेद के तैत्तिरीय आरण्यक में उनका उल्लेख प्रथम किया है। स्कन्द पुराण में उल्लेख है कि वे परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न हुई थीं। जिन्होंने देवी पार्वती द्वारा दी गई सिंह पर आरूढ़ होकर महिषासुर का वध किया। वे शक्ति की आदि रूपा है, जिसका उल्लेख पाणिनि पर पतञ्जलि के महाभाष्य में किया गया है, जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में रचित है। उनका वर्णन देवीभागवत पुराण, और मार्कंडेय ऋषि द्वारा रचित मार्कंडेय पुराण के देवी महात्म्य में किया गया है, जिसे ४०० से ५०० ईसा में लिपिबद्ध किया गया था। बौद्ध और जैन ग्रंथों और कई तांत्रिक ग्रंथों, विशेष रूप से कालिका पुराण (१० वीं शताब्दी) में उनका उल्लेख है, जिसमें उद्यान या उड़ीसा में देवी कात्यायनी और भगवान जगन्नाथ का स्थान बताया गया है। 
परम्परागत रूप से देवी दुर्गा की तरह वे लाल रंग से जुड़ी हुई हैं। नवरात्रि उत्सव के षष्ठी को उनकी पूजा की जाती है। उस दिन साधक का मन 'आज्ञा चक्र' में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से माँ के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं। 

श्लोक... 

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन ।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥ 

मां कात्यायनी की कथा... 

मां का नाम कात्यायनी कैसे पड़ा इसकी भी एक कथा है- कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया। तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं। 
ऐसी भी कथा मिलती है कि ये महर्षि कात्यायन के वहाँ पुत्री रूप में उत्पन्न हुई थीं। आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्त सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक तीन दिन इन्होंने कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था। 
मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाएँ हैं। माताजी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है। 
माँ कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है। 

उपासना... 

नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की उपासना का दिन होता है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं। इनका ध्यान गोधुली बेला में करना होता है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में छठे दिन इसका जाप करना चाहिए। 

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं। 
इसके अतिरिक्त जिन कन्याओ के विवाह मे विलंब हो रहा हो, उन्हे इस दिन मां कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए। जिससे उन्हे मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है। 

विवाह के लिए कात्यायनी मंत्र... 

ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि । नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥ 

महिमा... 

मां को जो सच्चे मन से याद करता है। उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं। जन्म-जन्मांतर के पापों को विनष्ट करने के लिए माँ की शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिए तत्पर होना चाहिए। 

गाय को जानवरों की सूची से हटाया जाना चाहिए

गाय को जानवरों की सूची से हटाया जाना चाहिए 

इकबाल अंसारी 
भुवनेश्वर। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गाय को जानवरों की सूची में रखे जाने पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा है कि हमारी संस्कृति में गाय कोई जानवर नहीं है। इसलिए गाय को तुरंत जानवरों की सूची से हटाया जाना चाहिए। 
सोमवार को उड़ीसा के भुवनेश्वर स्थित लिंगराज मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि कानून बनाना सरकार का काम है और गौ भक्तों को गाय माता की सेवा करनी चाहिए। 
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गाय को पशुओं की सूची में रखे जाने पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा है कि हमारी संस्कृति में गाय कोई जानवर नहीं है। क्योंकि, हम गाय को देवी मानते हैं और उन्हें माता कहते हैं। परंतु सरकार ने गाय को पशुओं की सूची में शामिल कर रखा है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गौभक्तों से गाय माता की सेवा करने का आह्वान करते हुए कहा कि हमारी परंपरा को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से डिमांड उठाई है कि वह तुरंत गाय को जानवरों की सूची से हटाकर बाहर करें। 

महाकुंभ के दौरान मांस-मदिरा की बिक्री नहीं होगी

महाकुंभ के दौरान मांस-मदिरा की बिक्री नहीं होगी 

संदीप मिश्र 
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि जनवरी-फरवरी में आयोजित होने वाले महाकुंभ के दौरान यहां मांस और मदिरा (शराब) की बिक्री नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने 13 अखाड़ों, खाक चौक, दंडी बाड़ा और आचार्य बाड़ा के प्रतिनिधियों के साथ महाकुंभ को लेकर एक बैठक के दौरान यह बात कही। प्रयागराज में जनवरी-फरवरी में महाकुंभ लगने जा रहा है। पहला शाही स्नान 14 जनवरी मकर संक्रांति और अंतिम 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर होगा। 
प्रदेश सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि साधु-संतों, संन्यासियों व वैरागियों सहित समस्त सनातन समाज की भावनाओं का सम्मान रखते हुए प्रयागराज की शास्त्रीय सीमा में मांस-मदिरा का क्रय-विक्रय प्रतिबंधित किया जाना आवश्यक है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि पवित्र नदियों की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए सरकार के स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन, साधु-संत समाज का भी सहयोग अपेक्षित है। आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि महाकुंभ के दौरान ब्रह्मलीन होने वाले साधु-संतों की समाधि के लिए प्रयागराज में शीघ्र ही भूमि आरक्षित कर दी जाएगी। बैठक में संत समाज की ओर से गो-हत्या पर प्रतिबंध की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में गोहत्या अपराध है। गोहत्या के विरुद्ध उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही, राज्य सरकार सात हजार से अधिक गोवंश आश्रय स्थल का संचालन कर रही है, जहां 14 लाख से अधिक गोवंश संरक्षित हैं। महाकुंभ में सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए मुख्यमंत्री ने सभी संतों-संन्यासियों व आचार्यों से अनुरोध किया कि अपने आश्रम में तब तक किसी को प्रवास की अनुमति न दें जब तक कि उनका विधिवत सत्यापन न कर लिया जाएं। 
इससे पहले, परेड स्थित हेलीपैड पर उतरने के बाद मुख्यमंत्री सबसे पहले मोटर बोट से संगम नोज पहुंचे, जहां उन्होंने गंगा यमुना का दर्शन-पूजन किया। इसके बाद आदित्यनाथ ने पवित्र अक्षयवट, पातालपुरी, सरस्वती कूप और लेटे हुए हनुमान का दर्शन किया और कुंभ के सफल आयोजन के लिए प्रार्थना की। दोपहर बाद मुख्यमंत्री भारद्वाज कोरिडोर के निर्माण कार्य का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने आईईआरटी सेतु का निरीक्षण करते निर्माण कार्य को तेजी से पूर्ण करने के निर्देश दिए। परियोजनाओं का स्थलीय निरीक्षण करने के दौरान मुख्यमंत्री ने वेणीमाधव मंदिर का भी दर्शन-पूजन किया। 

'ऑनलाइन गेम्स' की लत बिगाड़ देगी जिंदगी

'ऑनलाइन गेम्स' की लत बिगाड़ देगी जिंदगी 

सरस्वती उपाध्याय 
स्कूली बच्चों में ऑनलाइन गेम्स की लत स्वयं बच्चों के लिए व उनके परिवार के लिए बहुत ही घातक सिद्ध हो रही है। सच तो यह है कि आज के समय में जब हम संचार क्रांति के युग में सांस ले रहे हैं। तब घंटों ऑनलाइन गेमिंग की लत बच्चों को मानसिक रूप से बीमार बना रही है। दरअसल, कोरोना महामारी के बाद से बच्चों को मोबाइल यूज करने की ज्यादा लत लग गई है। 
कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना महामारी (कोविड-19) के दौरान हुए लॉकडाउन की वजह से बच्चों की कोचिंग व स्कूल की ऑनलाइन क्लासेज लगने लगी और बच्चों को एंड्रॉयड मोबाइल फोन या टैबलेट या कंप्यूटर देना माता पिता और अभिभावकों के लिए मजबूरी बन गया था। बच्चों को मोबाइल मिलने की वजह से वे ऑनलाइन गेमिंग के आदि हो गए और मानसिक तौर पर बीमार होने लगे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ज्यादा समय तक ऑनलाइन गेम खेलने वाले बच्चों के व्यवहार में उग्रता आ जाती है, जिसके बाद उनमें तनाव बढऩे लगता है। 
कुछ मामलों में उनको दौरे तक भी पडऩे लगते हैं। आज मोबाइल गेम्स के चक्कर में बच्चे अभिभावकों का कहना तक नहीं मानते हैं, क्यों कि आनलाइन गेम्स उन्हें आनंद व खुशी की अनुभूति प्रदान करते हैं। मोबाइल छीनने पर वे उग्र, कभी कभी तो हिंसक भी हो जाते हैं। आनलाइन गेम्स खेलने से बच्चे जहां एक ओर पढ़ाई से दूर होने लगे हैं वहीं पर दूसरी ओर इससे उनकी आंखों, दिमाग पर भी प्रभाव पड़ता है। वास्तव में ऑनलाइन गेम्स खेलने के कारण बच्चों की आंखों की रौशनी कम होना, मोटापा, स्लीपिंग डिस ऑर्डर डिप्रेशन, अग्रेसिवनेस, एकाग्रता में कमी जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। 
बहरहाल, यदि हम यहां आंकड़ों की बात करें तो एक सर्वे के मुताबिक, भारत के 40 प्रतिशत अभिभावकों ने माना था कि उनके बच्चे सोशल मीडिया इस्तेमाल करने, वीडियोज देखने और ऑनलाइन गेम खेलने के आदि हैं। इन बच्चों की उम्र 9 साल से 17 साल के बीच है। इस सर्वे में शामिल 49 प्रतिशत अभिभावक मानते हैं कि उनके 9 साल से 13 साल के आयुवर्ग के बच्चे रोजाना 3 घंटे से ज्यादा समय इंटरनेट पर बिताते हैं। 
वहीं, 47 प्रतिशत अभिभावकों का मानना था कि उनके बच्चे को ऑनलाइन गेमिंग, सोशल मीडिया और शॉर्ट वीडियोज देखने की बुरी लत लग गई है। सर्वे में भाग लेने वाले 62 प्रतिशत अभिभावकों का मानना है कि उनके 13 साल से 17 साल के बच्चे प्रतिदिन 3 घंटे से ज्यादा समय स्मार्टफोन पर बिताते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र के पुणे जिले से एक बहुत ही चौंकाने व दिल दहलाने वाली खबर सामने आई है। यहां एक पन्द्रह वर्षीय बालक ने एक बहुमंजिला इमारत की चौदहवीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी। प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि नाबालिग ने कथित तौर पर ब्लूव्हेल चैलेंज गेम की लत के चलते यह खतरनाक कदम उठाया है। 
मीडिया के हवाले से खबर आई है कि जिस बच्चे ने चौदहवीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी वह ऑनलाइन गेम खेलने का आदी था। यह भी बताया जा रहा है कि मृतक लड़का पढ़ाई में बेहद अच्छा था और हाल ही में उसने अच्छे अंकों के साथ 9 वीं कक्षा पास की थी। पिछले कुछ महीनों से उसे ऑनलाइन मोबाइल गेम खेलने की लत लग गई थी। आज इंटरनेट व आनलाइन का जमाना है। बच्चे आनलाइन गेम्स के चक्कर में फंसकर अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है और वे इन आनलाइन गेम्स के चक्कर में फंसकर ऐसे खतरनाक कदम उठा रहे हैं, जिसके बारे में सोचकर भी किसी का दिल कांप उठता है। 
दरअसल, आज विभिन्न प्लेटफार्म पर ऐसे ऑनलाइन गेम्स उपलब्ध हैं और बच्चे इनका आसानी से शिकार बन जाते हैं। वे खेल के मैदानों में न जाकर इंटरनेट के माध्यम से वर्चुअल गेम्स में रचे-बसे रहते हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट्स, इंटरनेट, एंड्रायड फोन ने जहां हमें बहुत सी सुविधाएं प्रदान कीं हैं, वहीं दूसरी ओर इनके बहुत से खतरे भी हैं। आज न तो अभिभावकों के पास अपने बच्चों के लिए समय बचा है और न ही बच्चों के पास अभिभावकों के लिए समय है। जिंदगी की आपाधापी में हम बच्चों को खेल के मैदानों से नहीं जोड़ पा रहे हैं और न ही आज पहले के जमाने की भांति दादी-नानी की कहानियां ही बची हैं। 
परिवार भी आज संयुक्त नहीं रहे हैं अथवा कम ही परिवार हैं, जो संयुक्त बचें हैं और इसका खामियाजा कहीं न कहीं हम सभी को भुगतना पड़ रहा है। एकल परिवार में हम आपसी संवाद कम ही करते हैं और स्वयं में ही व्यस्त रहते हैं। किसी को भी आज देखिए, सब सोशल नेटवर्किंग साइट्स व्हाट्स एप, फेसबुक, इंस्टाग्राम यू-ट्यूब, ट्विटर, गेम्स, इंटरनेट पर भी व्यस्त नजर आते हैं। इस वर्चुअल दुनिया में हम रम-बस से गये हैं और हमें हमारे आसपास के वातावरण तक का भी ध्यान नहीं रहता है कि कहां, क्या और कैसे हो रहा है ? बच्चे अपने में मस्त रहते हैं और हम अभिभावक अपने में। 
आज हमें यह चाहिए कि हम अपने बच्चों का ध्यान रखें कि वे कब, कहां क्या कर रहे हैं और क्या नहीं। सच तो यह है कि पुणे में हुई घटना की और कहीं पर भी पुनरावृत्ति न होने पाएं इसके लिए हमें यह चाहिए कि हम अपने बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग की लत से बचाने के लिए उनके रोज के खेल का समय सीमित करें, हमें यह चाहिए कि हम गेमिंग डिवाइस को सोने से पहले बेडरूम से हटा दें, और बेकार ऐप्स को डिलीट कर दें और बच्चों से स्ट्रेस-फ्री एक्टिविटीज करवाएं। बच्चों को खेल के मैदानों से जोड़ें, उनके साथ समय समय पर संवाद करें, उनकी समस्याओं को जानें, समझें, उन्हें समझाएं,उनकी समस्याओं का मिल बैठकर समाधान करें। आज विभिन्न सेलिब्रिटी, क्रिकेटर, बड़े बड़े अभिनेता, अभिनेत्री , फिल्मी दुनिया के सितारे आनलाइन जुए के विभिन्न एप्स का प्रचार करते नजर आते हैं। भारी भरकर प्रचार से आनलाइन गेम्स की लोकप्रियता लगातार बढ़ती चली जा रही है। 
आज हमें हर कहीं ऐसे विज्ञापन ज़रूर देखने को मिल जाएंगे जिसमें ये प्रचार किया जाता है, घर बैठे लाखों, करोड़ों रुपये कमाएं। बच्चे इन सबके बारे में समझ नहीं पाते हैं, क्यों कि समयाभाव के कारण हम अभिभावक बच्चों पर पर्याप्त ध्यान नहीं रख पाते हैं और बच्चों को गाइडेंस का अभाव रहता है। यह बहुत ही चिंताजनक है कि आज कम कीमत पर मोबाइल फ़ोन और कनेक्टिविटी मौजूद हैं और इसकी वजह से ऑनलाइन जुए की लोकप्रियता न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में फ़ैल रही है। वास्तव में विडियो गेम्स से जहां एक ओर हमारा धन व समय बर्बाद होता है वहीं दूसरी ओर इससे व्यक्तिगत, सामाजिक, शैक्षिक और व्यावसायिक जिम्मेदारियों सहित दैनिक कामकाज पर भी बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वास्तव में अभिभावकों, माता पिता को आनलाइन गेम्स के जोखिमों के बारे में जानना चाहिए और बच्चों को इसके प्रति आगाह करना चाहिए। 
हमें अपने बच्चों को जानकारी देनी चाहिए कि ये गेम दूसरे लोगों के साथ ऑनलाइन खेले जाते हैं और खास तौर पर नशे की लत वाले होते हैं क्योंकि इनका कोई अंत नहीं होता। आज प्रतिस्पर्धा का युग है और वीडियो गेम डिज़ाइनर, विभिन्न कंपनियां, मुनाफ़ा कमाने की कोशिश करने वाले किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह, हमेशा ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को अपना गेम खेलने के लिए प्रेरित करने के तरीके खोजते रहते हैं। वे इन गेम्स को इतना चुनौतीपूर्ण बनाकर ऐसा करते हैं कि कोई भी बार-बार इन्हें खेलने के लिए आते रहें। और हम या हमारे बच्चे या कोई भी इनका अत्यंत आसानी से शिकार बन जाते हैं, यह बहुत ही चिंताजनक है। 
वैसे 18 साल से कम बच्चों के लिए साइबर कानून बनाए गए हैं। इसके अनुसार 13 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया में शामिल नहीं हो सकते। 
इतना ही नहीं,16 साल से कम उम्र के बच्चे माता-पिता और अभिभावकों के संरक्षण में ही सोशल मीडिया पर सक्रिय हो सकते हैं। गेमिंग में पैसे का लेन-देन और कारोबार होता है, इसलिए इंडियन कांट्रेक्ट एक्ट, मिजोरिटी एक्ट और डेटा सुरक्षा के प्रस्तावित बिल के अनुसार 18 साल से ऊपर की उम्र के बच्चे ही वैध एग्रीमेंट कर सकते हैं। इसलिए गेमिंग कम्पनियों का 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ कारोबार ग़लत और ग़ैर-क़ानूनी है। बहरहाल,आनलाइन गेम्स देश का भविष्य खराब कर रहे हैं। धन व समय तो बर्बाद हो ही रहा है। 
आज युवाओं की जिंदगी भी दांव पर लगी है। इसलिए अभिभावकों को यह चाहिए कि वह अपने बच्चों की गतिविधियों पर पर्याप्त ध्यान रखें, उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय दें, उनकी समस्याओं को सुनें, उन्हें खेल के मैदानों से अधिकाधिक जोड़े। अधिकाधिक किताबें पढऩे के लिए प्रेरित करें। किताबें सबसे अच्छी मित्र होती हैं, यह बच्चों को बताया जाए। बच्चों को दादा-दादी नाना-नानी, अभिभावकों से कहानियां,किस्से सुनाए जाएं। बच्चों के मनोरंजन की पर्याप्त व्यवस्था हो। बच्चे क्रिकेट , वॉलीबॉल, फुटबॉल, खो-खो जैसे आउटडोर गेम खेल सकते हैं या स्विमिंग, जिम, पेंटिंग और कुकिंग आदि भी कर सकते हैं। 
बच्चों को जो काम अच्छा लगता हो, मतलब कुछ क्रिएटिव वो कर सकते हैं। ये एक्टिविटी बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग से अपना ध्यान हटाने में मदद करेंगी। बच्चों को चिडिय़ाघर, म्यूजियम, किसी ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व किसी पर्यटन स्थल की सैर कराई जा सकती है, उन्हें पिकनिक पर ले जाया जा सकता है। परिवार के साथ टाइम बिता कर गेमिंग लत को छुड़ाया जा सकता है। 
किसी मनोवैज्ञानिक की सहायता से इस संबंध (गेमिंग छुड़ाने) में मदद ली जा सकती है। बच्चों के साथ अभिभावकों को क्वालिटी टाइम स्पेंड करना चाहिए। इसके अलावा बच्चों को आनलाइन गेम्स के साइड इफेक्ट्स के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। फ्री टाइम का सदुपयोग किया जाना चाहिए। 
इलैक्ट्रोनिक गैजेट्स को बच्चों से दूर रखा जाना चाहिए। पैरेंट्स को बच्चों के साथ अपनी बैंक डिटेल्स साझा करने से बचना चाहिए। बच्चों को कुछ हॉबी फॉलो करने की सलाह देनी चाहिए। 
अभिभावकों को यह चाहिए कि वे कभी भी अपने बच्चों को अकेलापन महसूस नहीं होने दें। वास्तव में कार्य, घर के अंदर जीवन, बाहर के मनोरंजन तथा सामाजिक व्यस्तताओं के बीच संतुलन कायम रखना सबसे महत्वपूर्ण काम है। इसके अलावा प्रति सप्ताह चार घंटों के डिजिटल डिटॉक्स को जरूर अपनाना चाहिए। बच्चे इस देश का भविष्य हैं। इसलिए अभिभावकों को यह चाहिए कि वे अपने बच्चों को पर्याप्त समय दें। उनमें संस्कृति संस्कार विकसित करें, अच्छी शिक्षा दें। हमारी थोड़ी सी जागरुकता देश का भविष्य बचा सकती है। 

'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया

'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया  कविता गर्ग  मुंबई। राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन से मु...