गुरुवार, 3 अक्तूबर 2024

जलदोहन 'संपादकीय'

जलदोहन    'संपादकीय' 

कालिया नाग हो या कोई अजगर, 
बस इसी बात की फिक्र है, सकाम हो। 
किसी काम आ सकूं तेरे, इतना सफर,
वेदना जीवित रहे, मरने का भी नाम हो। 

भूमि की सतह से जल निकासी करना और अनावश्यक रूप से जल की बर्बादी करना विश्व स्तर पर एक विकराल समस्या बन चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) इस जटिल समस्या की रोकथाम के लिए अनेक प्रकार के उपाय कर रहा है। कुछ स्थानों पर जल समस्या की स्थिति अत्यंत भयानक है। अफ्रीकी देशों में जल का अभाव पूरी व्यवस्था के लिए एक चुनौती बना हुआ है। 
जनपद गाजियाबाद स्थित नगर पालिका परिषद, विधानसभा और विकासखंड लोनी में वित्तीय वर्ष 2023-24 में भूमि की सतह से 10-15 फुट जलस्तर गिर गया है। इतनी तेजी से जलस्तर का गिरना चिंताजनक विषय है। इसके प्रमुख कारण जनपद में कलर केमिकल्स, वाशिंग सेंटर, आर ओ प्लांट और कपड़े की धुलाई करने वाली अनाधिकृत औद्योगिक इकाईयों के द्वारा इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। परिणाम स्वरूप जल स्तर बहुत तेज से गिरता जा रहा है। बात शासन और प्रशासन की करें तो परिणाम मिलबटें जीरो है। लघु सिंचाई विभाग इस समस्या के विरुद्ध किसी प्रकार की कोई कार्यवाही करने को तैयार नहीं है। सर्वेक्षण के दौरान हजारों की संख्या में ऐसे वाणिज्यिक केंद्र धनोपार्जन के लिए जलदोहन कर रहे है। अगर शेष पानी का (recycle) पुनर्चक्रण करना चाहिए। ऐसा करने से पानी की बर्बादी नहीं होगी, अर्थात जलदोहन नहीं होगा। 
जिलाधिकारी गाजियाबाद को जनपद की इस विकराल समस्या को ध्यान में रखते हुए स्वविवेक अनुरूप जनहित में इस समस्या का स्थायी समाधान करना चाहिए।
राधेश्याम 'निर्भय पुत्र' 

किसानों का रेलवे ट्रैकों पर कब्जा, धरना-प्रदर्शन

किसानों का रेलवे ट्रैकों पर कब्जा, धरना-प्रदर्शन 

राणा ओबरॉय 
चंडीगढ़। हरियाणा में हो रहे चुनाव के मतदान से ठीक 2 दिन पहले पंजाब के किसानों के साथ हरियाणा के किसानों ने रेलवे ट्रैक पर डेरा डालते हुए वहां धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। बृहस्पतिवार को हरियाणा एवं पंजाब के किसानों ने रेलवे ट्रैकों पर कब्जा करते हुए वहां धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। 
फिरोजपुर में पांच तथा अमृतसर के अलावा अन्य स्थानों पर किसानों के धरना प्रदर्शन के अंतर्गत इकट्ठा हुए किसान रेलवे ट्रैक पर कब्जा करते हुए वहां धरना-प्रदर्शन के लिए बैठ गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक तथा किसान मजदूर संगठन के बैनर तले इकट्ठा हुए किसानों की वजह से रेल गाड़ियों को इधर-उधर रोक दिए जाने की वजह से ट्रेनों में सफर कर रहे लोगों को दिक्कत उठानी पड़ रही है। धरने की समय अवधि के दौरान चंडीगढ़, अंबाला, अमृतसर एवं जम्मू का रेल मार्ग प्रभावित रहेगा। 
किसानों ने फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत अन्य मुद्दों को लेकर अपना धरना-प्रदर्शन शुरू किया है। 

स्पिनर प्रवीण पर 1 साल का प्रतिबंध लगाया

स्पिनर प्रवीण पर 1 साल का प्रतिबंध लगाया 

सुनील श्रीवास्तव 
कोलंबो। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल की ओर से एंटी करप्शन कोड का उल्लंघन करने के मामले को लेकर लिए गए बड़े एक्शन के अंतर्गत श्रीलंका के बाएं हाथ के स्पिनर प्रवीण जयविक्रमा पर 1 साल का प्रतिबंध लगाया गया है। बृहस्पतिवार को आईसीसी द्वारा एंटी करप्शन कोड के मामले को लेकर की गई एक बड़ी कार्यवाही के अंतर्गत श्रीलंका के बाएं हाथ के स्पिनर प्रवीण जय विक्रमा पर एंटी करप्शन कोड का उल्लंघन करने के चलते 1 साल का बैन लगाया गया है। 
क्रिकेट काउंसिल के नियमों के मुताबिक, प्रतिबंधित किए गए श्रीलंकाई क्रिकेटर 6 महीने के लिए सस्पेंड रहेंगे। जय विक्रमा के खिलाफ की गई प्रतिबंध की यह कार्यवाही आईसीसी की भ्रष्टाचार निरोधक संहिता के उल्लंघन की बात स्वीकार करने के बाद की गई है। प्रवीण जय विक्रमा ने संहिता के अनुच्छेद 2.4.7 के उल्लंघन की बात स्वीकार की है।

बाबा को राज्य सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त हैं

बाबा को राज्य सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त हैं 

संदीप मिश्र 
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद में आयोजित किए गए भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 निर्दोषों की मौत के मामले को लेकर पुलिस की ओर से दाखिल की गई चार्जशीट पर सवालिया निशान लगाते हुए बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि भोले बाबा को राज्य सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त हैं। 
बृहस्पतिवार को बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद में आयोजित भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 निर्देशों की मौत के मामले को लेकर पुलिस की ओर से दाखिल की गई चार्जशीट पर बड़ा सवाल उठाया है। एक्स पर की गई पोस्ट में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही मायावती ने लिखा है कि 2 जुलाई को हाथरस में हुए सत्संग भगदड़ कांड में 121 निर्देश लोगों, जिनमें अधिकतर महिलाएं एवं बच्चे शामिल है, कि मौत के संबंध में दाखिल की गई चार्ज शीट में सूरज पाल सिंह उर्फ भोले बाबा का नाम नहीं होना सरकार की जन विरोधी राजनीति से साबित होता है कि ऐसे लोगों को राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है, जो अनुचित है। फिर कांग्रेस में शामिल मायावती ने आगे लिखा है कि मीडिया के अनुसार सिकंद्राराऊ में हुई इस दर्दनाक घटना को लेकर 2300 पेज की चार्जशीट में 11 सेवादारों को आरोपी बनाया गया है। किंतु बाबा सूरजपाल के बारे में सरकार द्वारा पहले की तरह अब भी चुप्पी साधना क्या उचित है ? ऐसे सरकारी रवैए से ऐसी घटनाओं को क्या आगे रोक पाना संभव होगा ? आमजन चिंतित।

सीएम ने 'पिंक बस टॉयलेट' का लोकार्पण किया

सीएम ने 'पिंक बस टॉयलेट' का लोकार्पण किया 

संदीप मिश्र 
गोरखपुर। गोरखपुर पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं को बड़ी सौगात दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शारदीय नवरात्र के पहले दिन सिविल लाइंस स्थित पार्क रोड पर पिंक बस टॉयलेट का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के वाहनों, सीवेज सफाई की अत्याधुनिक मशीनों, बैंडीकोट रोबोट और विदेश से मंगाई गई डी-वॉटरिंग फीकल स्लज सेफ्टी मशीन को हरी झंड़ी दिखाकर रवाना किया। साथ ही उन्होंने नवरात्र दुर्गोत्सव के उपलक्ष्य में स्वच्छ पंडाल पोस्टर को विमोचन भी किया। 
पिंक बस टॉयलेट का फीता काटकर लोकार्पण करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंदर जाकर इसका अवलोकन-निरीक्षण किया। सीएम योगी ने व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होंने पिंक बस टॉयलेट के पिछले हिस्से में बने कैफे का भी उद्घाटन किया। इस कैफे का संचालन करने वाली महिलाओं से बातचीत कर उनका उत्साह बढ़ाया। नगर निगम की तरफ से सिविल लाइंस क्षेत्र में इस पिंक बस टॉयलेट की शुरुआत होने के साथ इसकी संख्या दो हो गई है। इसके पहले एक पिंक टॉयलेट रामगढ़ताल रोड पर बुद्धा गेट के आगे पहले से ही क्रियाशील है। 
पिंक बस टॉयलेट को कबाड़ घोषित रोडवेज की बसों को मोडिफाइड करके बनाया गया है। इसमें इंडियन और वेस्टर्न टॉयलेट, वॉश बेसिन, आदि की सुविधा है। इसमें प्रसाधन संबंधी सुविधाओं के साथ कैफे की भी सुविधा दी गई है। पिंक बस टॉयलेट में बिजली संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए सोलर सिस्टम भी इंस्टाल किया गया है। वाहन के पिछले हिस्से में कैफे बनाया गया है। कैफे के संचालन से जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) के माध्यम से महिलाओं को रोजगार से भी जोड़ा गया है। कैफे में खानपान के कई तरह सामान मिलेंगे। 

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-349, (वर्ष-11)

पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254

2. शुक्रवार, अक्टूबर 04, 2024

3. शक-1945, आश्विन, शुक्ल-पक्ष, तिथि-दूज, विक्रमी सवंत-2079‌‌। 

4. सूर्योदय प्रातः 05:39, सूर्यास्त: 06:58।

5. न्‍यूनतम तापमान- 34 डी.सै., अधिकतम- 39 डी.सै.। गर्जना के साथ बूंदाबांदी होने की संभावना।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।

7. स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय (डिजीटल सस्‍ंकरण)। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

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बुधवार, 2 अक्तूबर 2024

नवरात्रि का पहला दिन मां 'शैलपुत्री' को समर्पित

नवरात्रि का पहला दिन मां 'शैलपुत्री' को समर्पित 

सरस्वती उपाध्याय  
शैलपुत्री (शैलपुत्री), पर्वत राजा हिमावत की पुत्री हैं और हिंदू माँ देवी महादेवी का एक रूप हैं, जो खुद को देवी पार्वती के शुद्ध रूप के रूप में दर्शाती हैं । वह नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाने वाली पहली नवदुर्गा हैं और देवी सती का पुनर्जन्म हैं। 

मंत्र...

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ वंदे वद्रचतलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम |
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् ||

या देवी सर्वभू‍तेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः||

शास्त्र... 

हथियार
त्रिशूल और पशु-छड़ी 
पर्वत 
बैल
वंशावली
अभिभावक
हिमवान (पिता)
मेनावती (माँ)
बातचीत करना
शिव

देवी शैलपुत्री ( पार्वती ) को दो हाथों से दर्शाया गया है और उनके माथे पर अर्धचंद्र है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। वह नंदी नामक बैल पर सवार हैं। 

इतिहास... 

शैलपुत्री आदि पराशक्ति हैं, जिनका जन्म पर्वतों के राजा "पर्वत राज हिमालय" के घर में हुआ था। "शैलपुत्री" नाम का शाब्दिक अर्थ है पर्वत (शैल) की पुत्री (पुत्री)। उन्हें सती भवानी, पार्वती या हेमावती के नाम से भी जाना जाता है, जो हिमालय के राजा हिमावत की पुत्री हैं। ब्रह्मा , विष्णु और शिव की शक्ति का अवतार , वह एक बैल की सवारी करती है और अपने दो हाथों में त्रिशूल और कमल धारण करती है। पिछले जन्म में, वह दक्ष की पुत्री सती थी। एक बार दक्ष ने एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया और शिव को आमंत्रित नहीं किया। लेकिन सती जिद्दी होने के कारण वहां पहुंच गईं। इसके बाद दक्ष ने शिव का अपमान किया। सती पति का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकी और यज्ञ की आग में खुद को जला दिया। दूसरे जन्म में, वह पार्वती - हेमवती के नाम से हिमालय की पुत्री बनी और शिव से विवाह किया। उपनिषद के अनुसार, उसने इंद्र आदि देवताओं के अहंकार को तोड़ दिया था। लज्जित होकर उन्होंने प्रणाम किया और प्रार्थना की कि, "वास्तव में, आप शक्ति हैं। हम सभी - ब्रह्मा , विष्णु और शिव आपसे शक्ति प्राप्त करने में सक्षम हैं।" 
शिव पुराण और देवी-भागवत पुराण जैसे कुछ शास्त्रों में देवी माँ की कहानी इस प्रकार लिखी गई है: माँ भगवती अपने पिछले जन्म में दक्ष प्रजापति की पुत्री के रूप में पैदा हुई थीं। तब उनका नाम सती था और उनका विवाह भगवान शिव से हुआ था। लेकिन उनके पिता प्रजापति दक्ष द्वारा आयोजित एक यज्ञ समारोह में, उनका शरीर योग अग्नि में जल गया था। क्योंकि, वह अपने पिता प्रजापति दक्ष द्वारा अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर सकी थीं। 
अपने अगले जन्म में वे पर्वत राज हिमालय की पुत्री देवी पार्वती बनीं। नवदुर्गा का दूसरा अवतार माता पार्वती का अवतार है। उन्होंने 32 विद्याओं के रूप में भी अवतार लिया। जिन्हें फिर से हेमवती के नाम से जाना गया। अपने हेमवती रूप में, उन्होंने सभी प्रमुख देवताओं को पराजित किया। अपने पिछले जन्म की तरह, इस जन्म में भी माँ शैलपुत्री (पार्वती) ने भगवान शिव से विवाह किया। 
वह मूलाधार चक्र की देवी हैं, जो जागृत होने पर ऊपर की ओर अपनी यात्रा शुरू करती हैं। बैल पर बैठकर मूलाधार चक्र से अपनी पहली यात्रा करती हैं। अपने पिता से अपने पति तक - जागृत शक्ति, शिव की खोज शुरू करती है या अपने शिव की ओर कदम बढ़ाती है। इसलिए, नवरात्रि पूजा में पहले दिन योगी अपने मन को मूलाधार पर केंद्रित रखते हैं। यह उनके आध्यात्मिक अनुशासन का प्रारंभिक बिंदु है। वे यहीं से अपनी योगसाधना शुरू करते हैं। योगिक ध्यान में, शैलपुत्री मूलाधार शक्ति है जिसे स्वयं के भीतर महसूस किया जाना चाहिए और उच्च गहराई के लिए खोजा जाना चाहिए। यह आध्यात्मिक प्रतिष्ठा का आधार है और पूरी दुनिया को पूर्ण प्रकृति दुर्गा के शैलपुत्री पहलू से शक्ति मिलती है। 
योगिक दृष्टि से नवरात्रि का पहला दिन बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। यह देवी माँ दुर्गा के साथ एकाकार होने की योगिक शुरुआत है। जो लोग शक्ति मंत्रों में किसी भी तरह की दीक्षा लेना चाहते हैं, वे शुक्ल प्रतिपदा के पहले दिन ऐसा कर सकते हैं। 
एक भक्त की आकांक्षा आध्यात्मिक विकास के लिए और सिद्धि की प्राप्ति के लिए उच्चतर और अधिक ऊंचाई तक पहुंचने की होती है, जो आनंद (आनंद) से जुड़ी पूर्णता है। वास्तव में योग-ध्यान में, शैलपुत्री मूलाधार शक्ति हैं जिन्हें स्वयं के भीतर महसूस किया जाना चाहिए और उच्चतर गहराइयों तक खोजा जाना चाहिए। यह मानव अस्तित्व के भीतर अपरिवर्तनीय की आत्मा की खोज का एक अनुभव है। शैलपुत्री दिव्य मां दुर्गा की भौतिक चेतना हैं। वह वास्तव में शिव पुराण में वर्णित राजा हिमवंत की पुत्री पार्वती हैं । शैलपुत्री इस पृथ्वी ग्रह की अभिव्यक्ति हैं, जिसमें इस पृथ्वी पर और ग्लोब के भीतर जो कुछ भी स्पष्ट है, वह शामिल है। शैलपुत्री वायुमंडल सहित सभी पहाड़ियों, घाटियों, जल संसाधनों, समुद्रों और महासागरों को कवर करती है। इसलिए, शैलपुत्री सांसारिक अस्तित्व का सार है। उनका निवास मूलाधार चक्र में है। हर मनुष्य में दिव्य ऊर्जा निहित है। इसे महसूस किया जाना चाहिए। इसका रंग लाल है। तत्व पृथ्वी है, जिसमें सामंजस्य का गुण है और घ्राण (गंध) की भेद (विशिष्ट) विशेषताएँ हैं।

पूजा... 

पूजा की शुरुआत घटस्थापना से होती है, जो नारी शक्ति का प्रतीक है। घटस्थापना पूजा उन पूजा सामग्रियों का उपयोग करके की जाती है जिन्हें पवित्र और प्रतीकात्मक माना जाता है। मिट्टी से बने बर्तन जैसे उथले तवे का उपयोग आधार के रूप में किया जाता है। मिट्टी की तीन परतें और सप्त धान्य/ नवधान्य के बीज फिर तवे में बिखेर दिए जाते हैं। उसके बाद थोड़ा पानी छिड़कने की जरूरत होती है ताकि बीजों को पर्याप्त नमी मिल सके। फिर एक कलश को गंगा जल से भर दिया जाता है। सुपारी, कुछ सिक्के, अक्षत (हल्दी पाउडर के साथ मिश्रित कच्चे चावल) और दूर्वा घास को पानी में डाल दिया जाता है। इसके बाद आम के पेड़ के पांच पत्तों को कलश के गले में डाला जाता है, जिसे फिर एक नारियल रखकर ढक दिया जाता है। 

प्रार्थना... 

इसका मंत्र संस्कृत वर्णमाला ( संस्कृत , संज्ञा, वर्णमाला) का ला+मा, अर्थात लामा है। इसका ध्यान जीभ की नोक और होठों पर है। 

माता शैलपुत्री का मंत्र... 

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
प्रार्थना या शैलपुत्री की प्रार्थना

वन्दे वाञ्चितलाभाय चन्द्रार्ध कृतशेखरम्।
वृषारूढ़ाम् शूलधरम् शैलपुत्रीम् यशस्विनीम् ॥
वन्दे वांच्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।
वृषारूढं शूलधरं शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
"मैं देवी शैलपुत्री को नमन करता हूं, जो भक्तों को उत्तम वरदान प्रदान करती हैं। अर्धचन्द्राकार चंद्रमा उनके माथे पर मुकुट के रूप में सुशोभित है। वे बैल पर सवार हैं। उनके हाथ में त्रिशूल है। वे यशस्विनी हैं।" 

नवरात्रि का दूसरा दिन मां 'ब्रह्मचारिणी' को समर्पित

नवरात्रि का दूसरा दिन मां 'ब्रह्मचारिणी' को समर्पित  सरस्वती उपाध्याय  ब्रह्मचारिणी मां की नवरात्र पर्व के दूसरे दिन पूजा-अर्चना की ...