रविवार, 29 सितंबर 2024

स्वास्थ्य: 'नीम' की पत्तियां खाने के फायदे, जानिए

स्वास्थ्य: 'नीम' की पत्तियां खाने के फायदे, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 
कहावत है ’स्वास्थ्य ही धन है’। ऐसे में हमें अपनी सेहत का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि, हेल्थ खराब होने पर हमारा किसी काम में मन नहीं लगता है।

नीम की पत्ती चबाएं 

आयुर्वेद में हमारे स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए कई तरह के उपाय बताए गए हैं। जिसमे से एक है नीम की पत्तियां। जो कि कड़वी होने के साथ शरीर को कई लाभ देती हैं।

खाली पेट नीम की पत्ती खाने के फायदे 

वहीं, यदि आप सुबह खाली पेट नीम की पत्तियां चबाते हैं। तो ये हमारी कई बड़े रोगों से रक्षा करती है। ऐसे में हमें इसका सेवन आज से ही शुरू कर देना चाहिए।

डायबिटीज में फायदा 

यदि आप रोजाना सुबह बासी मुंह नीम की पत्तियां चबाते हैं। तो इससे ब्लड शुगर लेविल कंट्रोल में रहता है। एक्सपर्ट के अनुसार इसमें एजाडिरेक्टिन नामक तत्व इसमें मददगार होता है।

खून साफ 

इसके अलावा रोजाना खाली पेट नीम की पत्ती चबाने से हमारा खून साफ होता है। यह ब्लड से टॉक्सिन बाहर कर खून साफ करता है।

पेट की बीमारियां होंगी दूर 

वहीं, नीम की पत्तियों में पेट संबंधी बीमारियां जैसे एसिडिटी, कब्ज, ब्लोटिंग आदि की समस्या दूर करने के भी गुण पाए जाते हैं। चबाने के अलावा आप इन पत्तियों को उबालकर इसका पानी भी पि सकती हैं।

बुखार में मदद 

नीम की पत्तियों का खाली पेट सेवन हमें कई तरह के मौसमी बुखार चिकनगुनिया, डेंगू, मलेरिया आदि से भी बचाव करता है।

वजन कम करने में मदद 

नीम की पत्तियां और उसका खाली पेट अर्क पीने से वजन कंट्रोल भी होता है। ऐसे में ये वेट कंट्रोल में भी सहायक होता है।

बेटे स्टालिन को डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाया

बेटे स्टालिन को डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाया 

इकबाल अंसारी 
चेन्नई। मुख्यमंत्री एम. के स्टालिन ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करते हुए राज्य सरकार में अपने बेटे खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन को डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाया है। सनातन धर्म पर अपनी टिप्पणी करते हुए उसकी तुलना डेंगू मलेरिया से करने वाले उदयनिधि को मुख्यमंत्री ने अब चीफ मिनिस्टर नियुक्त किया है। 
रविवार को तमिलनाडु राजभवन की ओर से जारी किए गए बयान में बताया है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के स्टालिन ने राज्यपाल आर एन रवि से उदय निधि स्टालिन को डिप्टी चीफ मिनिस्टर नॉमिनेट करने और कैबिनेट के विस्तार की सिफारिश की थी। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को इसकी मंजूरी दे दी थी। अब राजभवन में रविवार को दोपहर मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह होगा। 

इजरायल का लेबनान पर हमला, 33 की मौत

इजरायल का लेबनान पर हमला, 33 की मौत 

सुनील श्रीवास्तव 
येरूशलम/बेरूत। हिजबुल्लाह के चीफ नसरुल्ला की मौत के बाद भी इजरायल ने लेबनान पर अपने हमले जारी रखते हुए विभिन्न स्थानों पर अटैक किया है। जिसमें 33 लोगों की मौत हो गई है और 195 लोग घायल हुए हैं। इजरायल ने हिजबुल्ला के चीफ हसन नसरुल्लाह की मौत के बाद भी लेबनान पर अपने हमले जारी रखे हैं। 
रविवार को लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में बताया है कि इजरायल द्वारा किए गए इन हमलों में अभी तक 33 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि, घायल हुए 195 लोगों को ट्रीटमेंट के लिए विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। हमलों के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में इजरायल के प्रधानमंत्री ने नेतन्याहू ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा है कि इजराइल कहीं भी पहुंच सकता है। 

नड्डा को लिखा पत्र, कंगना पर निशाना साधा

नड्डा को लिखा पत्र, कंगना पर निशाना साधा 

भानु प्रताप उपाध्याय 
मुजफ्फरनगर। भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर अभिनेत्री एवं सांसद कंगना रनौत पर निशाना साधा। उन्होंने पूछा कि आपकी और पार्टी की क्या मजबूरी रही होगी ? जो 2024 में हिमाचल की मंडी सीट से ऐसी प्रत्याशी को चुनाव लड़ाया, जिसे देश के बारे में ज्ञान नहीं है। वह बार-बार देश के खेत उपजाऊ वर्ग को अपना निशाना बना रही है। 
भाकियू प्रवक्ता ने शनिवार को पत्र भेजा, जिसमें लिखा कि उन्होंने दिसंबर 2020 में महिलाओं पर पैसे लेकर धरने पर बैठने जैसे आरोप लगाए थे। यह वही ग्रामीण महिलाएं हैं, जो ग्रामीण पगडंडियों से देश की आर्थिक स्थिति में एक अहम भूमिका निभाती हैं। दुग्ध उत्पादकता में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका इन्हीं की रहती है। 
फरवरी 2021 में देश के किसान को आतंकवादी बताने का काम किया गया। यह वही वर्ग है, जिन्होंने कोरोना जैसी महामारी के समय देश की जीडीपी में अपना योगदान निभाया और देश के प्रत्येक वर्ग को भूखा नहीं सोने दिया। 
24 सितंबर को फिर विवादित बयान दिया कि तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को फिर से लागू किया जाना चाहिए। देश में 13 माह चले आंदोलन में दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे रहे किसानों और इनकों रद्द कराने में अपनी जान का बलिदान देने वाले 750 शहीद किसानों को अपमानित करने का कार्य किया है। 

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-345, (वर्ष-11)

पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254

2. सोमवार, सितंबर 30, 2024

3. शक-1945, आश्विन, कृष्ण-पक्ष, तिथि-त्रयोदशी, विक्रमी सवंत-2079‌‌। 

4. सूर्योदय प्रातः 05:39, सूर्यास्त: 06:58।

5. न्‍यूनतम तापमान- 35 डी.सै., अधिकतम- 39 डी.सै.। गर्जना के साथ बूंदाबांदी होने की संभावना।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।

7. स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय (डिजीटल सस्‍ंकरण)। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

http://www.universalexpress.page/ www.universalexpress.in 

email:universalexpress.editor@gmail.com 

संपर्क सूत्र :- +919350302745--केवल व्हाट्सएप पर संपर्क करें, 9718339011 फोन करें।

(सर्वाधिकार सुरक्षित) 

शनिवार, 28 सितंबर 2024

प्लास्टिक कचरा पैदा करने वाला देश बना 'भारत'

प्लास्टिक कचरा पैदा करने वाला देश बना 'भारत' 

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत 
नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। आपने कभी सोचा है कि आपका चाय-समोसा खाने का प्लास्टिक डिस्पोजल कहां जाता है ? या फिर वो प्लास्टिक की थैली जो आप सब्जी लाने के लिए इस्तेमाल करते हैं, उसका क्या होता है ? ये सारा कचरा हमारे समुद्रों और नदियों को प्रदूषित कर रहा है। एक नए अध्ययन के मुताबिक, भारत दुनिया में सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा पैदा करने वाले देशों में से एक है। हर साल भारत लाखों टन प्लास्टिक कचरा फेंकता है। जिससे हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है। रिसर्ज के अनुसार, भारत में प्लास्टिक प्रदूषण का एक बड़ा कारण ये है कि देश में अधिकांश प्लास्टिक कचरा पर्यावरण में फेंक दिया जाता है। इससे प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर रहे हैं। 

भारत ने लगाया था सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध

भारत ने जुलाई 1, 2022 को सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस कदम से उम्मीद थी कि देश का प्लास्टिक पदचिह्न कम होगा। अनुमान था कि सालाना कम से कम 0.6 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा गायब हो जाएगा। लेकिन, दो साल बाद भी हकीकत अलग है। दुकानों में अभी भी डिस्पोजेबल प्लास्टिक आइटम मिलते हैं। ज्यादातर लोग अभी भी सब्जियां प्लास्टिक कैरी बैग में घर ले जाते हैं और सितंबर की शुरुआत में नेचर में प्रकाशित एक नए शोध से पता चलता है कि भारत सालाना 9.3 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पर्यावरण में 'छोड़ रहा है'। 
जो दुनिया में सबसे अधिक है। ये अगले तीन शीर्ष प्रदूषकों नाइजीरिया (3.5 मिलियन टन), इंडोनेशिया (3.4 मिलियन टन) और चीन के कुल योग के लगभग बराबर है। ये एक चिंता का विषय है। क्योंकि, प्लास्टिक प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक है। माइक्रोप्लास्टिक्स हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। 
इसके अलावा, प्लास्टिक प्रदूषण समुद्री जीवन के लिए भी खतरा है। इस समस्या से निपटने के लिए, भारत को सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करना होगा। इसके अलावा, लोगों को प्लास्टिक का उपयोग कम करने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। 

परिवारों को 1-1 करोड़ की सहायता देने का निर्णय

परिवारों को 1-1 करोड़ की सहायता देने का निर्णय 

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले पांच लोगों के परिवारों को 1-1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री आतिशी ने इसकी घोषणा की। ये सभी कोरोना वॉरियर्स अपनी ड्यूटी के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे और बाद में उनका निधन हो गया था। इनमें डॉक्टर, नर्स, सफाईकर्मी और पुलिसकर्मी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा, ये कोरोना वॉरियर्स हमारे असली हीरो हैं। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना दिल्लीवासियों की सेवा की। हम उनके बलिदान को कभी नहीं भूल सकते। यह राशि उनके परिवारों के लिए एक छोटी सी मदद होगी।

किन-किन को मिलेगी राशि ?

संजय मनचंदा: एक फार्मासिस्ट थे जो एसडीएमसी पेशेंट केयर फैसिलिटी में तैनात थे।

रवि कुमार सिंह: मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट थे।

वीरेंद्र कुमार: एक सफाईकर्मी थे जो एक हंगर रिलीफ सेंटर में काम करते थे।

भवानी चंद्र: दिल्ली पुलिस में एएसआई थे और लोकनायक अस्पताल में ड्यूटी पर थे।

मो. यासीन: एमसीडी में प्राइमरी टीचर थे और राशन वितरण की ड्यूटी पर थे।

दिल्ली सरकार पहले भी कोरोना महामारी के दौरान जान गंवाने वाले 92 लोगों के परिवारों को 1-1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दे चुकी है। इस कदम से सरकार ने दिखाया है कि वह कोरोना वॉरियर्स के परिवारों के साथ खड़ी है। 

'सीएम' ने लोगों की समस्याओं को सुना, निर्देश

'सीएम' ने लोगों की समस्याओं को सुना, निर्देश  संदीप मिश्र  गोरखपुर। जनता दरबार में जन समस्याएं सुन रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने...