शुक्रवार, 27 सितंबर 2024

'पेरेंट्स काउंसलिंग' के द्वितीय सत्र का आयोजन

'पेरेंट्स काउंसलिंग' के द्वितीय सत्र का आयोजन 

दिव्यांग बच्चों का नामांकन एवं स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाने के विषय में अभिभावकों को किया प्रेरित 

मदन कुमार केसरवानी 
कौशाम्बी। बीआरसी सरसावां में समेकित शिक्षा के अंतर्गत एनवायरमेंट बिल्डिंग प्रोग्राम के तहत शुक्रवार को दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों हेतु पेरेंट्स काउंसलिंग के द्वितीय सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ खण्ड शिक्षा अधिकारी सरसावां डॉ. जवाहर लाल यादव द्वारा सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम मुख्य रूप से दो सत्रों में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में वक्ता के रूप में खंड शिक्षा अधिकारी ने दिव्यांग बच्चों का नामांकन एवं स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाने के विषय में अभिभावकों को प्रेरित किया तथा अभिभावकों से कहा गया कि दिव्यांग बच्चों को उनकी प्रतिभाओं के अनुसार समाज में आगे बढ़ने का कार्य करें। 
कार्यक्रम में उपस्थित रिसोर्स पर्सन दयाशंकर ए आर पी सरसावां खुद दिव्यांग होने के बावजूद अपने जीवन में आ रही कठिनाइयों के बारे में तथा अपनी सफलता के बारे में अभिभावकों को जानकारी दिया तथा छोटेलाल पाल सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा अपने निजी अनुभव एवं दिव्यांगता पर विचार व्यक्त कर अभिभावकों के ज्ञान को समृद्ध किया गया। कार्यक्रम में स्पेशल एजुकेटर शारदा कुमार सिंह, अनिल सिंह एवं फिजियोथैरेपिस्ट पंकज साहू द्वारा अभिभावकों को विभिन्न प्रकार की दिव्यांगता की पहचान, कारण तथा रोकथाम के विषय में जागरूक किया गया तथा समेकित शिक्षा से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के विषय में अभिभावकों को महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। 

हिजबुल्ला की ड्रोन यूनिट का कमांडर मारा गया

हिजबुल्ला की ड्रोन यूनिट का कमांडर मारा गया 

अखिलेश पांडेय 
येरूशलम/बेरूत। इजरायल की ओर से की गई एयर स्ट्राइक में हिजबुल्ला की ड्रोन यूनिट का कमांडर मोहम्मद सरूर मारा गया है। इजरायली सेना के अधिकारियों की ओर से सरूर की मौत होने की पुष्टि की गई है। 
शुक्रवार को इजरायल की ओर से लेबनान में जंग रोकने से इनकार करते हुए इसराइली प्रधानमंत्री दफ्तर द्वारा सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी देते हुए कहा गया है कि लेबनान के साथ सीज फायर की रिपोर्ट्स गलत है। 
सीजफायर को लेकर इसराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के इनकार के बाद अब अमेरिका के व्हाइट हाउस ने कहा है कि उन्होंने सीज फायर प्रस्ताव की घोषणा से पहले इसराइल के साथ जिस समय बात की थी। उस वक्त उन्होंने इसके लिए अपनी सहमति जताई थी। इस बीच इजरायली सेना की ओर से दक्षिणी लेबनान पर बृहस्पतिवार को की गई एयर स्ट्राइक में हिजबुल्ला की ड्रोन यूनिट के कमांडर मोहम्मद सरूर की मौत होने का दावा किया है।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-343, (वर्ष-11)

पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254

2. शनिवार, सितंबर 28, 2024

3. शक-1945, आश्विन, कृष्ण-पक्ष, तिथि-एकादशी, विक्रमी सवंत-2079‌‌। 

4. सूर्योदय प्रातः 05:39, सूर्यास्त: 06:58।

5. न्‍यूनतम तापमान- 35 डी.सै., अधिकतम- 40 डी.सै.। गर्जना के साथ बूंदाबांदी होने की संभावना।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।

7. स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय (डिजीटल सस्‍ंकरण)। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।

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गुरुवार, 26 सितंबर 2024

भारतीय नागरिकों को लेबनान छोड़ने की सलाह

भारतीय नागरिकों को लेबनान छोड़ने की सलाह 

अखिलेश पांडेय 
नई दिल्ली/बेरूत। इसराइल एवं हिजबुल्ला के बीच पिछले कई दिनों से चल रही जवाबी कार्यवाही के बीच संभावित जंग को देखते हुए अलर्ट मोड पर आई भारत सरकार की ओर से अपने नागरिकों को तुरंत लेबनान छोड़ने की सलाह देते हुए भारतीयों से कहा गया है कि वह लेबनान की यात्रा पर नहीं जाएं। 
बृहस्पतिवार को इसराइल और हिजबुल्ला के बीच संभावित जंग को देखते हुए अलर्ट मोड पर आई भारत सरकार की ओर से एडवाइजरी जारी करते हुए अपने नागरिकों को लेबनान छोड़ने की सलाह दी गई है। भारत सरकार ने भारतीयों को लेबनान की यात्रा पर नहीं जाने के लिए भी कहा है। 
बृहस्पतिवार को भारतीय दूतावास की ओर से बेरुत में जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि लेबनान में पहले से मौजूद सभी भारतीय नागरिक लेबनान छोड़कर वापस भारत चले जाएं। एडवाइजरी में कहा गया है कि जो किसी कारण से अभी लेबनान के भीतर रुके हुए हैं, उन्हें गंभीर सतर्कता बरतने और अपनी गतिविधियों को सीमित करने तथा बेरूत में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने की हिदायत भी दी गई है।

योजना: आम के निर्यात में नंबर वन बनेगा 'यूपी'

योजना: आम के निर्यात में नंबर वन बनेगा 'यूपी' 

संदीप मिश्र 
लखनऊ। फलों के राजा आम के उत्पादन में देश भर में अव्वल उत्तर-प्रदेश ने अब एक योजना के तहत आम के निर्यात में भी नंबर वन बनने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। अधिकृत सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि आम की रंगीन प्रजातियों की यूएस और यूरोपियन देशों में अच्छी मांग है। 
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) द्वारा पिछले कुछ वर्षों में रिलीज हुई अरुणिका और अंबिका भी रंगीन हैं। जल्दी रिलीज होने वाली अवध समृद्धि भी रंगीन है। अवध मधुरिमा जो रिलीज होने की पाइप लाइन में है, वह भी रंगीन है। ऐसे में इनके निर्यात की संभावना बढ़ जाती है। सरकार की मंशा सिर्फ आम के उत्पादन में ही नहीं निर्यात में भी उत्तर प्रदेश को नंबर वन बनाने की है। उन्होंने बताया कि यूएस और यूरोपियन देशों के निर्यात मानकों को पूरा करने के लिए सरकार जेवर एयरपोर्ट के पास रेडिएशन ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करेंगी। अभी तक उत्तर भारत में कहीं भी इस तरह का ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। इस तरह के ट्रीटमेंट प्लांट सिर्फ मुंबई और बेंगलुरु में है। इन्हीं दो जगहों के आम की प्रजातियों (अलफांसो, बॉम्बे ग्रीन, तोतापारी, बैगनफली) की निर्यात में सर्वाधिक हिस्सेदारी भी है। ट्रीटमेंट प्लांट न होने से संबंधित देशों के निर्यात मानक के अनुसार ट्रीटमेंट के लिए इनको मुंबई या बेंगलुरु भेजिए। ट्रीटमेंट के बाद फिर निर्यात कीजिए। इसमें समय और संसाधन की बर्बादी होती है। साथ ही सेल्फ लाइन कम होने से गुणवत्ता भी खतरे में रहती है। इसीलिए सरकार पीपीपी मॉडल पर जेवर इंटर नेशनल एयरपोर्ट के पास रेडिएशन ट्रीटमेंट प्लांट लगाने जा रही है। सूत्रों ने दावा किया कि रेडिएशन ट्रीटमेंट तकनीक में निर्यात किए जाने वाले फल, सब्जी,अनाज को रेडिएशन से गुजरा जाता है। इससे उनमें मौजूदा कीटाणु मर जाते हैं और ट्रीटेड उत्पाद की सेल्फ लाइफ भी बढ़ जाती है। ट्रीटमेंट प्लांट चालू होने पर उत्तर प्रदेश के आम बागवानों के लिए यूएस और यूरोपियन देशों के बाजार तक पहुंच आसान हो जाएगी। चूंकि, उत्तर प्रदेश में आम का सबसे अधिक उत्पादन होता है। इसलिए, निर्यात की किसी भी नए अवसर का सर्वाधिक लाभ भी यहीं के बागवानों को मिलेगा। सूत्रों ने बताया कि पुराने बागों की उपज और गुणवत्ता सुधारने के लिए आम के कैनोपी प्रबंधन की जरूरत होती है। इस काम में गतिरोध दूर करने के लिए सरकार शासनादेश भी जारी कर चुकी है। वैज्ञानिक लगातार बागवानों को पुराने बागों की इस विधा से प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं। कुछ समय बाद आम की उपज और गुणवत्ता पर इसका असर दिखेगा। Also Read - PM स्वनिधि योजना स्ट्रीट वेंडर्स के लिए बना रही वरदान- हो रहे... पिछले दिनों सीआईएसएच रहमानखेड़ा (लखनऊ) में आम पर आयोजित राष्ट्रीय गोष्ठी में इजरायल के वैज्ञानिक युवान कोहेन ने कहा भी था कि भारत को यूरोपीय बाजार की पसंद के अनुसार आम का उत्पादन करना चाहिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी हरदम किसानों से कृषि विविधिकरण और बाजार की मांग के अनुसार फसल लेने पर जोर देते हैं। हालांकि, आम के उत्पादन में भारत में भारत नंबर एक है। देश के उत्पादन में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी एक तिहाई से अधिक है, किंतु जब बात आम के निर्यात की आती है, तो भारत फिसड्डी देशों में शामिल है। 
आम के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी मात्र 0.52 फीसद है। आम के प्रमुख निर्यातक देश थाईलैंड, मैक्सिको, ब्राजील, वियतनाम और पाकिस्तान आदि हैं। इनके निर्यात का फीसद क्रम से 24, 18, 11, 5 और 4.57 है। ऐसे में वैश्विक बाजार में भारत के आम के निर्यात की अपार संभावना है। पिछले साल इनोवा फूड के एक प्रतिनिधिमंडल ने कृषि उत्पादन आयुक्त देवेश चतुर्वेदी से मुलाकात की थी। निर्यात के बाबत बात चली तो उन लोगों ने बताया कि यूएस और यूरोपियन बाजार में चौसा और लगड़ा की ठीक ठाक मांग है। उनके निर्यात के मानकों को पूरा किया जाय तो उत्तर प्रदेश के लिए यह संभावनाओं वाला बाजार हो सकता है। मालूम हो कि ये दोनों प्रजातियां उत्तर प्रदेश में ही पैदा होती हैं। जरूरत सिर्फ बाजार की मांग के अनुसार आम के उत्पादन और संबंधित देशों के निर्यात मानकों को पूरा करने की है। इसके लिए योगी सरकार संभव प्रयास भी कर रही है। आम की लाल रंग की प्रजातियां सिर्फ देखने में ही आकर्षक नहीं होती। स्वास के लिहाज से भी ये बेहतर हैं। आम या किसी भी फल के लाल रंग के लिए एंथोसायनिन जिम्मेदार होता है। इससे इसकी पौष्टिकता बढ़ जाती है। 
अब तक के शोध बताते हैं, कि एंथोसायनिन मोटापे और मधुमेह की रोकथाम में सहायक हो सकता है। यह संज्ञानात्मक और मोटर फ़ंक्शन को मॉड्यूलेट करने, याददाश्त बढ़ाने और तंत्रिका कार्य में उम्र से संबंधित गिरावट को रोकने में भी मददगार हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट भी सेहत के लिए जरूरी है। इसमें एंटीइंफ्लेमेट्री गुण भी पाए जाते हैं। साथ ही आम में मिलने वाले अतिरिक्त पोषक तत्व भी पाएं जाते हैं। 

आलिया की फिल्म 'जिगरा' का ट्रेलर जारी हुआ

आलिया की फिल्म 'जिगरा' का ट्रेलर जारी हुआ 

कविता गर्ग 
मुंबई। बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री आलिया भट्ट की आने वाली फिल्म 'जिगरा' का बहुप्रतीक्षित ट्रेलर जारी कर दिया गया है। आलिया भट्ट और वेदांग रैना अभिनीत फिल्म जिगरा एक एक्शन से भरपूर कहानी है, जो जेल से भागने के इर्द-गिर्द घूमती है। जिसमें दिखाया गया है कि एक बहन अपने भाई की रक्षा के लिए किस हद तक जा सकती है। 
आलिया भट्ट ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के साथ ट्रेलर के लॉन्च की घोषणा करते हुए कहा, "सब तैयार है? #जिगरा थिएट्रिकल ट्रेलर अभी रिलीज़ हुआ! 11 अक्टूबर को सिनेमाघरों में मिलते हैं। ट्रेलर में आलिया भट्ट एक बहन (सत्या) की भूमिका निभाती नजर आ रही हैं जो अपने भाई अंकुर (वेदांग रैना) को बचाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। जैसे-जैसे ट्रेलर आगे बढ़ता है, आलिया का किरदार और भी उभर कर आता है। एक बेहतरीन पल तब आता है जब आलिया यानी सत्या कहती हैं, "मैंने कभी नहीं कहा, मैं सही इंसान हूँ। मैं सिर्फ़ अंकुर की बहन हूँ। 
हेमंत कुमार ने पिछले साल 'द आर्चीज़' में अपनी शुरुआत करने के बाद, फ़िल्म जिगरा, वेदांग रैना की दूसरी बार स्क्रीन पर आने वाली फ़िल्म है। फिल्म 'जिगरा' में एक आकर्षक 'चल कुड़िए' साउंडट्रैक भी शामिल है जिसे आलिया भट्ट और दिलजीत दोसांझ ने गाया है। क्लासिक गाने 'फूलों का तारों का' का रीक्रिएटेड वर्शन भी टीज़र में शामिल किया गया है। जिसमें वेदांग रैना की गायन प्रतिभा को दिखाया गया है। धर्मा प्रोडक्शंस के बैनर तले निर्मित और वायकॉम18 स्टूडियोज़ और इटरनल सनशाइन प्रोडक्शंस द्वारा प्रस्तुत, 'जिगरा' को देबाशीष इरेंगबाम और वासन बाला ने मिलकर लिखा है। फिल्म जिगरा का निर्देशन वसन बाला ने किया है। निर्माता करण जौहर, अपूर्व मेहता, आलिया भट्ट, शाहीन भट्ट और सोमेन मिश्रा हैं। फिल्म जिगरा, 11 अक्टूबर को रिलीज होगी।

अधिकारी-नेता पी गए 12 तरह के कीटनाशक

अधिकारी-नेता पी गए 12 तरह के कीटनाशक 

अश्वनी उपाध्याय 
गाजियाबाद। नगर पालिका परिषद लोनी सघन आबादी वाला नगर है। जगह-जगह खाली प्लाटों, रास्ते और मुख्य मार्गो में  खड़े पानी भरने से जानलेवा मच्छरों की पैदावार बढ़ती हैं। ऐसी स्थिति में मलेरिया का फैलना सुनिश्चित हो जाता है। लेकिन अधिकारी और नेता मच्छरों की अच्छी फसल पैदा करने का काम कर रहे हैं। हालांकि, इसका खामियाजा नगर की जनता को भुगतना ही होगा। पूरी बरसात निकालने के बाद भी, अभी तक नगर में किसी प्रकार के कीटनाशक रासायनिक का छिड़काव अथवा फोगिंग कर इस समस्या के विरुद्ध एक कदम भी नहीं उठाया गया है। लगता है कि 12 प्रकार के कीटनाशकों को अधिकारी और नेता मिलकर पी गए हैं। 
आप खुद अनुमान लगाइए मच्छरों की जनसंख्या का घनत्व, मच्छरों से मनुष्यों तक प्रसार और मनुष्यों से मच्छरों तक प्रसार मलेरिया के फैलने के कारक हैं। इन कारकों में से किसी एक को भी बहुत कम कर दिया जाए तो उस क्षेत्र से मलेरिया को मिटाया या कम किया जा सकता है। इसीलिए मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों मे रोग का प्रसार रोकने हेतु दवाओं के साथ-साथ मच्छरों का उन्मूलन या उनसे काटने से बचने के उपाय किये जाते हैं। अनेक अनुसन्धान कर्ता दावा करते हैं कि मलेरिया के उपचार की तुलना मे उस से बचाव का व्यय दीर्घ काल मे कम रहेगा। 1956-1960 के दशक मे विश्व स्तर पर मलेरिया उन्मूलन के व्यापक प्रयास किए गए। किंतु उनमें सफलता नहीं मिल सकीं और मलेरिया आज भी उसी स्तर पर मौजूद है। 
मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करके मलेरिया पर बहुत नियन्त्रण पाया जा सकता है। खड़े पानी में मच्छर अपना प्रजनन करते हैं, ऐसे खड़े पानी की जगहों को ढक कर रखना, सुखा देना या बहा देना चाहिये या पानी की सतह पर तेल डाल देना चाहिये, जिससे मच्छरों के लारवा सांस न ले पाएं। इसके अतिरिक्त मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों में अकसर घरों की दीवारों पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाता है। अनेक प्रजातियों के मच्छर मनुष्य का खून चूसने के बाद दीवार पर बैठ कर इसे हजम करते हैं। ऐसे में अगर दीवारों पर कीटनाशकों का छिड़काव कर दिया जाएं तो दीवार पर बैठते ही मच्छर मर जाएगा, किसी और मनुष्य को काटने के पहले ही। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में छिड़काव के लिए लगभग 12 दवाओं को मान्यता दी है। इनमें डीडीटी के अलावा परमैथ्रिन और डेल्टामैथ्रिन जैसी दवाएँ शामिल हैं, खासकर उन क्षेत्रों मे जहाँ मच्छर डीडीटी के प्रति रोधक क्षमता विकसित कर चुके है। 
मच्छरदानियां मच्छरों को लोगों से दूर रखने मे सफल रहती हैं तथा मलेरिया संक्रमण को काफी हद तक रोकती हैं। एनोफिलीज़ मच्छर चूंकि रात को काटता है। इसलिए, बड़ी मच्छरदानी को चारपाई/बिस्तर पे लटका देने तथा इसके द्वारा बिस्तर को चारों तरफ से पूर्णतः घेर देने से सुरक्षा पूरी हो जाती है। मच्छरदानियां अपने-आप में बहुत प्रभावी उपाय नहीं हैं, किंतु यदि उन्हें रासायनिक रूप से उपचारित कर दें, तो वे बहुत उपयोगी हो जाती हैं। मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों में मलेरिया के प्रति जागरूकता फैलाने से मलेरिया में 20 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है। साथ ही मलेरिया का निदान और इलाज जल्द से जल्द करने से भी इसके प्रसार में कमी होती है।

'पीएम' मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला

'पीएम' मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला  इकबाल अंसारी  नई दिल्ली। संसद सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर...