बुधवार, 18 सितंबर 2024

वकील को फटकार लगाई, डेकोरम बनाएं रखें

वकील को फटकार लगाई, डेकोरम बनाएं रखें 

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। गर्मी के मौसम में ड्रेस कोड से राहत मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एडवोकेट को देश की शीर्ष अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा है कि कुर्ता-पायजामा पहनकर आप बहस नहीं कर सकते हैं वकील साहब। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने गर्मी के मौसम में ड्रेस कोड से राहत मांगने के लिए पहुंचे एडवोकेट को सुप्रीम फटकार लगाते हुए कहा है कि अदालत में डेकोरम बनाकर रखना ही पड़ेगा और आपको उचित कपड़ों में आना पड़ेगा। 
सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट को यह फटकार उस समय लगाई हैं, जब याचिका दाखिल करने वाले वकील साहब काले कोर्ट और गाऊन से छूट देने और किसी अन्य रंग के कपड़े पहनने की अनुमति की डिमांड को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटा रहे थे। उन्होंने इसके लिए मौसम का भी हवाला दिया था। एडवोकेट की यह याचिका भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच के सामने सुनवाई के लिए पहुंची थी। अदालत का कहना है कि देशभर में मौसम की स्थिति अलग-अलग होती है। ऐसे हालातों में बार काउंसिल आफ इंडिया और केंद्र सरकार का इस बाबत फैसला लेने के लिए यह उचित मुद्दा होगा।

इजरायल के खिलाफ जंग का ऐलान: हिजबुल्लाह

इजरायल के खिलाफ जंग का ऐलान: हिजबुल्लाह 

अखिलेश पांडेय 
लेबनान। लेबनान पेजर ब्लास्ट के हिजबुल्लाह ने इजरायल के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है। हिजबुल्लाह ने बुधवार (18 सितंबर) को इजरायल की सीमा चौकियों पर ताबड़-तोड़ रॉकेट दागे हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक लेबनान पेजर ब्लास्ट के बाद हिजबुल्लाह ने इजरायल के खिलाफ पहली बार सीमा पार हमलों को अंजाम दिया है। बीते दिन यानी मंगलवार (17 सितंबर) को लेबनान में एक साथ कई पेजर विस्फोट हुआ। पेजर एक तरह का संचार साधन है, कमोवेश इसे मोबाइल फोन की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है। 
हालांकि, वक्त के साथ लोगों ने फोन का इस्तेमाल करना जारी रखा। बीते दिन हुए हमले में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई है। इस धमाके के तार इजरायल से जुड़ रहे हैं। हिजबुल्लाह ने आरोप लगाया है कि हमले में इजरायल का हाथ हैं। हालांकि, इजरायली सेना ने इसपर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। हिज्बुल्लाह संगठन के भीतर संचार के लिए पेजर्स का इस्तेमाल करता है। पेजर्स से उनकी लोकेशन ट्रेस नहीं हो पाती है। मोबाइल फोन के इस्तेमाल से लोकेशन के ट्रेस होने का खतरा बना रहता है। इसलिए हिज्बुल्लाह फोन के बजाए पेजर्स को तरजीह देते हैं। पेजर एक वायरलेस टेली-कम्युनिकेशन डिवाइस होता है। जिसका इस्तेमाल वॉइस और टेक्स्ट मैसेज भेजने के लिए किया जाता है। ये पेजर्स कैसे फटे इसे लेकर हिज्बुल्लाह ने कोई बयान नहीं दिया है। 
हालांकि, अंदेशा जताया जा रहा है कि किसी तरह बैट्री को गर्म किया गया। ताकि लिथियम बैट्री अत्याधिक गर्म होकर फट जाए। हालांकि जानकारों ने इस थ्योरी पर सवाल खड़े किए हैं। जानकारों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में सभी पेजर्स के साथ ऐसा करना संभव नहीं है।

बुलडोजर विध्वंस कानून के राज का प्रतीक नहीं है

बुलडोजर विध्वंस कानून के राज का प्रतीक नहीं है

संदीप मिश्र 
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुलडोजर एक्शन पर लगाई गई रोक को लेकर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि बुलडोजर विध्वंस कानून का राज का प्रतीक नहीं है। बुधवार को बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सोशल मीडिया के मुख्य प्लेटफार्म एक्स पर की गई पोस्ट में कहा है कि बुलडोजर विध्वंस कानून का राज का प्रतीक नहीं है। लेकिन, इसके बावजूद बुलडोजर के प्रयोग की बढ़ती प्रवृत्ति चिंतनीय है। 
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि बुलडोजर वह अन्य किसी मामले में जब आम जनता उससे सहमत नहीं होती है, तो फिर केंद्र सरकार को आगे जाकर उस पर पूरे देश के लिए एक समान गाइड लाइंस बनानी चाहिए, जो नहीं की जा रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने आगे कहा है कि वरना बुलडोजर एक्शन के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देते हुए केंद्र सरकार की जिम्मेदारी को खुद नहीं निभाना पड़ता जो यह जरूरी था। उन्होंने कहा है कि केंद्र एवं राज्य सरकारी संविधान एवं कानूनी राज के अमल होने पर जरूर ध्यान दें।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-334, (वर्ष-11)

पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254

2. बृहस्पतिवार, सितंबर 19, 2024

3. शक-1945, आश्विन, कृष्ण-पक्ष, तिथि-दूज, विक्रमी सवंत-2079‌‌। 

4. सूर्योदय प्रातः 05:39, सूर्यास्त: 06:58।

5. न्‍यूनतम तापमान- 32 डी.सै., अधिकतम- 37 डी.सै.। गर्जना के साथ बूंदाबांदी होने की संभावना।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।

7. स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय (डिजीटल सस्‍ंकरण)। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।

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मंगलवार, 17 सितंबर 2024

पूर्णिमा: आज से शुरू हुआ पितृ पक्ष, जानिए

पूर्णिमा: आज से शुरू हुआ पितृ पक्ष, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 
पितरों की आत्मा की मुक्ति और शांति के लिए भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आरम्भ होकर आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक एक पखवाड़े तक चलने वाला पितृपक्ष आज से शुरू हो गया है। एक पखवाड़े तक चलने वाले श्राद्ध तिथियों में मुख्य 18 सितम्बर को प्रतिपदा तिथि को पड़वा श्राद्ध, 26 सितंबर को मातृ नवमी को मां का श्राद्ध, 29 सितंबर द्वादशी का तिथि को संन्यासियों का, एक अक्टूबर चतुर्दशी तिथि पर अस्त्र-शस्त्र या अकाल मौत वालों का श्राद्ध और दो अक्टूबर को अमावस्या का श्राद्ध किया जाता है। 
सनातन धर्म में पितरों की आत्मशंति और मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृ पक्ष का समय महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस महीनें में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से पितरों को मोक्ष मिलता है। मान्यता है कि श्राद्ध कर्म करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और वंश वृद्धि का आशीष प्राप्त होता है। हर साल पितृपक्ष में पूर्वज पितृलोक से धरती लोक पर आते हैं और श्राद्ध मिलने पर प्रसन्न होकर स्वस्थ, चिरंजीवी, धनधान्यपूर्ण और परिवार के मंगल का आशीर्वाद देकर पितृ लोक को वापस जाते हैं। हिन्दू अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं और उनके लिए पिण्ड दान करते हैं। 
इसे ‘सोलह श्राद्धÓ, ‘महालय पक्ष, ‘अपर पक्षÓ आदि नामों से भी जाना जाता है। स्मृतियों एवं पुराणों में भी आत्मासंसरण संबंधी विश्वास पाए जाते हैं और इनमें भी पितृर्पण के लिए श्राद्ध संस्कारों की महत्ता परिलक्षित होती है। मृत्युपरांत पितृ-कल्याण-हेतु पहले दिन दस दान और अगले दस ग्यारह दिन तक अन्य दान दिए जाने चाहिए। इन्हीं दान की सहायता से मृतात्मा नई काया धारण करती है और अपने कर्मानुसार पुनरावृत्त होती है। पिंडदान की परंपरा केवल प्रयाग, काशी और गया में है, लेकिन पितरों के पिंडदान और श्राद्ध कर्म की शुरुआत प्रयाग में क्षौर कर्म से होती है। 
पितृपक्ष में हर साल बड़ी संख्या में लोग देश के कोने कोने से ङ्क्षपण्ड दान के लिए संगम आते हैं। पितृ मुक्ति का प्रथम एवं मुख्य द्वार कहे जाने के कारण संगमनगरी में पिंडदान और श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है। धर्म शास्त्रों में भगवान विष्णु को मोक्ष के देवता माना जाता है। प्रयाग में भगवान विष्णु बारह भिन्न रूपों में विराजमान हैं। मान्यता है कि त्रिवेणी में भगवान विष्णु बाल मुकुंद स्वरूप में वास करते हैं। प्रयाग को पितृ मुक्ति का पहला और मुख्य द्वार माना जाता है। काशी को मध्य और गया को अंतिम द्वार कहा जाता है। प्रयाग में श्राद्ध कर्म का आरंभ मुंडन संस्कार से होता है। 
प्रयाग धर्म संघ के अध्यक्ष पंड़ति राजेंद्र पालीवाल ने बताया कि धर्म शास्त्रों में कहा गया है, ‘किसी भी पाप और दुष्कर्म की शुरुआत मुंडन से होती है। इसलिए कोई भी धार्मिक कृत्य करने से पहले मुंडन कराया जाता है।Ó प्रयाग क्षेत्र में वैदिक मंत्रों के मध्य मुंडन तर्पण और पिंडदान करने से किसी भी मनुष्य के तीन पीढिय़ों के पुरखों को गया धाम चलने के लिए निमंत्रण मिलता है। श्राद्ध पक्ष के दौरान पूर्वज अपने परिजनों के हाथों से तर्पण स्वीकार करते हैं। पूर्णिमा पर अकाल मृत्यु की वजह से भटकती आत्माओं की शांति के लिए विधि-विधान से पूजन और पिंडदान की परंपरा है। 
उन्होंने बताया कि खासतौर से प्रयाग क्षेत्र में मुंडन कराने का विशेष महत्व है। प्रयाग क्षेत्र में एक केश का मुंडन कराने से अक्षय पुण्य का लाभ मिलता है। धर्म शास्त्रों में कहा गया है, ‘काशी में शरीर का त्याग कुरुक्षेत्र में दान और गया में पिंडदान का महत्व प्रयाग में मुंडन संस्कार कराए बिना अधूरा रह जाता है। प्रयाग क्षेत्र में मुंडन कराने से सारे मानसिक शारीरिक और वाचिक पाप नष्ट हो जाते हैं। अध्यक्ष ने बताया कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में पितृ धाम से धरा धाम पर आए पितरों का पिंडदान किया जाता है। 
संगम तट पर पिंडदान के लिए देश के कई हिस्सों से लोग पहुंचते हैं। पुराणों के अनुसार त्रिवेणी संगम पर पिंडदान और तर्पण करने से पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है। यहां तर्पण और पिंडदान किए बिना दिवंगत की आत्मा अतृप्त रहती है। पितृदोष से मुक्ति के बिना परिवार में सुख-समृद्धि नहीं आती। किसी की अकाल मृत्यु, माता-पिता व मातृ-पितृ पक्ष के किसी अन्य परिजन की मृत्यु के श्राद्ध और पिंडदान करने के ही दोष से मुक्ति मिलती है। पितृ पक्ष में पितरों का पिंडदान करना सुख एवं समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि तर्पण करने से उन्हें मुक्ति मिलती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार साधु-संत एवं बच्चों का पिंडदान नहीं किया जाता। पितर के निमित्त अर्पित किए जाने वाले पके चावल, दूध, काला तिल मिश्रित ङ्क्षपड बनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार मृत्यु के बाद प्रेत योनि से बचने के लिए पितृ पक्ष में तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जिस व्यक्ति को पुत्र नहीं है, पितृ ऋण से मुक्ति के लिए बेटी भी पिंडदान और तर्पण कर सकती है। 
श्राद्ध की महत्ता ब्रह्म पुराण, गरूड़ पुराण, विष्णु पुराण, वराह पुराण, वायु पुराण, मत्स्य पुराण, मार्कण्डेय पुराण, कर्म पुराण एवं महाभारत, मनुस्मृति और धर्म शास्त्रों में विस्तृत रूप से बताया गया है। देव, ऋषि और पितृ ऋण निवारण के लिए श्राद्ध कर्म सबसे सरल उपाय है। उन्होंने बताया कि पितृ पक्ष में पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होकर वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पिंडदान नहीं करने से वंशजों को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। 
यजमान को तर्पण की सामग्री लेकर दक्षिण की तरफ मुंह करके बैठना चाहिए। इसके बाद हाथों में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करके उन्हें आमंत्रित कर जल ग्रहण करने की प्रार्थना किया जाता है। इसके बाद जल को 11 बार अंजलि से जमीन पर गिराना चाहिए। प्रयाग धर्मसंघ के अध्यक्ष ने बताया कि श्राद्ध कर्म श्वेत वस्त्र पहनकर ही करना चाहिए। जौ के आटे या खोये से ङ्क्षपड बनाकर चावल, कच्चा सूत, फूल, चंदन, मिठाई, फल, अगरबत्ती, तिल, कुशा, जौ और दही से ङ्क्षपड का पूजन किया जाता है। पिंडदान करने के बाद पितरों की आराधना करने के बाद ङ्क्षपड को उठाकर पवित्र जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।

'जल संरक्षण' हेतु मिलकर काम करने की जरूरत

'जल संरक्षण' हेतु मिलकर काम करने की जरूरत 

इकबाल अंसारी 
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जल संरक्षण के लिए सभी हित धारकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि जल ही जीवन है। इसलिए, सब प्राणियों को पानी उपलब्ध कराने के लिए जल संरक्षण को आंदोलन बनाने की जरूरत है। मुर्मू ने मंगलवार को यहां भारत मंडपम में तीन दिन तक चलने वाले 8वें भारत जल सप्ताह सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि जल संरक्षण को देश ही नहीं, पूरी दुनिया में आंदोलन बनाने की जरूरत है और इसके लिए सभी हितधारकों को मिलकर पानी बचाने के नए तथा सभी परंपरागत तरीकों को अपना कर पानी का संरक्षण करने की आवश्यकता है। 
उन्होंने जल संरक्षण के लिए मंत्रालय द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की और कहा कि जल संरक्षण प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाने, इसके विकास और वितरण के लिए सभी हितधारकों के बीच सहयोग, समावेशिता और साझेदारी को बढ़ावा देने के जो प्रयास जल शक्ति मंत्रालय कर रहा है उसके कार्य सराहनीय हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि मंत्रालय ने जल मिशन के तहत सभी नागरिकों तक स्वच्छ पानी की पहुंच सुनिश्चित की है। यह और प्रसन्नता की बात है कि देश में 78 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों को पानी के कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं और पानी की पहुंच की दिशा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि सभी को भागीदारी से आगे बढ़कर जल संरक्षण, बेहतर प्रबंधन,विकास और वितरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जन आंदोलन शुरु करना चाहिए।

राजस्व कार्यों की समीक्षा बैठक आयोजित हुई

राजस्व कार्यों की समीक्षा बैठक आयोजित हुई 

बृजेश केसरवानी 
प्रयागराज। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार माँदड़ की अध्यक्षता में मंगलवार को संगम सभागार में राजस्व कार्यों की समीक्षा बैठक आयोजित हुई। बैठक में सर्वप्रथम जिलाधिकारी ने सभी जिला स्तरीय अधिकारीगण व कलेक्ट्रेट के स्टाफ से बारी-बारी से परिचय प्राप्त किया। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को अपने दायित्वों का ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा के साथ निर्वहन करने के लिए कहा है। उन्होंने सभी उपजिलाधिकारी व तहसीलदार को निर्देशित करते हुए कहा कि सभी लोग अपनी तहसील में समय से बैठें और जनसुनवाई कर जनसमस्याओं का निर्धारित समयसीमा के अंदर गुणवत्तापूर्ण निस्तारण करें। उन्होंनेशं तहसीलदारों को तहसील व थाने की टीम के साथ समन्वय बनाकर सरकारी जमीन पर होने वाले अवैध कब्जों को अतिक्रमणमुक्त कराये जाने के लिए कहा है।
जिलाधिकारी ने कहा की शासन स्तर पर आईजीआरएस की समीक्षा की जा रही है। उन्होंने सख्त निर्देश देते हुए कहा की आई0जी0आर0एस0 पोर्टल पर प्राप्त होने वाली शिकायतों/लम्बित सन्दर्भाें का गुणवत्तापूर्ण एवं ससमय निस्तारण कराया जाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि किसी भी दशा में प्राप्त सन्दर्भ डिफाल्टर/लम्बित की श्रेणी में नही आना चाहिए। जिलाधिकारी ने सभी कार्यालयाध्यक्षों को शिकायतों का निस्तारण गुणवत्तापूर्ण ढंग से निस्तारित करने के पश्चात उसको पोर्टल पर समय से अपलोड कराये जाने का भी निर्देश दिया है, जिससे कि निस्तारण की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। जिलाधिकारी ने कहा कि आई0जी0आर0एस0 की शिकायतों के निस्तारण पर किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें। लापरवाही पाएं जाने पर सम्बंधित विभागों के अधिकारी स्वयं उत्तरदायी होंगे। 
उन्होंने समस्त उपजिलाधिकारियों को लम्बित प्रकरणों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी संबंधित तहसीलदार को निर्देशित करते हुए कहा कि पत्थरगड्ड़ी और पैमाइश का कार्य समय से गुणवत्तापूर्ण से पूरा करा ले। उन्होंने उपजिलाधिकारियों व तहसीलदारों को राजस्व कर्मियों के कार्यों का निरंतर अनुश्रवण करते रहने का निर्देश दिया हैै। साथ ही साथ यह भी निर्देशित किया है कि कार्यों में लापरवाही बरतने वाले कर्मिंयों के विरूद्ध कार्रवाई भी सुनिश्चित करेें। उन्होंने फील्ड में जाकर इसकी जांच करते करने के लिए निर्देशित किया है। आपसी जमीनी विवाद से सम्बंधित झगड़े को सुलह समझौता करके सुलझाने का प्रयास किया जाएं।
जिलाधिकारी ने राजस्व मुकदमों का निस्तारण समयबद्ध तरीके से किए जाने तथा जमीनी विवादों का निस्तारण मौके पर जाकर कराये जाने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में किसी के साथ अन्याय न होने पाएं। जमीनी मामलों को गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष तरीके से गुणवत्ता के साथ निस्तारण सुनिश्चित कराये जाने के लिए कहा। उन्होंने आपदा विभाग से कहा दुर्घटना/हानि होने पर आपदा राहत से समय से मुआवजा दिया जाए। 
इस अवसर पर समस्त उप जिलाधिकारी, समस्त तहसीलदार, जिला स्तरीय अधिकारी गण सहित संबंधित अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहें।

कथा के आयोजन में उमड़ा भक्तों का जन-सैलाब

कथा के आयोजन में उमड़ा भक्तों का जन-सैलाब  रामबाबू केसरवानी  कौशाम्बी। नगर पंचायत पूरब पश्चिम शरीरा में श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन में भक्तो...