सोमवार, 16 सितंबर 2024

रेल एक्सटेंशन के दूसरे चरण का उद्घाटन किया

रेल एक्सटेंशन के दूसरे चरण का उद्घाटन किया 

इकबाल अंसारी 
गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद मेट्रो रेल एक्सटेंशन के दूसरे चरण का उद्घाटन करने के बाद गुजरात के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ सेक्शन-1मेट्रो स्टेशन से गिफ्ट सिटी मेट्रो स्टेशन तक गाड़ी में सफर किया। 
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद मेट्रो रेल एक्सटेंशन के दूसरे चरण का उद्घाटन किया। भारी करतल ध्वनि के बीच हुए अहमदाबाद मेट्रो रेल एक्सटेंशन के दूसरे चरण का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत एवं मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के साथ मेट्रो ट्रेन में सवार होकर सेक्शन-1 मेट्रो स्टेशन से लेकर गिफ्ट सिटी मेट्रो स्टेशन तक सफर किया। 
थोड़ी देर बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भुज एवं अहमदाबाद के बीच चलने वाली देश की पहले वंदे मेट्रो ट्रेन के अलावा कई अन्य वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। जिन वंदे भारत ट्रेनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा, वह कोल्हापुर- पुणे, पुणे- हुबली, नागपुर- सिकंदराबाद और आगरा कैंट से बनारस एवं दुर्ग से विशाखापट्टनम समेत अलग-अलग रूट पर चलेंगी। 

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-332, (वर्ष-11)

पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254

2. मंगलवार, सितंबर 17, 2024

3. शक-1945, भाद्रपद, शुक्ल-पक्ष, तिथि-चतुर्दशी, विक्रमी सवंत-2079‌‌। 

4. सूर्योदय प्रातः 05:39, सूर्यास्त: 06:58।

5. न्‍यूनतम तापमान- 33 डी.सै., अधिकतम- 37 डी.सै.। गर्जना के साथ बूंदाबांदी होने की संभावना।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।

7. स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय (डिजीटल सस्‍ंकरण)। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

http://www.universalexpress.page/ www.universalexpress.in 

email:universalexpress.editor@gmail.com 

संपर्क सूत्र :- +919350302745--केवल व्हाट्सएप पर संपर्क करें, 9718339011 फोन करें।

(सर्वाधिकार सुरक्षित)

रविवार, 15 सितंबर 2024

जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं 'नमक' का सेवन

जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं 'नमक' का सेवन 

सरस्वती उपाध्याय 
नानी की सुनाई कहानी में एक राजकुमारी का बखान था। जिसके पिता ने एक बार उससे पूछा कि दुनिया में उसे सबसे प्यारा कौन है ? जाहिर है, कि पिता लाडली के मुख से अपना नाम सुनना चाहता था। जब बिटिया ने जवाब दिया नमक, तो राजा नाराज हो गया और उसने बेटी को नजरों से दूर रहने का हुक्म सुना दिया। बरसों बाद जब वैध के आदेशानुसार उसे बिना नकम का फीका खाना खाने को मजबूर होना पड़ा। तब उसे नमक की कीमत समझ आई। 
बहरहाल, बोल-चाल की भाषा में नमक हलाली और नमक हरामी जैसे मुहावरे खान-पान में नमक का महत्व स्वीकार करते हैं। नमक के साथ सौंदर्य का अंतरंग संबंध सूरत के नमकीन होने जैसे प्रचलित मुहावरों से स्पष्ट होता है। यही बात लवण और लावण्य जैसे शब्दों से भी झलकती है।

नमक का जीवन में महत्व

नमक न केवल बुनियादी स्वाद है, बल्कि मीठे की तरह हमारे जीवित रहने के लिए भी जरूरी है। इसका रासायनिक नाम है सोडियम क्लोराइड है, जो हमारे मस्तिष्क में अति सूक्ष्म विद्युत प्रक्रियाओं को संचालित करता है। इसके अलावा, हमारे शरीर में जल संचय-संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती पर जीवन नमकीन जल वाले महासागर में ही प्रकट हुआ था, इसीलिए हमारे जीवन का आधार नमक है। बाइबिल की एक विचारोत्तेजक पंक्ति है- यदि धरती ही अपना नमक गंवा दें, तब फिर बचता ही क्या है ? गर्मी के मौसम में जब पसीने के साथ हमारे शरीर से नमक बह निकलता है, तो जीवन संकटग्रस्त हो जाता है। यही स्थिति पेचिश के रोग में जलाभाव से या आंव में उत्पन्न होती है। इसका उपचार सलाइन यानि नमक का घोल चढ़ाकर या नमक-चीनी के मिश्रण से ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी के जरिए तत्काल किया जाता है। रक्तचाप के रोगियों या क्षतिग्रस्त गुर्दे वालों को नमक से परहेज करना पड़ता है पर फिर भी कम सोडियम वाले नमक का नुस्खा अपनाना पड़ता है। 
नमक सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि बेहतरीन कुदरती संरक्षक भी है- चीनी की ही तरह। दुनियाभर में हजारों साल से मनुष्य सब्जियों को ही नहीं, मांस-मछली को भी नमक से पका कर बेमौसम इसका आनंद लेता रहा है। नमक सागर के जल के वाष्पीकरण से प्राप्त होता है और जहां इसे चट्टान काटकर निकाला जाता है। वहां भी कभी समुद्र या खारे जल की बड़ी झील सागर के अवशेष में ही इसका स्त्रोत रहा होगा। सदियों से नमक का व्यापार अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रेरित करता रहा है और निर्मम शाकर पराजित विपक्षियों को नमक खदानों में नारकीय जीवन बिताने के लिए निर्वासित करते रहे हैं।

नमक का कई तरीकों से इस्तेमाल

जख्मों पर नमक छिड़कने वाली लोकोक्ति यह दर्शाती है कि नमक का दुरुपयोग भी संभव है। व्रत उपवास के दिन नमक से परहेज करने का विधान है। लेकिन, सेंधा नमक समुद्री नक से फर्क रखता है और शाकाहार के लिए उपयुक्त समझा जाता है। गंधक की गंध वाले काले नमक का इस्तेमाल वह लोग भी बेहिचक कर सकते हैं, जो लहसुन को तामसिक पदार्थ मान इसे वर्जित समझते हैं। आयुर्वेद में मसाले मिलाकर इसका औषधीय प्रयोग किया जाता रहा है- मिसाल के तौर पर लवण भास्कर जैसे नुस्खों में। दाडिमाष्टक और हिंगाष्टक जैसे चूर्ण भी नमक आधारित हैं। आम आदमी के लिए नमक की अहमियत को जानकर ही बापू ने अंग्रेजों को अहिंसक ढंग से ललकारने के लिए नमक सत्याग्रह शुरू किया था।

'सीएम' योगी ने 300 लोगों की समस्याएं सुनीं

'सीएम' योगी ने 300 लोगों की समस्याएं सुनीं 

संदीप मिश्र 
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर प्रवास के दौरान रविवार सुबह गोरखनाथ मंदिर में आयोजित जनता दर्शन में करीब 300 लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं और समस्या लेकर आए लोगों को आश्वस्त किया। 
हर व्यक्ति की समस्या का समाधान कराना संवेदनशील सरकार की प्राथमिकता है। योगी रविवार को रविवार को आयोजित जनता दर्शन गोरखनाथ मंदिर परिसर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति भवन के सामने किया। जिसमे आए लोगों को हमेशा की तरह कुर्सियों पर बैठाया गया था। इन लोगों तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद पहुंचे। एक.एक कर और ध्यान से सबकी समस्याएं सुनीं। उन्हें आश्वस्त किया कि वह सभी की समस्याओं का समाधान सुनिश्चित कराएंगे। किसी को भी घबराने या परेशान होने की आवश्यकता नहीं हैं। 
उन्होंने कहा कि किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। हर समस्या का निराकरण कराया जाएगा। हर शिकायत पर प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी। जनता दर्शन में लोगों की समस्या सुनने के साथ ही योगी पास में मौजूद अधिकारियों को निर्देशित करते रहे कि हर पीड़ित व्यक्ति की समस्या पर संवेदनशीलता से ध्यान दें और उसका समयबद्ध व पारदर्शी निस्तारण कराएं। इसमें किसी तरह की शिथिलता नहीं होनी चाहिए।उन्होंने लोगों के प्रार्थना पत्रों को उन्होंने अधिकारियों को हस्तगत करते हुए निर्देश दिया कि हर समस्या का निस्तारण त्वरित, गुणवत्तापूर्ण और संतुष्टिप्रद होना चाहिए। कुछ लोगों द्वारा जमीन कब्जाने की शिकायत पर उन्होंने कठोर कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी की भी जमीन पर कब्जा नहीं होना चाहिए। यदि कोई दबंग या भू-माफिया ऐसी हिमाकत कर रहा हो, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। 
योगी ने कहा कि अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति ही मानक होनी चाहिए। जनता दर्शन में हर बार की तरह कुछ लोग इलाज में आर्थिक मदद की गुहार लेकर पहुंचे थे। मुख्यमंत्री ने उनसे कहा कि इलाज में धन की कमी बाधक नहीं होगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि इलाज में अस्पताल के इस्टीमेट की प्रक्रिया को जल्द पूर्ण कराकर शासन में भेजें। मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से इलाज के लिए पर्याप्त राशि दी जाएगी। 

मृत्यु के बाद दिमाग की गतिविधियों को चलाया

मृत्यु के बाद दिमाग की गतिविधियों को चलाया 

अखिलेश पांडेय 
वाशिंगटन डीसी। वैज्ञानिकों ने एक सूअर के दिमाग की कोशिकीय गतिविधियों को उसकी मौत के कई घंटों बाद चलाए रखने में सफलता पाई है। इस कामयाबी के बाद अब एक सवाल उठा है कि वो क्या है, जो जानवर या फिर इंसान को जिंदा बनाए रखता है ? रिसर्च करने वाले अमेरिका के वैज्ञानिकों का कहना है कि एक दिन इस नई खोज का उपयोग दिल का दौरा झेलने वाले मरीजों के इलाज और मानसिक आघात के रहस्यों को समझने में किया जा सकेगा। 
इंसान और बड़े स्तनधारियों के दिमाग की नसों की गतिविधि के लिए जरूरी कोशिकाओं की सक्रियता रक्त का प्रवाह बंद होने के साथ ही रुकने लगती हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे लौटाया नहीं जा सकता। एक नई स्टडी के नतीजे बता रहे हैं कि सूअरों के दिमाग में रक्त के प्रवाह और कोशिकाओं की गतिविधि को मौत के कई घंटों बाद भी बहाल किया जा सकता है। अमेरिकी रिसर्च प्रोग्राम के तहत चल रहे एनआईएच ब्रेन इनिशिएटिव के वैज्ञानिकों की टीम ने 32 सूअरों के दिमाग का इस्तेमाल किया। इन सूअरों को खाने के लिए मार दिया गया था और इनके दिमाग को चार घंटे तक बगैर ग्लूकोज या खून के प्रवाह के रखा गया था। इसके बाद एक टिश्यू सपोर्ट सिस्टम का इस्तेमाल कर खून जैसे एक तरल को इनके अंगों से बहाया गया। इसके बाद इनके दिमाग में अगले छह घंटे तक तरल का बहाव बना रहा। 
इसके नतीजे हैरान करने वाले रहे। जिन दिमागों को कृत्रिम रक्त मिला उनकी कोशिकाओं की बुनियादी सक्रियता फिर से चालू हो गई। उनके रक्त वाहिनियों का संरचना फिर से जीवित हो उठी वैज्ञानिकों ने कुछ स्थानीय प्रक्रियाओं को भी देखा। इनमें प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया भी शामिल है।
इस रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखकों में शामिल नेनाद सेस्तान येल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर हैं। उनका कहना है, “हम लोग हैरान रह गए कि कितनी अच्छी तरह से यह संरचना संरक्षित हुई। हमने देखा कि कोशिकाओं की मौत में कमी आई। जो बहुत उत्साह और उम्मीद जगाने वाला है। असल खोज यह रही कि दिमाग में कोशिकाओं की मौत जितना हमने पहले सोचा था, उससे कहीं ज्यादा समय के बाद होती है।” वैज्ञानिकों ने जोर दे कर कहा है कि उन्होंने “उच्च स्तर की व्यवहारिक सक्रियता” देखी है। जैसे कि विद्युतीय संकेत जो पुनर्जीवित मस्तिष्क में चेतना से जुड़ी है। 
सेस्तान का कहना है, “यह संकेत है कि दिमाग जिंदा है और हमने ऐसा पहले कभी नहीं देखा। यह जीवित दिमाग नहीं है बल्कि कोशिकीय सक्रिय दिमाग है।” इस रिसर्च से पता चलता है कि वैज्ञानिकों ने किसी मरीज को दिमागी रूप से मरा हुआ घोषित करने के बाद उसके दिमाग की खुद से पुनर्जीवित होने की क्षमता को बहुत महत्व नहीं दिया। हालांकि, इस रिसर्च पर प्रतिक्रिया देने के लिए बुलाए गए विशेषज्ञों ने सैद्धांतिक और नैतिक सवाल भी उठाए हैं। ड्यूक यूनिवर्सिटी में कानून और दर्शन की प्रोफेसर नीता फाराहानी ने लिखा है कि इस रिसर्च ने “लंबे समय से जीवन को लेकर चली आ रही समझ पर यह सवाल उठाया है कि किसी जानवर या इंसान को जिंदा कौन बनाता है।” उनका कहना है कि रिसर्चरों ने अनजाने में नैतिक रूप से एक दुविधा की स्थिति बना दी है। जहां प्रयोग में इस्तेमाल किए गए सूअर “जीवित नहीं थे लेकिन पूरी तरह से मरे भी नहीं थे।” ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में मेडिकल एथिक्स के प्रोफेसर डोमिनिक विल्किंसन का कहना है कि इस रिसर्च का भविष्य में दिमाग पर होने वाले रिसर्च पर काफी प्रभाव होगा। उन्होंने कहा “यह रिसर्च हमें बताता है कि “मृत्यु” किसी एक घटना से ज्यादा एक प्रक्रिया है, जो समय के साथ होती है। मानव अंगों के अंदर की कोशिकाएं भी शायद इंसान के मौत के बाद कुछ समय तक जीवित रहती होंगी।” 

आज मनाया जाएगा 'ईद मिलाद-उन-नबी' का पर्व

आज मनाया जाएगा 'ईद मिलाद-उन-नबी' का पर्व 

सरस्वती उपाध्याय 
ईद मिलाद-उन-नबी को ईद-ए-मिलाद के नाम से भी जाना जाता है। इस्लाम धर्म में ईद मिलाद-उन-नबी का त्योहार पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। ईद मिलाद-उन-नबी इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी अल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाने वाला एक खास इस्लामिक त्योहार है। इस दिन मुसलिम समुदाय में विशेष प्रार्थनाएं, समारोह और जश्न मनाए जाते हैं। लोग मस्जिदों में जाकर प्रार्थना करते हैं और पैगंबर मुहम्मद साहब की शिक्षाओं को याद करते हैं। ईद मिलाद-उन-नबी इस बार 15 सितंबर की शाम से लेकर 16 सितंबर की शाम तक मनाया जाएगा। 

ईद मिलाद-उन-नबी का महत्व

ईद मिलाद-उन-नबी का महत्व इस्लामिक धर्म में बहुत अधिक है। यह त्योहार पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर के रूप में मनाया जाता है। जिन्हें इस्लामिक धर्म का आखिरी पैगंबर माना जाता है। साथ ही, यह त्योहार इस्लामिक लोगों को एकता के सूत्र में बांधता है और उन्हें पैगंबर की शिक्षाओं को याद करने का अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा, यह त्योहार मुसलिम लोगों को समाज सेवा के लिए प्रेरित करता है और गरीबों, जरूरतमंदों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करता है। 
इस दिन रात भर प्राथनाएं होती हैं और जगह-जगह जुलूस भी निकाले जाते हैं। घरों और मस्जिदों में कुरान पढ़ी जाती है। इस दिन गरीबों को दान भी किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि ईद मिलाद-उन-नबी के दिन दान और जकात करने से अल्लाह खुश होते हैं। 

ईद मिलाद-उन-नबी का इतिहास- पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म 

ईद मिलाद-उन-नबी का इतिहास इस्लामिक धर्म के पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्म से जुड़ा हुआ है। हजरत मुहम्मद साहब का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। सुन्नी लोग पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्म को रबी अल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाते हैं। जबकि, शिया लोग इस त्योहार को 17वें दिन मनाते हैं। यह दिन न केवल पैगम्बर मुहम्मद के जन्म का प्रतीक है। बल्कि, उनकी मृत्यु के शोक में भी इस दिन को याद किया जाता है। 
पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था। जब वह 6 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई। मां के निधन के बाद पैगंबर मोहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगें। इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था। अल्लाह ने सबसे पहले पैगंबर हजरत मोहम्मद को ही पवित्र कुरान अता की थी। इसके बाद ही पैगंबर साहब ने पवित्र कुरान का संदेश दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया।

प्रयागराज: 'डीएम' रविंद्र ने कार्यभार ग्रहण किया

प्रयागराज: 'डीएम' रविंद्र ने कार्यभार ग्रहण किया 

बृजेश केसरवानी 
प्रयागराज। नवागत जिलाधिकारी प्रयागराज रविंद्र कुमार मांदड़ ने रविवार को कोषागार में अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है। 2013 बैच के आईएएस अधिकारी रविन्द्र कुमार मांदड़ इसके पूर्व जनपद रामपुर, जौनपुर में जिलाधिकारी के पद पर कार्यरत रह चुके हैं। कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात नवनियुक्त जिलाधिकारी ने अधिकारियों से परिचय प्राप्त करते हुए उनसे सम्बंधित कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी (नगर) मदन कुमार, अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) पूजा मिश्रा, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) विनय कुमार सिंह, अपर जिलाधिकारी (नजूल) प्रदीप कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट विनोद कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।

चेन्नई टेस्ट: टीम 'इंडिया' ने 339 रन बनाएं

चेन्नई टेस्ट: टीम 'इंडिया' ने 339 रन बनाएं  अकांशु उपाध्याय  चेन्नई। भारत ने चेन्नई टेस्ट में बांग्लादेश के खिलाफ पहले दिन गुरुवार क...