डीएम को विभाग की कुछ खबर लेनी चाहिए
धर्मवीर उपाध्याय
गाजियाबाद। जनपद में हिन्दुस्तान, भारत और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के मध्यम से स्थान-स्थान पर गैस एजेंसी का लाइसेंस जरी किया गया है। एजेंसी के द्वारा उपभोक्ता को घरेलू गैस सिलेंडर की आपूर्ति की जाती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। परंतु, धांधली और अनियमितता की शुरुआत यहीं से शुरू हो जाती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, एजेंसी के द्वारा उपभोक्ताओं का वर्गीकरण कर लिया जाता है। आपूर्ति के लिए उपभोक्ताओं की एक निर्धारित संख्या के लिए एक आपूर्ति कर्ता नियुक्त किया जाता है। एजेंसी के द्वारा मात्र एक नियुक्ति की जाती है। खास बात यह है कि आपूर्ति कर्ता अनाधिकृत सहायकओं की सहायता से घर-घर आपूर्ति करने का कार्य करता है। एक ऐसे संदिग्ध व्यक्ति के द्वारा आपूर्ति की जाती है। जिसका कॉरपोरेशन, एजेंसी से कोई वास्ता नहीं है और किसी भी उपभोक्ता से कोई संबंध नहीं है। यहीं से शुरू हो जाता है चोरी का असली खेल।
अधिकृत आपूर्ति कर्ता और अनधिकृत सहायक मिलकर गैस की चोरी का काम शुरू कर देते हैं। सहायकों की कोई जवाबदेही नहीं होती है। जिसका सीधा-सीधा लाभ आपूर्ति कर्ता को प्राप्त होता है। उपभोक्ताओं की आपूर्ति में घटतौली की जाती है। इस प्रकरण में आपूर्ति कर्ता ही अंतिम कड़ी नहीं है। कुछ एजेंसी लाइसेंस धारक भी उपभोक्ताओं को लूटने में भरपूर सहयोग करते हैं और मोटा मुनाफा पाते हैं। इसके पीछे मुख्य करण यह है कि संबंधित विभाग और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की सांठ-गांठ अथवा कर गुजारी से इंकार नहीं किया जा सकता है। उपभोक्ता प्रतिदिन धांधली का शिकार होता है। प्रतिदिन लोग शिकायतें भी करते रहते हैं। लेकिन, कोई आपूर्ति कर्ता और एजेंसी लाइसेंस धारक विधि अनुरूप दंडित नहीं किया जाता है। जिला अधिकारी को जनहित में खाध आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की कुछ तो खबर लेनी चाहिए ?