हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान 80 लोग मारे गए
सुनील श्रीवास्तव
ढाका। बंगलादेश की राजधानी ढाका तथा देश के अन्य हिस्सों में रविवार को हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 80 लोग मारे गए और इसके बाद अधिकारियों ने अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है। प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार काफी संख्या में विद्यार्थियों ने शेख हसीना सरकार के इस्तीफे की मांग करते हुए असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया है। बंगलादेशी अखबार प्रोथिओम एलो की रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा बलों, सत्तारूढ़ अवामी लीग के कार्यकर्ताओं और प्रदर्शनकारियों के बीच हुईं झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 80 लोग मारे गए।
गौरतलब है कि पिछले महीने के आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों पर हुए ‘अत्याचार’ को लेकर सरकार के इस्तीफे की एक सूत्री मांग के साथ भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने असहयोग आंदोलन शुरू किया है। विद्यार्थियों ने सोमवार को लंबे मार्च का आह्वान किया है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार ने रविवार शाम छह बजे से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है। इसके साथ ही मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगा दी गयी है। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार अगले सरकारी आदेश तक कर्फ्यू लागू रहेगा। पूरे देश में खूनी झड़पों की खबरें हैं। प्रदर्शनकारियों ने सिराजगंज के इनायतपुर थाना पर हमला किया, जिसके कारण कम से कम 13 पुलिसकर्मी मारे गए। पुलिस मुख्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में मौतों की पुष्टि की। उल्लेखनीय है कि ढाका विश्वविद्यालय में हिंसक झड़पों के बाद पिछले महीने बंगलादेशी सरकार की सार्वजनिक नौकरियों के लिए आरक्षण विरोध प्रदर्शन तेज हो गया। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी सेवा में व्यापक आरक्षण को समाप्त करने की मांग की। बंगलादेश के सर्वोच्च न्यायालय ने 21 जुलाई को अधिकांश आरक्षण को खत्म कर दिया और आदेश दिया कि सार्वजनिक क्षेत्र की 93 प्रतिशत नौकरियों में योग्यता के आधार पर भर्ती की जानी चाहिए। देश के स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के परिवार के सदस्यों के लिए पांच प्रतिशत सीटें छोड़ दिया जाना चाहिए। शेष दो प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यकों या विकलांग लोगों के लिए आरक्षित हैं। जुलाई के अंत में, विदेशी निवेशकों के चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष जावेद अख्तर ने कहा कि बंगलादेशी अर्थव्यवस्था को विद्यार्थियों के प्रदर्शन, कर्फ्यू और संचार ब्लैकआउट के कारण 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।