शनिवार, 3 अगस्त 2024

छोटे किसानों को 'खाद्य सुरक्षा' की ताकत बताया

छोटे किसानों को 'खाद्य सुरक्षा' की ताकत बताया 

इकबाल अंसारी 
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में छोटे किसानों को देश की खाद्य सुरक्षा की ताकत बताते हुए शनिवार को कहा कि भारतीय कृषि की विविधता इस देश को विश्व की खाद्य सुरक्षा के लिए आशा की किरण बनाती है। मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित “कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई)” का उद्घाटन करते हुए ये बातें कहीं। 
यह सम्मेलन भारत में 65 साल बाद आयोजित किया गया है। सात दिवसीय इस सम्मेलन में दुनिया भर के करीब 1000 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जिसमें 40 प्रतिशत से अधिक महिला प्रतिनिधि हैं। मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि 65 साल पहले जब भारत ने मैसूर में इस सम्मेलन का आयोजन किया था। उस समय भारत की खाद्य सुरक्षा दुनिया की चिंता का विषय था, आज भारत दुनिया की खाद्य सुरक्षा की चिंता कर रहा है। 
उन्होंने कहा कि विश्व की चुनौतियों को एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य के समग्र दृष्टिकोण से ही ही निपटा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 65 साल पहले जब आईसीएई की कॉन्फ्रेंस यहां हुई थी, तो भारत नया-नया आजाद हुआ था और देश की खाद्य सुरक्षा और भारत की कृषि “दुनिया की चिंता का विषय था।” आज भारत, अपनी जरूरत से अधिक अन्न पैदा करने वाला देश है। आज भारत, दूध, दाल और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत अनाज, फल, सब्जियों, कपास, चीनी, चाय, जलीय मछली का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। ‘एक वो समय था, जब भारत की खाद्य सुरक्षा, दुनिया की चिंता का विषय था। एक आज का समय है, जब भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा के समाधान देने में जुटा है।’ इसलिए, ‘फूड सिस्टम ट्रांसफॉर्मेशन’ ( खाद्य प्रणाली का कायाकल्प) जैसे विषय पर चर्चा करने के लिए भारत के अनुभव बहुमूल्य हैं। इसका बहुत बड़ा लाभ विशेषकर ग्लोबल साउथ को मिलना तय है। सत्र को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि वैज्ञानिकों के अंतराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) के अध्यक्ष डॉक्टर मतीन कैम और नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने भी संबोधित किया। 
प्रधानमंत्री ने कहा, “कृषि क्षेत्र भारत की आर्थिक नीति में केंद्रीय महत्व रखता है। हमारे यहां, करीब 90 प्रतिशत कृषक परिवार ऐसे हैं, जिनके पास बहुत कम जमीन है। ये छोटे किसान ही भारत की खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत हैं। यही स्थिति एशिया के कई विकासशील देशों में है। इसलिए, भारत का मॉडल कई देशों के काम आ सकता है।” उन्होंने कहा कि स्वस्थ कृषि के लिए भारत में बड़े पैमाने पर रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके अच्छे परिणाम भी आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में भी स्वस्थ और जलवायु परिवर्तन को सहन करने में समर्थ कृषि पर बड़े पैमाने पर ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा, “हम अपने किसानों का सहयोग करने के लिए एक पूरा वातावरण विकसित कर रहे हैं। भारत का बहुत जोर जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील फसलों से जुड़ी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने पर है।” श्री मोदी ने प्रतिनिधियों को बताया कि बीते 10 वर्षों में भारत ने फसलों की करीब 900 ऐसी नयी किस्मों का विकास कर उनको किसानों का दिया है जो वातावरण के बढ़ते तापमान को सहन करने में समर्थ हैं। अपने किसानों को दी हैं। उन्होंने कहा, “हमारे यहाँ धान की कुछ किस्में ऐसी भी हैं, जिनको परंपरागत किस्मों के मुकाबले, एक चौथाई कम पानी चाहिए।” भारतीय कृषि की विविधता को विश्व की खाद्य सुरक्षा के लिए आशा की किरण बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “मैदानी इलाकों की खेती अलग है.. हिमालय की खेती अलग है...मरुभूमि...शुष्क मरुप्रदेश की खेती अलग है...जहां पानी कम होता है, वहां की खेती अलग है....औऱ तटीय क्षेत्रों की खेती अलग है। ये जो विविधता है, यही वैश्विक खाद्य की सुरक्षा के लिए के लिए भारत को उम्मीद की किरण बनाती है। भारत में हम आज भी छह मौसम को ध्यान में रखते हुए सबकुछ योजनबद्ध तरीके से करते हैं। हमारे यहां 15 अलग-अलग कृषि जलवायु क्षेत्र हैं, जिनकी अपनी खासियत है। भारत में अगर आप कुछ 100 किलोमीटर की दूरी तय करें, तो खेती बदल जाती है।” उन्होंने कहा कि आज के समय में पानी की कमी और जलवायु परिवर्तन के साथ ही पोषण भी एक बड़ी चुनौती है। इसका समाधान भी भारत के पास है। भारत, ज्वार बाजारा का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है। जिन्हें दुनिया सुपरफूड कहती है और उसे हमने श्री अन्न की पहचान दी है। ये ज्वारबाजार की खेती न्यूनतम पानी , अधिकतम उपज के सिद्धांत पर चलते हैं। भारत के अलग-अलग सुपरफूड, पोषण की समस्या का समाधान करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। श्री मोदी ने कहा कि जीवन और अन्न को लेकर, भारत की ज्ञान परंपरा हज़ारों वर्ष प्राचीन है। उसके आधार पर देश में खेती-बाड़ी का विकास हुआ है। भारत में करीब दो हज़ार वर्ष पहले “कृषि पराशर” नाम से जो ग्रंथ लिखा गया था, वो पूरे मानव इतिहास की धरोहर है। ये वैज्ञानिक खेती का एक विषद ग्रंथ है, जिसका अब अनुवाद भी मिल सकता है। 
इस ग्रंथ में कृषि पर ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव... बादलों के प्रकार...वर्षा को नापने का तरीका और भविष्यवाणी, वर्षाजल संभरण...जैविक खाद...पशुओं की देखभाल, बीज की सुरक्षा कैसे की जाए, भंडारण कैसे किया जाए... ऐसे अनेक विषयों पर इस ग्रंथ में विस्तार से बताया गया है। इसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए भारत में कृषि से जुड़ी शिक्षा और अनुसंधान का एक मजबूत इकोसिस्टम बना हुआ है। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत कृषि शिक्षा और अनुसंधान के विशाल नेटवर्क पर भी प्रकाश डाला और कहा कि भारत में 700 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं, जो किसानों तक नई टेक्नॉलॉजी पहुंचाने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत विश्व बंधु के तौर पर, मानवता के कल्याण को सर्वोपरि रखता है। जी-20 के दौरान भारत ने ‘एक धरती, एक परिवार, और एक भविष्य’ का विजन सामने रखा था। भारत ने पर्यावरण को बचाने के लिए जीवन शैली में बदलाव के लिए या मिशन लाइफ का मंत्र भी दिया। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2024- 25 के बजट में भारतीय कृषि प्रणाली को नैसर्गिक दृष्टि से स्वस्थ और जलवायु परिवर्तन के समक्ष जुझारू बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का भी उल्लेख किया। उन्होंने सम्मेलन के प्रतिनिधियों को भारत में मृदा स्वास्थ्य कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, ड्रोन दीदी, इलेक्ट्रॉनिक कृषि मंडी और किसान सम्मान निधि के अंतर्गत 10 करोड़ किसानों को डिजिटल तरीके से किया जा रहे भुगतान जैसी अनेक पहल कभी उल्लेख किया। श्री मोदी ने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन की चर्चाओं से किसी को स्वस्थ बनने की चुनौतियों के विषय में महत्वपूर्ण सुझाव सामने आएंगे और हमें एक दूसरे के अनुभव से सीखने का लाभ मिलेगा। श्री मोदी ने अपने संबोधन के प्रारंभ में देश के 12 करोड़ किसानों और पशुपालकों की ओर से स्वागत किया। उन्होंने कहा, “आप उस देश में हैं, जहां 55 करोड़ पशु पाले जाते हैं। कृषि प्रधान देश भारत में, जीव प्रेमी भारत में आपका स्वागत है, अभिनंदन है।” श्री मोदी ने कहा भारत जितना प्राचीन है, उतनी ही प्राचीन कृषि और खाद्य को लेकर हमारी मान्यताएं हैं, हमारे अनुभव हैं और भारतीय कृषि परंपरा में, विज्ञान को, तर्क को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि आज अन्न और पोषण को लेकर इतनी चिंता दुनिया में हो रही है। लेकिन हज़ारों साल पहले हमारे ग्रंथों में कहा गया है- अन्नं हि भूतानां ज्येष्ठम्, तस्मात् सर्वौषधं उच्यते। अर्थात्, सभी पदार्थों में अन्न श्रेष्ठ है, इसीलिए अन्न को सभी औषधियों का स्वरूप, उनका मूल कहा गया है। हमारे अन्न को औषधीय प्रभावों के साथ इस्तेमाल करने का पूरा आयुर्वेद विज्ञान है। ये पारंपरिक ज्ञान प्रणाली भारत के समाज जीवन का हिस्सा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने एक दशक में हमने खेती को आधुनिक टेक्नॉलॉजी से जोड़ने के लिए अनेक प्रयास किए हैं। आज, एक किसान मृदास्वास्थ्यकार्ड की मदद से ये जान सकता है कि उसे क्या उगाना है। वह सोलर पावर की मदद से पंप चलाता है और बंजर भूमि में सोलर पंप से सींचाई हो रही है। किसान वो ई-नाम इलेक्ट्रानिक कृषि मंडल मंचसे अपनी पैदावार को बेच सकता है, वो किसान क्रेडिट कार्ड का उपयोग करता है। वो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से अपनी फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। किसानों से लेकर कृषि स्टार्टअपतक, नैचुरल फार्मिंग से लेकर फर्मस्टे और फार्म-टू-टेबल की व्यवस्था तक, भारत में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र लगातार संगठित क्षेत्र का रूप ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत में पिछले दस वर्षों में ही 90 लाख हेटक्टेयर क्षेत्र को माइक्रो सिंचाई से जोड़ा गया है। हमारे पेट्रोल में एथनॉल मिलाने के कार्यक्रम से भी खेती और पर्यावरण दोनों को लाभ हो रहा है। पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने के लक्ष्य की ओर प्रगति तेज है। उन्होंने सम्मेलन को बताया कि भारत में कृषि क्षेत्र में डिजिटल टेक्नॉलॉजी का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से, एक क्लिक पर 10 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 30 सेकेंड में पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं। सरकार फसलों के डिजिटल सर्वे के लिए सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना बना रही हैं। जिससे किसानों को अपनी फसल की स्थिति के बारे में सीधी सूचना मिलेगी और वे तथ्य के आधार पर फसलों के लिए उपयुक्त उपाया और उपचार कर सकेंगे। उन्होंने कहा, “हमारी इस पहल से करोड़ों किसानों को फायदा होगा, उनकी आर्थिक स्थिति और बेहतर होगी।” प्रधानमंत्री ने कृषि भूमि के रिकार्ड के डिजिटलीकरण अभियान, खेती में ड्रोन के उपयोगकी भी जानकारी दी और कहा कि इन अनुपयोगों से विश्व को भी लाभ हो सकता है।

पिता ने 3 वर्षीय पुत्र की गला दबाकर हत्या की

पिता ने 3 वर्षीय पुत्र की गला दबाकर हत्या की

संदीप मिश्र 
सीतापुर। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के थाना सदरपुर क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बुजुर्ग खावा में शनिवार को एक पिता ने अपने तीन वर्षीय पुत्र की कथित रूप से गला दबाकर हत्या कर दी। 
घटना की सूचना मिलने पर सदरपुर पुलिस मौके पर पहुंची और अभियुक्त को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस के अनुसार थाना सदरपुर के ग्राम बुजुर्ग खावा में नितिन (03) पुत्र बबलू को इसका पिता बबलू शनिवार की सुबह से लेकर चला गया था। इसकी पत्नी जगदंबा देवी और परिवार के सदस्य इसको ढूंढ रहे थे। ग्रामीणों ने बबलू को गन्ने के खेत में नितिन की लाश के पास बैठे देखा। ग्रामीणों को देखकर वह भागा लेकिन ग्रामीणों ने इसे दौड़कर पकड़ लिया और घटना की सूचना पुलिस को दी। 
पुलिस ने अभियुक्त को हिरासत में लेकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस का प्रथम दृष्ट्या अनुमान है, कि पिता ने ही अपने तीन वर्षीय पुत्र की हत्या की है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-288, (वर्ष-11)

पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254

2. रविवार, अगस्त 04, 2024

3. शक-1945, श्रावण, कृष्ण-पक्ष, तिथि-अमावस्या, विक्रमी सवंत-2079‌‌। 

4. सूर्योदय प्रातः 05:39, सूर्यास्त: 06:58।

5. न्‍यूनतम तापमान- 36 डी.सै., अधिकतम- 40 डी.सै.। गर्जना के साथ बूंदाबांदी होने की संभावना।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।

7. स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय  (डिजीटल सस्‍ंकरण)। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

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शुक्रवार, 2 अगस्त 2024

जिला शिक्षा एवं अनुश्रवण समिति की बैठक संपन्न

जिला शिक्षा एवं अनुश्रवण समिति की बैठक संपन्न 

रजनीश तिवारी 
कौशाम्बी। जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी की अध्यक्षता में उदयन सभागार में जिला शिक्षा एवं अनुश्रवण समिति की बैठक संपन्न हुई। 
बैठक में जिलाधिकारी ने आधार प्रमाणीकरण डीबीटी प्रक्रिया की समीक्षा के दौरान कहा कि लम्बित प्रकरणों का सत्यापन कराया जाएं। उन्होंने निपुण भारत की समीक्षा के दौरान कहा, कि आप सब लोग मिलकर अपने जनपद को निपुण बनाएं। इसके लिए सम्बन्धितों के साथ बैठक कर कार्ययोजना एवं रणनीति बनाकर कार्य किया जाएं, जिससे हम अपने ब्लॉक एवं जनपद को निपुण बना सकें। अभिभावकों को भी जागरूक किया जाए, कि वे अपने बच्चों को स्कूल अवश्य भेजें। खण्ड शिक्षाधिकारी विद्यालयों का भ्रमण करते रहें, विशेषकर सर्वप्रथम संघर्षशील वाले विद्यालयों का भ्रमण कर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करें।
बैठक में जिलाधिकारी ने सभी खण्ड शिक्षाधिकारियों एवं डायट प्रवक्ता मेन्टर को निर्देशित किया कि विद्यालयों को निपुण विद्यालय बनाने के लिए पूरे मनोयोग से कार्य करें। उन्होंने कहा कि संघर्षशील विद्यालयों का निरीक्षण करते हुए पायी गई कमियों को दूर करने के लिए आपसी समन्वय बनाकर कार्य करें। उन्होंने डायट के प्रवक्ताओं को निर्देशित किया कि 10 के स्थान पर 15 विद्यालयों का निरीक्षण करें। उन्होंने सभी खण्ड शिक्षाधिकारियों को निर्देशित किया कि विद्यालय के रजिस्टर को डिजिटल मेनटेन किया जाय, निरीक्षण के दौरान रजिस्टर डिजिटल मेनटेन न पाये जाने पर सम्बन्धित के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने प्रोजेक्ट अलंकार के अन्तर्गत होने वाले निर्माण कार्यों को 15 दिन के अन्दर प्रारम्भ कराने के निर्देश दियें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक माह पैरेन्ट्स मीटिंग बुलाई जाय, जिसमे खण्ड शिक्षाधिकारी उपस्थित रहकर अभिभावकों को जागरूक करें कि अपनो बच्चों को विद्यालय अवश्य भेजें। बच्चों का आधार प्रमाणीकरण की समीक्षा के दौरान अपेक्षित प्रगति न पाये जाने पर नाराजगी प्रकट करते हुए सभी खण्ड शिक्षाधिकारियो को एक सप्ताह में प्रगति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सभी जर्जर भवनों की सूची तैयार कर तकनीकी समिति आरईडी को भेजकर एक सप्ताह के अन्दर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
जिलाधिकारी ने ऑपरेशन कायाकल्प की समीक्षा के दौरान सभी खण्ड विकास अधिकारियों एवं ई0ओ0 से कहा कि विद्यालयों में कोई भी कमी रह गई है, तो उसे दूर करा लिया जाएं। उन्होंने खण्ड शिक्षाधिकारियों से कहा कि भ्रमण कर विद्यालयों के जर्जर भवनों को चिन्हित कर लिया जाय तथा यह सुनिश्चित किया जाय कि बच्चे जर्जर भवनां में न बैठें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पंजीकरण से छूटे हुए निजी विद्यालयों का शत-प्रतिशत पंजीकरण कराया जाय तथा आरटीई एक्ट के अन्तर्गत 25 प्रतिशत बच्चें का प्रवेश इन विद्यालयों में कराया जाएं। इसके साथ ही उन्होने कहा कि जिन विद्यालयों में स्मार्ट क्लास संचालित है, यह सुनिश्चित किया जाय कि स्मार्ट क्लास क्रियाशील रहें। अध्यापक टैबलेट का उपयोग करें एवं दीक्षा ऐप को भी ओपेन करें। उन्होंने सभी सम्बन्धित अधिकारियों से कहा कि आकांक्षी ब्लॉक के इंडीकेटर्स/योजना की प्रगति पर विशेष ध्यान दिया जाय।बैठक में प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी सुखराज बन्धु, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी कमलेन्द्र कुमार कुशवाहा एवं जिला विद्यालय निरीक्षक सच्चिदानन्द यादव सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित रहें।

'भाजपा-कांग्रेस' पर उदासीन रवैया का आरोप

'भाजपा-कांग्रेस' पर उदासीन रवैया का आरोप 

संदीप मिश्र 
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पर देश के एससी-एसटी और ओबीसी के प्रति उदासीन रवैया का आरोप लगाया है। 
गौरतलब है कि आज बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोशल मीडिया हैंडल X पर पोस्ट करते हुए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी पर देश के एससी एसटी और ओबीसी बहुजनों के प्रति उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया। मायावती ने सोशल मीडिया हैंडल X पर लिखा कि सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक उत्पीड़न कुछ भी नहीं, क्या देश के खासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का हो पाया है। अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित है। नजूल कानून इसके साथ ही मायावती ने लिखा कि देश के एससी एसटी व ओबीसी बहुजनों के प्रति कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों/ सरकारों का रवैया उदारवादी रहा है, सुधारवादी नहीं। वह उनके सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के पक्षधर नहीं वरना इन लोगों के आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालकर इसकी सुरक्षा जरूर की गई होती।

प्रतिष्ठा का जिक्र कर, गुस्सा उतार रहे हैं योगी

प्रतिष्ठा का जिक्र कर, गुस्सा उतार रहे हैं योगी 

संदीप मिश्र 
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तंज कसते हुए कहा कि प्रतिष्ठा का जिक्र कर वह अपना गुस्सा उतार रहे हैं। अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री का नाम लिये बगैर एक्स पर पोस्ट किया कि दिल्ली का ग़ुस्सा लखनऊ में क्यों उतार रहे हैं। सवाल ये है कि इनकी प्रतिष्ठा को ठेस किसने पहुँचाई। कह रहे हैं सामनेवालों से पर बता रहे हैं पीछेवालों को। कोई है पीछे।  गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को विधानसभा में व्यक्तव्य दिया था कि वह यहां नौकरी करने नहीं बल्कि जनसेवा के मकसद से आये हैं। उन्हे प्रतिष्ठा की चाहत नहीं है। अगर प्रतिष्ठा उन्हे चाहिये होती तो मठ में उन्हे पर्याप्त प्रतिष्ठा मिल जाती। उधर, लोकसभा चुनाव के बाद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बराबर बयान देकर अपनी ही सरकार को नसीहत दे रहे हैं कि संगठन सर्वाेपरि है और संगठन से ही सरकार बनती है। केशव प्रसाद मौर्य का अपनी ही सरकार को घेरना और मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल न होना विपक्षी दलों को सत्ता पक्ष पर निशाना साधने का मौका दे रहा है।

1221 तीर्थयात्रियों का नया जत्था रवाना हुआ

1221 तीर्थयात्रियों का नया जत्था रवाना हुआ 

इकबाल अंसारी 
श्रीनगर। यहां भगवती नगर यात्री निवास आधार शिविर से 'बम बम भोले' का जाप करते हुए 1221 तीर्थयात्रियों का एक नया जत्था शुक्रवार को श्री अमरनाथ गुफा मंदिर के लिए रवाना हुआ। 
तीर्थयात्री 54 वाहनों के बेड़े में पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों के लिए रवाना हुए। बालटाल के लिए 395 तीर्थयात्री और पहलगाम के लिए 826 तीर्थयात्री कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आधार शिविर से रवाना हुए। पिछले साल 4.5 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने गुफा मंदिर में दर्शन किए। 52 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा 19 अगस्त को समाप्त होगी।

कथा के आयोजन में उमड़ा भक्तों का जन-सैलाब

कथा के आयोजन में उमड़ा भक्तों का जन-सैलाब  रामबाबू केसरवानी  कौशाम्बी। नगर पंचायत पूरब पश्चिम शरीरा में श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन में भक्तो...