रविवार, 7 जुलाई 2024

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-261, (वर्ष-11)

पंजीकरण:- UPHIN/2014/57254

2. सोमवार, जुलाई 08, 2024

3. शक-1945, आषाढ़, शुक्ल-पक्ष, तिथि-तीज, विक्रमी सवंत-2079‌‌। 

4. सूर्योदय प्रातः 06:03, सूर्यास्त: 06:43।

5. न्‍यूनतम तापमान- 40 डी.सै., अधिकतम- 27+ डी.सै.।

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(सर्वाधिकार सुरक्षित)

लड़ाकू टैंक 'जोरावर' का सफल परीक्षण किया

लड़ाकू टैंक 'जोरावर' का सफल परीक्षण किया 

इकबाल अंसारी 
गांधी नगर। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने शनिवार को गुजरात के हजीरा में अपने स्वदेशी हल्के लड़ाकू टैंक 'जोरावर' का सफल परीक्षण किया। इस परियोजना की समीक्षा DRDO के प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने की।
जोरावर को DRDO और लार्सन एंड टूब्रो (L&T) द्वारा मिलकर विकसित किया गया है। इसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी तैनाती का मुकाबला करने के लिए पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाया गया है।

पहाड़ों में दमदार और पानी में भी बेखौफ

अपने हल्के वजन और उभयचर (जल और थल दोनों पर चलने में सक्षम) क्षमताओं के कारण, जोरावर भारी T-72 और T-90 टैंकों की तुलना में कहीं अधिक आसानी से पहाड़ों की खड़ी चढ़ाई पार कर सकता है और नदियों और अन्य जल निकायों को पार कर सकता है। DRDO प्रमुख के अनुसार, इस टैंक को 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है। 

जानें क्यों रखा गया टैंक का नाम जोरावर ?

जोरावर को 19वीं सदी के डोगरा जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने लद्दाख और पश्चिमी तिब्बत में सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया था। यह हल्का टैंक लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारतीय सेना को युद्ध क्षमता प्रदान करने के लिए बनाया गया है।

हल्का पर दमदार फाइटर टैंक है जोरावर

जोरावर को हल्का, चलने में आसान और हवाई मार्ग से ले जाने योग्य बनाया गया है। साथ ही, इसमें उल्लेखनीय मारक क्षमता, सुरक्षा, निगरानी और संचार क्षमताएं भी हैं। इसका वजन केवल 25 टन है, जो T-90 जैसे भारी टैंकों के आधे से भी कम है। यह इसे कठिन पहाड़ी इलाकों में काम करने में सक्षम बनाता है, जहां बड़े टैंक नहीं पहुंच पाते।
भारतीय सेना ने शुरुआत में 59 जोरावर टैंकों का ऑर्डर दिया है, और भविष्य में कुल 354 हल्के टैंकों को खरीदने की योजना है। जोरावर, चीन के मौजूदा हल्के पहाड़ी टैंकों, जैसे टाइप 15 को सीधी चुनौती देगा। टाइप 15 टैंकों का लद्दाख की ऊंचाईयों में काफी फायदा है।

जानें क्या है इस टैंक की खास बातें ?

105 मिमी या उससे अधिक कैलिबर की मुख्य तोप, जो एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल दागने में सक्षम है।
मॉड्यूलर विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच और एक सक्रिय सुरक्षा प्रणाली जो टैंक की रक्षा क्षमता को बढ़ाती है। 
बेहतर गतिशीलता के लिए कम से कम 30 हॉर्सपावर/टन का पावर-टू-वेट अनुपात।
बेहतर युद्धस्थिति जागरूकता के लिए ड्रोन और युद्ध प्रबंधन प्रणालियों के साथ एकीकरण।
जोरावर हल्के लड़ाकू टैंक को शामिल करने से भारतीय सेना को लद्दाख और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों के ऊंचाई वाले इलाकों में तेजी से तैनात करने और युद्ध करने की महत्वपूर्ण क्षमता प्राप्त होगी। इसकी गतिशीलता, मारक क्षमता और हाईटेक डिवाइसेस का कॉम्बिनेशन भारत की डिफेंस स्थिति को मजबूत करेगा, खासकर चीन के साथ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में।

पुतिन ने एक बार फिर परमाणु हमलें की धमकी दी

पुतिन ने एक बार फिर परमाणु हमलें की धमकी दी 

सुनील श्रीवास्तव 
मॉस्को। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) देशों के यूक्रेन के पक्ष में उतरने पर बिफरे व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर परमाणु हमलें की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें यूक्रेन के खिलाफ जीत हासिल करने के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, यदि यूक्रेन की मदद कर रहे पश्चिमी देश सोचते हैं, कि मॉस्को ऐसा कभी नहीं करेगा, तो यह उनकी गलती है। पुतिन ने इन नाटो सदस्यों को स्पष्ट संदेश दिया, कि यूक्रेन को सैन्य सहायता मुहैया कराने पर उनका रूस के साथ संघर्ष हो सकता है, जो परमाणु संघर्ष में बदल सकता है। मॉस्को ने हाल में दक्षिणी रूस में सहयोगी बेलारूस के साथ मिलकर अपने परमाणु हथियार संबंधी सामरिक तैयारी के लिए अभ्यास किया। पश्चिमी देश यूक्रेन में नाटो सैनिकों की तैनाती और रूसी क्षेत्र में सीमित हमलों के लिए उसे लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग करने की अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं। रूस ने अपने सैन्य अभ्यास को पश्चिमी देशों के इसी कदम की प्रतिक्रिया बताया।
पुतिन ने यूक्रेन में 24 फरवरी 2022 को हमला शुरू किया था और इसके बाद से वह युद्ध में पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप को हतोत्साहित करने के लिए रूस की परमाणु ताकत का कई बार जिक्र कर चुके हैं। पुतिन ने रूस की हालिया सैन्य सफलताओं के बीच कहा कि मॉस्को को यूक्रेन में जीत के लिए परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, ‘यूरोप में खासकर छोटे देशों समेत नाटो के सदस्यों के प्रतिनिधियों को यह अंदाजा होना चाहिए कि वह किसके साथ खेल रहे हैं।’
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि रूस उन पर हमला करता है तो अमेरिकी सुरक्षा पर भरोसा करना उनकी गलती हो सकती है। पुतिन ने कहा, ‘लगातार तनाव के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यदि यूरोप में ये गंभीर परिणाम होते हैं, तो सामरिक हथियारों के मामले में हमारी क्षमता को देखते हुए अमेरिका क्या कदम उठाएगा ? कहना मुश्किल है। क्या वे वैश्विक संघर्ष चाहते हैं?’

मैच: जिम्बाब्वे ने भारत को 13 रनों से हराया

मैच: जिम्बाब्वे ने भारत को 13 रनों से हराया 

अखिलेश पांडेय 
हरारे। जिम्बाब्वे ने भारत के खिलाफ शनिवार को खेले गए पहले टी-20 मैच में बड़े उलटफेर को अंजाम दिया। सिकंदर रजा की कप्तानी में टीम ने भारत को 13 रनों से हरा दिया। जिम्बाब्वे ने भारत के सामने 116 रन का लक्ष्य रखा।
भारतीय टीम इसके जवाब में 19.5 ओवर में 102 रन पर ऑलआउट हो गई। यह भारत के खिलाफ टी20 क्रिकेट में जिम्बाब्वे की सिर्फ तीसरी जीत है। इससे पहले जिम्बाब्वे ने भारत को 2015 और 2016 में एक-एक बार शिकस्त दी है। यह टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में इस साल भारत की पहली हार भी है। इससे पहले भारत ने 2024 में लगातार 12 टी-20 मैच जीते थे। 
भारत ने एक हफ्ते पहले ही टी-20 वर्ल्ड कप जीता है। जिम्बाब्वे का दौरा करने वाली टीम में भले ही वर्ल्ड चैंपियन टीम का एक भी खिलाड़ी नहीं है, लेकिन ये युवा खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का अच्छा-खासा अनुभव रखते हैं, तो फिर भारतीय टीम इस आसान से स्कोर का पीछा क्यों नहीं कर पाई ? 
आइए जानते हैं भारतीय टीम की हार के पांच कारण !

अंतिम ओवरों में ढिलाई

भारत ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया।  मुकेश कुमार ने दूसरे ही ओवर में जिम्बाब्वे को झटका देते हुए इनोसेंट काइया को शून्य के स्कोर पर पवेलियन लौटा दिया। वेस्ले माधेवेरे और ब्रायन बेनेट ने दूसरे विकेट के लिए 34 रन जोड़े। लेकिन इसके बाद रवि बिश्नोई की फिरकी जिम्बाब्वे पर भारी पड़ गई।
बिश्नोई ने माधेवेरे और ब्रायंट दोनों को 11 रन के अंतराल में पवेलियन लौटा दिया। उन्होंने अपने चार ओवर में सिर्फ 13 रन देकर कुल चार विकेट लिए। वाशिंगटन सुंदर ने अपने चार ओवर में 11 रन देकर दो विकेट चटकाए। जिम्बाब्वे की ओर से क्लिव मडांडे ने सर्वाधिक 29 रन बनाए। उन्होंने 25 गेंद की पारी में चार चौके जड़े।
जिम्बाब्वे 15.3 ओवर में 90 रन पर अपने 9 विकेट गंवा चुकी थी। भारतीय टीम अगर चौकस होती तो मेजबान टीम का आखिरी विकेट जल्द से जल्द ले सकती थी। लेकिन, उसने जिम्बाब्वे को अंतिम 27 गेंद पर 25 बहुमूल्य रन जोड़ने का मौका दिया। इसके बरक्स, भारतीय टीम 86 रन पर नौ विकेट गंवाने के बाद अंतिम तीन ओवर में सिर्फ 16 रन ही बना सकी।

फील्डिंग में सुस्ती

भारतीय टीम ने भले ही हरारे स्पोर्ट्स क्लब की धीमी पिच पर अच्छी गेंदबाजी की, लेकिन फील्डिंग में वह अच्छा स्तर बरकरार नहीं रख सकीं। यह वजह रही कि जिम्बाब्वे मुश्किल परिस्थितियों में ऐसा स्कोर खड़ा कर सकीं, जो हासिल करना भारत के लिए नामुमकिन साबित हुआ। कप्तान शुभमन गिल ने मैच के बाद यह बात स्वीकार भी की।
गिल ने कहा, "हमने काफी अच्छी गेंदबाजी की, लेकिन फील्डिंग में हमने खुद को निराश किया। हम अच्छे स्तर की फील्डिंग नहीं कर पाए। हर कोई थोड़ा सुस्त लग रहा था।"

टॉप ऑर्डर की धैर्यहीन बल्लेबाजी

भारतीय टीम जब 115 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी तो उसके बल्लेबाजों के पास संयम से बल्लेबाजी करने का मौका था।  लेकिन, जिम्बाब्वे की धारदार गेंदबाजी के आगे सभी एक के बाद एक पवेलियन लौटते चले गए। 10वें ओवर की समाप्ति तक भारत की आधी टीम मात्र 43 रन पर पवेलियन लौट चुकी थी। 11वें ओवर में रज़ा ने गिल को बोल्ड कर उन्हें भी पवेलियन का रास्ता दिखाया। 
गिल ने 29 गेंद पर पांच चौकों की मदद से सर्वाधिक 31 रन बनाए, लेकिन यह भारत को जीत दिलाने के लिए काफी नहीं था। भारत के आठ बल्लेबाज 10 रन का आंकड़ा भी नहीं छू सके, जो टीम की हार का बड़ा कारण बना।
गिल ने हार के बाद कहा, "हमने पिच पर समय बिताने और अपनी बल्लेबाजी का आनंद लेने के बारे में बात की लेकिन (बल्लेबाजी) उस तरह से नहीं हुई। आधी पारी में हमने 5 विकेट खो दिए थे, अगर मैं अंत तक वहां रुकता तो हमारे लिए बेहतर होता। मैं जिस तरह से आउट हुआ उससे बहुत निराश हूं। हमारे लिए आखिर में थोड़ी उम्मीद थी। लेकिन, जब आप 115 रन का पीछा कर रहे हों और आपका नंबर 10 बल्लेबाज पिच पर हो ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता।"

सिकंदर रज़ा का कुशल नेतृत्व

भारतीय युवा भले ही अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके, लेकिन जिम्बाब्वे की जीत का श्रेय सिकंदर रजा को भी जाना चाहिए। उन्होंने सही तरह से गेंदबाजों को रोटेट किया और जब भारत शुरुआती झटके लगने के बाद दबाव में था, तो उन्होंने आक्रामकता में कमी नहीं होने दी।
रज़ा ने गिल का बहुमूल्य विकेट लेकर मैच को जिम्बाब्वे की झोली में तो डाला ही, इसके अलावा भी उन्होंने दो और विकेट चटकाए। इस प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया। रज़ा ने मैच के बाद कहा, "जीत से बहुत खुशी महसूस हो रही है। काम अभी ख़त्म नहीं हुआ, सीरीज़ अभी बाकी है। वर्ल्ड चैंपियन आखिरी वर्ल्ड चैंपियन की तरह खेलते हैं। इसलिए, हमें अगले मैच के लिए तैयार रहना होगा।''

अगला मैच रविवार को

भारत और जिम्बाब्वे का अगला मैच रविवार को हरारे में ही खेला जाएगा। इस जीत के साथ जिम्बाब्वे ने पांच मैच की सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली है।

पंकज-कमलेश ने 'सीएम' योगी से शिष्टाचार भेंट की

पंकज-कमलेश ने 'सीएम' योगी से शिष्टाचार भेंट की

संदीप मिश्र 
गोरखपुर। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश पासवान ने शनिवार सुबह गोरखनाथ मंदिर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ से शिष्टाचार भेंट की तथा मुख्यमंत्री ने दोनों केंद्रीय राज्यमंत्रियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दीं। केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी महराजगंज के सातवीं बार सांसद चुने गए हैं और उन्हें मोदी सरकार में दूसरी बार केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री बनाया गया है। जबकि, बांसगांव से लगातार चौथी बार सांसद चुने गए कमलेश पासवान को पहली बार केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री बनाया गया है। दोनों राज्यमंत्रियों ने शनिवार को गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर गुरु गोरखनाथ का दर्शन पूजन करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और पुष्पगुच्छ देकर उनका अभिनंदन किया। योगी ने पंकज चौधरी और कमलेश पासवान को केंद्र सरकार में मंत्री बनने पर बधाई दी। इस दौरान उनके मध्य पूर्वांचल और समूचे उत्तर प्रदेश के विकास को लेकर कई बिंदुओं पर वार्ता हुई। दोनों राज्यमंत्रियों ने लोकसभा चुनाव में सतत मार्गदर्शन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार व्यक्त किया।

सिंह ने मुस्लिमों को लेकर विवादित बयान दिया

सिंह ने मुस्लिमों को लेकर विवादित बयान दिया 

इकबाल अंसारी 
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने मुस्लिमों को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सावन के महीने में मुसलमान दुकानदार हाथ में कलावा बांधकर दुकान चलाते हैं।  सावन के महीने में कारोबारी मकसद से मुस्लिम समाज के दुकानदार ऐसा करते हैं। गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रशासन को इस संबंध में कार्रवाई भी करनी चाहिए। क्योंकि, इसकी वजह से लड़ाई-झगड़े होने की संभावना भी बनी रहती है। 
गिरिराज सिंह ने शनिवार (6 जुलाई) को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा, “देखिए, सावन में पूरे देश में फिर वो अयोध्या हो या बनारस (वाराणसी) या फिर कोई भी क्षेत्र हो, हाथ में कलावा बांधकर खुद को हिंदू की तरह दिखाते हुए वो दुकान खोलते हैं। ज्यादातर वो लोग मुस्लिम समाज के दुकानदार होते हैं। इसकी वजह से कई बार झड़गा-फसदा होने की नौबत आती है। मैं प्रशासन से अपील करता हूं कि वह इस पर कार्रवाई करें। मुस्लिमों को भी चाहिए कि वे ऐसा नहीं करें, जिससे हिंदू धर्म भी बाधित हो।”

देश को इस्लामिक स्टेट और गजवा-ए-हिंद बनाने की कोशिश: गिरिराज सिंह

ऐसा नहीं है कि गिरिराज सिंह ने इस तरह का बयान पहली बार दिया है। वह पहले भी कई मौकों पर मुस्लिमों के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं। जब जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने चुनावी जीत के बाद कहा था कि वह मुस्लिमों के लिए काम नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें इस समुदाय का वोट नहीं मिला है, तब गिरिराज उनके समर्थन में नजर आए थे। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि बीजेपी नेता ने आगे बढ़कर आग में घी डालने वाला बयान तक दे दिया था।
गिरिराज सिंह ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए 19 जून को बयान दिया था कि ये लोग देश को इस्लामिक स्टेट और गजवा-ए-हिंद में तब्दील कर रहे हैं। मुस्लिम हमें वोट नहीं कर रहा है, ऐसा जहर क्यों है ? अगर इसे जहर माना जा रहा है, तो हम इस जहर के फन को तोड़ने का काम करेंगे। कुल लोग देश को इस्लामिक स्टेट और गजवा-ए-हिंद बनाना चाहते हैं। विपक्षी दल इसमें आगे हैं। कांग्रेस और आरजेडी इस काम में सबसे ज्यादा आगे नजर आ रहे हैं।

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1. अंक-260, (वर्ष-11)

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2. रविवार, जुलाई 07, 2024

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4. सूर्योदय प्रातः 06:03, सूर्यास्त: 06:43।

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