रविवार, 7 जुलाई 2024

टी20आई सीरीज में वापसी करेंगे रोहित-विराट

टी20आई सीरीज में वापसी करेंगे रोहित-विराट

इकबाल अंसारी 
नई दिल्ली। टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली ने वेस्टइंडीज के बारबाडोस में टी-20 विश्व कप की ट्रॉफी हाथ में लेते ही क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप टी-20आई (T-20I) को अलविदा कह दिया था।
हालांकि, टेस्ट और वनडे टीम के कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली टी-20 इंटरनेशनल के फॉर्मेंट में वापसी कर सकते हैं।

रोहित शर्मा-विराट कोहली इस वजह से करेंगे वापसी 

रोहित-कोहली के संन्यास के लेने के बाद भारत और श्रीलंका की संयुक्त मेजबानी में होने वाली टी20 विश्व कप 2026 में टीम इंडिया के खिताब की बचाव करने की जिम्मेदारी युवा खिलाड़ियों पर हैं। हालांकि, जिम्बॉब्वे दौरे पर युवा खिलाड़ियों के साथ गई टीम इंडिया की शुरुआत अच्छी नहीं रही। जिम्बॉब्वे जैसी कमजोर टीम के खिलाफ टी-20आई सीरीज का पहला मैच ही हार गई है।
ऐसे में अगर युवा खिलाड़ियों से सजी टीम इंडिया जिम्बॉब्वे, श्रीलंका जैसे देशों के खिलाफ सीरीज हारती है, तो रोहित शर्मा और विराट कोहली इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ टी20आई सीरीज में वापसी कर सकते हैं।

टी-20 विश्व कप 2026 ले सकते हैं हिस्सा

रोहित शर्मा और विराट कोहली अगर टी-20 इंटरनेशनल के फॉर्मेट में वापसी करते हैं, तो वें इस साल 8 नवंबर में एक बार फिर टी-20आई खेलते हुए दिखाई दे सकते हैं। भारतीय टीम 8 नवंबर से 15 नवंबर तक साउथ अफ्रीकी दौरे पर चार मैचों की टी20आई सीरीज खेलने जाएगी। इसके बाद टीम इंडिया इंग्लैंड के खिलाफ 22 जनवरी से 2 फरवरी तक इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू मैदान पर पांच मैचों की टी-20आई सीरीज खेलेगी।
साल 2026 में भारत में होने वाले टी-20 विश्व कप के साथ अपने टी-20आई करियर का समापन कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है और टीम इंडिया टी20विश्व कप कब्जाने में कामयाब रहती है, तो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में यह पहली बार होगा जब टीम इंडिया अपने किसी आईसीसी ट्रॉफी को डिफेंड करेगी।

चार से छ: आईसीसी ट्रॉफी जीत सकते हैं रोहित-कोहली

रोहित शर्मा और विराट कोहली टी20आई में वापसी करते हैं, तो उनके पास चार से पांच आईसीसी ट्रॉफी जीतने का मौका होगा। इस समय दोनों खिलाड़ी तीन आईसीसी ट्रॉफी जीत चुके हैं। अगले दो साल में एक विश्व टेस्ट चैंपियनशिप, चैंपियंस ट्रॉफी और टी20 विश्व कप खेला जाना है। ऐसे में टीम इंडिया शानदार प्रदर्शन जारी रखती है, तो दोनों खिलाड़ियों के पास अधिक से अधिक 3 ट्रॉफी जीतने का मौका है।

पीएम-राष्ट्रपति ने 'रथयात्रा' पर शुभकामनाएं दी

पीएम-राष्ट्रपति ने 'रथयात्रा' पर शुभकामनाएं दी 

इकबाल अंसारी 
भुवनेश्वर। भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा पर ओडिशा के पुरी में जनसैलाब उमड़ पड़ा है। देश भर से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचे हैं और भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की रथ यात्रा के उत्सव में शामिल हो रहे हैं।
रविवार दोपहर को हजारों लोगों ने पुरी के 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर से विशाल रथों को खींचकर करीब 2.5 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर की ओर बढ़ाया। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों रथों की 'परिक्रमा' की और देवताओं के सामने माथा टेका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रथ यात्रा के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।
राष्ट्रपति ने शुभकामना देते हुए कहा कि भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के अवसर पर वह सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देती हैं। आज देश-दुनिया के अनगिनत जगन्नाथ-प्रेमी रथ पर विराजमान तीनों भगवत्स्वरूपों के दर्शन हेतु उत्साह-पूर्वक प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस महापर्व के अवसर पर महाप्रभु श्री जगन्नाथ से वह सभी के सुख, शांति और समृद्धि हेतु प्रार्थना करती हैं। जय जगन्नाथ!
इससे पहले पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपने शिष्यों के साथ भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों का दर्शन किया और पुरी के राजा ने 'छेरा पहानरा' (रथ साफ करने) की रस्म पूरी की, जिसके बाद शाम करीब 5.20 बजे रथ खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। रथों में लकड़ी के घोड़े लगाए गए और सेवादार पायलटों ने भक्तों को रथों को सही दिशा में खींचने के लिए मार्गदर्शन किया।

पुरी में शुरू हुई भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा

राष्ट्रपति, ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्य जगन्नाथ रथ को जोड़ने वाली रस्सियों को खींचकर प्रतीकात्मक रूप से इस यात्रा की शुरुआत की। विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने भी भाई-बहन के देवताओं के दर्शन किए। हजारों लोगों ने भगवान बलभद्र के लगभग 45 फीट ऊंचे लकड़ी के रथ को खींचा।
रथ उत्सव के नाम से भी मशहूर यह यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र अपनी मौसी देवी गुंडिचा देवी के मंदिर तक जाते हैं। यह रथयात्रा आठ दिनों के बाद उनकी वापसी के साथ समाप्त होती है। इसे उल्टा रथ के नाम से जाना जाता है।
यात्रा से पहले रथों को जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार से उन्हें गुंडिचा मंदिर ले जाया जाएगा, जहां रथ एक सप्ताह तक रहेंगे। रथयात्रा के मद्देनजर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए हैं और विधिवत तरीके से पूजा-पाठ और अनुष्ठान का आयोजन किया गया है।

पीएम मोदी ने रथयात्रा पर दी शुभकामनाएं

पीएम नरेंद्र मोदी ने रथयात्रा पर शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने लिखा पवित्र रथ यात्रा के शुभारंभ पर बधाई। हम महाप्रभु जगन्नाथ को नमन करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनका आशीर्वाद हम पर सदैव बना रहे।

ममता ने कोलकाता में खींचा रथ

दूसरी ओर, कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस्कॉन द्वारा आयोजित रथयात्रा को खींचा। बारिश के बावजूद हजारों श्रद्धालु उत्सव में भाग लेने के लिए एकत्र हुए और वे इस्कॉन के भिक्षुओं के साथ नृत्य कर रहे थे और 'जय जगन्नाथ' का नारा लगा रहे थे। रथ यात्रा की शुरुआत में रथ की रस्सियां खींचने से पहले ममता बनर्जी ने मोमबत्तियों से 'आरती' की और इस्कॉन मंदिर के सामने रथ पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के देवताओं की पूजा की।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-261, (वर्ष-11)

पंजीकरण:- UPHIN/2014/57254

2. सोमवार, जुलाई 08, 2024

3. शक-1945, आषाढ़, शुक्ल-पक्ष, तिथि-तीज, विक्रमी सवंत-2079‌‌। 

4. सूर्योदय प्रातः 06:03, सूर्यास्त: 06:43।

5. न्‍यूनतम तापमान- 40 डी.सै., अधिकतम- 27+ डी.सै.।

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लड़ाकू टैंक 'जोरावर' का सफल परीक्षण किया

लड़ाकू टैंक 'जोरावर' का सफल परीक्षण किया 

इकबाल अंसारी 
गांधी नगर। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने शनिवार को गुजरात के हजीरा में अपने स्वदेशी हल्के लड़ाकू टैंक 'जोरावर' का सफल परीक्षण किया। इस परियोजना की समीक्षा DRDO के प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने की।
जोरावर को DRDO और लार्सन एंड टूब्रो (L&T) द्वारा मिलकर विकसित किया गया है। इसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी तैनाती का मुकाबला करने के लिए पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाया गया है।

पहाड़ों में दमदार और पानी में भी बेखौफ

अपने हल्के वजन और उभयचर (जल और थल दोनों पर चलने में सक्षम) क्षमताओं के कारण, जोरावर भारी T-72 और T-90 टैंकों की तुलना में कहीं अधिक आसानी से पहाड़ों की खड़ी चढ़ाई पार कर सकता है और नदियों और अन्य जल निकायों को पार कर सकता है। DRDO प्रमुख के अनुसार, इस टैंक को 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है। 

जानें क्यों रखा गया टैंक का नाम जोरावर ?

जोरावर को 19वीं सदी के डोगरा जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने लद्दाख और पश्चिमी तिब्बत में सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया था। यह हल्का टैंक लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारतीय सेना को युद्ध क्षमता प्रदान करने के लिए बनाया गया है।

हल्का पर दमदार फाइटर टैंक है जोरावर

जोरावर को हल्का, चलने में आसान और हवाई मार्ग से ले जाने योग्य बनाया गया है। साथ ही, इसमें उल्लेखनीय मारक क्षमता, सुरक्षा, निगरानी और संचार क्षमताएं भी हैं। इसका वजन केवल 25 टन है, जो T-90 जैसे भारी टैंकों के आधे से भी कम है। यह इसे कठिन पहाड़ी इलाकों में काम करने में सक्षम बनाता है, जहां बड़े टैंक नहीं पहुंच पाते।
भारतीय सेना ने शुरुआत में 59 जोरावर टैंकों का ऑर्डर दिया है, और भविष्य में कुल 354 हल्के टैंकों को खरीदने की योजना है। जोरावर, चीन के मौजूदा हल्के पहाड़ी टैंकों, जैसे टाइप 15 को सीधी चुनौती देगा। टाइप 15 टैंकों का लद्दाख की ऊंचाईयों में काफी फायदा है।

जानें क्या है इस टैंक की खास बातें ?

105 मिमी या उससे अधिक कैलिबर की मुख्य तोप, जो एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल दागने में सक्षम है।
मॉड्यूलर विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच और एक सक्रिय सुरक्षा प्रणाली जो टैंक की रक्षा क्षमता को बढ़ाती है। 
बेहतर गतिशीलता के लिए कम से कम 30 हॉर्सपावर/टन का पावर-टू-वेट अनुपात।
बेहतर युद्धस्थिति जागरूकता के लिए ड्रोन और युद्ध प्रबंधन प्रणालियों के साथ एकीकरण।
जोरावर हल्के लड़ाकू टैंक को शामिल करने से भारतीय सेना को लद्दाख और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों के ऊंचाई वाले इलाकों में तेजी से तैनात करने और युद्ध करने की महत्वपूर्ण क्षमता प्राप्त होगी। इसकी गतिशीलता, मारक क्षमता और हाईटेक डिवाइसेस का कॉम्बिनेशन भारत की डिफेंस स्थिति को मजबूत करेगा, खासकर चीन के साथ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में।

पुतिन ने एक बार फिर परमाणु हमलें की धमकी दी

पुतिन ने एक बार फिर परमाणु हमलें की धमकी दी 

सुनील श्रीवास्तव 
मॉस्को। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) देशों के यूक्रेन के पक्ष में उतरने पर बिफरे व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर परमाणु हमलें की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें यूक्रेन के खिलाफ जीत हासिल करने के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, यदि यूक्रेन की मदद कर रहे पश्चिमी देश सोचते हैं, कि मॉस्को ऐसा कभी नहीं करेगा, तो यह उनकी गलती है। पुतिन ने इन नाटो सदस्यों को स्पष्ट संदेश दिया, कि यूक्रेन को सैन्य सहायता मुहैया कराने पर उनका रूस के साथ संघर्ष हो सकता है, जो परमाणु संघर्ष में बदल सकता है। मॉस्को ने हाल में दक्षिणी रूस में सहयोगी बेलारूस के साथ मिलकर अपने परमाणु हथियार संबंधी सामरिक तैयारी के लिए अभ्यास किया। पश्चिमी देश यूक्रेन में नाटो सैनिकों की तैनाती और रूसी क्षेत्र में सीमित हमलों के लिए उसे लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग करने की अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं। रूस ने अपने सैन्य अभ्यास को पश्चिमी देशों के इसी कदम की प्रतिक्रिया बताया।
पुतिन ने यूक्रेन में 24 फरवरी 2022 को हमला शुरू किया था और इसके बाद से वह युद्ध में पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप को हतोत्साहित करने के लिए रूस की परमाणु ताकत का कई बार जिक्र कर चुके हैं। पुतिन ने रूस की हालिया सैन्य सफलताओं के बीच कहा कि मॉस्को को यूक्रेन में जीत के लिए परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, ‘यूरोप में खासकर छोटे देशों समेत नाटो के सदस्यों के प्रतिनिधियों को यह अंदाजा होना चाहिए कि वह किसके साथ खेल रहे हैं।’
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि रूस उन पर हमला करता है तो अमेरिकी सुरक्षा पर भरोसा करना उनकी गलती हो सकती है। पुतिन ने कहा, ‘लगातार तनाव के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यदि यूरोप में ये गंभीर परिणाम होते हैं, तो सामरिक हथियारों के मामले में हमारी क्षमता को देखते हुए अमेरिका क्या कदम उठाएगा ? कहना मुश्किल है। क्या वे वैश्विक संघर्ष चाहते हैं?’

मैच: जिम्बाब्वे ने भारत को 13 रनों से हराया

मैच: जिम्बाब्वे ने भारत को 13 रनों से हराया 

अखिलेश पांडेय 
हरारे। जिम्बाब्वे ने भारत के खिलाफ शनिवार को खेले गए पहले टी-20 मैच में बड़े उलटफेर को अंजाम दिया। सिकंदर रजा की कप्तानी में टीम ने भारत को 13 रनों से हरा दिया। जिम्बाब्वे ने भारत के सामने 116 रन का लक्ष्य रखा।
भारतीय टीम इसके जवाब में 19.5 ओवर में 102 रन पर ऑलआउट हो गई। यह भारत के खिलाफ टी20 क्रिकेट में जिम्बाब्वे की सिर्फ तीसरी जीत है। इससे पहले जिम्बाब्वे ने भारत को 2015 और 2016 में एक-एक बार शिकस्त दी है। यह टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में इस साल भारत की पहली हार भी है। इससे पहले भारत ने 2024 में लगातार 12 टी-20 मैच जीते थे। 
भारत ने एक हफ्ते पहले ही टी-20 वर्ल्ड कप जीता है। जिम्बाब्वे का दौरा करने वाली टीम में भले ही वर्ल्ड चैंपियन टीम का एक भी खिलाड़ी नहीं है, लेकिन ये युवा खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का अच्छा-खासा अनुभव रखते हैं, तो फिर भारतीय टीम इस आसान से स्कोर का पीछा क्यों नहीं कर पाई ? 
आइए जानते हैं भारतीय टीम की हार के पांच कारण !

अंतिम ओवरों में ढिलाई

भारत ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया।  मुकेश कुमार ने दूसरे ही ओवर में जिम्बाब्वे को झटका देते हुए इनोसेंट काइया को शून्य के स्कोर पर पवेलियन लौटा दिया। वेस्ले माधेवेरे और ब्रायन बेनेट ने दूसरे विकेट के लिए 34 रन जोड़े। लेकिन इसके बाद रवि बिश्नोई की फिरकी जिम्बाब्वे पर भारी पड़ गई।
बिश्नोई ने माधेवेरे और ब्रायंट दोनों को 11 रन के अंतराल में पवेलियन लौटा दिया। उन्होंने अपने चार ओवर में सिर्फ 13 रन देकर कुल चार विकेट लिए। वाशिंगटन सुंदर ने अपने चार ओवर में 11 रन देकर दो विकेट चटकाए। जिम्बाब्वे की ओर से क्लिव मडांडे ने सर्वाधिक 29 रन बनाए। उन्होंने 25 गेंद की पारी में चार चौके जड़े।
जिम्बाब्वे 15.3 ओवर में 90 रन पर अपने 9 विकेट गंवा चुकी थी। भारतीय टीम अगर चौकस होती तो मेजबान टीम का आखिरी विकेट जल्द से जल्द ले सकती थी। लेकिन, उसने जिम्बाब्वे को अंतिम 27 गेंद पर 25 बहुमूल्य रन जोड़ने का मौका दिया। इसके बरक्स, भारतीय टीम 86 रन पर नौ विकेट गंवाने के बाद अंतिम तीन ओवर में सिर्फ 16 रन ही बना सकी।

फील्डिंग में सुस्ती

भारतीय टीम ने भले ही हरारे स्पोर्ट्स क्लब की धीमी पिच पर अच्छी गेंदबाजी की, लेकिन फील्डिंग में वह अच्छा स्तर बरकरार नहीं रख सकीं। यह वजह रही कि जिम्बाब्वे मुश्किल परिस्थितियों में ऐसा स्कोर खड़ा कर सकीं, जो हासिल करना भारत के लिए नामुमकिन साबित हुआ। कप्तान शुभमन गिल ने मैच के बाद यह बात स्वीकार भी की।
गिल ने कहा, "हमने काफी अच्छी गेंदबाजी की, लेकिन फील्डिंग में हमने खुद को निराश किया। हम अच्छे स्तर की फील्डिंग नहीं कर पाए। हर कोई थोड़ा सुस्त लग रहा था।"

टॉप ऑर्डर की धैर्यहीन बल्लेबाजी

भारतीय टीम जब 115 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी तो उसके बल्लेबाजों के पास संयम से बल्लेबाजी करने का मौका था।  लेकिन, जिम्बाब्वे की धारदार गेंदबाजी के आगे सभी एक के बाद एक पवेलियन लौटते चले गए। 10वें ओवर की समाप्ति तक भारत की आधी टीम मात्र 43 रन पर पवेलियन लौट चुकी थी। 11वें ओवर में रज़ा ने गिल को बोल्ड कर उन्हें भी पवेलियन का रास्ता दिखाया। 
गिल ने 29 गेंद पर पांच चौकों की मदद से सर्वाधिक 31 रन बनाए, लेकिन यह भारत को जीत दिलाने के लिए काफी नहीं था। भारत के आठ बल्लेबाज 10 रन का आंकड़ा भी नहीं छू सके, जो टीम की हार का बड़ा कारण बना।
गिल ने हार के बाद कहा, "हमने पिच पर समय बिताने और अपनी बल्लेबाजी का आनंद लेने के बारे में बात की लेकिन (बल्लेबाजी) उस तरह से नहीं हुई। आधी पारी में हमने 5 विकेट खो दिए थे, अगर मैं अंत तक वहां रुकता तो हमारे लिए बेहतर होता। मैं जिस तरह से आउट हुआ उससे बहुत निराश हूं। हमारे लिए आखिर में थोड़ी उम्मीद थी। लेकिन, जब आप 115 रन का पीछा कर रहे हों और आपका नंबर 10 बल्लेबाज पिच पर हो ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता।"

सिकंदर रज़ा का कुशल नेतृत्व

भारतीय युवा भले ही अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके, लेकिन जिम्बाब्वे की जीत का श्रेय सिकंदर रजा को भी जाना चाहिए। उन्होंने सही तरह से गेंदबाजों को रोटेट किया और जब भारत शुरुआती झटके लगने के बाद दबाव में था, तो उन्होंने आक्रामकता में कमी नहीं होने दी।
रज़ा ने गिल का बहुमूल्य विकेट लेकर मैच को जिम्बाब्वे की झोली में तो डाला ही, इसके अलावा भी उन्होंने दो और विकेट चटकाए। इस प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया। रज़ा ने मैच के बाद कहा, "जीत से बहुत खुशी महसूस हो रही है। काम अभी ख़त्म नहीं हुआ, सीरीज़ अभी बाकी है। वर्ल्ड चैंपियन आखिरी वर्ल्ड चैंपियन की तरह खेलते हैं। इसलिए, हमें अगले मैच के लिए तैयार रहना होगा।''

अगला मैच रविवार को

भारत और जिम्बाब्वे का अगला मैच रविवार को हरारे में ही खेला जाएगा। इस जीत के साथ जिम्बाब्वे ने पांच मैच की सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली है।

पंकज-कमलेश ने 'सीएम' योगी से शिष्टाचार भेंट की

पंकज-कमलेश ने 'सीएम' योगी से शिष्टाचार भेंट की

संदीप मिश्र 
गोरखपुर। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश पासवान ने शनिवार सुबह गोरखनाथ मंदिर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ से शिष्टाचार भेंट की तथा मुख्यमंत्री ने दोनों केंद्रीय राज्यमंत्रियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दीं। केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी महराजगंज के सातवीं बार सांसद चुने गए हैं और उन्हें मोदी सरकार में दूसरी बार केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री बनाया गया है। जबकि, बांसगांव से लगातार चौथी बार सांसद चुने गए कमलेश पासवान को पहली बार केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री बनाया गया है। दोनों राज्यमंत्रियों ने शनिवार को गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर गुरु गोरखनाथ का दर्शन पूजन करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और पुष्पगुच्छ देकर उनका अभिनंदन किया। योगी ने पंकज चौधरी और कमलेश पासवान को केंद्र सरकार में मंत्री बनने पर बधाई दी। इस दौरान उनके मध्य पूर्वांचल और समूचे उत्तर प्रदेश के विकास को लेकर कई बिंदुओं पर वार्ता हुई। दोनों राज्यमंत्रियों ने लोकसभा चुनाव में सतत मार्गदर्शन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार व्यक्त किया।

नवरात्रि का तीसरा दिन मां 'चंद्रघंटा' को समर्पित

नवरात्रि का तीसरा दिन मां 'चंद्रघंटा' को समर्पित  सरस्वती उपाध्याय  हिंदू धर्म में, चंद्रघंटा देवी महादेवी का तीसरा नवदुर्गा रूप है।...