गुरुवार, 4 जुलाई 2024

8 से 10 तक रूस-ऑस्ट्रिया की यात्रा करेंगे 'पीएम'

8 से 10 तक रूस-ऑस्ट्रिया की यात्रा करेंगे 'पीएम' 

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 से 10 जुलाई तक रूस और ऑस्ट्रिया गणराज्य की आधिकारिक यात्रा करेंगे। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार प्रधानमंत्री 8 से 9 जुलाई तक 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए रूस की यात्रा करेंगे।
इसमें दोनों देशों के बीच बहुआयामी संबंधों की संपूर्ण श्रृंखला की समीक्षा की जाएगी। रूस की यात्रा समाप्त करने के बाद मोदी ऑस्ट्रिया जाएंगे, जो 41 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की उस देश की पहली यात्रा होगी। लगभग पांच वर्षों में पीएम मोदी पहली बार रूस यात्रा पर जा रहे हैं। पीएम मोदी इसके पहले 2019 में रूस की यात्रा की थी। उन्होंने व्लादिवोस्तोक में एक आर्थिक सम्मेलन में हिस्सा लिया था। अब तक रूस और भारत 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन के आयोजन किये जा चुके हैं। 
लगभग साढ़े तीन साल पहले पिछला शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था। शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों ने 28 सहमति पत्रों और समझौतों पर हस्ताक्षर किए और साथ ही “शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए भारत-रूस साझेदारी” शीर्षक से एक संयुक्त बयान भी जारी किया।

पुतिन के साथ बैठक करेंगे पीएम मोदी

पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने पिछली बार 16 सितंबर, 2022 को उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय वार्ता की थी। बैठक में मोदी ने पुतिन पर यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने के लिए दबाव डालते हुए कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं है। रूस के साथ अपनी मजबूत दोस्ती को दर्शाते हुए भारत ने अभी तक यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण की निंदा नहीं की है और यह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति और संवाद के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।

आस्ट्रिया का पीएम मोदी करेंगे दौरा

रूस से पीएम मोदी ऑस्ट्रिया जाएंगे। वह 9 और 10 जुलाई को ऑस्ट्रिया में रहेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह ऑस्ट्रिया गणराज्य के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलन से मुलाकात करेंगे और ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर के साथ बातचीत करेंगे। एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री और चांसलर भारत और ऑस्ट्रिया के व्यापारिक नेताओं को भी संबोधित करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पीएम मोदी मॉस्को के साथ-साथ वियना में भारतीय समुदाय के सदस्यों से भी बातचीत करेंगे।

बेलारूस को संगठन की सदस्यता दिलाई गई

बेलारूस को संगठन की सदस्यता दिलाई गई 

अखिलेश पांडेय 
अस्ताना। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 24वीं बैठक गुरुवार को अस्ताना में शुरू हुई। इस मौके पर बेलारूस को आधिकारिक तौर पर संगठन की सदस्यता दिलाई गई। रिपोर्ट के मुताबिक, शिखर सम्मेलन की शुरुआत एक आधिकारिक समारोह के साथ हुई। इसमें बेलारूस को औपचारिक रूप से संगठन में शामिल किया गया। 
कजाख राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव ने बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको को बधाई देते हुए घोषणा की कि प्रिय राष्ट्राध्यक्षों, एससीओ में बेलारूस गणराज्य की पूर्ण सदस्यता पर निर्णय लिया गया है।
इस घोषणा पर लुकाशेंको ने कहा कि उनका देश एससीओ के प्रभाव का विस्तार करने और अपने सहयोगियों और समर्थकों के दायरे को व्यापक बनाने का प्रयास करेगा।
अस्ताना में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन, रूस, कजाकिस्तान, भारत, ईरान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, बेलारूस, मंगोलिया, अजरबैजान, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान तथा एससीओ महासचिव और एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना के कार्यकारी निदेशक भाग ले रहे हैं।

भारत के साथ अच्छे हैं संबंध

बता दें कि बेलारूस के साथ भारत के संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं। दोनों देशों के बीच परंपरागत रूप से मधुर और सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं। जिस वक्त 1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ था, उस वक्त बेलारूस को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था‌

एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर साधा निशाना

भारत ने बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उन देशों को ‘अलग-थलग करने’ और ‘बेनकाब’ करने को कहा जो आतंकवादियों को प्रश्रय देते हैं, उन्हें सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराते हैं और आतंकवाद को नजरअंदाज करते हैं। भारत ने चीन और पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्र प्रमुखों की परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचारों को रखते हुए जयशंकर ने कहा कि एससीओ का एक मूल लक्ष्य आतंकवाद से लड़ना है।
जयशंकर ने सम्मेलन में कहा, ‘‘हममें से कई लोगों के अपने अनुभव हैं, जो अक्सर हमारी सीमाओं से परे सामने आते हैं. यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है‌। किसी भी रूप या स्वरूप में आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता या माफ नहीं किया जा सकता।’’

विभाग के जिला ऑफिस पर धरना-प्रदर्शन किया

विभाग के जिला ऑफिस पर धरना-प्रदर्शन किया 

भानु प्रताप उपाध्याय 
शामली। जनपद के कई गाव के रहने वाले सैंकडो ग्रामीणों ने विद्युत विभाग के जिला ऑफिस पर जमकर धरना-प्रदर्शन करते हुए अधिकारियों को बंधक बनाया और चेतावनी दी कि चार या पांच दिन में बिलों के ठीक ना होने के चलते भारतीय किसान यूनियन अराजनेतिक संगठन उग्र आंदोलन करेगा। ग्रामीणों ने लाइनमेंन, जेई पर भी गाँव वालो से वसूली करते हुए लाखो रुपये लेने का आरोप लगाया है।
आपको बता दें कि बीते महीने में जहा विधुत विभाग के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में लगाये गये मिटर रीडर न दर्जनों से ज्यादा गाव के रहने वाले लोगो के बिल गलत निकले है। जहां ग्रामीणो ओर किसानों के मीटर रीडर ने लाखों रुपये से ज्यादा रुपयों के बिल निकालकर ग्रामीण को सोपे है। जहा इस बात से कुरमाली, क़ाबडोत, लिशाड , किवाना , बरलाजट, गोहरपुर आदि गाव में रहने वाले ग्रामीणो में हड़कंप मचा हुआ है। जहा अब इस बात को लेकर भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक संगठन ने आपत्ति जताते हुए विरोध प्रदर्शन किया है।
जिसके चलते भाकियू अराजनैतिक संगठन के पदाधिकारियो ने सैकड़ो ग्रामीणों के साथ मिलकर गठवाला खाप चोधरी राजेंद्र मलिक बाबा के नेतृत्व में विधुत विभाग के अधिकारी अधिशासी अभियंता के ऑफिस पर प्रदर्शन करते हुए एक दिवसीय धरना दिया और अधिकारियों को बंधक बनाकर अपने धरने में बैठाए रखा,ओर चेतावनी देते हुआ कहा कि आप के विभाग के ग्रामीण क्षेत्र के जेई, लाइन मेन ओर मीटर रीडर सभी ने मिलकर अपना गेंग बनकर काम कर रहे है और बिजली का बिल जायदा देते है और फिर उसको ठीक करने के नाम पर 40 से 60 हजार रुपये तक वसूल करते है।
वहीं, किवाना कुरमाली के जेई पर जानबूझ कर लाखो रुपये का बिल भिजवाने का लगाया है, जहा फिर वो बिल ठीक करने पर मात्र 2 या 3 महीने में करीब कई लाख रुपये वसूल करने का आरोप लगाया है। वही खाप चोधरी बाबा राजेन्द्र ने धमकी दी है, कि अगर 5 दिन में बिल ठीक नही हुए तो बिजली विभाग के ऑफिस पर उग्र आंदोलन होगा और गाव में जाने वाले जेई ओर लाइनमैन के साथ कुछ भी हो सकता है। उसकी जिम्मेदारी उनकी खुद की होगी।

'आतंकवाद' को एक बड़ी चिंता का विषय बताया

'आतंकवाद' को एक बड़ी चिंता का विषय बताया

अखिलेश पांडेय 
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बृहस्पतिवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में सदस्यों देशों में आतंकवाद को एक बड़ी चिंता का विषय बताया और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ 'सार्थक' वार्ता की अपील की।
बुधवार को दो दिन की आधिकारिक यात्रा पर कजाखिस्तान की राजधानी अस्ताना पहुंचे शहबाज ने SCO समिट में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया। सम्मेलन में चीन, भारत, तुर्किये, ईरान, आजरबैजान और किर्गिस्तान के नेताओं व राजनयिकों ने आर्थिक और सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की। रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री शरीफ ने अपने संबोधन में आर्थिक विकास के लिए क्षेत्र में शांति बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान में स्थायी शांति कायम करना इस साझा उद्देश्य का मुख्य आधार है।' उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय 'अफगान सरकार के साथ सार्थक रूप से बातचीत कर उनकी वास्तविक आर्थिक व विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करे।' शरीफ ने यह भी कहा कि अफगान तालिबान को यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे कि उसकी धरती का इस्तेमाल किसी अन्य देश के खिलाफ आतंकवाद के लिए न किया जाए। उन्होंने कहा, 'प्रायोजित आतंकवाद समेत आतंकवाद के सभी रूपों की कड़े और स्पष्ट शब्दों में निंदा की जानी चाहिए।' उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए "निर्दोष लोगों की हत्या करने या आतंकवाद का डर दिखाने का कोई औचित्य नहीं है।" 
इसके जवाब में भारत ने बृहस्पतिवार को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से उन देशों को 'अलग-थलग करने' और 'बेनकाब' करने को कहा जो आतंकवादियों को प्रश्रय देते हैं, उन्हें सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराते हैं और आतंकवाद को नजरअंदाज करते हैं। भारत ने चीन और पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। SCO राष्ट्र प्रमुखों की परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचारों को रखते हुए जयशंकर ने कहा कि SCO का एक मूल लक्ष्य आतंकवाद से लड़ना है। जयशंकर ने सम्मेलन में कहा, ''हममें से कई लोगों के अपने अनुभव हैं, जो अक्सर हमारी सीमाओं से परे सामने आते हैं। यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। किसी भी रूप या स्वरूप में आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता या माफ नहीं किया जा सकता।'' सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल हुए। जयशंकर ने कहा कि पिछले साल भारत की अध्यक्षता के दौरान इस विषय पर जारी संयुक्त बयान नयी दिल्ली की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। उन्होंने रेखांकित किया कि एससीओ 'वसुधैव कुटुम्बकम' के सदियों पुराने सिद्धांत का पालन करते हुए लोगों को एकजुट करने, सहयोग करने, बढ़ने और समृद्ध होने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करता है जिसका अर्थ है 'पूरी दुनिया एक परिवार है'। 
जयशंकर ने बाद में 'एक्स' पर लिखा, ''प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की ओर से एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के शिखर सम्मेलन में भारत का वक्तव्य दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगातार तीसरी बार निर्वाचित होने पर शुभकामनाएं देने के लिए सम्मेलन में उपस्थित नेताओं को धन्यवाद।''

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-258, (वर्ष-11)

पंजीकरण:- UPHIN/2014/57254

2. शुक्रवार, जुलाई 05, 2024

3. शक-1945, आषाढ़, कृष्ण-पक्ष, तिथि-अमावस्या, विक्रमी सवंत-2079‌‌। 

4. सूर्योदय प्रातः 06:03, सूर्यास्त: 06:43।

5. न्‍यूनतम तापमान- 37 डी.सै., अधिकतम- 23+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।

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बुधवार, 3 जुलाई 2024

अमेरिका: आज मनाया जाएगा 'स्वतंत्रता दिवस'

अमेरिका: आज मनाया जाएगा 'स्वतंत्रता दिवस' 

अखिलेश पांडेय 
वाशिंगटन डीसी। अमेरिका, जिसे आज दुनिया का सबसे ताकतवर देश माना जाता है। क्या आप जानते हैं कि एक वक्त अमेरिका भी गुलाम था ? दुनिया के कई देशों की तरह अमेरिका पर भी लंबे समय तक राज किया गया था। अमेरिका को 4 जुलाई 1776 के दिन आजादी मिली थी। आज हम आपको बताएंगे, कि अमेरिका को किस देश ने गुलाम बनाया था और अमेरिका को आजादी कैसे मिली थी ?
भारत समेत अन्य देशों की तरह अमेरिका को भी ब्रिटेन ने लंबे समय तक गुलाम बनाकर रखा था। ब्रिटेन ने दुनिया के करीब 80 देशों और आइलैंड पर शासन किया है। ब्रिटिश साम्राज्य में दुनिया के करीब 26% इलाके इसके अधीन थे, इसमें अमेरिका देश भी शामिल था। आज भी लोगों को सुनकर आश्चर्य होता है, कि आज दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका भी कभी ब्रिटिश का गुलाम रहा है। 
बता दें, कि हर साल 4 जुलाई के दिन अमेरिका अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। क्योंकि, 4 जुलाई 1776 को अमेरिका ने ब्रिटिश साम्राज्य से आजाद होने का ऐलान किया था। इसी के साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका की स्थापना हुई थी। इस बार 4 जुलाई के दिन अमेरिका 248 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। 

कैसे हुआ अमेरिका गुलाम ?

कहा जाता है कि क्रिस्टोफर कोलंबस जब भारत आने के लिए यूरोप से निकला था, उस वक्त वो गलती से अमेरिका पहुंच गया था। इसके बाद कोलंबस ने अपने लोगों को नए द्वीप के बारे में बताया था। इसके बाद ब्रिटिश लोग सबसे ज्यादा तादाद में उस आइलैंड पर पहुंचकर, अमेरिका पर कब्जा कर लिया था। भारत की तरह अमेरिका पर भी ब्रिटिश ने अत्याचार किये थे। इससे ब्रिटिश ऑफिसर्स और अमेरिकियों के बीच टकराव पैदा होने लगा था।

कैसे मिली आजादी ?

बता दें कि 4 जुलाई को अमेरिका में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1941 से इस दिन अमेरिका में 4 जुलाई को महत्वपूर्ण संघीय अवकाश घोषित होता रहा है, लेकिन स्वतंत्रता दिवस समारोह की परंपरा 18वीं शताब्दी और अमेरिकी क्रांति से चली आ रही है। 4 जुलाई, 1776 को 13 ब्रिटिश कालोनियों के प्रतिनिधियों ने स्वतंत्रता की घोषणा को अपनाया था, जो थॉमस जेफरसन द्वारा अपनाया गया एक ऐतिहासिक दस्तावेज था। इसी दिन अमेरिकी उपनिवेशों ने खुद को ब्रिटिश शासन से आजाद घोषित कर दिया था‌। 1776 से लेकर आज तक हर साल 4 जुलाई को अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

आजादी के लिए वोटिंग

अमेरिकी उपनिवेशों ब्रिटेन से आजादी 4 जुलाई 1776 को मिली थी‌। लेकिन इसकी प्रक्रिया 2 जुलाई 1776 को हुई थी, जब कॉन्टिनेंटर कांग्रेस ने स्वतंत्रता की घोषणा के लिए गुप्त मतदान किया था। उस दिन 12 से 13 अमेरिकी उपनिवेशों ने आधिकारिक तौर पर ब्रिटिश शासन से अलग होने का फैसला किया था। अमेरिकी उपनिवेशों को स्वतंत्रत राज्य घोषित करने वालों में उस समय के प्रसिद्ध राजनेता और राजनयिक थॉमस जेफरसन और राजनीतिक दार्शनिक बेंजामिन फ्रैंकलिन शामिल थे। जेफरसन बाद में अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति बने थे।

बारिश के मौसम में बेहद फायदेमंद हैं 'जामुन'

बारिश के मौसम में बेहद फायदेमंद हैं 'जामुन'  

सरस्वती उपाध्याय 
बारिश के मौसम में कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो स्वाद और सेहत दोनों के लिए फायदेमंद होती हैं। इनमें से एक है जामुन, जिसे इंडियन ब्लैकबेरी या ब्लैक प्लम भी कहा जाता है। अब हम सब इसे जामुन के नाम से जानते हैं।
बरसात के मौसम में इस फल को जरूर खाना चाहिए। कई लोगों को इसका खट्टा, तीखा या फीका स्वाद पसंद नहीं आता। लेकिन यह बेर मीठा भी होता है। खासकर, मधुमेह रोगियों को ब्लैकबेरी खानी चाहिए।

जामुन में कई पोषक तत्व होते हैं

जामुन विटामिन ए और सी से भरपूर होता है। जामुन आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम का एक समृद्ध स्रोत है। इसलिए त्वचा में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए ब्लैकबेरी खाना फायदेमंद होता है।

एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर

जामुन में फ्लेवोनोइड्स, एंथोसायनिन और फेनोलिक यौगिक होते हैं। जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। यह कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचाता है। इसके अलावा हृदय रोग और मधुमेह का खतरा भी कम हो जाता है।

ब्लड शुगर लेवल रखता है मेंटेन

जामुन में जम्बोलन नामक एक यौगिक होता है जो स्टार्च को चीनी में बदलने को धीमा कर देता है। जिसके कारण यह मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद बताया जाता है। ब्लैकबेरी खाने से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और इंसुलिन संवेदनशीलता को सामान्य करने में मदद मिलती है।

पाचन के लिए फायदेमंद

इसके अलावा जिन लोगों की पाचन क्रिया खराब है उन्हें भी रोजाना ब्लैकबेरी खानी चाहिए। इससे भोजन को पचाने वाले एंजाइम बढ़ते हैं और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।

जामुन का स्वाद मुंह के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है

जामुन का तीखा स्वाद मसूड़ों में बैक्टीरिया के विकास को रोकता है और मसूड़ों की सूजन को कम करता है। मुंह के छाले और सांसों की दुर्गंध जैसी समस्याओं में जामुन बहुत फायदेमंद होता है।

त्वचा के लिए फायदेमंद

जिन लोगों को बारिश के दौरान त्वचा के रूखेपन और मुंहासे निकलने की समस्या होती है। उन्हें जामुन खाना चाहिए. यह रक्त को शुद्ध करता है और त्वचा के बैक्टीरिया को दूर करता है।

नवरात्रि का तीसरा दिन मां 'चंद्रघंटा' को समर्पित

नवरात्रि का तीसरा दिन मां 'चंद्रघंटा' को समर्पित  सरस्वती उपाध्याय  हिंदू धर्म में, चंद्रघंटा देवी महादेवी का तीसरा नवदुर्गा रूप है।...