बेलारूस को संगठन की सदस्यता दिलाई गई
अखिलेश पांडेय
अस्ताना। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 24वीं बैठक गुरुवार को अस्ताना में शुरू हुई। इस मौके पर बेलारूस को आधिकारिक तौर पर संगठन की सदस्यता दिलाई गई। रिपोर्ट के मुताबिक, शिखर सम्मेलन की शुरुआत एक आधिकारिक समारोह के साथ हुई। इसमें बेलारूस को औपचारिक रूप से संगठन में शामिल किया गया।
कजाख राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव ने बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको को बधाई देते हुए घोषणा की कि प्रिय राष्ट्राध्यक्षों, एससीओ में बेलारूस गणराज्य की पूर्ण सदस्यता पर निर्णय लिया गया है।
इस घोषणा पर लुकाशेंको ने कहा कि उनका देश एससीओ के प्रभाव का विस्तार करने और अपने सहयोगियों और समर्थकों के दायरे को व्यापक बनाने का प्रयास करेगा।
अस्ताना में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन, रूस, कजाकिस्तान, भारत, ईरान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, बेलारूस, मंगोलिया, अजरबैजान, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान तथा एससीओ महासचिव और एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना के कार्यकारी निदेशक भाग ले रहे हैं।
भारत के साथ अच्छे हैं संबंध
बता दें कि बेलारूस के साथ भारत के संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं। दोनों देशों के बीच परंपरागत रूप से मधुर और सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं। जिस वक्त 1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ था, उस वक्त बेलारूस को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था
एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर साधा निशाना
भारत ने बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उन देशों को ‘अलग-थलग करने’ और ‘बेनकाब’ करने को कहा जो आतंकवादियों को प्रश्रय देते हैं, उन्हें सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराते हैं और आतंकवाद को नजरअंदाज करते हैं। भारत ने चीन और पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्र प्रमुखों की परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचारों को रखते हुए जयशंकर ने कहा कि एससीओ का एक मूल लक्ष्य आतंकवाद से लड़ना है।
जयशंकर ने सम्मेलन में कहा, ‘‘हममें से कई लोगों के अपने अनुभव हैं, जो अक्सर हमारी सीमाओं से परे सामने आते हैं. यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि अगर आतंकवाद को बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। किसी भी रूप या स्वरूप में आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता या माफ नहीं किया जा सकता।’’