वीर भारत न्यास स्थापित करने की तैयारी शुरू
मनोज सिंह ठाकुर
उज्जैन। महाकाल नगरी उज्जैन में अब 100 करोड़ रुपयों की लागत का वीर भारत न्यास स्थापित करने की तैयारी शुरू हो गई है। विक्रमोत्सव के अंतर्गत 1 मार्च को इसका शिलान्यास किया जा सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर यह कवायद तेज हो गई है। पहले यह न्यास भोपाल में स्थापित करने की योजना थी। न्यास के अंतर्गत दुनिया का पहला ऐसा संग्रहालय होगा जहां भारत के सभी महापुरुषों से जुड़ी मूर्तियों, शिल्प, चित्रकला और साहित्य का संग्रहालय होगा।
कोठी पैलेस और उसके आसपास की जमीन को शामिल कर इस न्यास की स्थापना कर दुनिया का सबसे अलग संग्रहालय बनाया जाएगा। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पहल पर इस जमीन का चिन्हांकन कर लिया गया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो विक्रमोत्सव की शुरुआत के साथ ही इसका शिलान्यास भी कर दिया जाएगा। इस सिलसिले में विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी के साथ प्रशासन के अधिकारी जमीन चयन करने की कवायद कर रहे थे। आखिरकार कोठी पैलेस और उसके पीछे की जमीन का चयन इसके लिए किया गया है। इस न्यास के स्थापित होने से देश और दुनिया में उज्जैन की एक अलग पहचान बनेगी।
चौंकाने वाली लंबी कवायद… करोड़ों खर्च पर नहीं खुल सका दफ्तर!
2012-13 में इसकी योजना बनी और उसी साल सांकेतिक बजट का आवंटन भी कर दिया गया था।
अफसरों ने करीब 100 महान लोगों की एक सूची भी तैयार कर पेश कर दी थी।
इनमें धर्म, संस्कृति, ज्योतिष, गणित, विज्ञान जैसे क्षेत्रों की महान विभूतियों के नाम थे।
न्यास का दफ्तर नहीं खुला लेकिन संग्राहलय के लिए डेढ़ सौ एकड़ जमीन तलाशने का काम तेज हो गया था
योजना के लिए 2016-17 में 30 लाख रुपए के बजट का प्रावधान किया गया।
27 लाख रुपए का आवंटन हुआ और 27 लाख खर्च भी हो गए।
2017-18 के बजट में वीर भारत योजना के लिए 9 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान हुआ।
8 करोड़ 99 लाख की राशि खर्च भी हो गई।
2018-19 के बजट में भी वीर भारत के लिए 10 करोड़ का बजट आवंटित हुआ।
एक करोड़ राजस्व मद में और नौ करोड़ पूंजीगत व्यय में आवंटित किए गए।
दोनों मदों में पूरी आवंटित राशि भी खर्च हो गई।
2019-20 के बजट में वीर भारत के लिए करीब साढ़े चार करोड़ का बजट आवंटित किया गया।
क्या है योजना….
भारत को महान या वीर बनाने वालों के जीवन चरित्र लोगों को दिखाने के लिए दिल्ली के अक्षरधाम या आनंदपुर साहेब के विरासत-ए-खालसा संग्रहालय की तर्ज पर संग्रहालय बनाने का निर्णय लिया गया। इसे नाम दिया गया वीर भारत योजना और प्रस्तावित संस्था को नाम दिया गया वीर भारत न्यास। इसे संस्कृति विभाग की इकाई स्वराज संस्थान संचालनालय से सम्बद्ध कर दिया गया था। पहले इसे भोपाल में बनाने की योजना थी। सीएम डॉ. यादव ने इसे उज्जैन में स्थापित करने का निर्देश दिया है।