टर्नअराउंड: भारत ने कई देशों को पीछे छोड़ा
इकबाल अंसारी
कोच्चि। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि 10 वर्ष पहले तक जहाजों को बंदरगाहों पर काफी लंबा इंतजार करना पड़ता था और सामान उतारने में बहुत लंबा समय लगता था लेकिन आज स्थिति बदल गई है और जहाज ‘टर्नअराउंड’ समय के मामलें में भारत ने कई विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है।
कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में प्रमुख रणनीतिक पहलों सहित 4,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि इनसे देश के दक्षिणी क्षेत्र के विकास को गति देने में मदद मिलेगी। मोदी ने भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे के संबंध में किए गए समझौतों पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘‘दुनिया वैश्विक व्यापार में भारत की क्षमता और स्थिति को पहचान रही है।’’
उन्होंने कहा कि यह गलियारा भारत की तटीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर विकसित भारत के निर्माण को और मजबूत बनाएगा। अतीत को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘10 वर्ष पहले तक जहाजों को बंदरगाहों पर काफी लंबा इंतजार करना पड़ता था और सामान उतारने में बहुत लंबा समय लगता था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज स्थिति बदल गई है और जहाज ‘टर्नअराउंड’ समय के मामले में भारत ने कई विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है।’
अमृत काल के दौरान भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने की यात्रा में हर राज्य की भूमिका पर जोर देते हुए मोदी ने पहले के समय में भारत की समृद्धि में बंदरगाहों की भूमिका को याद किया और कहा कि आज भारत नए कदम उठा रहा है और वैश्विक व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे में सरकार कोच्चि जैसे बंदरगाह शहरों की शक्ति को बेहतर बनाने में जुटी है।
उन्होंने सागरमाला परियोजना के अंतर्गत बंदरगाह क्षमता में वृद्धि, बंदरगाह अवसंरचना में निवेश और बंदरगाहों के बेहतर संपर्क का उल्लेख किया। कोच्चि को मिले देश के सबसे बड़े ‘ड्राई डॉक’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जहाज निर्माण, जहाज मरम्मत और एलपीजी आयात टर्मिनल जैसी अन्य परियोजनाएं भी केरल और देश के दक्षिणी क्षेत्र में विकास को गति प्रदान करेंगी।’’
उन्होंने कोच्चि शिपयार्ड के साथ ‘मेड इन इंडिया’ विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ के निर्माण का भी उल्लेख किया और कहा कि नयी सुविधाओं से शिपयार्ड की क्षमताएं कई गुना बढ़ जाएंगी। प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में बंदरगाहों, पोत परिवहन और जलमार्ग क्षेत्र में किए गए सुधारों पर प्रकाश डाला तथा कहा कि इससे भारत के बंदरगाहों में नया निवेश आया है और रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं।
उन्होंने बताया कि भारतीय नाविकों से संबंधित नियमों में सुधार से देश में नाविकों की संख्या में 140 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के भीतर अंतर्देशीय जलमार्गों के उपयोग से यात्री और कार्गो परिवहन को बड़ा प्रोत्साहन मिला है। मोदी ने कहा कि ‘आजादी के अमृत काल’ में प्रत्येक राज्य विकास की दिशा में भारत की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब हर कोई एक साथ काम करता है तो परिणाम बहुत बेहतर होते हैं।’’ प्रधानमंत्री ने 4,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लिए केरलवासियों को भी बधाई दी। मोदी ने कहा कि नया ‘ड्राई डॉक’ भारत का राष्ट्रीय गौरव है। उन्होंने कहा, ‘‘इससे न केवल बड़े जहाजों को उतारा जा सकेगा बल्कि यहां जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत का काम भी संभव हो सकेगा, परिणामस्वरूप विदेशों पर निर्भरता कम होगी और विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।’’
अंतरराष्ट्रीय जहाज मरम्मत सुविधा के उद्घाटन का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कोच्चि को भारत और एशिया में सबसे बड़े जहाज मरम्मत केंद्र में बदल देगा। प्रधानमंत्री ने आईएनएस विक्रांत के निर्माण में कई सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों के एक साथ आने के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि नया एलपीजी आयात टर्मिनल कोच्चि, कोयम्बटूर, इरोड, सेलम, कालीकट, मदुरै और त्रिची की एलपीजी आवश्यकताओं को पूरा करेगा जबकि उद्योगों, अन्य आर्थिक विकास गतिविधियों तथा इन क्षेत्रों में नए रोजगार पैदा करने में भी सहायक होगा।
परियोजनाओं में 310 मीटर लंबा 'ड्राई डॉक' और अंतरराष्ट्रीय जहाज मरम्मत सुविधा (आईएसआरएफ) शामिल हैं। ड्राई डॉक का निर्माण अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार किया गया है जबकि आईएसआरएफ भारत का पहला पूरी तरह से विकसित शुद्ध जहाज मरम्मत पारिस्थितिकी तंत्र है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एलपीजी आयात टर्मिनल का उद्घाटन भी किया।
प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित भी किया। इसमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन, केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने भाग लिया।
मोदी ने अपने भाषण में कहा, ‘‘आज जब भारत वैश्विक व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है, हम देश की समुद्री ताकत बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि बंदरगाहों, जहाजरानी और अंतर्देशीय जलमार्गों के क्षेत्रों में ‘व्यवसाय की सुगमता’ को बढ़ाने के लिए पिछले 10 वर्षों में कई सुधार किए गए हैं। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार भारत को एक बड़ी समुद्री शक्ति बनाने के लिए काम कर रही है।
उद्घाटन से पहले, सोनोवाल ने अपने स्वागत भाषण में परियोजना का विवरण साझा किया। विजयन ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और प्रधानमंत्री को राज्य की तरफ से धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री मोदी को अपने बीच पाकर खुश हैं। सबसे पहले मैं उनका गर्मजोशी से स्वागत करता हूं और इस तरह की बड़ी परियोजनाओं में मेजबान राज्य के रूप में सहायक भूमिका निभाकर हमारे देश के समग्र विकास के लिए केरल की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता हूं।’’
मुख्यमंत्री ने अपने संक्षिप्त भाषण में ‘चंद्रयान-3’ और ‘आदित्य एल-1’ परियोजनाओं में सरकारी कंपनी केल्ट्रॉन और केरल की कई अन्य कंपनियों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। केंद्र सरकार का अनुमान है कि इन परियोजनाओं से कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड अगले चार वर्षों के भीतर अपने कारोबार को दोगुना कर 7,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने के लिए तैयार है।