यह सभी के लिए एक अप्रत्याशित परिणाम है
नरेश राघानी
जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बीच निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को कहा कि यह सभी के लिए एक अप्रत्याशित परिणाम है। इसके साथ ही उन्होंने इस दावे को खारिज कर दिया कि अगर पार्टी चुनाव में ‘नये चेहरों’ को आगे लाती, तो दोबारा सत्ता में आ सकती थी।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर जमकर निशाना साधा तथा आरोप लगाया कि उन्होंने (मोदी एवं शाह ने) चुनाव प्रचार के दौरान लोगों को धर्म के नाम पर भड़काया।
कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि राज्य की जनता भाजपा नेताओं से ‘बदला’ लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गहलोत ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘राजस्थान की जनता के जनादेश को हम विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं।
यह सभी के लिए एक अप्रत्याशित परिणाम है। यह हार दिखाती है कि हम अपनी योजनाओं, कानूनों और नवाचारों को जनता तक पहुंचाने में पूरी तरह कामयाब नहीं रहे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं नई सरकार को शुभकामनाएं देता हूं।
मेरी उनको सलाह है कि हम काम करने के बावजूद कामयाब नहीं हुए, इसका मतलब यह नहीं कि वे (भाजपा) सरकार में आने के बाद काम ही न करें। पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस), चिरंजीवी सहित तमाम योजनाएं एवं इन पांच सालों में राजस्थान को हमारे द्वारा दी गयी विकास की रफ्तार को वे (भाजपा) आगे बढ़ाएं।
’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने इस चुनाव में पूरी मेहनत की एवं सभी मतदाताओं का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने हमारे ऊपर विश्वास किया।’’ बाद में पत्रकारों से बातचीत में गहलोत ने कहा, ‘‘हमने जो गारंटी दीं, वे शानदार थीं, लेकिन उसके बावजूद जो नतीजे आये हैं, वे चौंकाने वाले हैं।
’’ उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि छत्तीसगढ़ में भी उम्मीद के विपरीत नतीजे आये हैं... मध्य प्रदेश में भी उल्टे नतीजे आये हैं। इसलिए जब तीन राज्यों में परिणाम उल्टे आये हैं तो मैं समझता हूं कि यह एक सोच का और जांच का विषय है कि (हार के) क्या कारण रहे होंगे ?
’’ इस सवाल का जवाब देते हुए कि (क्या) चुनाव में चेहरा बदलने से सकारात्मक परिणाम आ सकते थे, गहलोत ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि नये चेहरे लाने से पार्टी चुनाव जीत सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम भी जानते हैं कि नये चेहरे लाने की बात थी.. नये उम्मीदवार आने चाहिए.. परन्तु यह मांग मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में नहीं थी, लेकिन वहां भी हम चुनाव हारे। (ऐसे में) यह कहना कि यदि हम नये चेहरे लाते तो जीत जाते..गलत बात है।
’’ साल 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान चलती रही है। साल 2020 में पायलट ने कुछ विधायकों के साथ गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत की, जिसके बाद उन्हें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह किसी भी पद पर रहें या न रहें, लोगों के लिए काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि वह आखिरी सांस तक राज्य की जनता के लिए काम करते रहेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या इस हार का असर 2024 के लोकसभा चुनावों पर पड़ सकता है, गहलोत ने जवाब दिया, ‘‘ये सभी चीजें प्रभावित करती हैं।