सोमवार, 27 नवंबर 2023

सरकार के आरक्षण के दायरे में वृद्धि, चुनौती

सरकार के आरक्षण के दायरे में वृद्धि, चुनौती 

अविनाश श्रीवास्तव 
पटना। बिहार में नीतीश सरकार के आरक्षण के दायरे में वृद्धि करने के फैसले को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। बताते चलें कि, बिहार विधानमंडल ने हाल ही में एक संशोधन के जरिए पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण को मौजूदा 50% से बढ़ाकर 65% कर दिया था।
पटना उच्च न्यायालय में इस फैसले को लेकर एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। मामले से जुड़े उच्च न्यायालय के एक सूत्र के अनुसार, याचिका की प्रति सूचीबद्ध करने से पहले महाधिवक्ता के कार्यालय को भेज दी गई है।
याचिका में बिहार आरक्षण (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) (संशोधन) अधिनियम, 2023 और बिहार (शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता ने इन अधिनियमों पर रोक लगाने की भी मांग की है। राज्य में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया है। वहीं ईडब्ल्यूएस कोटा को यथावत 10 फीसदी रखा गया है। इस तरह बिहार में आरक्षण का दायरा 50 से बढ़कर 75 फीसदी पहुंच गया है।
बिहार राज्य विधानमंडल ने 10 नवंबर को इस संशोधन को पारित किया, और 18 नवंबर को इसे राज्यपाल की मंजूरी मिल गई। इसके बाद बिहार सरकार ने 21 नवंबर को राज्य में आरक्षण का दायरा 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी करने के संबंध में एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया।
याचिका में यह तर्क दिया गया है कि यह संशोधन राज्य द्वारा आयोजित जाति सर्वेक्षण से प्राप्त आनुपातिक आरक्षण पर आधारित है। इस सर्वेक्षण के अनुसार बिहार राज्य में पिछड़े वर्गों (एससी, एसटी, ओबीसी और ईबीसी) की जनसंख्या 63।13% थी।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के अनुसार आरक्षण इन वर्गों (एससी, एसटी, ओबीसी) के आनुपातिक प्रतिनिधित्व के बजाय सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधित्व पर आधारित होना चाहिए।
याचिका में कहा गया है, ‘इसलिए, बिहार सरकार का यह अधिनियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 (1) और अनुच्छेद 15(1) का उल्लंघन है। अनुच्छेद 16 (1) राज्य के तहत किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए समानता का अवसर प्रदान करता है। अनुच्छेद 15(1) किसी भी प्रकार के भेदभाव पर रोक लगाता है’।

रविवार, 26 नवंबर 2023

विभिन्न मांगों को लेकर संघ का विरोध-प्रदर्शन

विभिन्न मांगों को लेकर संघ का विरोध-प्रदर्शन 

इकबाल अंसारी 
श्रीनगर। भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीटू) और जम्मू- कश्मीर सेब किसान संघ ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर रविवार को यहां श्रीनगर के प्रेस एन्क्लेव में विरोध-प्रदर्शन किया। सीटू की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता एम वाई तारिगामी ने कहा कि ट्रेड यूनियनों और सेब किसानों ने संयुक्त रूप से अपनी मांगों को लेकर देश भर में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं। 
एम वाई तारिगामी ने कहा, ‘‘सेब उद्योग को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। ईरान और अमेरिका से सेब के आयात पर रोक लगनी चाहिए, नहीं तो यहां इससे जुड़े लोगों को नुकसान होगा। हमारी मांग यह भी है कि सरकार अरबों रुपये कमाने वालों की तरह किसानों का भी कर्ज माफ करे।’’ उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी मिलना चाहिए।
उन्होंने कथित 'जनविरोधी, श्रमिक विरोधी और किसान विरोधी नीतियों' के लिए सरकार की आलोचना भी की। माकपा नेता ने जम्मू-कश्मीर में आम लोगों को हो रही समस्याओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर पिछले दो दशकों में सबसे खराब बिजली संकट का सामना कर रहा है और बिजली की भारी कमी से जूझ रहा है।
ऐसे समय में जब घाटी में तापमान शून्य से नीचे स्तर तक गिर गया है, लंबे और अनिर्धारित बिजली कटौती के कारण लोगों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल इस संकट का खामियाजा भुगत रहे हैं और उद्योगों के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र भी पीड़ित हैं। ’’

अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण, शपथ दिलाई

अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण, शपथ दिलाई 

संदीप मिश्र 
बरेली। संविधान दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी समेत अन्य अफसरों ने कलेक्ट्रेट सभागार में संविधान के निर्माता बाबा साहब डाॅ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित किए। 
जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को संविधान के प्रति कर्तव्य निष्ठा का पालन करने की शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि संविधान दिवस का उद्देश्य भारत के नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ाना है। इस अवसर पर एडीएम प्रशासन दिनेश मिश्रा, एडीएम वित्त एवं राजस्व संतोष बहादुर सिंह, नगर मजिस्ट्रेट रेनू सिंह सहित कलेक्ट्रेट के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

रॉकेट के प्रक्षेपण से पहले उल्टी गिनती शुरू की

रॉकेट के प्रक्षेपण से पहले उल्टी गिनती शुरू की

इकबाल अंसारी 
तिरुवनंतपुरम। भारत के पहले ‘ध्वनि रॉकेट’ प्रक्षेपण के समय उल्टी गिनती करने वाले वैज्ञानिक प्रमोद पुरुषोत्तम काले ने 60 साल बाद शनिवार को एक अन्य रॉकेट के प्रक्षेपण से पहले उल्टी गिनती शुरू कर इतिहास दोहराया।
छह दशक पहले केरल में तिरुवनंतपुरम के पास थुम्बा स्थित अस्थायी इक्वेटोरियल प्रक्षेपण स्थल से एक रॉकेट को प्रक्षेपित करने के मौके पर युवा वैज्ञानिक प्रमोद पुरुषोत्तम काले ने आत्मविश्वास के साथ 20 सेकंड की उल्टी गिनती (काउंटडाउन) शुरू की थी, तब देश का अंतरिक्ष कार्यक्रम अपने शुरुआती चरण में था।
लेकिन शनिवार को इतिहास ने खुद को दोहराया जब विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में 80 वर्ष से अधिक उम्र के काले ने एक बार फिर रॉकेट प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती का मार्गदर्शन करने के लिए माइक्रोफोन उठाया। काले महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के समर्पित शिष्य रहे हैं। नये रॉकेट का प्रक्षेपण उसी स्थान से किया गया जहां से 21 नवंबर, 1963 को भारत के पहले ‘ध्वनि रॉकेट’ को प्रक्षेपित किया गया था।
काले ने कहा कि याद रखने वाली सबसे अहम बात यह है कि देश के पहले ‘ध्वनि रॉकेट’ का प्रक्षेपण सूर्यास्त के बाद देर शाम को किया गया था और खुद वह उलटी गिनती कर रहे थे। प्रसन्नचित काले ने उन दिनों को याद करते हुए कहा, ‘‘मैंने घड़ी विकसित कर ली थी, लेकिन वह घड़ी ऊपर की गिनती कर रही थी, नीचे की नहीं। इसलिए उन्होंने मुझसे उलटी गिनती करने के लिए कहा था।’’
इस प्रक्षेपण से देश में अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ और 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना हुई। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक रहे अहमदाबाद निवासी काले ने कहा कि उन्होंने कुछ और समय तक रॉकेट प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती करना जारी रखा, क्योंकि उस समय प्रक्षेपण का समय बहुत महत्वपूर्ण था।
पुराने दिनों को याद करते हुए काले ने कहा कि विक्रम साराभाई द्वारा तैयार शुरुआती बैच में से केवल एपीजे अब्दुल कलाम ही एक ‘एरोनॉटिकल इंजीनियर’ थे। उन्होंने कहा कि साराभाई ने इस बैच का गठन किया और जनवरी 1963 में इसके सदस्यों को रॉकेट उत्पादन, प्रक्षेपण और रॉकेट इंस्ट्रूमेंटेशन में प्रशिक्षण के लिए भेजा।
काले का मानना ​​है कि गगनयान के जरिए इसरो जल्द ही अपने मुख्य मिशन को पूरा करेगा और अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में सफल होगा। इसरो के साथ दशकों की सेवा के बाद काले वीएसएससी के निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने वीएसएससी से ही अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपनी यात्रा शुरू की थी।

एससी ने ‘लोक अदालत’ के तौर पर भूमिका निभाई

एससी ने ‘लोक अदालत’ के तौर पर भूमिका निभाई

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ‘लोक अदालत’ के तौर पर अपनी भूमिका निभाई है और नागरिकों को अदालतों का दरवाजा खटखटाने से नहीं डरना चाहिए, या इसे अंतिम उपाय के रूप में नहीं देखना चाहिए। 
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘जिस तरह संविधान हमें स्थापित लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं के माध्यम से राजनीतिक मतभेदों को हल करने की अनुमति देता है, अदालती प्रणाली स्थापित सिद्धांतों और प्रक्रियाओं के माध्यम से कई असहमतियों को सुलझाने में मदद करती है। सीजेआई ने शीर्ष अदालत में ‘संविधान दिवस’ समारोह के उद्घाटन के अवसर पर कहा, ‘‘इस तरह, देश की हर अदालत में हर मामला संवैधानिक शासन का विस्तार है।’’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण दिया। इस समारोह में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और अन्य लोग शामिल हुए। प्रधान न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कहा, "पिछले सात दशकों में, भारत के उच्चतम न्यायालय ने लोक अदालत के रूप में काम किया है। हजारों नागरिकों ने इस विश्वास के साथ इसके दरवाजे खटखटाये हैं कि उन्हें इस संस्था के माध्यम से न्याय मिलेगा।"
उन्होंने कहा कि नागरिक अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा, गैर-कानूनी गिरफ्तारियों के खिलाफ जवाबदेही, बंधुआ मजदूरों के अधिकारों की रक्षा, आदिवासियों द्वारा अपनी भूमि की रक्षा करने की मांग, हाथ से मैला उठाने जैसी सामाजिक बुराइयों की रोकथाम और स्वच्छ हवा पाने के लिए हस्तक्षेप की उम्मीद के साथ अदालत पहुंचते हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "ये मामले अदालत के लिए सिर्फ उद्धरण या आंकड़े नहीं हैं।
ये मामले शीर्ष अदालत से लोगों की अपेक्षाओं के साथ-साथ नागरिकों को न्याय देने को लेकर अदालत की अपनी प्रतिबद्धता से मेल खाते हैं।" उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत शायद दुनिया की एकमात्र अदालत है, जहां कोई भी नागरिक सीजेआई को पत्र लिखकर उच्चतम न्यायालय के संवैधानिक तंत्र को गति दे सकता है।
उन्होंने कहा कि नागरिकों को अपने निर्णयों के माध्यम से न्याय सुनिश्चित करने के अलावा शीर्ष अदालत यह सुनिश्चित करने का निरंतर प्रयास कर रही है कि उसकी प्रशासनिक प्रक्रियाएं नागरिक केंद्रित हों, ताकि लोगों को अदालतों के कामकाज के साथ जुड़ाव महसूस हो। उन्होंने कहा, "लोगों को अदालतों का दरवाजा खटखटाने से डरना नहीं चाहिए या इसे अंतिम उपाय के रूप में नहीं देखना चाहिए।
मैं आशा करता हूं कि हमारे प्रयासों से, हर वर्ग, जाति और पंथ के नागरिक हमारी न्यायिक प्रणाली पर भरोसा कर सकते हैं और इसे अधिकारों के इस्तेमाल के लिए निष्पक्ष और प्रभावी मंच के रूप में देख सकते हैं।" न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालतें अब अपनी कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ (सीधा प्रसारण) कर रही हैं और यह निर्णय इस उद्देश्य से लिया गया है कि नागरिकों को पता चले कि अदालत कक्षों के अंदर क्या हो रहा है ?
उन्होंने कहा, "अदालतों की कार्यवाही के बारे में लगातार मीडिया रिपोर्टिंग अदालत कक्षों के कामकाज में जनता की भागीदारी को इंगित करती है।" उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने कृत्रिम मेधा (एआई) और मशीन की मदद से अपने फैसलों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने का भी निर्णय लिया है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पिछले साल संविधान दिवस पर राष्ट्रपति ने जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों और हाशिये की पृष्ठभूमि के नागरिकों को जेल में रखे जाने पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा, "...मैं आपको (राष्ट्रपति को) आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं कि कानूनी प्रक्रियाएं आसान और सरल हो जाएं, ताकि नागरिक अनावश्यक रूप से जेलों में बंद न रहें।"

सम्मेलन: दो दिवसीय यात्रा पर दुबई जाएंगे पीएम

सम्मेलन: दो दिवसीय यात्रा पर दुबई जाएंगे पीएम 

इकबाल अंसारी 
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस सप्ताह दो दिवसीय यात्रा पर दुबई जाएंगे। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने रविवार को यह जानकारी दी।
मंत्रालय ने कहा कि मोदी संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के निमंत्रण पर 30 नवंबर से एक दिसंबर तक दुबई की यात्रा करेंगे। संयुक्त अरब अमीरात की अध्यक्षता में दुबई में 28 नवंबर से 12 दिसंबर तक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

1. अंक-37, (वर्ष-11)

पंजीकरण:- UPHIN/2010/57254

2. सोमवार, नवंबर 27, 2023

3. शक-1945, कार्तिक, शुक्ल-पक्ष, तिथि-पूर्णिमा, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:36, सूर्यास्त: 05:18।

5. न्‍यूनतम तापमान- 16 डी.सै., अधिकतम- 28+ डी.सै.। बरसात की संभावना बनी रहेगी।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पंवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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संपर्क सूत्र :- +919350302745--केवल व्हाट्सएप पर संपर्क करें, 9718339011 फोन करें।

(सर्वाधिकार सुरक्षित)

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