इनर रिंग रोड परियोजना के लिए टेंडर खोला
बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। महाकुंभ-2025 की महात्वाकांक्षी इनर रिंग रोड परियोजना के लिए टेंडर खोल दिया गया है। प्रथम चरण में 30 किमी लंबी इनर रिंग रोड का तीन हिस्सों में निर्माण कराया जाएगा। फिलहाल, दो हिस्से के काम के लिए कराए गए टेंडर में 29 कंपनियों ने हिस्सा लिया है। हफ्तेभर में ठेका एजेंसी नियुक्त कर दी जाएगी। 20 अक्तूबर से इस परियोजना के निर्माण का काम आरंभ होने की उम्मीद है।
शहर के विकास की सबसे अहम परियोजनाओं में शामिल 65 किमी लंबी इनर रिंग रोड का निर्माण महाकुंभ को देखते हुए दो चरणों में कराने का निर्णय लिया गया है। पहले चरण में नैनी में लवायन कला गांव के पास से इस परियोजना की शुरुआत होगी। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से इस परियोजना के प्रथम चरण को तीन भागों में बांटा गया है।
सहसों से ओल्डजीटी रोड तक 15 किमी और इसके बाद वाले हिस्से मेंं 7.50 किमी लंबी इनर रिंग रोड के लिए टेंडर खोला गया है। इसके तीसरे पैकेज में भी 7.50 किमी इनर रिंग रोड का निर्माण होना है। इसका भी टेंडर जल्द कराया जाएगा। प्रथम चरण के इन तीनों हिस्सों के निर्माण की लागत 3033 करोड़ निर्धारित की गई है।
इसमें नैनी और झूंसी के बीच गंगा पर 3200 मीटर लंबा सेतु भी शामिल है। अगले माह इस परियोजना के निर्माण के लिए एजेंसी के यहां पहुंचने की उम्मीद है। शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-दो पर प्रस्तावित इनर रिंग रोड परियोजना के प्रथम चरण के लिए जिले के 45 गांवों के चार हजार किसानों की 195 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत अधिग्रहीत की गई है।
इनर रिंग रोड परियोजना में प्रभावित होने वाले किसानों के भूमि, भवनों, बगीचों, कुओं के स्वामित्व का मुआवजा जारी कर दिया गया है। रीवा रोड से जीटी रोड पर महुआरी, लवाइन कला होते हुए अंदावा के रास्ते इस रिंग रोड को आगे ले जाकर सहसों में फिर एनएच-2 से मिला दिया जाएगा।
इनर रिंग रोड के बन जाने से महाकुंभ के दौरान कानपुर से मध्य प्रदेश जाने वाले वाहनों को शहर में इंट्री नहीं करनी होगी। वहीं, एमपी से कानपुर या वाराणसी जाने वालों को भी इससे काफी राहत मिलेगी। बिना शहर में प्रवेश किए रिंग रोड के रास्ते निकल जाएंगे। इससे शहरियों को ट्रैफिक की समस्या से जूझना नहीं पड़ेगा। इसके अलावा कई जगह एप्रोच मार्ग बनने से जिले के ग्रामीणांचल इलाकों के लोगों को भी काफी राहत मिलेगी।
इस परियोजना को महाकुंभ से पहले पूरा कराने का एनएचएआई पर दबाव है। सके लिए एनएचएआई के अफसरों के साथ महाकुंभ मेला प्रशासन लगातार बैठकें कर रहा है। अब टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही इसके निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है।