सोमवार, 11 सितंबर 2023

यूपी में भारी बरसात, येलो व ऑरेंज अलर्ट बरकरार

यूपी में भारी बरसात, येलो व ऑरेंज अलर्ट बरकरार 

संदीप मिश्र 
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में गरज-चमक के साथ भारी बरसात को लेकर मौसम विभाग का येलो व ऑरेंज अलर्ट अभी भी बरकरार है। मौसम विभाग लखनऊ, बाराबंकी, गोंडा, लखीमपुर खीरी , हरदोई और सीतापुर में आंधी-तूफान का रेड अलर्ट जारी किया है। वहीं, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर व आसपास के इलाकों में भारी बरसात को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। 
लखनऊ में अच्छी बारिश रिकॉर्ड की गई जो कि रविवार पूरी रात होती रही। मौसम को देखते हुए लखनऊ जिले के सभी स्कूलों में अवकाश की घोषणा की गई। जिला प्रशासन ने संदेश जारी करते हुए कहा है कि मौसम विभाग द्वारा जारी भीषण बिजली कड़कने और भारी वर्षा के मद्देनजर लखनऊ में कोई अनावश्यक बाहर खुले में ना घूमे। 
भीषण बिजली कड़कने की संभावना है। असुरक्षित भवनों व पेड़ो के संपर्क में आने से बचें। जनपदवासियों को अपने घरों में रहने की सलाह दी जाती है। सतर्क रहें, सुरक्षित रहे।
मौसम विभाग ने लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, कानपुर, बाराबंकी, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, संभल, बंदायूं, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर, व आसपास भारी बरसात का येलो अलर्ट जारी किया है।
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के मुताबिक 12 सितंबर तक मौसम ऐसा ही रहेगा, 13 से मानसून की सक्रियता में कमी आएगी, पश्चिमी इलाकों में बारिश की तीव्रता घटेगी। 
उधर, प्रदेश में जारी धीमी तेज बारिश के बीच शनिवार शाम से रविवार शाम तक मुरादाबाद में सर्वाधिक बरसात रिकार्ड की गई। जबकि बीते 24 घंटे से प्रदेश में कहीं भारी तो कहीं मध्यम बरसात रुक रुक कर जारी है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बारिश के दृष्टिगत संबंधित जनपदों के अधिकारियों को पूरी तत्परता से राहत कार्य संचालित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी क्षेत्र का भ्रमण कर राहत कार्य पर नज़र रखें। 
आपदा से प्रभावित लोगों को अनुमन्य राहत राशि का अविलंब वितरण करें। मुख्यमंत्री ने यह निर्देश भी दिए हैं कि जल भराव की स्थिति में जल निकासी के लिए प्रभावी प्रबंध किए जाएं। नदियों के जल स्तर की सतत निगरानी की जाए। फसलों को हुए नुकसान का आकलन कर शासन को आख्या उपलब्ध कराई जाए, तक प्रभावित किसानों को नियमानुसार मुआवजा राशि उपलब्ध कराई जा सके।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  


1. अंक-329, (वर्ष-06)

पंजीकरण:- UPHIN/2010/57254

2. मंगलवार, सितंबर 12, 2023

3. शक-1944, भाद्रपद, कृष्ण-पक्ष, तिथि-त्रयोदशी, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 05:22, सूर्यास्त: 07:06।

5. न्‍यूनतम तापमान- 16 डी.सै., अधिकतम- 29+ डी.सै.। बरसात की संभावना बनी रहेगी।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु  (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पंवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

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रविवार, 10 सितंबर 2023

पीएम सुनक ने चीनी प्रधानमंत्री से मुलाकात की

पीएम सुनक ने चीनी प्रधानमंत्री से मुलाकात की

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत 
लंदन/बीजिंग। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने रविवार को नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन से इतर चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग से मुलाकात की और उन्हें ब्रिटेन की जासूसी चिंताओं से अवगत कराया। ब्रिटिश मीडिया की एक खबर में दो लोगों के खिलाफ जासूसी के आरोपों संबंधी खुलासे के बाद सुनक ने ली क्विंग के समक्ष ब्रिटेन के संसदीय लोकतंत्र में कथित चीनी हस्तक्षेप का मुद्दा उठाया और उन्हें ब्रिटेन की महत्वपूर्ण चिंताओं से अवगत कराया। 
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय ‘10 डाउनिंग स्ट्रीट’ के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री सुनक ने चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग से मुलाकात की और ब्रिटेन के संसदीय लोकतंत्र में चीनी हस्तक्षेप के बारे में अपनी महत्वपूर्ण चिंताओं से उन्हें अवगत कराया। ’’ दरअसल, ब्रिटेन की एक मीडिया रिपोर्ट में दो लोगों के खिलाफ जासूसी के आरोप लगाए गए हैं।
ब्रिटेन के साप्ताहिक समाचारपत्र 'द संडे टाइम्स' की खबर के मुताबिक ब्रिटेन में एक संसदीय शोधकर्ता ने चीन के लिए जासूसी होने का दावा किया था, जिसके बाद ब्रिटेन के आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया।
उनमें से एक व्यक्ति, जिसकी उम्र 20 वर्ष के आसपास थी, एक शोधकर्ता है और उसका संबंध सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी के कई सांसदों से था। जबकि 30 साल से ज्यादा उम्र के एक अन्य व्यक्ति के बारे में कहा जाता है कि उसे मार्च में गिरफ्तार किया गया था और अब वह जमानत पर बाहर है।

संयुक्त राष्ट्र सहित निकायों में सुधारों पर जोर दिया

संयुक्त राष्ट्र सहित निकायों में सुधारों पर जोर दिया

इकबाल अंसारी 
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र सहित वैश्विक निकायों में सुधारों पर नए सिरे से जोर दिया और कहा कि दुनिया की ‘‘नयी वास्तविकताएं’’ ‘‘नयी वैश्विक संरचना’’ में प्रतिबिंबित होनी चाहिए क्योंकि यह प्रकृति का नियम है कि जो नहीं बदलते हैं समय के साथ उनकी प्रासंगिकता खत्म हो जाती है।
जी20 शिखर सम्मेलन के ‘एक भविष्य’ सत्र में बदलाव की जरूरत वाले निकाय के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का हवाला देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘यह जरूरी है कि दुनिया को बेहतर भविष्य की ओर ले जाने के लिए वैश्विक निकायों को आज की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 51 सदस्यों के साथ हुई थी, तो दुनिया अलग थी और अब सदस्य देशों की संख्या लगभग 200 हो गई है। मोदी ने कहा, ‘‘बावजूद इसके, यूएनएससी में स्थाई सदस्य आज भी उतने ही हैं। तब से आज तक दुनिया हर लिहाज से बहुत बदल चुकी है। परिवहन हो, संचार हो, स्वास्थ्य, शिक्षा, हर क्षेत्र का कायाकल्प हो चुका है। ये नयी वास्तविकताएं हमारी नयी वैश्विक संरचना में प्रतिबिंबित होनी चाहिए।’’
यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमें खुले मन से विचार करना होगा कि आखिर क्या कारण है कि बीते वर्षों में अनेक क्षेत्रीय मंच अस्तित्व में आए हैं, और ये प्रभावी भी सिद्ध हो रहे हैं।’’ सुधारों की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि इसीलिए शनिवार को अफ्रीकी संघ को जी20 का सदस्य बनाकर एक ऐतिहासिक पहल की गई।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इसी तरह, हमें बहुपक्षीय विकास बैंक के ‘मैंडेट’ का विस्तार भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले तुरंत होने चाहिए और प्रभावी भी होने चाहिए।’’ मोदी ने अपने संबोधन में साइबर सुरक्षा और ‘क्रिप्टो करेंसी’ को दुनिया के वर्तमान और भविष्य को प्रभावित करने वाले ज्वलंत मुद्दों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करेंसी सामाजिक व्यवस्था और मौद्रिक एवं वित्तीय स्थिरता के लिए एक नया विषय है। उन्होंने इसे विनियमित करने के लिए वैश्विक मानकों के विकास की मांग की।
मोदी ने कहा कि साइबर जगत आतंकवाद के लिए वित्त पोषण का एक नया स्रोत बनकर उभरा है और इसे सुरक्षित करने के लिए वैश्विक सहयोग और ढांचा आवश्यक है। उन्होंने कहा, ‘‘यह हर देश की सुरक्षा और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जब हम हर देश की सुरक्षा और संवेदनशीलता का ख्याल रखेंगे तो ‘एक भविष्य’ की भावना मजबूत होगी।’’
उन्होंने कहा कि दुनिया नयी पीढ़ी की प्रौद्योगिकी में अकल्पनीय पैमाने और गति देख रही है। उन्होंने उदाहरण के रूप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का हवाला देते हुए कहा कि जी20 देशों को 2019 में समूह द्वारा अपनाए गए ‘‘एआई पर सिद्धांतों’’ से आगे बढ़ने की जरूरत है। मोदी ने कहा, ‘‘मेरा सुझाव है कि अब हम जिम्मेदार मानव केंद्रित सुशासन के लिये एक फ्रेमवर्क तैयार करें। इस संबंध में भारत भी अपने सुझाव देगा।
हमारा प्रयास होगा कि सामाजिक-आर्थिक विकास, वैश्विक कार्यबाल और अनुसंधान एवं विकास जैसे क्षेत्रों में सभी देशों को एआई का लाभ मिले।’’ जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण के बजाय मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के लिए अपने प्रयास पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि भारत ने मानवता के हित में अपने चंद्र मिशन के डेटा को सभी के साथ साझा करने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने कहा, ‘‘यह मानव-केंद्रित विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है।’’
उन्होंने कहा कि दुनिया को ‘‘वैश्विक परिवार’’ को वास्तविकता बनाने के लिए ‘‘वैश्विक गांव’’ की अवधारणा से आगे जाने की जरूरत है। उन्होंने एक ऐसे भविष्य का आह्वान किया जिसमें न केवल देशों के हित जुड़े हों बल्कि उनके दिल भी जुड़े हों। उन्होंने कहा, तेजी से बदलती दुनिया में टिकाऊ और स्थायित्व की भी उतनी ही जरूरत है जितनी परिवर्तन की। बाद में, मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट में कहा, ‘‘केवल जीडीपी केंद्रित दृष्टिकोण रखना पुराना हो गया है।
अब समय आ गया है कि प्रगति का मानव केन्द्रित दृष्टिकोण अपनाया जाए। भारत इस संबंध में कई प्रयास कर रहा है, खासकर डेटा और प्रौद्योगिकी से संबंधित क्षेत्रों में। हमें सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एआई का उपयोग करने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं वह करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि हम अपने विकास पथ पर आगे बढ़ रहे हैं, हमें अपना ध्यान निरंतरता और स्थिरता पर रखना चाहिए। इससे हाशिए पर रहने वाले लोगों का सशक्तिकरण सुनिश्चित होगा।’’

जी20: मुद्दों को चर्चा पर हावी नहीं होना चाहिए

जी20: मुद्दों को चर्चा पर हावी नहीं होना चाहिए 

अखिलेश पांडेय 
नई दिल्ली/ब्रासीलिया। उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के समूह की अध्यक्षता संभालने के बाद ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा ने रविवार को कहा कि भू-राजनीतिक मुद्दों को जी20 में चर्चा पर हावी नहीं होने देना चाहिए। 
यहां जी20 शिखर सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए लूला डी सिल्वा ने कहा कि समूह को “विभाजित जी20” में कोई दिलचस्पी नहीं है और आज की चुनौतियों का सामना संयुक्त कार्रवाई के जरिए ही किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उन्हें जी20 की अध्यक्षता सौंपे जाने के तुरंत बाद उन्होंने कहा, “हमें संघर्ष के बजाय शांति और सहयोग की जरूरत है।”
अगला जी20 शिखर सम्मेलन नवंबर 2024 में रियो डी जनेरियो में होगा। लूला डी सिल्वा ने कहा, “जो रास्ता हमें नई दिल्ली से रियो डी जनेरियो तक ले जाएगा, उसके लिए सभी से बहुत समर्पण और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होगी।” उन्होंने कहा कि ब्राजील की अध्यक्षता में दक्षिण अमेरिकी देश के पांच क्षेत्रों में से प्रत्येक के शहरों में जी20 बैठकें आयोजित की जाएंगी। जी20 यूक्रेन में युद्ध पर विभाजित था और संघर्ष के संदर्भों को हल्का करने के बाद ही नयी दिल्ली घोषणा पर आम सहमति बनाई जा सकी।
जी20 घोषणापत्र में रूस की आलोचना करना कम कर दिया गया और केवल क्षेत्रीय लाभ के लिए बल के इस्तेमाल की निंदा की गई। ब्राजील की अध्यक्षता के दौरान उसकी प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए लूला डी सिल्वा ने कहा कि उनका प्रयास होगा कि राजनीतिक और वित्तीय मार्ग समन्वित और एकीकृत तरीके से काम करें।
उन्होंने कहा, ‘‘सर्वोत्तम सार्वजनिक नीति पर सहमत होने का कोई मतलब नहीं है अगर इसके कार्यान्वयन के लिए कोई संसाधन आवंटित नहीं किए गए हैं।” उन्होंने मोदी को बधाई दी और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के हित के विषयों को आवाज देने के प्रयासों के लिए भारत को धन्यवाद दिया।
उन्होंने सामाजिक समावेशन, भुखमरी के खिलाफ लड़ाई, ऊर्जा परिवर्तन और सतत विकास को भी जी20 की प्राथमिकताओं में सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को राजनीतिक ताकत हासिल करने के लिए स्थायी, गैर-स्थायी सदस्यों के रूप में नए विकासशील देशों की जरूरत है।

पीएम ने फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ वार्ता की

पीएम ने फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ वार्ता की 

इकबाल अंसारी/सुनील श्रीवास्तव 
नई दिल्ली/पेरिस। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की और कहा कि उन्होंने कई विषयों पर चर्चा की। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ दोपहर के भोजन के समय बहुत ही सार्थक बैठक हुई।
हमने कई विषयों पर चर्चा की और यह सुनिश्चित करने के लिए तत्पर हैं कि भारत-फ्रांस संबंध प्रगति की नई ऊंचाइयों को छुएं।’’ जी20 शिखर सम्मेलन के समापन के बाद द्विपक्षीय वार्ता हुई। 
दोनों देशों के बीच बेहद प्रगाढ़ संबंध और रणनीतिक भागीदारी है।

खोखले बयान के लिए किया सम्मेलन का इस्तेमाल

खोखले बयान के लिए किया सम्मेलन का इस्तेमाल 

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण के महत्व को लेकर जी-20 शिखर सम्मेलन का इस्तेमाल खोखले बयान देने के लिए किया है, जबकि उनकी सरकार बड़े पैमाने पर भारत के पर्यावरण संरक्षण को तहस-नहस कर रही है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने रविवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि जी-20 पर्यावरण और जलवायु स्थिरता बैठक में श्री मोदी ने कहा था, “हम जैव विविधता संरक्षण, सुरक्षा, पुनर्स्थापन और संवर्धन पर कार्रवाई करने में लगातार आगे रहे हैं। धरती माता की सुरक्षा और देखभाल हमारी मौलिक ज़िम्मेदारी है।
जलवायु के लिए चलाए जा रहे अभियान को अंत्योदय का पालन करना चाहिए यानी हमें समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान और विकास को सुनिश्चित करना होगा।" 
उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने जो बयान दिया है वह पूरी तरह से खोखला है जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। मोदी सरकार बड़े पैमाने पर भारत के पर्यावरण संरक्षण को तहस-नहस कर रही है और वनों पर निर्भर सबसे कमज़ोर समुदायों के लोगों के अधिकारों को छीन रही है।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार एक तरफ समानता पर जोर देने के दावे करती है और उसके इस दावे को वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2023 पूरी तरह से खोखला साबित करता है। उनका कहना था कि यह अधिनियम देश के आदिवासियों और वनों में रहने वाले अन्य समुदायों के लिए विनाशकारी होगा, क्योंकि यह 2006 के वन अधिकार अधिनियम को कमज़ोर करता है और स्थानीय समुदायों की सहमति के प्रावधानों और बड़े क्षेत्रों में वन मंजूरी की जरूरतों को ख़त्म करता है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने 2022 में इस पर आपत्ति जताई थी। पूर्वोत्तर के जनजातीय समुदाय विशेष रूप से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, क्योंकि यह अधिनियम देश की सीमाओं के 100 किमी के भीतर की भूमि को संरक्षण कानूनों के दायरे से छूट देता है। उनका कहना था कि मिजोरम में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है। इसके बावजूद वहां की सरकार ने इस अधिनियम के विरोध में विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया है।

अक्टूबर से दिसंबर तक शादी समारोहों पर रोक

अक्टूबर से दिसंबर तक शादी समारोहों पर रोक  अखिलेश पांडेय  लाहौर। पाकिस्तान में पंजाब प्रांत की सरकार ने स्मॉग पर नियंत्रण के लिए एक नई नीति ...