रविवार, 30 जुलाई 2023

अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्ष ने क्यों खेला जुआ ?

अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्ष ने क्यों खेला जुआ ?
अकांशु उपाध्याय
नईदिल्ली। मॉनसून सत्र की शुरुआत से ही विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर में हिंसक स्थिति पर संसद में बयान दें। कई दिनों के विरोध और हंगामे के बाद, विपक्ष ने बुधवार को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दो अलग-अलग नोटिस दिए, मकसद सीधा सा है कि प्रधानमंत्री को जवाब देने के लिए मजबूर किया जाए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नियमों के तहत आवश्यक 50 सांसदों की संख्या के बाद लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई द्वारा सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इस प्रस्ताव को विपक्षी भारत गठबंधन और भारत राष्ट्र समिति के घटकों ने समर्थन दिया है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा बुधवार को लोकसभा में पीएम मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के एक दिन बाद, सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन के कई दलों को लगता है कि प्रस्ताव मजबूत और अधिक प्रभावी होता। यदि इसने अन्य भारतीय पार्टियों का प्रतिनिधित्व किया होता। बिनॉय विश्वम ने कहा कि केवल सीपीआई ही नहीं, बल्कि कई अन्य दलों ने जिम्मेदार तरीके से आपत्ति जताई। कांग्रेस नेतृत्व ने इसे समझा और वे इतने लोकतांत्रिक हैं कि वे सहमत हुए कि यह जल्दबाजी में हुआ। मॉनसून सत्र की शुरुआत से ही विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर में हिंसक स्थिति पर संसद में बयान दें। कई दिनों के विरोध और हंगामे के बाद, विपक्ष ने बुधवार को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दो अलग-अलग नोटिस दिए, मकसद सीधा सा है कि प्रधानमंत्री को जवाब देने के लिए मजबूर किया जाए। संविधान निर्दिष्ट करता है कि प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है। इसलिए, जब भी सांसद लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करते हैं तो पीएम बहस का जवाब देते हैं। विपक्षी दलों के इस कदम के लिए पीएम को चर्चा के दौरान उनके द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देना होगा। संसद के रिकॉर्ड बताते हैं कि 2019 में शुरू हुए मौजूदा लोकसभा के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सात बहसों में हिस्सा लिया है। इनमें से पांच हस्तक्षेप तब आए जब उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर वार्षिक बहस का जवाब दिया। अन्य दो अवसर थे (i) फरवरी 2020 में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की स्थापना के बारे में सदन को सूचित करना, और (ii) 2019 में नवनिर्वाचित अध्यक्ष, ओम बिड़ला को सम्मानित करते हुए भाषण। विपक्ष ने इस बात की भी आलोचना की है कि पीएम ने मणिपुर पर सदन के बजाय संसद के बाहर बोलने का विकल्प चुना. अतीत में, जब सत्र चल रहा था तो प्रधानमंत्रियों और मंत्रियों ने संसद के बाहर नीति और अन्य घोषणाएँ की थीं। लोकसभा के लगातार अध्यक्षों ने फैसला सुनाया है कि ऐसी घोषणाएं करने से संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन नहीं होता है। भारत की कैबिनेट सरकार में, मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
लोकसभा के नियम यह जांचने के लिए अविश्वास प्रस्ताव की व्यवस्था प्रदान करते हैं कि मंत्रिपरिषद को सदन का विश्वास प्राप्त है या नहीं। अब तक सत्ताईस अविश्वास प्रस्ताव लाए जा चुके हैं। इनमें से कोई भी प्रस्ताव, जिसमें 2018 में पहली मोदी सरकार के ख़िलाफ़ प्रस्ताव भी शामिल है, सफल नहीं हुआ है। मौजूदा सरकार के पास लोकसभा में बड़ा बहुमत है और मौजूदा अविश्वास प्रस्ताव के भी खारिज होने की संभावना है। 1979 में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को एहसास हुआ कि उनके पास अधिकांश सांसदों का समर्थन नहीं है और इसलिए सदन ने प्रस्ताव पर मतदान करने से पहले इस्तीफा दे दिया। विपक्षी दलों ने सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए अविश्वास प्रस्ताव पर जोर देना जारी रखा है। 
1963 में जेबी कृपलानी ने लोकसभा में पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, भले ही प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के पास पर्याप्त बहुमत था। आचार्य कृपलानी ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, “ऐसी सरकार के खिलाफ यह प्रस्ताव लाना मेरे लिए बेहद अफसोस की बात है, जो मेरे लगभग 30 साल पुराने कई पुराने दोस्तों के साथ चलाया जा रहा है। लेकिन कर्तव्य की पुकार और अंतरात्मा की आवाज सर्वोपरि है। यहां किसी भी भावना का कोई सवाल ही नहीं हो सकता है। अपने उत्तर में नेहरू ने कहा कि सरकारों का समय-समय पर परीक्षण किया जाना अच्छा है, तब भी जब उनके पराजित होने की कोई संभावना न हो। लोकसभा की प्रक्रिया के नियम निर्दिष्ट करते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद, अध्यक्ष उस तारीख को निर्दिष्ट करेगा जिस दिन बहस शुरू होगी। यह तारीख सदन में प्रस्ताव स्वीकार होने की तारीख से 10 दिन के भीतर होनी चाहिए। 1987 से अब तक छह अविश्वास प्रस्ताव आ चुके हैं। चार मौकों पर, बहस उसी तारीख को शुरू हुई जब प्रस्ताव स्वीकार किया गया था। बहस आयोजित करने में सबसे लंबा समय छह दिनों का रहा है। 
1992 में, जब प्रधान मंत्री पी वी नरसिम्हा राव की सरकार को अपने पहले अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था। 2018 का अविश्वास प्रस्ताव 18 जुलाई को स्वीकार किया गया और चर्चा 20 जुलाई को शुरू हुई। बहस कई घंटों, कई दिनों तक चल सकती है। 2018 की बहस लगभग 12 घंटे की थी।  2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ सोनिया गांधी के एक प्रस्ताव पर, दो दिनों में 21 घंटे लग गए।

डीजल-पेट्रोल का मुनाफा जनता में बांटे सरकार

डीजल-पेट्रोल का मुनाफा जनता में बांटे सरकार   
अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार सस्ती दर पर पेट्रोल और डीजल का आयात कर देश में उसे महंगे दाम पर बेचकर भारी मुनाफा कमा रही है और इस कमाई का फायदा देश की जनता को मिले इसलिए कीमत कम से कम 35 प्रतिशत तक की कम की जानी चाहिए।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश रविवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि मोदी सरकार पेट्रोल-डीज़ल पर निर्दयी तरीके से मुनाफाखोरी कर रही है और पिछले एक साल में कच्चा तेल 35 प्रतिशत तक सस्ता हुआ है लेकिन पेट्रोल-डीज़ल के दाम नहीं घटाए गए। उन्होंने कहा “देशवासी महंगाई और बेरोज़गारी की मार झेलते हुए आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, लेकिन भाजपा सरकार देशवासियों की खून-पसीने की कमाई लूटने में लगी है। कच्चे तेल की कीमत कम होने के बावजूद उसका लाभ देशवासियों को देने की बजाए सरकार पेट्रोल और डीज़ल पर निर्दयी तरीके से टैक्स लगाकर सस्ते में ईंधन को महंगे में बेचकर मुनाफाखोरी कर रही है।
सरकार ने पेट्रोल व डीज़ल में न केवल स्वयं भयानक मुनाफ़ाख़ोरी की है, बल्कि मित्र पूँजीपतियों के भी वारे न्यारे करवाए हैं। टैक्स बढाने से पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई और गरीबों, मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों की जेब पर डाका डाला गया है। बीते एक साल में कच्चा तेल 35 प्रतिशत सस्ता हो चुका है, मगर पेट्रोल-डीज़ल के दाम नहीं घटाए गए हैं।
” कांग्रेस नेता ने कहा “सरकारी और प्राइवेट तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीज़ल बेचने पर 10 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा का मुनाफा हो रहा है। इसके बावजूदजनता को राहत नहीं दी जा रही है। क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार देश की तीन सरकारी तेल कंपनियों आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को मौजूदा वित्त वर्ष मे एक लाख करोड़ रुपये के करीब ऑपरेटिंग प्रॉफिट होने का अनुमान है जो बीते वर्ष के 33 हजार करोड़ रुपए से तीन गुना है।
पहली तिमाही में भी उनके रिफाइनिंग मार्जिन में इजाफे का अनुमान है। यदि सरकारी कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं तो प्राइवेट कंपनियों को भी यह भारी लाभ दिया जा रहा है।” उन्होंने कहा “इस सरकार के कार्यकाल में औसतन कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल से कम रही है।
पिछले तीन महीने से भी लगातार 70-80 डॉलर के बीच में रही लेकिन जनता के लिए पेट्रोल, डीज़ल के दाम कम नहीं किए जा रहे हैं। देश के अधिकतर हिस्सों में पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा और डीज़ल 90 रुपए के ऊपर हैं। सरकार ने देश को महंगाई में झोंक रखा है। सब्जी, फल, मसाले समेत अन्य चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं।
सरकार जनता को कोई राहत देने की बजाय मुनाफाखोरी कर रही है।”  रमेश ने कहा “केंद्र सरकार यदि देश में बढ़ रही महंगाई से राहत देना चाहे तो पेट्रोल और डीज़ल के टैक्स बंद कर पेट्रोल और डीज़ल के मूल्यों को 25-30 रुपए प्रति लीटर कम कर सकती है। सरकार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के मूल्यों में आई कमी के अनुरूप पेट्रोल- डीज़ल के मूल्यों को 35 प्रतिशत कम करनी चाहिए, ताकि देश की जनता को कमर तोड़ महंगाई से कुछ राहत मिल सके।

यूपी, एपी व बिहार में सर्वाधिक बच्चों की तस्करी

यूपी, एपी व बिहार में सर्वाधिक बच्चों की तस्करी    
अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। वर्ष 2016 से 2022 के बीच बच्चों की तस्करी की सर्वाधिक घटनाओं के लिहाज से उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश शीर्ष तीन राज्यों में शामिल हैं, जबकि दिल्ली में कोविड-19 से पहले के मुकाबले महामारी के बाद के चरण में बाल तस्करी के मामलों में 68 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के नये अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। 'चाइल्ड ट्रैफिकिंग इन इंडिया : इनसाइट फ्रॉम सिचुएशनल डेटा एनालिसिस एंड नीड फॉर टेक-ड्रिवन इंटरवेंशन स्ट्रेटजी' शीर्षक वाली एक व्यापक रिपोर्ट में इन आंकड़ों का खुलासा किया गया है। इस रिपोर्ट को ‘गेम्स 24x7’ और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन (केएससीएफ) ने संयुक्त रूप से मिलकर तैयार किया है।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन (केएससीएफ) के संस्थापक शांति के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले कैलाश सत्यार्थी हैं। यह रिपोर्ट रविवार को 'विश्व मानव तस्करी निरोधक दिवस' के मौके पर जारी की गई, जो देश में बाल तस्करी की चिंताजनक स्थिति को बयां करती है। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश तीन ऐसे शीर्ष राज्य हैं, जहां 2016 से 2022 के बीच सबसे ज्यादा बच्चों की तस्करी हुई।
रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में कोविड-19 से पहले के मुकाबले महामारी के बाद बच्चों की तस्करी के मामलों में 68 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। जिलावार देखें तो बाल तस्करी में सबसे ऊपर जयपुर शहर है, जबकि सूची के अन्य शीर्ष चार स्थान पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के इलाके शामिल हैं।
‘गेम्सx24’ की टीम ने बाल तस्करी से जुड़े ये आंकड़े केएससीएफ और उसके सहयोगियों से जुटाए हैं। ये अध्ययन 2016 से 2022 के बीच 21 राज्यों के 262 जिलों में किया गया, जो कि बाल तस्करी के मौजूदा चलन और तरीकों पर व्यापक जानकारी मुहैया कराता है। अध्ययन के मुताबिक, इस अवधि के दौरान 18 साल से कम उम्र के कम से कम 13549 बच्चों को बचाया गया।
रिपोर्ट में बताया गया कि बचाए गए 80 फीसदी बच्चे 13 से 18 साल की उम्र के हैं जबकि 13 फीसदी नौ से 12 साल की उम्र के और दो फीसदी नौ साल से भी कम उम्र के हैं। रिपोर्ट दर्शाती है कि बाल तस्करी ने अलग-अलग उम्र सीमा के बच्चों को प्रभावित किया है, जिसकी वजह से यह एक व्यापक मुद्दा बन गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न राज्यों में बाल तस्करी के मामलों में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन उत्तर प्रदेश में बाल तस्करी के मामलों में सर्वाधिक बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 से पहले (2016 से 2019) दर्ज घटनाएं 267 थीं, लेकिन महामारी के बाद के चरण(2021 से 2022) में इनमें भारी वृद्धि देखी गई और 1214 मामले दर्ज किए गए।
रिपोर्ट में बताया कि कर्नाटक में 18 गुना वृद्धि दर्ज की गई और दर्ज मामलों की संख्या छह से बढ़कर 110 हो गई। रिपोर्ट में इन चिंताजनक आंकड़ों के बावजूद पिछले एक दशक में सरकार और प्रवर्तक एजेंसियों द्वारा उठाए गए सकरात्मक कदमों को भी रेखांकित किया गया है। हालांकि, रिपोर्ट में बाल तस्करी से प्रभावी रूप से निपटने के लिए एक व्यापक तस्करी निरोधक कानून की जरूरत पर जोर दिया गया है।

मंत्री ने सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम को संबोधित किया

मंत्री ने सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम को संबोधित किया  
इकबाल अंसारी  
गांधीनगर। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि अगर महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां (सीईटी) शक्ति के नए आयाम के रूप में उभरें, तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं होगी। उन्होंने साथ ही जोड़ा कि सीईटी क्षेत्र में चिंता इस बात की है कि बाजार हिस्सेदारी किस तरह प्रभावित होती है और उत्पादन में प्रभुत्व का अन्य क्षेत्रों में क्या लाभ उठाया जाता है।
जयशंकर ने यहां आयोजित ‘सेमीकॉन इंडिया-2023’ कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि सीईटी के संबंध में आविष्कार और विनिर्माण, बाजार हिस्सेदारी, संसाधन और कौशल जैसे पहलू महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं।
मंत्री ने यह भी कहा कि भारत जितना अधिक आत्मनिर्भर होगा, सेमीकंडक्टर उत्पादन में भी उसकी आत्मनिर्भरता उतनी अधिक होगी। उन्होंने ‘महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में भारत की भूमिका’ विषय पर अपने संबोधन में कहा, यह (सीईटी) ज्ञान अर्थव्यवस्था का एक आंतरिक तत्व है, जिसका प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।
इसकी प्रमुख विशेषताओं में एक है कि यह प्रौद्योगिकियों को इतनी गहराई से जोड़ता है कि हमारे जीवन के सभी हिस्से इससे बहुत अधिक प्रभावित होते हैं।उन्होंने कहा, ‘‘इसके चलते अगर हमारी आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों की प्रकृति में बदलाव आता है, तो यह आश्चर्य की बात नहीं है कि महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकियां (सीईटी) ताकत के सबसे महत्वपूर्ण आयाम के रूप में उभरें। जयशंकर ने कहा कि सीईटी आज कई प्रमुख भागीदारों के साथ बातचीत का एक महत्वपूर्ण विषय है।

सीमा के चक्कर में खाने-पीने के पड़ गए लाले

सीमा के चक्कर में खाने-पीने के पड़ गए लाले   
अश्वनी उपाध्याय   
गौतमबुध नगर। पिछले कुछ दिनों से सीमा हैदर और उसके प्रेमी सचिन की कहानी चर्चा का विषय बनी हुई है। इन दोनों का मामला सोशल मीडिया पर भी काफी सुर्खियों में रहा है। वहीं अब इनको लेकर एक और खबर सामने आ रही है। दरअसल इन दिनों सीमा और सचिन अपना घर छोड़कर रबूपुरा के दूसरे घर में रह रहे हैं। इसी बीच सचिन के पिता का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वे बता रहे हैं कि पुलिस केस होने की वजह से पूरा परिवार घर में ही रह रहा है। वे लोग काम करने के लिए घर से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। जिसके चलते घर के हालात खराब हो गए हैं। खाने-पीने की चीजों की काफी दिक्कत हो रही है। 
वहीं, सचिन के पिता ने आगे कहा, हम लोग रोज कमाकर खाने वाले लोग हैं। लेकिन जब से पुलिस ने घर से बाहर न जाने के लिए कहा तब से वे लोग कुछ भी नहीं कमा पा रहे हैं। बस दिनभर घर में ही रहते हैं। ऐसे में खाने-पीने के लाले पड़ गए हैं। घर में राशन भी नहीं बचा है। हमने लोकल एसएचओ को भी इसके लिए पत्र लिखा है। ताकि वे हमारी बात आगे सीनियर अधिकारियों तक पहुंचाएं।

हरियाणा-हिमाचल सीमा पर डैम बनाने का आदेश

हरियाणा-हिमाचल सीमा पर डैम बनाने का आदेश   
राजेश ओबरॉय    
चंडीगढ़। हर बार बरसात से आने वाली बाढ़ से लोगो को छुटकारा दिलाने के लिए  हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा हिमाचल सीमा पर डैम बनाने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं। ये डैम 7000 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा। आपको बता दें की  हरियाणा सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर आर एस मित्तल ने बताया कि मुख्यमंत्री एवं सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश के बाद इस काम में तेजी लाई जा रही है। 
हरियाणा सरकार ने लिखा है एनओसी के लिए 
उन्होंने बताया कि इसके लिए  हरियाणा सरकार ने हिमाचल सरकार को डैम बनाने के लिए एनओसी के लिए लिखा हुआ है। अभी तक हिमाचल ने एनओसी नहीं दी है। एनओसी  के बाद एमओयू साइन होगा उसके बाद प्रक्रिया में और तेजी लाई जा सकेगी। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर  डैम बनने से सिंचाई विभाग को भी भारी लाभ होगा। जिसे हर साल करोड़ों रुपए की राशि बाढ़ रोकथाम कार्यों पर खर्च करनी पड़ती है। 
हरियाणा मुख्यमंत्री ने दिए आदेश 
सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को मुख्यमंत्री ने कहा है कि जल्द से जल्द हरियाणा हिमाचल सीमा पर डैम बनाया जाए, ताकि हर साल हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं हिमाचल में होने वाली बाढ़ से तबाही से बचा जा सके। डैम बनाने को लेकर पांच राज्यों हरियाणा, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान को जहां एमओयू साइन करना है वही डैम के निर्माण को लेकर हरियाणा हिमाचल को अन्य कई कदम भी उठाने हैं।
हरियाणा हिमाचल की सीमा पर बनने वाले इस डैम के कारण हरियाणा एवं  हिमाचल के कुछ गांव प्रभावित होंगे। जिन्हें अन्य स्थानों पर बसाया जाना प्रस्तावित है। इनमें हरियाणा के चार एवं हिमाचल के पांच गांव शामिल हैं। दरअसल मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को 2 वर्ष पूर्व हथिनी कुंड बैराज से लगभग 5 किलोमीटर पहले हरियाणा हिमाचल सीमा पर डैम बनाने की संभावना का पता लगाने के निर्देश दिए थे।
जिसके बाद सिंचाई विभाग हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारियों की एक कमेटी का गठन हुआ था। जिसने इस मामले की प्राथमिक रिपोर्ट तैयार की और उसे मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री इस रिपोर्ट से सहमत हुए और उन्होंने इस कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
7000 करोड़ हो चुकी है डैम के निर्माण राशि 
आपको बता दें की   इस डैम के निर्माण पर हालांकि डेढ़ वर्ष पहले करीब, 6134 करोड़ रुपए की राशि खर्च होने का अनुमान था लेकिन वर्तमान में यह राशि बढ़कर करीब 7000 करोड़ हो चुकी है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डैम के स्थान का चयन कर लिया गया है, जो 5400 एकड़ भूमि पर बनेगा। इस डैम के बनने से हथिनी कुंड बैराज से क्रॉस होने वाला पानी इस डैम में रोका जा सकेगा। जिसे वर्ष के 9 महीनों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान की मांग के अनुसार उसकी पूर्ति हो सकेगी। 
बाढ़ रोकथाम कार्यों पर यमुना के किनारों को पक्का करने, स्टड लगाने पर हर साल करोड़ों रुपए की राशि खर्च होती है, अगर यमुना में पानी मांग के अनुसार छोड़ा जाएगा तो बाढ़ रोकथाम के लिए लगाए जाने वाले करोड़ों रुपए की भी लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके अलावा बाढ़ से होने वाले नुकसान की पूर्ति के लिए भी  सरकार  हर साल करोड़ों रुपए का मुआवजा देती है, सरकार को वह भी नही देना पड़ेगा। हर साल यमुना में हजारों एकड़ भूमि फसलों सहित समा जाती है उससे भी बचाव हो सकेगा।
बाढ़ आने के कारण भारी मात्रा में पानी होता है क्रॉस
यमुनानगर के हथिनी कुंड बैराज से हर साल जून से सितंबर तक के महीने में बाढ़ आने के कारण भारी मात्रा में पानी क्रॉस होता है। जो हरियाणा और दिल्ली को बुरी तरह प्रभावित करता है। इसी के चलते इस पर राजनीति होती है। दिल्ली हरियाणा पर पानी छोड़ने का आरोप लगाता है। जबकि हरियाणा कहता है कि हथनी कुंड बैराज है, डैम नहीं। जहां पानी रोका जा सके। अगर डैम बनता है तो इस तरह की बयानबाजी से भी हमेशा के लिए छुटकारा मिलेगा। 
जानिए क्यों है बांध की आवश्यकता 
हथिनी कुंड बैराज की स्थापना बंसीलाल सरकार में 1999 में हुई थी। यह रिकॉर्ड 3 वर्ष में बनकर तैयार हुआ था। देश के 5 राज्यों हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में पानी के बंटवारे को लेकर इस बैराज की स्थापना की गई थी।
इनमें इन सभी 5 राज्यों का पानी का हिस्सा रहता है जो सामान्य परिस्थितियों में नियम मुताबिक दिया जाता है। यहां मानसून के दिनों में अधिक वर्षा होने के बाद पानी को  नापने का सिस्टम है जिससे पता चल सके कि यहां से कब-कब कितना पानी क्रॉस हुआ है। बैराज में 18 गेट लगे हुए हैं। 
95000 क्यूसेक पानी झेलने की है क्षमता  
आपको ता दें की इस बैराज की क्षमता 9 लाख 95000 क्यूसेक पानी को झेलने की है। पानी कब कितना आता है यह सब हर 1 घंटे में नापने के बाद कागजों में नोट किया जाता है। और इसकी सूचना  हरियाणा सिंचाई विभाग के साथ-साथ दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों को भी भेजी जाती है।
9 महीनों में इसमें 10 से 12000 क्यूसेक पानी ही होता है
इस बैराज मे वह पानी आता है जो उत्तराखंड हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में हुई वर्षा के बाद मैदानी इलाकों में नीचे उतरता है। वर्ष के 9 महीनों में यहां सामान्य 10 से 12000 क्यूसेक पानी ही होता है। जिनमें सभी राज्यों का अलग अलग हिस्सा होता है और उसे समझौते के मुताबिक बांटा जाता है।  इस मानसून में पहाड़ी एवं मैदानी इलाकों में अन्य वर्षो की तुलना में बहुत अधिक वर्षा हुई।

3 दिनों तक आसमान साफ रहने की संभावना

3 दिनों तक आसमान साफ रहने की संभावना
राणा ओबरॉय 
चंडीगढ़। हरियाणा में अब तीन दिनों तक मौसम साफ रहने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले तीन दिन हरियाणा के किसी हिस्से में बारिश नहीं होगी, हालांकि 3 अगस्त के बाद फिर मौसम में बदलाव आएगा।
मौसम :- मानसून ट्रफ सामान्य स्तिथि के उत्तर की तरफ थोड़ा बढ़ने से बंगाल की खाड़ी से नमी वाली मानसूनी हवाओं तथा अरब  सागर की तरफ से भी नमी आने से हरियाणा राज्य में 25 जुलाई से 29 जुलाई के दौरान ज्यादातर स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। 
भारत मौसम विज्ञान विभाग के दर्ज आंकड़ों के अनुसार राज्य में मानसून के प्रवेश से लेकर 29 जुलाई के दौरान हरियाणा राज्य में 312.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है जो सामान्य बारिश (197 मिलीमीटर) से 58% ज्यादा दर्ज हुई है। 
हरियाणा के 19 जिलों में सामान्य या सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है परंतु 3 जिलों में अब तक सामान्य से कम बारिश दर्ज हुई है।राज्य में सबसे ज्यादा बारिश वाले उत्तरी जिले कुरूक्षेत्र (+232%), पानीपत (+131%), सोनीपत (+119%), , करनाल (+92%),  यमुनानगर (+88%), है तथा कम बारिश हिसार (-27%), जींद (-14%) व फतेहाबाद (-8%) जिलों में दर्ज की गई है।
मौसम पूर्वानुमान:
मानसून टर्फ़ का अब पश्चिमी छोर उत्तर की तरफ बढ़ रहा है जो सामान्य स्तिथि में आने की संभावना है। 
राज्य में कल 30 जुलाई से 1 अगस्त के दौरान मानसून की सक्रियता में थोड़ी कमी आने की संभावना है जिससे राज्य में मौसम परिवर्तनशील व कहीं कहीं हल्की या छिटपुट बारिश होने की संभावना है।
परंतु 2 अगस्त रात्रि से मानसून की सक्रियता राज्य में फिर से बढ़ने की संभावना है जिससे राज्य  के ज्यादातर क्षेत्रों में 2 अगस्त रात्रि से 6 अगस्त के दौरान बीच बीच में हल्की से मध्यम  बारिश होने की संभावना है तथा इस दौरान कुछ एक स्थानों पर तेज बारिश की भी संभावना है।

डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित

डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में विकास भवन के सभाकक्ष में ...