श्रावण मास की सार्थकता, ऑनलाइन गोष्टी की
अश्वनी उपाध्याय
गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में "श्रावण मास की सार्थकता" विषय पर ऑनलाईन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 558 वां वेबिनार था।
वैदिक विदुषी विमलेश बंसल दर्शनाचार्या ने कहा कि श्रावण में श्रुति के श्रवण मनन निदिध्यासन हेतु कुछ व्रत लिए जाएं,संकल्प किए जाएं जैसा कि हमारे महान पुरुष व्रत लेकर समाज राष्ट्र के उत्थान हेतु उद्यम करते आए हैं। सत्य सनातन वैदिक संस्कृति के प्रचार प्रसार हेतु तन मन धन से सभी आर्य जन अपनी योग्यतानुसार नगर नगर,गांव गांव में भ्रमण करें जिससे समाज में आई विकृतियां, अंधविश्वास, पाखंड के शोर मचाते गड़गड़ करते काले बादल छंट सकें और सत्य विद्या के बरसने वाले घनघोर रिमझिम करते बादल बरस कर सबको हरियाली से भर सकें।
श्रावण मास में कल्याणकारी परमपिता परमेश्वर की शिव भक्ति शुद्ध ज्ञान पर आधारित हो, हम ऐसी कांवड़ बनें जिससे श्रवण जैसी मातृ पितृ भक्ति परिलक्षित हो,पंचमहायज्ञ की पालना करते हुए सुदूर स्थानों से आए संन्यासी महात्माओं विद्वानों ज्ञानियों द्वारा गृहस्थी जन शुद्ध वेदों का ज्ञान लें तथा अतिथि सेवा कर स्वयं को कृतार्थ करें।यज्ञों में यज्ञोपवीत धारण करना अनिवार्य हो, रक्षाबंधन पर्व हो वा नागपंचमी जैसी लोक प्रचलित प्रांतीय परम्परा हो सभी पर्व उत्सवों के पीछे समाज और राष्ट्र की सुरक्षा की भावना,प्रेरणा निहित है।सभी पर्व सामाजिक समरसता,प्रेम सौहार्द्र,हर्ष प्रेरणा हेतु ही मनाने आते हैं,हमें इन पर्वों में छुपे गहरे वैज्ञानिक,सामाजिक,धार्मिक संदेश को वेद की दृष्टि से समझते हुए धूमधाम से मनाना चाहिए, आई विकृतियों को दूर कर प्रकृति को सुरक्षित,संरक्षित,संवर्धित करने हेतु प्रयास करना चाहिए तथा समस्त संक्रमण, बीमारी,रोग चाहे विचारों का हो वा शरीर का हो वा पर्यावरण का,सपरिवार याज्ञिक,वैदिक,धार्मिक बनकर अवश्य दूर करना चाहिए।तथा वेद स्वाध्याय द्वारा स्वयं व अन्यों की उन्नति करते हुए श्रावणी मास में सत्कर्म कर सद्मार्ग के पथिक बनें तभी श्रावण मास की सार्थकता सिद्ध होगी।
मुख्य अतिथि शिक्षा विद चन्द्रकांता गेरा व अध्यक्ष रजनी चुघ ने भी अपने विचार रखे। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आर्ष ग्रंथों के स्वाध्याय से जीवन निर्माण हो सकता है। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापित किया। गायिका प्रवीणा ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता, सुनीता अरोड़ा, जनक अरोड़ा, कुसुम भण्डारी, नरेन्द्र आर्य सुमन आदि के मधुर भजन हुए।