रविवार, 18 जून 2023

फिल्म 'आदिपुरुष' के राइटर को लफंगा बताया 

फिल्म 'आदिपुरुष' के राइटर को लफंगा बताया 

कविता गर्ग 

मुंबई/वाराणसी। प्रभास एवं कृति सेनन स्टारर फिल्म आदिपुरुष के डायलॉग लिखने वाले राइटर को लफंगा बताते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने दर्शको से आह्वान किया है कि वह मेहनत की कमाई के पैसे से फिल्म के टिकट खरीदकर पाप ना खरीदें। रविवार को अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव जितेंद्रानंद स्वामी ने कहा है कि जिस तरह के डायलॉग आदिपुरुष फिल्म के राइटर मनोज मुंतशिर द्वारा लिखे गए हैं।

इस प्रकार के डायलॉग कोई मोहल्ले का टपोरी छाप और लफंगा जैसा लेखक की लिख सकता है। उन्होंने कहा है कि वैसे तो डायलॉग्स लिखने वाला राइटर मनोज मुंतशिर ही था, मगर उसने शुक्ला बनने की कोशिश की है और अपनी लफंगागिरि की छाप फिल्म आदिपुरूष में छोड दी है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी महाराज ने कहा है कि आदिपुरुष फिल्म को किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह चलचित्र पूरी तरह से बेहद आपत्तिजनक एवं पीड़ादायक है।

उन्होंने कहा है कि निर्माता-निर्देशक और डायलॉग राइटर ने आदिपुरुष फिल्म में भारत की सनातन आस्था पर प्रहार करते हुए पौराणिक संदर्भों को अश्लीलता के साथ चित्रित करते हुए लोगों के सामने पेश किया है। पवित्र धार्मिक ग्रंथ पर आधारित फिल्म आदिपुरुष का निर्माण भारत के महान आदर्शों के चरित्र के साथ पूरी तरह से खिलवाड़ है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

बिजली की व्यवस्थाओं पर 24 घंटे नजर रखें

बिजली की व्यवस्थाओं पर 24 घंटे नजर रखें 

बृजेश केसरवानी 

प्रयागराज। प्रयागराज शहर में बिजली की व्यवस्थाओं पर 24 घंटे नज़र रखी जाएगी। पॉवर कारपोरेशन के निदेशक एम देवराज के आदेश के बाद अब शहर में बिजली व्यवस्था पर नजर रखने के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई है। मुख्य अभियंता विनोद गंगवार ने अधीक्षण अभियंता वीपी कठोरिया को नोडल अधिकारी बनाया है। नोडल अधिकारी के रूप में वीपी कठोरिया बिजली संबंधी तमाम शिकायतों के साथ साथ कंट्रोल रूम और स्टोर की व्यवस्थाओं की निगरानी करेंगे और उसकी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे।

इसके अलावा विभाग की ओर से शहर की जलापूर्ति को सुनिश्चित कराए जाने के लिए भी अवर अभियंताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। नलकूप वाले इलाक़ों में अवर अभियंता प्रति घंटे की बिजली आपूर्ति की रिपोर्ट नोडल अधिकारी व मुख्य अभियंता कार्यालय को भेजेंगे। शहर की जलापूर्ति व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए नगर आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने भी बिजली विभाग को पत्र लिखकर बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।

भारत: 24 घंटों में 'कोरोना' से कोई मौत नहीं

भारत: 24 घंटों में 'कोरोना' से कोई मौत नहीं

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर राहत भरी खबर है कि पिछले 24 घंटों के दौरान इस जानलेवा विषाणु के कारण भारत में किसी भी मरीज ने जान नहीं गंवाई है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कर्नाटक में सक्रिय मामलों की संख्या में छ: की वृद्धि हुई है।

इसके अलावा त्रिपुरा में तीन, बिहार, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान में क्रमश: एक-एक मामले बढ़े हैं। पिछले 24 घंटे में दिल्ली, दो हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, सिक्किम, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में कोरोना के सक्रिय मामलों में गिरावट आई है।

इस बीच, देश में कोरोना टीकाकरण भी जारी है और पिछले 24 घंटों में 1,552 लोगों को टीका लगाया गया है। अब तक देश में 2,20,67,34,064 लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अऩुसार, देश में कुल संक्रमितों की संख्या 4,49,93,480 हो गई है। सक्रिय मामलों की संख्या 34 घटकर 1,925 रह गई है। इसी अवधि में कोविड-19 से किसी की भी मृत्यु नहीं होने से मृतकों की संख्या 5,31,893 पर बरकरार है। पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने वालों का आंकड़ा 146 बढ़कर 4,44,59,660 पर पहुंच गया है।

आम के रंग जैसी 'पफर फिश' का वीडियो वायरल

आम के रंग जैसी 'पफर फिश' का वीडियो वायरल


डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत 

समुद्र के नीचे का संसार या पानी में बसी दुनिया में इतने अजूबे हैं कि गिनती नहीं की जा सकती। हर बार जब आप ये सोचें कि अब तो हर वॉटर एनिमल की जानकारी मिल चुकी है। तब कोई ऐसा जीव दिखाई देता है या वायरल हो जाता है, जिसे देखकर यकीन करना मुश्किल होता है कि दुनिया में ऐसे भी अजूबे जीव हैं। ट्विटर पर ऐसी ही एक पफर फिश का वीडियो वायरल हो रहा है। जिसे देखकर लोग हैरान रह गए।

गुब्बारे जैसी फूली फिशट्विटर हैंडल Massimo ने पफर फिश का एक वीडियो शेयर किया है। पफर फिश का नाम सुनकर आपको ये अंदाजा हो ही गया होगा कि ये एक ऐसी फिश है, जो खुद में पानी भरकर फूल कर कुप्पा हो जाती है। दरअसल ये इस फिश का डिफेंस मैकेनिज्म होता है। जो इसे बाकी मछलियों से बिलकुल अलग बनाता है। ऐसी ही एक पीली पफर फिश का वीडियो तेजी से वायरल है‌। पफर फिश का रंग बिलकुल पके हुए आम के छिलके की तरह पीला है। शुरुआत में इसे पानी में बहता देख ऐसा लगता है कि आम के ही आंख, मुंह और कान निकल आए हैं। जब इसे पानी से बाहर निकाला जाता है, तब ये अहसास होता है, कि ये पीले रंग की एक पफर फिश है। इस फिश को गोल्डन पफर फिश भी कहा जाता है। 

जिसका साइंटिफिक नाम है। यूजर्स के मजेदार रिएक्शनइस फिश का वीडियो देख ट्विटर यूजर्स ने खूब मजेदार रिएक्शन दिए हैं। एक यूजर ने लिखा कि उसे लगा ये पानी में तैरता आम है, तो एक यूजर को ये बड़े से नींबू जैसा लगा। हालांकि कुछ यूजर्स वीडियो बनाने वाले से नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं। उनकी नाराजगी एक मछली को परेशान करने को लेकर है।

मणिपुर की स्थिति को लेकर पीएम पर निशाना साधा

मणिपुर की स्थिति को लेकर पीएम पर निशाना साधा

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। कांग्रेस ने रविवार को मणिपुर की स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि एक और मन की बात लेकिन मणिपुर पर मौन हैं। मणिपुर में करीब एक महीने पहले मेइती और कुकी समुदाय के बीच भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है।

प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, तो एक और मन की बात लेकिन मणिपुर पर मौन। आपदा प्रबंधन में भारत की जबरदस्त क्षमताओं के लिए प्रधानमंत्री ने खुद की पीठ थपथपाई। पूरी तरह से मानव निर्मित उस मानवीय आपदा का क्या ? जिसका सामना मणिपुर कर रहा है। रमेश ने ट्विटर पर कहा, अभी भी उनकी (प्रधानमंत्री) ओर से शांति की अपील नहीं की गई है। एक गैर-लेखापरीक्षा योग्य पीएम-केयर फंड है, लेकिन क्या प्रधानमंत्री को मणिपुर की भी परवाह है, यही असली सवाल है।

इससे पहले रविवार को रेडियो पर प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का नियंत्रण नहीं है, लेकिन आपदा प्रबंधन की जो ताकत भारत ने वर्षों से विकसित की है, वह आज मिसाल बन रही है। कांग्रेस के नेतृत्व में मणिपुर के 10 विपक्षी दलों ने शनिवार को पूर्वोत्तर राज्य में जारी हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी को लेकर सवाल उठाया था और प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय देने तथा शांति की अपील करने का आग्रह किया था। 

भारत: सर्वोच्च पुरस्कार हेतु नामांकन आमंत्रित

भारत: सर्वोच्च पुरस्कार हेतु नामांकन आमंत्रित  

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने भारत के सर्वोच्च पद्म पुरस्कार (पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री) वर्ष 2024 के लिए भारतीय नागरिकों से ऑनलाइन नामांकन आमंत्रित किया है। यह नामांकन 1 मई 2023 से प्रारंभ हो चुका है। पुरस्कार के लिए निर्धारित पात्रता एवं मापदंड के अनुरूप योग्य-पात्र व्यक्तियों का नामांकन प्रस्ताव जिला कलेक्टर के अनुशंसा के बाद सामान्य प्रशासन विभाग, मंत्रालय को भेजी जाएगी। इसलिए योग्य व्यक्ति या संस्था जिसने उत्कृष्ट कार्य किया है, वे अपने नामांकन करने के बाद जिला कलेक्टर को अनुशंसा के लिए भेजें। जिला कलेक्टर से इन नामांकन पत्रों को सामान्य प्रशासन विभाग, मंत्रालय नवा रायपुर ने 30 अगस्त 2023 तक मंगाया है। सभी जिले के कोई भी योग्य व्यक्ति या संस्था नामांकन के बाद निर्धारित समय अवधि में कलेक्टर से नामांकन की प्रति में अनुशंसा करा सकते हैं।


गृह मंत्रालय से जारी पत्र के अनुसार पद्म पुरस्कार अर्थात् पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। 1954 में स्थापित इन पुरस्कारों की घोषणा प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। इस पुरस्कार में उत्कृष्ट कार्य को मान्यता प्रदान की जाती है और इसे सभी क्षेत्रों-विषयों जैसे कला, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, लोक कार्य सिवित सेवा, व्यापार एवं उद्योग आदि में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों-सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। कोई भी व्यक्ति, किसी जाति, व्यवसाय, हैसियत या लिंग के भेदभाव के बिना, इन पुरस्कारों के लिए पात्र है। इन पुरस्कारों के लिए सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्र सरकारों के साथ-साथ अनेक अन्य स्रोतों से भी नामांकन आमंत्रित करने की परंपरा है ताकि इन पर व्यापक विचार-विमर्श किया जा सके।


पद्म पुरस्कार के लिए नामांकन-सिफारिशें केवल ऑनलाइन राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टलhttps://awards.gov.in/अवार्डस डॉट जीओव्ही डॉट इन पर स्वीकार की जाएगी, जिसे इसी उद्देश्य के लिए डिज़ाइन किया गया है। नामांकन-सिफारिश में अनुशंसित व्यक्ति की उससे संबन्धित क्षेत्र-विषय में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों का स्पष्ट रूप से उल्लेख करते हुए विवरणात्मक रूप में प्रशस्ति पत्र (अधिकतम 800 शब्द) सहित उपर्युक्त पोर्टल पर उपलब्ध प्रारूप में उल्लिखित सभी प्रासंगिक जानकारी दी जानी चाहिए। किसी व्यक्ति की ऑनलाइन सिफारिश करते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी आवश्यक विवरण ठीक से भरे गए है। ऑनलाइन सिफारिश करने की क्रमवार प्रक्रिया, इन पुरस्कारो से संबंधित विधान और नियमावली वेबसाइटhttps://www.padmaawards.gov.in/padma_home.aspxपद्मअवार्डस डॉट जीओव्ही डॉट इन पर भी उपलब्ध है।


कलेक्टरों को जारी पत्र में कहा गया है कि अतीत में देखा गया है कि बड़ी संख्या में व्यक्तियों के संबंध में नामांकन प्राप्त होते हैं, लेकिन असाधारण योगदान के बावजूद कई प्रतिभाशाली व्यक्तियों के नाम पर विचार नहीं किया जाता है। ज्यादातर ऐसे लोगों की मुख्य रूप से इस कारण से अनदेखे रहने की संभावना रहती है कि उन्हें अपने सार्वजनिक जीवन में प्रचार या प्रमुखता की आकांक्षा नहीं रहती है। इसलिए अनुरोध है कि ऐसे व्यक्तियों की पहचान करने के पूरे प्रयास किए जाए जिनका उत्कृष्ट प्रदर्शन और उपलब्धियो सम्मान योग्य हैं और उनका उपयुक्त नामांकन किया जाए। यह उल्लेख करना आवश्यक है कि ऐसे योग्य व्यक्तियों के सम्मान से इन पुरस्कारों की प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। उल्लेखनीय है कि डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को छोड़कर, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में काम करने वाले व्यक्तियों सहित सरकारी सेवक पद्म पुरस्कार के लिए पात्र नहीं हैं। मरणोपरांत मामले में पुरस्कार मरणोपरांत प्रदान नहीं किया जाता है। हालांकि, अत्यधिक योग्य और दुर्लभ मामलों में, सरकार मरणोपरांत पुरस्कार देने पर विचार कर सकती है।


पद्म पुरस्कार के लिए क्षेत्र कला – संगीत, चित्रकला, मूर्तिकला, फोटोग्राफी, सिनेमा, रंगमंच आदि शामिल हैं। सामाजिक कार्य – चैरिटेबल सस्ती स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक और धर्मार्थ सेवाएं, पर्यावरण, स्वच्छता आदि जैसी सामुदायिक परियोजनाओं में योगदान शामिल हैं। सार्वजनिक मामले- इसमें कानून, सार्वजनिक जीवन, राजनीति आदि। विज्ञान और इंजीनियरिंग – इसमें अंतरिक्ष इंजीनियरिंग, परमाणु विज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी, विज्ञान और इसके संबद्ध विषयों में अनुसंधान और विकास आदि शामिल हैं। व्यापार और उद्योग – बैंकिंग, आर्थिक गतिविधियों, प्रबंधन, व्यापार और व्यवसाय के क्षेत्र में विनिर्माण, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, वस्त्र, लेखा, वित्त, पर्यटन, आदि के क्षेत्रों में शामिल हैं। चिकित्सा – एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी, सिद्ध, प्राकृतिक चिकित्सा, आदि में चिकित्सा अनुसंधान और विशिष्टता/विशेषज्ञता शामिल है। साहित्य और शिक्षा – साक्षरता और शिक्षा को बढ़ावा देना, शिक्षा सुधार, शिक्षण, पत्रकारिता, साहित्य और कविता, लेखक आदि शामिल हैं। सिविल सेवा – सरकारी सेवकों द्वारा प्रशासन आदि में विशिष्टता/उत्कृष्टता शामिल है खेल – इसमें खेलकूद, एथलेटिक्स, पर्वतारोहण, खेलों को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं। अन्य – इसमें अध्यात्म, योग, वन्य जीवन सुरक्षा और संरक्षण, पाक कला, कृषि, बुनियादी नवाचार, पुरातत्व, वास्तुकला आदि शामिल हो सकते हैं।

पाचन शक्ति बढ़ाने में मददगार आलूबुखारा 

पाचन शक्ति बढ़ाने में मददगार आलूबुखारा 

सरस्वती उपाध्याय

अलूचा या आलू बुखारा एक पर्णपाती वृक्ष है। इसके फल को भी अलूचा या प्लम कहते हैं। फल, लीची के बराबर या कुछ बड़ा होता है और छिलका नरम तथा साधरणत: गाढ़े बैंगनी रंग का होता है। गूदा पीला और खटमिट्ठे स्वाद का होता है। भारत में इसकी खेती बहुत कम होती है; परंतु अमरीका आदि देशों में यह महत्वपूर्ण फल है। आलूबुखारा (प्रूनस बुखारेंसिस) भी एक प्रकार का अलूचा है, जिसकी खेती बहुधा अफगानिस्तान में होती है। अलूचा का उत्पत्तिस्थान दक्षिण-पूर्व यूरोप अथवा पश्चिमी एशिया में काकेशिया तथा कैस्पियन सागरीय प्रांत है। इसकी एक जाति प्रूनस सैल्सिना की उत्पत्ति चीन से हुई है। इसका जैम बनता है।

पीले रंग के मिराबॅल आलू बुख़ारे

आलू बुख़ारा एक गुठलीदार फल है। आलू बुख़ारे लाल, काले, पीले और कभी-कभी हरे रंग के होते हैं। आलू बुख़ारों का ज़ायका मीठा या खट्टा होता है और अक्सर इनका पतला छिलका अधिक खट्टा होता है। इनका गूदा रसदार होता है और इन्हें या तो सीधा खाया जा सकता है या इनके मुरब्बे बनाए जा सकते हैं। इनके रस पर खमीर उठने पर आलू बुख़ारे की शराब भी बनाई जाती है। सुखाए गए आलू बुख़ारों को बहुत जगहों पर खाया जाता है और उनमें ऑक्सीकरण रोधी (ऐन्टीआक्सडन्ट) पदार्थ होते हैं जो कुछ रोगों से शरीर को सुरक्षित रखने में मददगार हो सकते हैं। आलू बुख़ारों की कई क़िस्मों में कब्ज़ का इलाज करने वाले (यानि जुलाब के) पदार्थ भी होते हैं।

यह खटमिट्ठा फल भारत के पहाड़ी प्रदेशों में होता है। अलूचा के सफल उत्पादन के लिए ठंडी जलवायु आवश्यक है। देखा गया है कि उत्तरी भारत की पर्वतीय जलवायु में इसकी उपज अच्छी हो सकती है। मटियार, दोमट मिट्टी अत्यंत उपयुक्त है, परंतु इस मिट्टी का जलोत्सारण (ड्रेनेज) उच्च कोटि का होना चाहिए। इसकी सिंचाई आड़ू की भांति करनी चाहिए।

अलूचा का वर्गीकरण फल पकने के समयानुसार होता है :

(१) शीघ्र पकनेवाला, जैसे अलूचा लाल, अलूचा पीला, अलूचा काला तथा अलूचा ड्वार्फ;

(२) मध्यम समय में पकनेवाला, जैसे अलूचा लाल बड़ा, अलूचा जर्द तथा आलूबुखारा;

(३) विलंब से पकनेवाला, जैसे अलूचा ऐल्फा, अलूचा लेट, अलूचा एक्सेल्सियर तथा केल्सीज जापान।

अलूचा का प्रसारण आँख बाँधकर (बडिंग द्वारा) किया जाता है। आड़ू या अलूचा के मूल वृंत पर आंख बांधी जाती है। दिसंबर या जनवरी में १५-१५ फुट की दूरी पर इसके पौधे लगाए जाते हैं। आरंभ के कुछ वर्षों तक इसकी काट-छांट विशेष सावधानी से करनी पड़ती है। फरवरी के आरंभ में फूल लगते हैं। शीघ्र पकनेवाली किस्मों के फल मई में मिलने लगते हैं। अधिकांश फल जून-जुलाई में मिलते हैं। लगभग एक मन फल प्रति वृक्ष पैदा होता है।

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