आरोप: ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने में व्यस्त हैं 'पीएम'
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। ओडिशा रेल हादसे के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रविवार को कटाक्ष करने के साथ ही आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने में व्यस्त हैं और रेल सुरक्षा पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। खरगे ने भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाएं रोकने के लिए ऊपर से नीचे तक सभी पदों की जवाबदेही तय करने की भी अपील की।
उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट में मोदी सरकार से सवाल किये और आरोप लगाया कि ‘प्रचार पाने के हथकंडों’ ने मोदी सरकार के कार्य प्रणाली को ‘ख़ोखला’ बना दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने रेलवे में तीन लाख़ पद खाली होने का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा भर्ती किये जाने वाले बड़े अधिकारियों के पद भी खाली हैं। उन्होंने सवाल किया कि बीते नौ वर्षों (केंद्र में मोदी सरकार के नौ वर्षों) में इन पदों को क्यों नहीं भरा गया। उन्होंने यह उल्लेख किया कि रेलवे बोर्ड ने हाल में खुद स्वीकार किया है कि मानव संसाधन की भारी कमी के चलते लोको पायलट (ट्रेन चालक) का लंबी अवधि तक काम करना दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण है।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘...तो फिर पद क्यों नहीं भरे गये ?’’ खरगे ने दावा किया कि दक्षिण पश्चिम रेलवे (एसडब्ल्यूआर) जोन (क्षेत्र) के प्रधान मुख्य परिचालन प्रबंधक ने मैसुरु में दो ट्रेनों के आपस में टकराने से बच जाने का जिक्र करते हुए आठ फरवरी 2023 को सिग्नल व्यवस्था दुरुस्त करने का आग्रह किया था।
कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया, ‘‘उस पर रेल मंत्रालय ने अमल क्यों नहीं किया।’’ खरगे ने ट्वीट में कहा, ‘‘संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 323वीं रिपोर्ट में रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) की सिफारिशों के प्रति रेलवे बोर्ड द्वारा की गई ‘उपेक्षा’ के लिए रेलवे की आलोचना की थी।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘यह कहा गया था कि सीआरएस केवल आठ से 10 प्रतिशत हादसों की जांच करता है, तो सीआरएस को मज़बूती क्यों नहीं प्रदान की गई।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की ताज़ा ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 2017-18 और 2020-21 के बीच 10 में से लगभग सात रेल दुर्घटनाएँ ट्रेनों के पटरी से उतरने की की वजह से हुई। 2017-21 में पूर्व तटीय रेलवे में सुरक्षा के लिए रेल मार्ग के रखरखाव का शून्य परीक्षण किया गया।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘इसे दरकिनार क्यों कर दिया गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कैग के अनुसार राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष में 79 प्रतिशत फंडिंग क्यों कम की गई, जबकि हर साल 20,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराया जाना था। (रेल) पटरी नवीकरण कार्यों की राशि में भारी गिरावट क्यों आई?’’ खरगे ने कहा, ‘‘भारत के रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) द्वारा 2011 में विकसित ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली का नाम मोदी सरकार ने बदलकर ‘कवच’ कर दिया और मार्च 2022 में रेल मंत्री जी ने खुद इसका प्रदर्शन भी किया।
फिर भी अब तक केवल चार प्रतिशत मार्गों पर ही कवच क्यों लगाया गया है?’’ उन्होंने वंदे भारत ट्रेनों का संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘मोदी जी, आप आये दिन सफ़ेद की गई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने में व्यस्त रहते हैं पर रेल सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं देते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऊपर से नीचे तक के पदों की जवाबदेही तय करनी होगी, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को होने से रोका जा सके। तभी, इस हादसे के पीड़ितों को न्याय मिलेगा।’’
इस बीच, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की। प्रियंका ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘बालासोर, ओडिशा में भयावह ट्रेन दुर्घटना को हुए 24 घंटे से अधिक समय बीत चुका है। क्या शीर्ष पदों पर बैठे लोगों की जवाबदेही मानवीय व नैतिक आधार पर नहीं तय की जानी चाहिए?’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘विशेषज्ञों, संसदीय समिति, कैग की रिपोर्ट में दी गई चेतावनियों व सुझावों को नजरंदाज करने के लिए कौन जिम्मेदार है?
रेलवे में खाली पड़े पदों और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कोष की कमी के लिए किसकी जिम्मेदारी तय होगी?’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘लाल बहादुर शास्त्री जी, नीतीश कुमार जी, माधव राव सिंधिया जी के नैतिक रास्ते पर चलते हुए क्या रेल मंत्री जी को इस्तीफा नहीं देना चाहिए?
बालासोर में शुक्रवार शाम हुए रेल हादसे में कम से कम 275 लोगों की मौत हो गई और घायलों की संख्या 1175 है। देश में पिछले करीब तीन दशकों में यह सबसे भयावह रेल हादसा है। हादसे में, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस शामिल हैं।