रविवार, 28 मई 2023

राहुल को मिला पासपोर्ट, आज रवाना होंगे अमेरिका

राहुल को मिला पासपोर्ट, आज रवाना होंगे अमेरिका

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को एक स्थानीय अदालत द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी किए जाने के दो दिन बाद रविवार को नया सामान्य पासपोर्ट मिल गया और अब वह सोमवार को अमेरिका रवाना होंगे।

सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों ने बताया कि पासपोर्ट कार्यालय ने भरोसा दिलाया था कि रविवार को पासपोर्ट मिल जाएगा और उन्हें दोपहर के समय पासपोर्ट मिल गया। दिल्ली की एक अदालत ने राहुल गांधी को 10 वर्ष के बजाय तीन वर्ष के लिए सामान्य पासपोर्ट जारी किए जाने के वास्ते गत शुक्रवार को अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किया था।

राहुल गांधी सोमवार शाम अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के लिए रवाना होने वाले हैं। उनके अमेरिका के कुछ अन्य शहरों में भी कार्यक्रम हैं। आगामी चार जून को वह न्यूयॉर्क में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करेंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को गुजरात के सूरत की एक अदालत द्वारा आपराधिक मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इसके पश्चात राहुल ने राजनयिक यात्रा दस्तावेज लौटा दिए थे। 

संसद के नए भवन की तुलना ताबूत से की: राजद

संसद के नए भवन की तुलना ताबूत से की: राजद

अविनाश श्रीवास्तव 

पटना। बिहार में सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने संसद के नए भवन की तुलना ताबूत से की है, जिसकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इतनी शर्मनाक हरकत राजद और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ही कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को जब संसद के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन कर रहे थे तब राजद ने संसद के नये भवन की तस्वीर के साथ ताबूत की तस्वीर पोस्ट कर पूछा "यह क्या है ?"

राजद के इस तरह के ट्वीट की चौतरफा आलोचना हो रही है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने राजद के ट्वीट पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राजद ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक ओर नये संसद भवन का चित्र और दूसरी ओर मृतक को रखने वाले बक्सा यानी ताबूत का चित्र डाला है। पहला चित्र भारत का भविष्य है और दूसरा चित्र राजद का भविष्य दर्शाता है।

मोदी ने कहा, कि भारत के गौरव दिवस पर इतनी शर्मनाक हरकत राजद और जदयू ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि नए संसद भवन की जरूरत नहीं थी तो उन्हें बताना चाहिए कि पटना में ब्रिटिश कालीन म्यूजियम के रहते हुए एक हजार करोड़ रुपए खर्च कर नया म्यूजियम क्यों बनाया गया। इसी तरह श्री कृष्ण मेमोरियल भवन के रहते हुए बापू सभागार बनवाने की क्या आवश्यकता थी लेकिन सभी को नरेंद्र मोदी से द्वेष और घृणा है इसलिए वह उनके हर कार्यों की आलोचना करते हैं।

भाजपा सांसद ने कहा कि भले ही आज विपक्ष के राजनीतिक दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है लेकिन कल जब संसद की बैठक होगी तब तो सभी को वहीं बैठना होगा। उन्होंने कहा कि यदि उनमें हिम्मत है तो वह ऐलान करें कि वह इस नए संसद भवन में कदम भी नहीं रखेंगे। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि राजद का कोई अपना स्टैंड नहीं है।

भाजपा के साथ वर्षों रहकर राज करने वाले श्री नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बना दिया है। उन्होंने कहा कि राजद के लोग ताबूत के बदले कोई और मिसाल दे सकते थे। लेकिन, वह हर चीज में कोई एंगल दे देते हैं।

जयंती: सावरकर को पुष्पांजलि अर्पित की

जयंती: सावरकर को पुष्पांजलि अर्पित की

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला, कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने वी. डी. सावरकर को उनकी जयंती पर पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में पुष्पांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन करने के बाद केंद्रीय कक्ष में सावरकर की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। सावरकर को श्रद्धांजलि देने के लिए कई केंद्रीय मंत्री और सांसद भी प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय कक्ष पहुंचे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया,  अपने विचारों से असंख्य भारतीयों के हृदय में देशभक्ति का दीप प्रज्वलित करने वाले उत्कृष्ट राष्ट्रभक्त वीर सावरकर की जयंती पर उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन।

वीर सावरकर की देशभक्ति, त्याग व समर्पण वंदनीय है और युगों-युगों तक देशवासियों को प्रेरणा देने का काम करता रहेगा। सावरकर का जन्म 1883 में महाराष्ट्र में हुआ था। उन्हें हिंदुत्व विचारधाराओं वाले दल और संगठन एक नायक मानते हैं। 

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-227, (वर्ष-06)

2. सोमवार, मई 29, 2023

3. शक-1944, ज्येष्ठ, शुक्ल-पक्ष, तिथि-नवमी, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:40, सूर्यास्त: 06:10। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 24 डी.सै., अधिकतम- 36+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु  (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पंवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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(सर्वाधिकार सुरक्षित)

शनिवार, 27 मई 2023

अंगूर से किशमिश बनाने का तरीका, जानिए 

अंगूर से किशमिश बनाने का तरीका, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 

ड्राई फ्रूट्स हम सभी की सेहत के लिए बहुत लाभकारी होते हैं, ये तो हम सभी जानते हैं। वहीं, ड्राई फ्रूट्स हमारी डिश का स्वाद भी बढ़ाते हैं। इन ड्राई फ्रूट्स में से एक है किशमिश जो हमारे शरीर में आयरन की कमी को पूरा करती है। वहीं इसे हम मीठी डिश में डालकर स्वाद भी बढ़ा सकते हैं। इससे आपकी डिश का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है।

बता दें, कि किशमिश को अगर बाजार से खरीदें तो ये काफी महंगी मिलती है। लेकिन, अगर आप इसे घर पर बनाएंगे, तो आपका काफी पैसे बच जाएंगे। आज हम आपको घर पर ही आसान तरीके से किशमिश बनाने के बारे में बताने जा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं, इसे बनाने का तरीका। 

घर पर किशमिश बनाने के लिए जरूरी सामान...

एक किलो अंगूर।

स्टीमर।

किशमिश बनाने की विधि...

बता दें, कि अगर आप घर पर किशमिश बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले एक किलो अंगूर लेकर इसे अच्छे से धो लें। इसके बाद इसकी डंडी निकाल कर अलग कर दें। नहीं तो इसका टेस्ट खराब हो सकता है। अगर आपके पास इडली स्टीमर है तब तो काफी अच्छा वरना सादा भिगोने को स्टीमर की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। अब स्टीमर में उसके साइज के हिसाब से पानी भर दें। अब स्टीमर की ट्रे में अंगूरों को भर कर गैस पर चढ़ा दें। करीब 20 मिनट बाद गैस बंद करके स्टीमर को खोलने पर आपको अंगूरों का रंग पीला दिखने लगेगा। रंग बदलने के बाद इसे निकाल कर सूती चादर पर डालकर ऐसी जगह फैला दें, जहां धूप आती हो। दो-तीन दिनों तक इसे ऐसे ही सूखने दें।

निर्धारित समय के बाद आप देखेंगे कि अंगूर सिकुड़ने लगेंगे। बता दें, कि सुखाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि ये अलग-अलग रहे। वरना इसके स्वाद पर असर पड़ सकता है। वहीं तीसरे दिन आप इसे पंखे के नीचे सुखाने के लिए रखें। लो जी बस अब आपकी किशमिश तैयार है, इसे एक एयर टाइट डिब्बे में रखकर आप करीब साल भर तक इसे यूज कर सकते हैं।

आज नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे 'पीएम'

आज नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे 'पीएम'

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई विपक्षी दलों के बहिष्कार के बीच, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस नए संसद भवन का रविवार को उद्घाटन करेंगे। हालांकि, विपक्ष के 20 दलों का कहना है, कि राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए। शुक्रवार को, मोदी ने कहा था कि नया संसद भवन प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित करेगा। उन्होंने नए परिसर का वीडियो भी साझा किया था। नये संसद भवन में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की कालीन, त्रिपुरा के बांस से बने फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी भारत की संस्कृतिक विविधता को दर्शाती है।

तमिलनाडु से संबंध रखने वाले और चांदी से निर्मित एवं सोने की परत वाले ऐतिहासिक राजदंड (सेंगोल) को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा। अगस्त 1947 में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया गया यह रस्मी राजदंड इलाहाबाद संग्रहालय की नेहरू दीर्घा में रखा गया था। उद्घाटन समारोह का 20 विपक्षी दलों द्वारा बहिष्कार किए जाने के बीच, राजदंड को लेकर भी राजनीतिक विवाद छिड़ गया है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को दावा किया कि इस बारे में कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है, जिससे यह साबित होता हो कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘सेंगोल’ को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित किए जाने का प्रतीक बताया हो। ‘सेंगोल’ पर कांग्रेस के रुख को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस को अपने व्यवहार पर अच्छी तरह से विचार करने की आवश्यकता है।उन्होंने पार्टी के इस दावे की निंदा की कि 1947 में ‘सेंगोल’ को ब्रिटेन द्वारा भारत को सत्ता सौंपे जाने का प्रतीक होने का कोई उदाहरण नहीं है। नये संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर, सरकार 75 रुपये का स्मारक सिक्का भी जारी करेगी। वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले आर्थिक कार्य विभाग द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, “नये संसद भवन के उद्घाटन के उपलक्ष्य में 75 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया जाएगा।

सिक्के का वजन 35 ग्राम है और यह चार धातुओं से बना हुआ है।” सिक्के के एक तरफ अशोक स्तंभ का शेर अंकित है, जिसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है। इसके बाईं ओर देवनागरी में ‘भारत’ और दाईं ओर अंग्रेजी में ‘इंडिया’ लिखा होने के साथ ही रुपये का प्रतीक चिन्ह भी अंकित है। वहीं, सिक्के के दूसरी तरफ नए संसद भवन की तस्वीर है। इसके ऊपर देवनागरी में ‘संसद संकुल’ और नीचे अंग्रेजी में ‘पार्लियामेंट कॉम्प्लेक्स’ लिखा है। नीचे 2023 भी लिखा हुआ है। टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा निर्मित नये संसद भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान हॉल, संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थल मौजूद होगा। त्रिभुजाकार वाले चार मंजिला संसद भवन का निर्मित क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर है। भवन के तीन मुख्य द्वार हैं- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार। इसमें वीआईपी (अति विशिष्ट व्यक्तियों), सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं। नये संसद भवन के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों से लाई गई है। इसमें प्रयुक्त सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई है, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया है।

राष्ट्रीय राजधानी में लाल किले और हुमायूं के मकबरे के लिए बलुआ पत्थर भी सरमथुरा से लाया गया था। हरा पत्थर उदयपुर से, तो अजमेर के पास लाखा से लाल ग्रेनाइट और सफेद संगमरमर अंबाजी राजस्थान से मंगवाया गया है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘एक तरह से लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए पूरा देश एक साथ आया है। इस प्रकार यह ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की सच्ची भावना को दर्शाता है।’’ लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में ‘फाल्स सीलिंग’ के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है, जबकि नये भवन के लिए फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था। इमारत पर लगी पत्थर की ‘जाली’ राजस्थान के राजनगर और उत्तर प्रदेश के नोएडा से मंगवाई गई थी। अशोक चिह्न के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से लाई गई थी, जबकि संसद भवन के बाहरी हिस्सों में लगी सामग्री को मध्य प्रदेश के इंदौर से मंगाया गया था।

पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों द्वारा किया गया था। वहीं, पत्थरों को कोटपूतली, राजस्थान से लाया गया था। नए संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए ठोस मिश्रण बनाने के वास्ते हरियाणा के चरखी दादरी में निर्मित रेत या ‘एम-रेत’ का इस्तेमाल किया गया। ‘एम रेत’ एक प्रकार की कृत्रिम रेत है, जिसे बड़े सख्त पत्थरों या ग्रेनाइट को बारीक कणों में तोड़कर बनाया जाता है और जो नदी की रेत से अलग होती है। निर्माण में इस्तेमाल की गई ‘फ्लाई ऐश’ की ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थीं, जबकि पीतल के काम के लिए सामग्री और ‘पहले से तैयार सांचे’ गुजरात के अहमदाबाद से लाए गए थे। नये संसद भवन में, दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की संयुक्त बैठक में 1,280 सदस्य शामिल हो सकेंगे। संसद का मौजूदा भवन 96 साल पुराना है, जिसका निर्माण कार्य 1927 में पूरा हुआ था। तत्कालीन वाइसरॉय लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को इसका उद्घाटन किया था। अभिलेखीय दस्तावेजों और पुरानी दुर्लभ तस्वीरों के मुताबिक, इस भव्य इमारत के उद्घाटन के लिए 18 जनवरी 1927 को एक भव्य आयोजन किया गया था। उस समय इसे ‘काउंसिल हाउस’ के रूप में जाना जाता था।

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