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शनिवार, 27 मई 2023
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
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1. अंक-226, (वर्ष-06)
2. रविवार, मई 28, 2023
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शुक्रवार, 26 मई 2023
20 विपक्षी दलों के फैसले को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया
20 विपक्षी दलों के फैसले को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया
अकांशु उपाध्याय/इकबाल अंसारी
नई दिल्ली/राजपिपला। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के 20 विपक्षी दलों के फैसले को शुक्रवार को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया और कहा कि राजनीति करने की एक सीमा होनी चाहिए। गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर आए जयशंकर नर्मदा जिले के राजपिपला कस्बे में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन का जश्न पूरे देश को एक उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई, रविवार को नये संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। विपक्षी दलों का तर्क है कि संसद के नये भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए क्योंकि वह न केवल गणराज्य की प्रमुख हैं, बल्कि संसद की भी प्रमुख हैं क्योंकि वह उसे आहूत करती हैं, सत्रावसान करती हैं और उसे संबोधित करती हैं।
जयशंकर ने कहा, मेरा मानना है कि नए संसद भवन के उद्घाटन को लोकतंत्र के त्योहार के रूप में लिया जाना चाहिए और इसका जश्न उसी भावना से मनाया जाना चाहिए। इसे विवाद का विषय नहीं बनाना चाहिए। अगर यह विवाद का विषय बन जाता है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, कुछ लोग (विवाद पैदा करने की) कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन, मेरा मानना है कि राजनीति में लिप्त होने की एक सीमा होनी चाहिए। कम से कम ऐसे अवसरों पर पूरे देश को एक साथ आना चाहिए और इस त्योहार को मनाना चाहिए।" अपने गुजरात दौरे में, जयशंकर का नर्मदा जिले के उन चार गांव जाने का कार्यक्रम है, जिन्हें उन्होंने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया है।
देश के साथ विश्वासघात किया, माफी मांगनी चाहिए
देश के साथ विश्वासघात किया, माफी मांगनी चाहिए
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के नौ साल पूरे होने पर शुक्रवार को महंगाई, बेरोजगारी एवं कुछ अन्य विषयों पर उससे नौ सवाल पूछें और कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने वादों को पूरा नहीं करके देश के साथ जो विश्वासघात किया है, उसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। मुख्य विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने जो वादे किये थे, वह काल्पनिक थे और कोई वादा पूरा नहीं हुआ। कांग्रेस ने 'नौ साल, नौ सवाल' शीर्षक से एक पुस्तिका भी जारी की और कहा कि 26 मई को प्रधानमंत्री मोदी को 'माफी दिवस' के रूप मनाना चाहिए।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा, "नौ साल बाद आज कांग्रेस नौ सवाल पूछ रही है। राहुल गांधी ने 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान ये सवाल पूछे थे, लेकिन प्रधानमंत्री और सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया।'' उन्होंने सवाल किया, "प्रधानमंत्री जी, ऐसा क्यों है कि महंगाई और बेरोजगारी आसमान छू रही हैं? आर्थिक विषमता क्यों बढ़ रही है। ऐसा क्यों है कि किसानों की आय दोगुनी क्यों नहीं हुई, किसानों के साथ किये गए वादे पूरे क्यों नहीं हुए, एमएसपी की कानूनी गारंटी क्यों नहीं दी गई।
" रमेश ने यह भी पूछा, "अडाणी को फायदा पहुंचाने के लिए, एसबीआई और एलआईसी में जमा लोगों की खून -पसीने की कमाई का क्यों इस समूह में निवेश किया गया, अडाणी समूह की फर्जी कंपनियों में जमा 20 हजार करोड़ रुपये किसके हैं?" उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री जी, आपने चीन को लाल आंख दिखाने की बात करने के बावजूद चीन को क्लीन चिट क्यों दी।
चुनावी फायदे के लिए, राजनीतिक फायदे के लिए डर का माहौल क्यों पैदा किया जा रहा है?" रमेश ने कहा, "ऐसा क्यों है कि आप महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को लेकर चुप रहते हैं, जाति आधारित जनगणना पर चुप्पी क्यों है?" कांग्रेस महासचिव ने सवाल किया, "ऐसा क्यों है कि विपक्षी नेताओं के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है और विपक्ष शासित सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है।
क्या ऐसा नहीं है कि कुप्रबंधन से 40 लाख लोगों की मौत हुई और प्रभावित परिवारों को मुआवजा क्यों नहीं दिया गया?" उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इन सवालों पर चुप्पी तोड़नी चाहिए। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ''आज का दिन प्रधानमंत्री को माफी दिवस के तौर पर मनाना चाहिए। सभी देशवासियों से प्रधानमंत्री को माफी मांगना चाहिए क्योंकि भारत के लोगों के साथ विश्वासघात हुआ है।" खेड़ा ने कहा, "उन्होंने जो बातें कीं और वादे किये, वह सभी काल्पनिक थे।
हल्दी के फायदें, अधिक अध्ययन की जरूरत
हल्दी के फायदें, अधिक अध्ययन की जरूरत
सरस्वती उपाध्याय
इन्सान 4,000 से अधिक वर्षों से हल्दी का इस्तेमाल कर रहा है। खाने से लेकर सौंदर्य प्रसाधन तक में हल्दी का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी गठिया से लेकर एसिडिटी तक, तमाम विकारों के इलाज के लिए हल्दी का बढ़-चढ़कर सहारा लिया जाता है।
हल्दी के चिकित्सकीय गुणों को लेकर कई लेख और सोशल मीडिया पोस्ट हैं, जिनमें इस भारतीय मसाले के दिमाग दुरुस्त रखने के साथ ही दर्द और सूजन में कमी लाने में मददगार होने का दावा किया गया है। हालांकि, इनमें से कई दावों की वैज्ञानिक पुष्टि की जा चुकी है, लेकिन संबंधित अध्ययन मुख्यत: कोशिकाओं और जानवरों पर किए गए हैं, जिससे मानव सेहत पर हल्दी के सकारात्मक प्रभाव पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाए हैं।
हल्दी में 100 से ज्यादा यौगिक पाए जाते हैं, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी इसके अधिकतर फायदे कर्क्युमिनॉयड से जुड़े हुए हैं, जिनमें मुख्य रूप से कर्क्युमिन शामिल है। कर्क्युमिनॉयड ऐसे फेनोलिक यौगिक होते हैं, जो पौधों द्वारा उन्हें विशिष्ट रंग देने के वास्ते वर्णक के रूप में या फिर जानवरों को उन्हें खाने से हतोत्साहित करने के लिए पैदा किए जाते हैं। विभिन्न अध्ययनों में कर्क्युमिनॉयड में एंटी-ऑक्सीडेंट प्रभाव होने की बात सामने आई है।
एंटी-ऑक्सीडेंट कोशिकाओं को फ्री रैडिकल से होने वाले नुकसान से बचाने या उनका दुष्प्रभाव कम करने में कारगर माने जाते हैं। विभिन्न अध्ययनों में सामने आया है कि फ्री रैडिकल मानव शरीर में सूजन से लेकर हृदयरोग और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का कारण बन सकते हैं।
दर्द पर असर: मानव शरीर पर हल्दी के सकारात्मक प्रभावों की पुष्टि करने वाले अध्ययनों की कमी के बावजूद इस भारतीय मसाले को प्रमुख दर्द निवारक एवं सूजन रोधी तत्व के रूप में प्रचारित किया जाता है, जो जोड़ों के दर्द से लेकर गठिया तक के इलाज में प्रभावी है।
मनुष्यों पर किए गए विभिन्न परीक्षणों के विश्लेषण के मुताबिक, कुछ मामलों में हल्दी के सप्लीमेंट दर्द पर ‘प्लेसिबो’ से कुछ खास प्रभावी नहीं साबित होते, जबकि कई मामलों में इनका असर दर्द एवं सूजन रोधी दवाओं जितना होता है।
मालूम हो कि किसी अध्ययन में दवा का असर आंकने के लिए एक नियंत्रित समूह को दवा बताकर दिए जाने वाले गैर-हानिकारक एवं निष्क्रिय पदार्थ को ‘प्लेसिबो’ कहते हैं। हालांकि, इनमें से ज्यादातर परीक्षण बेहद छोटे समूह पर किए गए थे। यही नहीं, उनमें प्रतिभागियों को दी जाने वाली हल्दी की खुराक भी अलग-अलग थी।ऐसे में यह स्पष्ट रूप से कह पाना मुश्किल है कि हल्दी दर्द के एहसास में कमी लाने में असरदार है।
कैंसर रोधी गुण: एंटी-ऑक्सीडेंट प्रभाव के कारण हल्दी में कैंसर रोधी गुण होने का भी दावा किया गया है। एक अध्ययन में ‘कर्क्युमिन’ को डीएनए में होने वाले उन बदलावों को पलटने में कारगर पाया गया है, जो स्तन कैंसर का कारण बनते हैं।
लेकिन, यह पूरी तरह से साफ नहीं है कि ‘कर्क्युमिन’ कैंसर के खतरे में कमी लाता है या फिर इसके इलाज में सहायक साबित होता है। कुछ अध्ययनों में दावा किया गया है कि सिर या गले के कैंसर से जूझ रहे मरीज अगर हल्दी मिले पानी से गरारा करें, तो उन्हें रेडियोथेरेपी से होने वाले साइइइफेक्ट कम झेलने पड़ते हैं।
हल्दी एक दुर्लभ अनुवांशिक विकार ‘फैमिलियर एडिनोमेटस पॉलीपोसिस’ के शिकार मरीजों के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है। एक क्लीनिकल परीक्षण में सामने आया था कि रोजाना एक चम्मच (120 मिलीग्राम) ‘कर्क्युमिन’ का सेवन करने से ‘फैमिलियर एडिनोमेटस पॉलीपोसिस’ से पीड़ित लोगों में कैंसर को जन्म देने वाले ‘पॉलिप’ (शरीर के आंतरिक अंगों की रक्षा करने वाली श्लेष्मल झिल्ली की सतह पर बनने वाली सूक्ष्म गांठें) का विकास काफी धीमा बढ़ जाता है।
क्या हल्दी वाकई असरदार है: हल्दी हमारे शरीर में काम करे, इसके लिए ‘कर्क्युमिन’ का आंत से निकलकर खून में घुलना बेहद जरूरी है। हालांकि, ‘कर्क्युमिन’ एक बड़ा यौगिक है, जो पानी में ज्यादा घुलनशील नहीं है। इसके चलते, यह खून में आसानी से नहीं घुल पाता। कुछ अध्ययनों में कहा गया है कि हल्दी आंत में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करके शरीर को लाभ पहुंचाती है, जिसके चलते इसका खून में घुलना जरूरी नहीं है।
लेकिन, यह बात इन्सानों के संबंध में भी लागू होती है या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए और अध्ययन किए जाने की जरूरत है। इसके अलावा, यह पता लगाने की भी चुनौती है कि सेहत पर हल्दी के फायदे देखने के लिए कितनी मात्रा में इसका सेवन जरूरी है।
ज्यादातर अध्ययनों में सिर्फ ‘कर्क्युमिन’ के फायदे आंके गए हैं, जो हल्दी पाउडर का महज तीन फीसदी हिस्सा होता है। चूहों पर किए गए अध्ययनों में ‘कर्क्युमिन’ सिर्फ एक ग्राम से अधिक मात्रा में दिए जाने की सूरत में ही सेहत के लिए फायदेमंद मिला है। ऐसे में इन्सानों के संबंध में यह मात्रा कुछ किलोग्राम के आसपास बैठेगी। किसी व्यक्ति के लिए दिनभर में इतनी मात्रा में हल्दी का सेवन करना लगभग नामुमकिन है।
शिवसेना के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है
शिवसेना के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है
कविता गर्ग
मुंबई। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं होने के संकेत देते हुए एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के एक सांसद ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
मुंबई से लोकसभा सांसद गजानन कीर्तिकर ने कहा कि चूंकि, शिवसेना एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा है, इसलिए उसके सांसदों का काम “उसी के मुताबिक” होना चाहिए। शिंदे समूह के वरिष्ठ नेता ने कहा, “हम राजग का हिस्सा हैं... इसलिए हमारा काम उसी हिसाब से होना चाहिए और (राजग) घटक दलों को (उपयुक्त) दर्जा मिलना चाहिए।
हमें लगता है कि हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।” महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ हाथ मिलाने के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना 2019 में राजग से बाहर हो गई थी। पिछले साल शिवसेना में फूट के बाद शिंदे ने भाजपा से हाथ मिला लिया था और मुख्यमंत्री बने थे।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले दिन में कीर्तिकर ने यह भी कहा कि 2019 में शिवसेना और भाजपा द्वारा लागू किया गया सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला 2024 के लोकसभा चुनाव में नहीं बदला जाएगा। दूसरी ओर, भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि इस संबंध में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
सिद्धरमैया ने सोनिया और राहुल से मुलाकात की
सिद्धरमैया ने सोनिया और राहुल से मुलाकात की
अकांशु उपाध्याय/इकबाल अंसारी
नई दिल्ली/बेंगलुरु। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। सिद्धरमैया सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पहुंचकर कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेताओं से मिले।
मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल के विस्तार के संदर्भ में पार्टी के नेतृत्व के साथ चर्चा के लिए इन दिनों दिल्ली दौरे पर हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने कर्नाटक मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के साथ बृहस्पतिवार को विस्तृत चर्चा की थी। सूत्रों ने बताया कि कर्नाटक मंत्रिमंडल में करीब 20 और मंत्रियों को शामिल किये जाने की संभावना है।
राज्य मंत्रिमंडल को अंतिम रूप दिये जाने से पहले एक और दौर की चर्चा की जाएगी। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उप मुख्यमंत्री शिवकुमार और आठ मंत्रियों ने गत 20 मई को शपथ ली थी। हालांकि, मंत्रियों को विभागों का बंटवारा अब तक नहीं किया गया है। कर्नाटक सरकार के मंत्रिमंडल में अधिकतम 34 सदस्य हो सकते हैं।
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