गुरुवार, 18 मई 2023

सार्वजनिक सूचनाएं एवं विज्ञापन

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-217, (वर्ष-06)

2. शुक्रवार, मई 19, 2023

3. शक-1944, ज्येष्ठ, कृष्ण-पक्ष, तिथि-अमावस्या, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:40, सूर्यास्त: 06:10। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 25 डी.सै., अधिकतम- 41+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु  (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पंवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

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बुधवार, 17 मई 2023

लखनऊ में भव्य विशाल भंडारे का आयोजन: ट्रस्ट

लखनऊ में भव्य विशाल भंडारे का आयोजन: ट्रस्ट

संदीप मिश्र 

लखनऊ। मंगलवार को कल्याणम भव ट्रस्ट के तत्वाधान में लखनऊ महानगर में भव्य विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जैसा, कि लखनऊ की परंपरा रही है कि जेष्ठ के मंगल में संपूर्ण शहर में यह आयोजन होता है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कल्याणम भव: ट्रस्ट के प्रमुख श्री मनीष पटेल एवं श्रीमति इनसिया पटेल ने प्रभु इच्छा से भव्य भंडारे का आयोजन किया। जिसके अंतर्गत हनुमान जी का पूजन अर्चन किया एवं भोग लगाया गया।

इस दौरान अंकित खुल्लर, राहुल आनंद, विनय श्रीवास्तव, मोरध्वज गुप्ता, सत्येंद्र उपाध्याय, नीरज सिंह, कुलदीप सेवा में सम्मिलित रहे। तत्पश्चात समस्त भक्तो को मिष्ठान एवं पूड़ी सब्जी का वितरण किया। जिसमें 4500 से अधिक भक्तो ने प्रसाद प्राप्त किया, एवं जय श्री राम, जय हनुमान के जयकारे के उद्घोष के साथ हनुमान से समाज के कल्याण एवं उत्थान की प्रार्थना की।

जैसा की विदित हो की कल्याणं भव ट्रस्ट के द्वारा समाज के गरीब लोगो की सहायता एवं सेवा भी की जाती रही है। इसकेअतिरिक्त शहर के विभिन्न इलाकों में जो भी असहाय, वृद्ध एवं जरूरतमंद लोगो की सहायता एवं उनकी उचित भी व्यवस्था भी ट्रस्ट के द्वारा करते रहे है। जैसा कि कहा गया है, कि "सेवा से बड़ी साधना कोई नहीं है"। इसी बात को पालन करते हुए ट्रस्ट प्रमुख रूप से नर एवं नारायण सेवा कर रहा है।

1.08 लाख करोड़ की उर्वरक सब्सिडी को मंजूरी

1.08 लाख करोड़ की उर्वरक सब्सिडी को मंजूरी

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खरीफ सत्र 2023-24 के लिए 1.08 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी को बुधवार को मंजूरी दे दी। सरकार के इस कदम का मकसद उर्वरकों की खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी को रोकना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में खरीफ सत्र के लिए यूरिया पर 70,000 करोड़ रुपये और डीएपी एवं अन्य उर्वरकों के लिए 38,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई।

उर्वरक एवं रसायन मंत्री मनसुख मांडविया ने मंत्रिमंडल में लिए गए इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘अप्रैल, 2023- मार्च, 2024 के खरीफ सत्र में उर्वरक सब्सिडी पर कुल 1.08 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।’’

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उर्वरकों की अधिकतम खुदरा कीमतों (एमआरपी) में इस अवधि में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। फिलहाल यूरिया की कीमत 276 रुपये प्रति बोरी है जबकि डीएपी 1,350 रुपये प्रति बोरी पर बिक रही है। उर्वरक सब्सिडी से करीब 12 करोड़ किसानों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है।

क्षेत्र की समस्या को लेकर ज्ञापन सौंपा: यूनियन 

क्षेत्र की समस्या को लेकर ज्ञापन सौंपा: यूनियन 

भानु प्रताप उपाध्याय 

शामली। बुधवार को शामली कलेक्ट्रेट में किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष लबनान चौधरी के नेतृत्व में हमारे देश की बहन बेटियों के साथ हो रहें अत्याचार के विरोध में अपनी और अपने क्षेत्र की समस्या को लेकर महामहिम राष्ट्रपति और जिलाधिकारी महोदय शामली के नाम एक ज्ञापन सौंपा।

इस दौरान किसान यूनियन राष्ट्रीय महासचिव संजीव लिलोन, जयपाल सिंह, हरेंद्र मलिक, बावड़ी बासित अली, गयूर अली, अखलाक प्रधान, राजेंद्र प्रधान आदि किसान यूनियन के वरिष्ठ पदाधिकारी वह कार्यकर्ता मौजूद रहे।

लोकसभा चुनाव को हल्के तौर पर नहीं लेना चाहिए

लोकसभा चुनाव को हल्के तौर पर नहीं लेना चाहिए

अविनाश श्रीवास्तव 

पटना। राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने बुधवार को कहा, कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को हल्के तौर पर नहीं लेना चाहिए। किशोर ने कहा, "मैं कर्नाटक में कांग्रेस की सफलता पर पार्टी को बधाई देता हूं।

मैं पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सावधान करना चाहता हूं कि विधानसभा चुनाव के नतीजों को यह समझने की भूल न करें कि आम चुनाव में क्या होने वाला है।" उन्होंने कहा, "2012 में समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आई थी। दो साल बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने राज्य में 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल की।" उन्होंने 2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों को भी याद किया जब कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया था लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा से बुरी तरह हार गई थी।

किशोर ने कहा, "कांग्रेस को 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपने सफल प्रदर्शन के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में इन क्षेत्रों में अपने निराशाजनक प्रदर्शन को भी याद करना चाहिए ।" उल्लेखनीय है कि 45 वर्षीय किशोर ने नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल, एम के स्टालिन और जगनमोहन रेड्डी जैसे विविध नेताओं के चुनाव अभियानों को संभाला है।

‘एल्डरमैन’ नामित करने का अधिकार, निकाय अस्थिर 

‘एल्डरमैन’ नामित करने का अधिकार, निकाय अस्थिर 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि उपराज्यपाल को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में ‘एल्डरमैन’ नामित करने का अधिकार देने का मतलब है कि वह निर्वाचित नगर निकाय को अस्थिर कर सकते हैं और शीर्ष अदालत ने साथ ही इस बात पर हैरानी जताई कि क्या यह नामांकन केंद्र के लिए इतना बड़ा चिंता का विषय है ?

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में ‘एल्डरमैन’ को नामित करने के उपराज्यपाल के अधिकार को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए यह बात कही। एमसीडी के 250 निर्वाचित और 10 नामित सदस्य हैं।आम आदमी पार्टी (आप) ने पिछले साल दिसंबर में हुए नगर निकाय चुनाव में 134 वार्ड में जीत हासिल की थी और एमसीडी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 15 साल के शासन को खत्म कर दिया था। चुनाव में भाजपा ने 104 सीट जीतीं और कांग्रेस ने नौ सीट अपने नाम कीं। पीठ ने कहा, ‘‘ क्या एमसीडी में 12 विशिष्ट लोगों का नामांकन केंद्र के लिए इतना चिंता का विषय है ?

दरअसल, उपराज्यपाल को यह अधिकार देने का मतलब होगा कि वह लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई नगर समितियों को अस्थिर कर सकते हैं। क्योंकि उनके (एल्डरमैन के) पास मतदान के अधिकार भी होंगे।’’ उपराज्यपाल के कार्यालय की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने दिल्ली के संदर्भ में कहा कि यह ध्यान रखना जरूरी है कि 69वां संशोधन आया और जीएनसीटीडी अधिनियम को अधिसूचित किया गया, जिसमें दिल्ली के शासन को लेकर व्यवस्था दी गई है।

वर्ष 1991 के 69वें संशोधित अधिनियम ने केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के रूप में तैयार कर एक विशेष दर्जा दिया गया है। पीठ ने जैन से कहा कि उनका प्रतिवेदन से तात्पर्य है कि एमसीडी एक स्व:शासित संस्थान है और उपराज्यपाल जब अनुच्छेद 239एए के तहत मंत्रिपरिषद की सहायता तथा सलाह पर कार्य करते हैं तो उनकी भूमिका यहां प्रशासक की भूमिका से अलग है।

अधिनियम का जिक्र करते हुए जैन ने कहा, कि कुछ अधिकार हैं जो प्रशासकों को दिए जाते हैं और कुछ अन्य सरकार को दिए जाते हैं। न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने जैन से पूछा कि क्या उनका मतलब है कि प्रशासक को दिए गए अधिकार राज्य से अलग हैं और राज्य सरकार को नहीं दिए जा सकते।दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि एमसीडी में लोगों को नामांकित करने के लिए राज्य सरकार को कोई अलग अधिकार नहीं दिया गया है और पिछले 30 वर्षों से उपराज्यपाल द्वारा शहर सरकार की सहायता तथा परामर्श पर ‘एल्डरमैन’ को नामित करने की प्रथा का पालन किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ एलजी कभी भी ‘एल्डरमैन’ को अपने अधिकार में नियुक्त नहीं करते।’’

उन्होंने कहा कि नामांकन हमेशा राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है, लेकिन केंद्र सरकार की सहायता व परामर्श पर। प्रावधानों का जिक्र करते हुए सिंघवी ने कहा कि जहां एक फाइल राज्य सरकार को चिन्हित की जाती है, तो वह उसका अंतिम पड़ाव होता है लेकिन जब वह उपराज्यपाल को चिह्नित की जाती है, उन्हें राज्य सरकार की सहायता व परामर्श पर कार्य करना होता है। जैन ने इस बात पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि अगर प्रक्रिया 30 वर्ष से चली आ रही है तो उसका मतलब यह नहीं है कि वह सही है। सिंघवी ने कहा कि यदि जैन के तर्क को स्वीकार किया जाता है, तो इतने समय से इस प्रक्रिया का पालन करने वाले सभी उपराज्यपाल गलत हैं।

पीठ ने कहा कि उपराज्यपाल को ‘एल्डरमैन’ को नामित करने का अधिकार देने का मतलब होगा कि वह लोकतांत्रिक रूप से चुने गए एमसीडी को अस्थिर कर सकते हैं क्योंकि इन (एल्डरमैन को) को स्थायी समितियों में नियुक्त किया जाता है और उनके पास मतदान के अधिकार भी होते हैं। जैन ने हालांकि दलील दी कि ‘एल्डरमैन’ के पास इतने अधिकार नहीं होते। इस पर सिंघवी ने जैन के दावों का विरोध किया और कहा कि वार्ड समितियों में ‘एल्डरमैन’ नियुक्त किए गए हैं और उनके पास ऐसी समितियों में मतदान का अधिकार है। इसके बाद पीठ ने सिंघवी और जैन दोनों को दो दिन में लिखित प्रतिवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि वह याचिका पर फैसला सुनाएंगे।

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सवाल किया था कि निर्वाचित सरकार की सहायता तथा परामर्श के बिना दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में 10 ‘एल्डरमैन’ को नामित करने के लिए उपराज्यपाल के संविधान तथा कानून के तहत ‘‘ अधिकार का स्रोत’’ क्या है। शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) ने एमसीडी में उपराज्यपाल द्वारा नामित ‘एल्डरमैन’ की नियुक्तियों को चुनौती दी है।

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